RE: non veg story एक औरत की दास्तान
"पता नही कहाँ चला गया ये राज ?" ये बोलकर वो उठी और बाथरूम मे चेक करने गयी तो पाया कि वहाँ राज अपने कपड़े बदल रहा था और जैसे ही स्नेहा ने अंदर देखा तो राज ने जल्दी से कोई चीज़ अपने पीछे छुपा ली..
"क्या राज ने ही मारा है मेरे पापा को ?" बार बार उसके मॅन मे यही ख़याल आ रहा था.. मगर उसका दिल इस बात को मानने को तैय्यार नही था कि राज ऐसा कुछ कर सकता है..
"स्नेहा.. स्नेहा.." किसी ने उसे हिलाया तब जाकर वो अपनी सोच से बाहर आई.. ये और कोई नही राज ही था..
"कब से आवाज़ दे रहा हूँ.. किस सोच मे डूबी हो तुम..? चलो हमे अब अपने घर चलना होगा वैसे भी अब यहाँ कुछ नही बचा है" राज ने कहा तो स्नेहा को भी लगा कि अब अपने घर जाना ही ठीक होगा और वो दोनो उठ कर साथ लाया समान बॅग मे डालने लगे..
फिर दोनो कार मे बैठकर घर की तरफ चल दिए..
"तो फिर क्या सोचा है..? क्या करोगी अपने पापा की प्रॉपर्टी का..?" ड्राइव करते हुए राज ने स्नेहा से सवाल किया..
"राज.. अभी अभी मेरे पापा का खून हुआ है और तुम्हें प्रॉपर्टी की पड़ी है..?" स्नेहा ने गुस्से मे कहा..
"मगर स्नेहा बाद ही सही.. हमे इस बारे मे बात तो करनी ही होगी ना..?" राज ने एक बार फिर ज़ोर डाला जिसे सुनकर स्नेहा को लगा कि शायद राज ठीक कह रहा है..
"ह्म्म.. विल आने के बाद ही तो मैं कुछ बोल पाउन्गि कि क्या करना है प्रॉपर्टी का..?" स्नेहा ने कहा..
"ह्म्म ओके.. चलो देखते हैं आगे और क्या क्या दिखाने वाली है ज़िंदगी हमे.." ये बोलकर राज ने स्नेहा के हाथों पर अपना हाथ रखा और फिर दोनो चल दिए घर की तरफ..
"सर ये पोस्ट्मॉर्टम के रिपोर्ट आ गयी.." इनस्पेक्टर जावेद अपनी कॅबिन मे बैठा हुआ कुछ फाइल्स देख रहा था कि तभी एक कॉन्स्टेबल ने अंदर आते हुए कहा..
जावेद ने वो रिपोर्ट वाली फाइल उससे ले ली और उसे पलटने लगा.. रिपोर्ट देख कर उसके चेहरे पर एक बार फिर मुस्कान तेर गयी और इस केस मे जो हो रहा था वो तो सबसे ज़्यादा मज़ेदार था उसके लिए क्यूंकी उसे ऐसे केसस हॅंडल करने मे बहुर मज़ा आता था..
"ह्म्म.. इंट्रेस्टिंग.. इस रिपोर्ट ने तो मामले को एक नया मोड़ दे दिया है.." इनस्पेक्टर ने कॉन्स्टेबल से मुस्कुराते हुए कहा..
"ऐसा क्या है इस रिपोर्ट मे सर..?"
"अब क्या बताऊ मेरे दोस्त की इस रिपोर्ट मे क्या है.. इस रिपोर्ट मे एक ऐसी बात लिखी हुई है जिससे इस पूरे केस का नक्शा ही बदल गया है.."
"अरे सर जी अब बता भी दो ना.." कॉन्स्टेबल ने वो रिपोर्ट खुद नही देख कर सबसे पहले इनस्पेक्टर को दिखाई थी जिसके कारण अब उसकी दिलचस्पी बढ़ गयी थी..
"ह्म्म ये लो खुद ही देख लो.." ये बोलकर जावेद ने फाइल उसकी तरफ बढ़ा दी.. रिपोर्ट पढ़ते हुए कॉन्स्टेबल के चेहरे पर बड़े अश्मन्जस की भावना सॉफ देखी जा सकती थी..
"मगर हाउ ईज़ इट पासिबल सर..?" कॉन्स्टेबल का दिमाग़ चकरा रहा था..
"एवेरतिंग ईज़ पासिबल इन दिस वर्ल्ड..!! इस रिपोर्ट मे लिखा है कि ठाकुर साहब की मौत तो चाकू मारने से पहले ही हो चुकी थी.. और उन्हें दिए गये खाने मे ज़हेर मिला हुआ था..
देखो हुआ ऐसा होगा कि पहले किसी ने उनके खाने मे ज़हेर मिलाया और रात को जब वो अपने कमरे मे गये तो ज़हेर ने अपना असर दिखना शुरू कर दिया और वो वहीं फर्श पर गिर गये..और वहीं पर उनकी मौत हो गयी.. फिर दूसरा कातिल वहाँ चाकू लेकर आया और सोचा कि ठाकुर साहब आज फर्श पर ही सो गये हैं और उसने बिना सोचे समझे उन पर चाकू बरसा दिया.. और इस तरह से उनकी मौत चाकू लगने से पहले ही हो चुकी थी.." जावेद ने मुस्कुराते हुए कहा..
"सर.. इस केस ने तो मेरा सर घुमा दिया है.." कॉन्स्टेबल ने अपना सर पकड़ते हुए कहा..
"अभी से अपने दिमाग़ पर काबू रखो.. अभी तो बहुत कुछ बाकी है इस केस मे.." ये बोलते हुए इनस्पेक्टर अपने कॅबिन से निकल कर बाहर की तरफ चल दिया.. तो दोस्तो क्या आपने अंदाज़ा लगाया की कातिल कौन है आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः.........................
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