RE: Kamukta Kahani दामिनी
हम सब निढाल थे और एक दूसरे से लिपटे ...एक दूसरे से चिपके बेसूध हो कर पड़े थे ..किसकी टाँगें किसके उपर ..किसकी बाहें किस से लीपटि ...कोई होश नहीं था ...बस हम पाँच शरीर थे एक दूसरे से गूँथे हुए , चिपके हुए ....जैसे लताये एक दूसरे से लिपट ती हैं ....ऐसे ही लिपटे , चिपके हमे कब नींद ने अपनी गोद में ले लिया किसी को होश नहीं था ..
जब तक हमारी गर्मी की छुट्टियाँ थी ..ऐसी कितनी रातें हम सब ने साथ बीताई ...और जाने कब छुट्टियाँ ख़त्म हो गयीं ...ऐसा लगा जैसे कल ही तो कॉलेज बंद हुआ था ....दिन उड़ते हुए निकल गये जैसे पंख लग गये थे ...
मेरा कॉलेज का फाइनल एअर था ....
एक दिन मम्मी ने मुझे बड़े प्यार से अपने बगल बिठाया और कहा " दामिनी .बेटा तू अब काफ़ी बड़ी हो गयी है ...कुछ अपने बारे सोचा है आगे क्या करेगी ..?? तेरे कॉलेज का भी फाइनल एअर है .."
" हाँ मम्मी हाँ देखो ना मैं कितनी बड़ी हो गयी ..." और मैने अपनी चुचियाँ थामते हुए उन्हें दिखाई , जो अब एक मीडियम साइज़ बेल के आकार में थी ...
मम्मी हंसते हुए उन्हें अपने हाथों मे लीया और चूम लिया ...
" हाँ देखा ना ..तेरी चुचियाँ कितनी मस्त और बड़ी बड़ी हैं ..अरे क्या जिंदगी भर पापा और भैया से मसलवाएगी इतनी मस्त चुचियाँ ..? "
मैं समझ गयी उनका इशारा मेरी शादी की तरेफ था ...
" तुम भी ना मम्मी ..." और मैने अपना सर उनकी चूचियों के बीच छुपा लिया .
" देख मैं समझती हूँ बेटा ....पर दुनिया को तो दीखाना ही होगा ना ....कब तक ऐसे रहेगी ....'
"क्या करूँ मम्मी ..मैं पापा और भैया से अलग नहीं रह सकती बस ....उनके लौडे के बिना मैं जिंदा नहीं रह सकती और ना तुम्हारे बिना .....बोलो मैं क्या करूँ ...?'
'" देख एक रास्ता है ..''मम्मी ने कहा
" तो बताओ ना मोम ..जल्दी बताओ ..."
" सलिल है ना तुम्हारा बॉय फ्रेंड ....उसे तू कभी यहाँ ले आना ... और उसे भी अपने में शामिल करने की कोशिश कर ....फिर तेरी शादी हो जाएगी उस से और अपना काम भी चलता रहेगा ...वो तुझ से कितना प्यार करता है ....जब तू पापा के साथ गयी थी , तुझ से मिलने यहाँ आया था ..मुझे तो भा गया है वो लड़का ...."
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