RE: non veg story एक औरत की दास्तान
एक औरत की दास्तान--3
गतान्क से आगे...........................
खैर अब लड़के ने ज़्यादा देर करना ठीक नही समझा और अपना लंड लड़की की गुलाबी चूत के मुहाने पर टिका दिया... और हल्का सा धक्का लगाया...
इस हल्के से धक्के मे ही लड़की की जान निकल गयी और दोनो आँखें बाहर आ गयी....
"निकालो.. प्लीज़... बहुत दर्द हो रहा है... निकालो लो..." वो चीखते हुए बोली...
पर लड़के ने उसकी एक ना सुनी... उल्टा उसने उसके होठों को अपने होठों से दबा लिया.. इसके बाद उसने थोड़ा ज़ोर का धक्का लगाया जिससे उसका लंड सरसरता हुआ आधा चूत के अंदर घुस गया..
लड़की की आँखों मे आँसू आ गये.. होंठ लड़के के होंठों के बीच होने के कारण वो बस घून घून की आवाज़ें ही निकाल पा रही थी... दर्द इतना ज़्यादा था कि वो अपने हाथ पाँव फेंकने लगी जिसे उस लड़के ने अपनी मजबूत पकड़ से शांत किया..
इसके बाद वो उसके शांत होने का इंतेज़ार करने लगा.. और फिर एक ज़ोरदार धक्के के साथ पूरा लंड उसकी चूत मे पेल दिया... खून की एक पतली सी धार लड़की की चूत से बाहर आने लगी... आज उसका कौमार्या टूट चुका था...
वो आज औरत बन चुकी थी... जन्मदिन पर इससे अच्छा तोहफा उसके लिए कुछ नही हो सकता था... दर्द तो बहुत हो रहा था उसकी योनि मे पर वो ये सब सहने को भी तैय्यार थी...
अब वो धीरे धीरे शांत हो गयी तो लड़के ने भी धक्के लगाने शुरू कर दिए... धीरे धीरे वो अपना लंड उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा.. अब लड़की को भी मज़ा आने लगा और वो भी अपने मोटे मोटे चुतताड उठा कर उसका साथ देने लगी.. उसकी सिसकारियाँ पूरे कमरे मे गूँज रही थी जिससे माहौल की गर्मी और बढ़ रही थी साथ ही साथ लड़के के जोश को भी दुगना कर रही थी.. वो तेज़ी से चूत मे धक्के लगाने लगा... वो लंड को पूरा अंदर घुसाता और फिर पूरा बाहर निकालता था... लड़की भी उसकी ताल मे ताल मिला कर चुत्डो को ऊपर नीचे कर रही थी... उसे इतना मज़ा कभी नही आया था.. उसने कयि बार उंगली से अपने चूत की आग बुझाई थी पर उसे पहली बार पता चला कि लंड कितना मज़ा देता है...
अब लड़के के धक्के तेज़ हो रहे थे और लड़की भी तेज़ी से गंद उठा उठा कर उसका लंड अपनी चूत मे ले रही थी... दोनो हांप रहे थे.. अंत मे लड़के ने धक्कों की तेज़ी दोगुनी कर दी और फिर ज़ोर से चिल्लाया.. अहााहह..आर्गघ.. और अपना लंड एन मौके पर निकाल कर लड़की के पेट पर रख दिया.. उसके लंड का सारा विर्य उसकी चूचियों और पेट पर गिर गया.. लड़की भी अब तक झाड़ चुकी थी और लड़के के साथ ज़ोरों से हांप रही थी.. लड़का हांपते हुए लड़की की बड़ी बड़ी चूचियों पर गिर गया.. और उन्हे अपने मुह्न मे लेकर चूसने लगा..
"अब मुझे जाना होगा.. पार्टी शुरू होने वाली होगी.." उसने लड़के को अपने ऊपर से हटाते हुए कहा..
"थोडा और रुक जाओ ना रिया... प्लीज़..." नही रुक सकती... अब जाना होगा... उसने अपने शरीर पर से वीर्य सॉफ करते हुए कहा.. इसके बाद वो उठी और अपने कपड़े पहनने लगी. लड़के ने उसे पीछे से जाकड़ लिया और एक ज़ोरदार चुंबन उसके रसीले होंठों पर जड़ दिया. रिया के सुंदर चेहरे पर शर्म की लाली छा गयी. वो बिना कुछ बोले वहाँ से निकल गयी. उसे चलने मे दिक्कत हो रही थी पर उसके मन मे आज औरत बनने की ख़ुसी उसे दूर कर रही थी.
राज और रवि दोनो पार्टी मे पहुच चुके थे. ऱाश्ते मे रवि ने अपना सारा प्लान राज को समझा दिया था. जिसे राज ने किसी समझदार बच्चे की तरह मान लिया था. अब इंतेज़ार था तो सिर्फ़ स्नेहा के आने का.
अबे वो देख क्या लग रही है यार. "रवि ने रिया की तरफ राज का सर घुमाते हुए कहा." रिया ने ब्लू कलर का टॉप और जीन्स पहन रखा था. उसके कपड़े बड़े ही कसे हुए थे जिससे उसके शरीर का हर एक कोण साफ साफ दिखाई दे रहा था. उसका चेहरा आज कुछ ज़्यादा ही चमक रहा था. ऐसा क्यूँ था इस बात से सब बेख़बर थे. पार्टी मे सबकी नज़रें उसकी ही तरफ थी जो बार बार इतनी सारी नज़रों को अपनी तरफ देखते हुए पाकर खुदको स्वर्ग से उतरी अप्सरा से कम नही समझ रही थी.
फिर वो हुआ जो कोई भी लड़की नही होने देना चाहती. हर लड़की की एक इच्छा होती है कि वोही दुनिया की सबसे अच्छी लड़की हो और पूरी दुनिया उसकी तरफ देखकर आहें भरे.. पर अभी जो हुआ वो किसी भी लड़की को पसंद नही आता...
सारी नज़रें उस पर से हट गयी..और दरवाज़े की तरफ जा टिकी... लड़के एक बार फिर आहें भरने लगे... राज का चेहरा लाल हो गया और रवि उसकी तरफ देखकर मुस्कराने लगा...
सामने दरवाज़े से चलती हुई कोई और नही.. बल्कि वोही आ रही थी.. हुस्न की मल्लिका स्नेहा..
"वाह यार.. ऐसी आइटम एक बार बिस्तर पर आ जाए तो मज़ा आ जाए..." राज के बगल मे बैठा लड़का बोल उठा... ये सुनकर राज का दिमाग़ गरम हो गया... उसने आव देखा ना ताव बस खड़ा हो गया उस लड़के से लड़ने के लिए...
"क्या बोला मदर्चोद.... आज मैं तेरी गंद मार लूँगा भोंसड़ी के.." राज गुस्से मे चिल्ला उठा... पार्टी मे म्यूज़िक बहुत तेज़ बज रहा था जिससे उसकी आवाज़ उस लड़के को सुनाई नही पड़ी... पर रवि ने सुन लिया... उसने राज को जल्दी से खींच लिया और दूसरी तरफ ले आया...
"यार तुझे स्नेहा चाहिए या नही...?" रवि की आवाज़ मे नाराज़गी थी..
"हां चाहिए यार... पर तू ये क्यूँ पूछ रहा है..."
"अबे अकल के दुश्मन... भरी पार्टी मे लड़ाई करेगा तो घंटा वो पटेगी...?" रवि ने राज के सर पर एक चमात लगाया..
"पर वो लड़का स्नेहा के बारे मे गंदा बोल रहा था..."
"अबे ऐसे ही होते हैं आजकल के लड़के... लड़की देखी नही की फब्तियाँ कसनी शुरू कर देते हैं... चल छ्चोड़... अब हमे अपने प्लान पर काम करना शुरू कर देना चाहिए... देख उधर..(अपनी उंगली उधर करते हुए जिधर जूस के स्टॉल लगे हुए थे..) वहाँ नेहा खड़ी है... अब जा...." रवि ने राज को धक्का देते हुए कहा...
राज के तो तोते उड़ने लगे... लड़कियों से बात करना उसके बस की बात नही थी... फिर भी अपने प्यार को पाने के लिए उसे ऐसा करना ही था आज...
स्नेहा जूस का ग्लास पकड़े अपने टेबल पर बैठी थी... राज धीरे धीरे उस तरफ बढ़ने लगा... वो धीरे धीरे टेबल के पास पहुँचा और जान बूझकर स्नेहा से टकरा गया...जिससे उसका जूस का ग्लास उलट गया और स्नेहा के कपड़ों पर जूस गिर गया...
"ओह माइ गॉड.... आइ'म सो सॉरी... आइ'म रियली सॉरी... ग़लती हो गयी जी..." राज ने स्नेहा से माफी माँगने का नाटक करते हुए कहा...
"क्या रे साले... क्या कर रहा है... लड़की को तंग कर रहा है..." प्लान के मुताबिक रवि वहाँ पहुँच गया और टपोरी वाली लॅंग्वेज मे राज को धमकाने लगा...
"नही जी.. मैं तंग कहाँ कर रहा हूँ... मैं तो बस जूस गिरने के लिए माफी माँग रहा था..." राज ने डरते हुए कहा..
"अबे तेरी तो..." ये बोलकर रवि ने उसका कॉलर पकड़ लिया...
"ये क्या कर रहे हैं... छ्चोड़ दीजिए इन्हे... प्लीज़..." स्नेहा ने रवि का हाथ पकड़ कर राज को छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा...
"आप बोलती हैं तो छ्चोड़ देता हूँ.. वरना इसका मैं आज कीमा बना देता..." रवि ने झूठे गुस्से का नाटक करते हुए कहा. इसके बाद वो वहाँ से चला गया पर जाते जाते उसने राज को आँख मार दी जिसका मतलब था कि प्लान बिल्कुल ट्रॅक पर चल रहा है...
"आइ'म सो सॉरी... मेरी वजह से आपके कपड़े गंदे हो गये... आप चाहें तो मैं आपको आपके घर छ्चोड़ सकता हूँ जहाँ आप अपने कपड़े चेंज कर लीजिएगा.. फिर मैं आपको वापस पार्टी मे ले आउन्गा.." रवि के जाने के बाद राज ने आगे के प्लान के मुताबिक काम करते हुए बोला...
"नही जी.. इसकी कोई ज़रूरत नही है... और सॉरी बोलने की भी कोई ज़रूरत नही है.. मैं जानती हूँ कि ये आपने जान बूझकर नही किया होगा.." दिल की सॉफ स्नेहा ने राज को एक बार मे ही माफ़ कर दिया जिसे सुनकर राज अपने किए पर पछताने लगा पर उसे तो कैसे भी स्नेहा को पाने का भूत सवार था...
"अरे आपको मुझसे डरने की ज़रूरत नही है... मैं अच्छे घर का लड़का हूँ.. कोई ऐसी वैसी हरकत नही करूँगा... मेरे पास बाइक है.. मैं बस आधे घंटे मे आपको वापस पार्टी मे ले आउन्गा..." राज ने फिर कोशिश की...
स्नेहा भी अब सोच मे पड़ गयी..की उसके साथ चली जाए... उसे लड़के मे कोई बुराई भी नज़र नही आ रही थी... आख़िर उसने राज के साथ जाने का फ़ैसला कर लिया...
"ठीक है जी मैं आपके साथ चलने के लिए तैय्यार हूँ पर ज़रा जल्दी क्यूंकी केक काटने मे अब सिर्फ़ कुछ ही वक़्त बाकी है."स्नेहा ने जवाब दिया.
"हमारी बाइक हवा से भी तेज़ चलती है." ये बोलकर राज बाहर आ गया और साथ मे स्नेहा भी.. फिर दोनो बाइक पर बैठकर चल पड़े स्नेहा के घर की तरफ.
"अरे माफ़ कीजिएगा.. इन सारी बातों मे मैं तो आपका नाम पूछना ही भूल गयी... क्या नाम है आपका..?" बाइक पर राज के पीछे बैठी स्नेहा को अब इतनी शांति अच्छी नही लग रही थी..
तभी अचानक राज ने एक ज़ोरदार ब्रेक लगाया और स्नेहा उछलकर राज से चिपक गयी और खुदको गिरने से बचाने के लिए उसे पीछे से कसकर पकड़ लिया... जिससे उसका सर राज के कंधे पर आ गया.. उसके जिस्म की भीनी ख़ूसबू राज के तंन मंन पर छा गयी..जिससे उसका जोश बढ़ गया और उसने शरम लाज छ्चोड़कर स्नेहा से बात करनी शुरू कर दी..
"बंदे को राज कहते हैं... राज सिंघानिया.." उसने जोश मे आते हुए बोला.. और ये बोलते बोलते उसने बाइक फिर से स्टार्ट कर दी..
"वोही राज ना..जो हमारे कॉलेज का टॉपर है... वही हो ना आप...?"
"जी बिल्कुल... मैं वही राज हूँ..."
ये सुनकर स्नेहा के चेहरे पर मुस्कान तेर गयी... पढ़ाई मे आगे रहने वाले लोग उसे हमेशा से पसंद थे... और कॉलेज के टॉपर से तो वो कब्से मिलना चाहती थी.. पर कभी मिल नही पाए थे वो दोनो..क्यूंकी राज तो क्लास मे जाता ही नही था.. बस नोट्स अपने दोस्तों से लेता और एग्ज़ॅम मे जाकर लिख देता... उसकी दिमागी क्षमता इतनी थी कि वो बिना क्लास अटेंड किए टॉपर बन गया था.. पर हां ये ज़रूर था कि डाउट पूछने के लिए वो हमेशा प्रोफेस्सर्स के आगे पीछे करता रहते था...
"और मेरा नाम.....
"स्नेहा..." राज ने बीच मे ही उसकी बात काट दी...
"पर आप मुझे कैसे जानते हैं..?" स्नेहा के चेहरे पर शक की लकीरें सॉफ देखी जा सकती थी...
"अजी आपको कौन नही जानता मोहतार्मा... ठाकुर साहब की एकलौती बेटी... राजनगर का बच्चा बच्चा आपको..." राज ने उसकी तारीफों के पूल बाँधते हुए कहा...
"अच्छा जी..तो ऐसी बात है.. मुझे तो पता ही नही था..."स्नेहा ने भी अब बातों के मज़े लेने शुरू कर दिए थे... असल मे राज भी उसे पसंद आ रहा था और आता भी क्यूँ ना... इतने हॅंडसम और इंटेलिजेंट लड़के पर तो कोई भी लड़की जान छिड़कने को तैय्यार हो जाती...
"और नही तो क्या... आपके रूप के जादू ने तो पूरे कॉलेज को दीवाना बना रखा है..." राज ने अब थोड़ा खुलते हुए कहा... जिससे स्नेहा शर्मा गयी और उसके होंटो पर एक मुस्कान तेर गयी...
"एक बात कहूँ स्नेहा जी..?" राज ने फिर कहा...
"नही.." स्नेहा ने मुह्न बनाते हुए बोली...
"क्यूँ नही जी...?" इस रूखे जवाब से राज घबरा गया... उसे लगा कि कहीं उसने कोई ग़लती तो नही कर दी..पर तभी स्नेहा बोल पड़ी..
"ये क्या जी जी लगा रखा है.. मैं तुमसे बड़ी थोड़े ही हूँ... एक ही क्लास मे हैं हम दोनो तो फिर ये जी जी बोलना बंद करो..."
"ओके स्नेहा जी... ऊपपस... आइ मीन स्नेहा... अब नही बोलूँगा... बस अब खुश...?" राज ने एक हल्की सी हसी हस्ते हुए कहा...
"बिल्कुल..."
"अच्छा तो मैं ये बोल रहा था कि आप गाती बहुत अच्छा हो... मैं तो तुम्हारी आवाज़ का दीवाना हो गया हूँ स्नेहा..." इस बात से एक बार फिर स्नेहा का गाल शर्म के मारे लाल हो गया... पता नही क्या बात थी उस लड़के मे.. जिस लड़की ने आज तक लड़कों की तरफ देखा तक नही था वो अचानक उससे ऐसे बात करने लगी जैसे पता नही कितने जन्मों से उसे जानती हो...
राज पीछे तो नही देख सकता था पर उसे स्नेहा के भाव समझ आ रहे थे... उसका दिल उछल रहा था....
तभी स्नेहा का घर आ गया और उनकी बातों का सिलसिला कुछ देर के लिए थम गया... स्नेहा बाइक से उतर कर अंदर गयी और 5 मिनिट मे कपड़े बदलकर वापस आ गयी... इस बार उसने पिंक कलर का चुरिदार पहन रखा था जिसमे वो और भी खूबसूरत लग रही थी... गेट से बाहर आते ही राज की नज़रें उस पर जम गयी.. एक बार भी बिना पालक झपकाए वो उसे देखता जा रहा था... देखता ही जा रहा था... जैसे उसे आज अपने सपनो की रानी मिल गयी हो... वो धीरे धीरे बाइक के पास आती जा रही थी..पर राज की नज़रें थी कि उसपर से हट नही रही थी...
स्नेहा ने इस बात को तुरंत ही नोटीस कर लिया था..पर वो कुछ बोली नही... पता नही क्यूँ आज उसके साथ कुछ अजीब सा हो रहा था... लड़कों का घूर्ना उसे सबसे ज़्यादा आखरता था..पर पता नही क्या बात थी राज मे... स्नेहा को उसका घूर्ना बिल्कुल बुरा नही लग रहा था उल्टा उसे शर्म आ रही थी...
शायद ये राज के प्यार की पवित्रता ही थी जो एक हवस भरी नज़र और एक प्यार भरी नज़र के फ़ासले को अच्छी तरह प्रदर्शित कर रही थी..
स्नेहा धीरे धीरे चल कर आई और अदा से बाइक पर बैठ गयी...
राज के दिल पर एक बार फिर च्छूरियाँ चल उठी.... उसने बाइक स्टार्ट की और वापस रिया के घर की ओर चल पड़े...
पूरे राश्ते राज के मुह्न से एक शब्द नही निकला... स्नेहा की सुंदरता ने उसकी ज़ुबान पर ताला लगा दिया था... उसके दिमाग़ मे स्नेहा की प्रसंशा मे बस ये कुछ शब्द ही आ पा रहे थे...
इतना खूबसूरत चेहरा है तुम्हारा;
हर दिल दीवाना है तुम्हारा;
लोग कहते हैं चाँद का टुकड़ा हो तुम;
लेकिन हम कहते हैं चाँद टुकड़ा है तुम्हारा....
"कुछ कहा तुमने...?" राज मन मे शायरी बोलते बोलते अपनी ज़ुबान पर ला बैठा था जो स्नेहा ने सुन लिया था और ये सवला पूछ बैठी...
राज को कुछ समझ नही आ रहा था कि क्या बोले...
"नही.. मैं बस इतना कह रहा था कि रिया का घर आने वाला है..." ये सुनकर स्नेहा उसके भोलेपन पर मुस्कुरा उठी... वो समझ चुकी थी कि वो उसे पसंद करता है... तबतक रिया का घर आ चुका था.. दोनो बाइक से उतर गये और राज ने बाइक पार्क कर दी... फिर दोनो एक साथ अंदर चले गये...
"क्या बॉस..? भाभी पटी की नही...?" रवि ने राज के पास आते ही ऐसे पूछा जैसे वो किसी बड़े मिशन पर गया था...
"अरे भाई लड़की इतनी जल्दी थोड़े हो पटती है.. पहले दोस्ती करनी पड़ती है और फिर बात कुछ आगे बढ़ती है..." राज ने जवाब दिया..
"वाह बेटा... अब तू मुझे ही सीखाने लग गया... साले मैने तेरी इतनी मदद की और तू मुझे सिखा रहा है..." रवि ने मुह्न बनाते हुए कहा...
"अबे चल चुप कर.. बड़ा आया मदद करने वाला... सारा काम तो मुझे ही करना पड़ा..." राज ने भी उसे चिढ़ाते हुए कहा...
"साले लड़की मिल गयी तो दोस्त से ऐसे बात करने लगा... सच ही कहते हैं लोग... लड़की ही दोस्ती मे दरार की सबसे बड़ी वजह बनती है..." रवि ने उदासी का नाटक करते हुए कहा...
"अबे चल... नौटंकी कहीं का... देख अब केक काटने वाला है... अब अपनी नौटंकी बंद कर दे..." राज ने रवि को हल्का सा घूँसा मारते हुए कहा...
क्रमशः.........................
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