RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
दस मिनट बाद हमने ज़ुबैर और हनी को देखा तो वो दोनों आँखें बंद किए किस कर रहे थे।
मैंने ज़ुबैर को आवाज़ दी और साथ ही बाजी के बूब्स पर आ गया।
ज़ुबैर भी मुझे देख कर हनी के बूब्स पर आ गया और उसके निप्पल को मुँह में डाल कर चूसने लगा।
हनी के मुँह से सीत्कार फूट पड़ी- ओह.. अम्मीईईईं.. उईई..
हनी की चूत का खेल शुरू हो गया था।
हनी की मादक आवाजें आने लगीं और उसने अपने दोनों हाथ ज़ुबैर के सर पर रखे और अपने बूब्स पर दबाने लगी।
मैंने उनसे नज़रें हटाईं और बाजी को देखा तो बाजी ने अपने बूब्स की तरफ इशारा किया और चूसने को कहा।
मैंने बाजी का इशारा समझा और बाजी के बूब्स को हाथ में पकड़ कर मुँह में कभी एक निप्पल को चूसता तो कभी दूसरे को चूसता।
बाजी पूरे मज़े में आ रही थीं और मादक आवाज़ें निकाल रही थीं।
बहन की चूत चटाई
मैं कुछ मिनट बाजी के बूब्स चूसता रहा फिर मैंने अपने मुँह उठाया और बाजी की चूत पर चला गया। अब मैंने अपना मुँह बाजी की टाँगों के अन्दर रख कर बाजी की चूत को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा।
मेरी ज़ुबान चूत के अन्दर गई.. तो बाजी ने ‘आआहह.. आआअहह..’ की तेज आवाज़ निकाली.. जिससे ज़ुबैर और हनी हमारी तरफ देखने लगे।
ज़ुबैर ने मुझे देखा तो वो भी उठ कर चूत पर आ गया और हनी को कहने लगा- अब तुझे मज़ा आएगा।
यह कह कर उसने अपना मुँह हनी की चूत पर रख दिया और ज़ुबान फेरने लगा।
हनी ने अपनी चूत पर ज़ुबान का एहसास महसूस करते ही अपने जिस्म को अकड़ाना शुरू कर दिया और टाँगें सिकोड़ लीं.. पर ज़ुबैर नहीं हटा और वो चूत को चूसता रहा।
कुछ देर हनी की चूत को चूसने के बाद ज़ुबैर ने अपनी ज़ुबान हनी की चूत के अन्दर की.. जिससे हनी की चीख निकली- आआहह..’
तो बाजी ने ज़ुबैर से कहा- आराम से करो यार..
पर ज़ुबैर नहीं हटा और ऐसे ही हनी की चूत को चूसता रहा और हनी आहें भरती रही- आहह आआहह.. आअहह..
इसी के साथ-साथ वो अपने हाथ बिस्तर पर मारती जाती थी।
मैंने भी बाजी की चूत को दोबारा चूसने शुरू कर दिया और ज़ुबान अन्दर करके बाजी की चूत को चोदने लगा।
बाजी मज़े से मेरा सर दबाने लगीं- हमम्म्म.. आआहह.. वसीम.. मेरे सरताज मजा आ गया.. आह्ह..
वो मेरे सर को अपने हाथों से चूत पर दबाने लगीं।
बहन ने लंड चूसा
मैंने कोई 5 मिनट ऐसे ही चूत को चूसा और फिर अपना मुँह उठा कर बाजी से कहा- बाजी मेरे लण्ड को चूसो.. फिर आपकी चुदाई शुरू करनी है।
बाजी उठीं और उन्होंने हनी को भी आवाज़ दी और उससे कहा- उठ कर जैसे मैं करती हूँ.. वैसे करो।
मेरा लण्ड बाजी ने हाथ में पकड़ा और अपनी ज़ुबान बाहर निकाल कर मेरे लण्ड पर फेरने लगीं।
बाजी ने जैसे ही अपनी ज़ुबान मेरे लण्ड पर लगाई.. तो मेरे जिस्म में जैसे करेंट दौड़ गया हो। मैंने एक लंबी सांस ली और सर को पीछे को करके लण्ड चुसवाने लगा।
तभी हनी ने भी ज़ुबैर का लण्ड हाथ में पकड़ा और अपनी ज़ुबान उस पर फेरने लगी। ज़ुबैर ने भी ‘आहह..’ की आवाज़ के साथ अपने हाथ हनी के सर पर रख दिए और उसके बालों में हाथ फेरने लगा।
मैं देख कर हैरान था कि हनी ये सब कैसे आसानी से करती जा रही है। शायद ये सब आजकल की लण्ड चूसने वाली ब्लू-फिल्मों का असर था।
बाजी ने दो मिनट मेरा लण्ड चूसा और फिर लण्ड को मुँह से बाहर निकाल कर बोलीं- वसीम अब रहा नहीं जा रहा.. अब इसे मेरी चूत के अन्दर पेल दो।
मैंने कहा- ठीक..
मैंने बाजी को बेड पर लेटा दिया.. लण्ड को हाथ में पकड़ा।
तो बाजी बोलीं- वसीम पहले ज़ुबैर का लण्ड हनी के अन्दर डलवा दो.. वरना ये खुद उसे बहुत दर्द देगा।
छोटी बहन की चूत में पहला लंड
तो मैंने ज़ुबैर से कहा- अपना लण्ड आराम से अन्दर डालो.. ज़रा सा भी ज़ोर मत लगाना।
तो उसने कहा- ओके।
उसने हनी को पीछे की तरफ सीधा लेटाकर अपना लण्ड हाथ में पकड़ा और हनी की टाँगें खोल कर उसकी चूत के सुराख पर रख दिया.. पर लण्ड को हाथ से नहीं छोड़ा और हाथ से ही अन्दर हल्का सा दबाया।
अभी लण्ड की टोपी अन्दर नहीं गई थी कि हनी घबरा गई और कहने लगी- बाजी मुझे दर्द होगा प्लीज़ ना डलवाओ..
तो मैंने उससे कहा- कुछ नहीं होगा तुम डरो मत..
मैंने ज़ुबैर से कहा- थोड़ा और अन्दर करो।
इस दफ़ा ज़ुबैर ने हाथ लण्ड पकड़ कर थोड़ा सा ज़ोर लगाया तो लण्ड की टोपी हनी की चूत में चली गई।
अभी टोपी ही अन्दर गई ही थी कि हनी की चीख निकली- आआहह अम्मी.. बाहर निकाल दो प्लीज़..
पर उसने ना तो अपनी टाँगें हिलाईं और ना ही हाथों से ज़ुबैर को पीछे किया। उसने बस रोना चालू कर दिया था.. तो बाजी ने ज़ुबैर से कहा- तुम और अन्दर मत करना.. बस यहीं पर रुक कर आगे-पीछे करो।
ज़ुबैर ने वहीं आहिस्ता-आहिस्ता लण्ड को आगे-पीछे करना चालू कर दिया.. पर हनी के मुँह से ‘आहह.. आआहह..’ की आवाज़ आ रही थी।
ज़ुबैर वहीं आगे-पीछे हो रहा था तभी बाजी ने ज़ुबैर से कहा- ज़ुबैर अगर आधा करीब अन्दर चला गया हो तो आज के दिन लण्ड इससे ज्यादा अन्दर ना करना.. हनी को टाइम दो.. आज उसका पहला दिन है.. वो घबराई हुई है।
तो ज़ुबैर ने कहा- ठीक है बाजी.. नहीं करता।
अब बाजी ने मुझे हिलाया और बोलीं- वसीम डालो ना अन्दर।
मैंने अपना लण्ड जो कि मैंने पहले ही हाथ में पकड़ा हुआ था, बाजी की चूत के सुराख पर रखा और एक ही तेज़ झटके से बाजी की चूत के अन्दर कर दिया।
लण्ड बाजी की चूत के अन्दर गया.. तो बाजी ने आँखें बंद कर लीं और मेरी कमर को पकड़ कर रोक दिया। मैं भी वहीं रुक गया।
बाजी बोलीं- वसीम दर्द हो रहा है.. शायद लण्ड सूख गया था।
तो मैंने कहा- बाजी, अभी ठीक हो जाएगा।
यह कहते हुए मैंने अपनी कमर को आहिस्ता-आहिस्ता हिलना चालू कर दिया और आराम से बाजी की चूत को चोदने लगा।
बाजी के मुँह से ‘आआहह आआअहह.. आआहह आअहह..’ की आवाज़ आ रही थी। कुछ मिनट बाद ही बाजी ने नीचे से अपनी गाण्ड को हिलाना चालू कर दिया.. तो मैं समझ गया कि बाजी का दर्द कम हो गया है।
अब मैंने तेज़ी से अपने लण्ड को बाजी की चूत के अन्दर-बाहर करना चालू कर दिया।
बाजी भी मेरा साथ दे रही थीं और मज़े से ‘ऊऊओह.. ऊऊहह..’ की आवाज़ें निकाल रही थीं।
मैं ऐसे ही धक्के मारते हुए बाजी के ऊपर झुक कर बाजी को किस करने लगा। मैंने बाजी को 5 मिनट तक इसी पोज़ में चोदा और 5 मिनट बाद लण्ड बाहर निकाल कर खड़ा हो गया।
मैंने बाजी को भी बिस्तर से उठा कर खड़ा कर दिया।
बाजी बोलीं- क्या हुआ है?
तो मैंने कहा- बाजी आज एक न्यू पोज़ ट्राई करते हैं।
मैंने बाजी का मुँह अपने मुँह के सामने किया.. बाजी की सीधी टांग को ऊपर उठाया और अपनी कमर के साथ रख कर अपने दूसरे हाथ से अपने लण्ड को पकड़ कर बाजी की चूत में पेल दिया। बाजी की हाइट मेरे जितनी थी.. इसलिए लण्ड सीधा बाजी की चूत में चला गया।
अब मैंने बाजी की चूत में धक्के मारने चालू कर दिए।
मैंने ऐसे खड़े-खड़े ही बाजी को कुछ मिनट तक चोदा.. तभी बाजी ने मुझसे कहा- वसीम मैं छूटने वाली हूँ.. रुकना मत।
अब बाजी की आवाज़ में तेज़ी आ गई- उफफ्फ़ वसीम.. मैं गई.. ऊऊहह..
इसी के साथ ही बाजी ने पानी छोड़ दिया।
मैं भी अपनी मंज़िल के नज़दीक था। मैंने दो झटके और मारे और बाजी की चूत में धारें मारने लगा।
हम दोनों ऐसे ही खड़े थे तभी अचानक ज़ुबैर की आवाज़ आई ‘आआअहह..’
उसके लण्ड ने भी पानी छोड़ दिया था। सारा पानी हनी की चूत में छोड़ दिया था जो कि थोड़ा-थोड़ा करके बाहर आ गया और बिस्तर पर गिर गया।
हम चारों बिस्तर पर लेट गए और बातें करने लगे।
बाजी ने हनी से पूछा.. तो उसने कहा- बहुत दर्द हो रहा है।
इसी तरह बातें करते करते हम सो गए।
जब सुबह आँख खुली तो टाइम साढ़े 6 के करीब हो रहा था। हम सब ऐसे ही कपड़ों के बिना लेटे हुए थे। मैंने सब को उठाया और कपड़े पहनने को कहा। मैंने खुद भी मुँह हाथ धोकर कपड़े पहने और बाजी को नीचे आने का कह कर मैं भी नीचे चला गया।
मैं टीवी लाउन्ज में पहुँचा तो अम्मी नाश्ता बना रही थीं और अब्बू टीवी देख रहे थे।
वो दोनों नाश्ते के फ़ौरन बाद निकलने के लिए तैयार थे।
मुझे बैठे हुए अभी 5 मिनट ही हुए थे कि बाजी भी नीचे आ गईं और सीधा किचन में चली गईं।
अब्बू ने मुझसे कहा- जाओ उन दोनों को भी उठा कर लाओ.. उनके स्कूल का टाइम हो रहा है।
मैंने ज़ुबैर को आवाज़ दी कि उठ जाओ.. तो उसने कहा- हम तैयार हो कर आ रहे हैं।
मैं दोबारा वहीं सोफे पर बैठ गया।
बाजी ने नाश्ता लगाना चालू किया।
अब्बू ने बाजी से कहा- तुम आज यूनिवर्सिटी मत जाना.. घर को खाली नहीं छोड़ना और वसीम तुम याद से कॉलेज से दुकान पर चले जाना।
तो मैंने कहा- जी अब्बू..
मैं नाश्ता करने लगा।
सबने नाश्ता किया और ज़ुबैर और हनी तैयार हो कर बाहर निकल गए।
मैंने सोचा कि पीछे से बाजी अकेली होंगी तो कॉलेज जा कर क्या करना है।
मैं नाश्ता करके उठा और बाजी के पीछे किचन में गया और बाजी के पास खड़े हो कर कहा- बाजी अम्मी-अब्बू के जाते ही मैं वापिस आ जाऊँगा।
बाजी ने कहा- वसीम ध्यान से.. अब्बू को शक न हो।
मैंने कहा- आप फ़िक्र मत करो.. मैं बाइक साथ ले जा रहा हूँ।
यह कह कर मैं घर से निकल गया और सीधा पास ही एक मेडिकल स्टोर पर चला गया।
वहाँ से आई-पिल और टाइमिंग वाली गोलियाँ लीं और उस आदमी के साथ ही खड़े होकर बातें करने लगा।
कोई 15 मिनट गुज़रने के बाद मैंने सोचा कि अब घर चलना चाहिए.. क्योंकि अम्मी-अब्बू निकलने के लिए बस रेडी ही थे.. अब तक चले गए होंगे।
मैं वहाँ से निकला और सीधा घर चला गया। मैंने दरवाज़ा खोला और अन्दर दाखिल हो कर देखा और चैन की सांस ली कि गाड़ी नहीं थी.. मतलब अब्बू चले गए हुए थे।
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