RE: Indian Sex Story ब्रा वाली दुकान
मैं समझ गया था कि मलीहा को यह अंगूठी पसंद आई है। मैंने वह अंगूठी उठाई और मलीहा का हाथ छोड़ दिया, फिर उसको अंगूठी दिखाते हुए बोला, अब मैं आपको सोने के गहने तो नहीं पहना सकता, लेकिन मुझे लगता है कि यह आपको अच्छी लगी है, आप बुरा न माने तो क्या मैं आपको इसे पहना सकता हूँ। मलीहा बोली अरे नहीं उसकी क्या जरूरत है, आप रहने दें, आपकी अम्मी ने मुझे सोने की रिंग ही पहनाई है आपकी ओर से। मलीहा की बात सुनकर राफिया बोली अरे वाह, जरूरत क्यों नहीं, वह वास्तव में सोने की हो, मगर वह तो आंटी ने पहनाई थी, और जीजा जी स्वयं अपने हाथों से, प्यार से, बड़े चाव से अपनी मंगेतर को पहनाना चाह रहे हैं, तो उसकी वैल्यू तो खुद ही सोने की रिंग से बढ़ गई नहीं। राफिया की बात सुनकर मैंने राफिया से कहा, तुम्हें बड़ा पता है प्यार के बारे में, अभी तो तुम कह रही थी कि तुम बच्ची हो। यह सुनकर राफिया हंसी और बोली वो तो मैं हूँ। फिर मैंने फिर मलीहा को सवालिया नज़रों से देखा तो उसने अपना बायां हाथ मेरे सामने कर दिया, मैंने उसका हाथ प्यार से पकड़ा और उसकी तीसरी उंगली में अंगूठी पहना दी और फिर उसको कुछ देर देखने के बाद उसका हाथ छोड़ दिया।
मलीहा ने भी कुछ देर तक अपनी उंगली में अंगूठी को देखा तो मुझे धन्यवाद करने लगी। मैंने कहा अरे धन्यवाद कैसा, यह तो मैंने अपनी पहली बैठक की खुशी में आपको दी है। राफिया बोली हां बस समझो आपी आपको मुंह दिखाई मिली है। यह सुनकर मैंने और मलीहा दोनों ने एकदम से हैरान होकर राफिया को देखा और वह भी थोड़ी शर्मिंदा होकर अपने मुंह पर हाथ रख कर खड़ी हो गई। मलीहा ने उसको धीरे से डांटा और बोली शर्म करो राफिया। और फिर मेरी तरफ देखते हुए बोली अच्छा अब हम चलते हैं बहुत देर हो रही है। मैंने कहा ठीक है मगर अपना नंबर देती जाएं तो आप से थोड़ी फोन गपशप हो जाएगी, फिर तो पता नहीं कि आप कब अपना दर्शन देंगी मलीहा ने कहा, मेरे पास कोई मोबाइल नहीं, यह तो मामा का मोबाइल है। आपका नंबर मेरे पास है, मैं आपको खुद ही कॉल कर लूंगी उचित समय देखकर। मैंने कहा चलें यह भी ठीक है, लेकिन कॉल के बजाय एसएमएस करें कॉल में खुद कर लूँगा। मलीहा ने कहा ठीक है, मैंने एक बार फिर मलीहा की तरफ हाथ बढ़ाया और कहा चलें फिर रात को उम्मीद है बात होगी। मलीहा ने भी अपना हाथ बढ़ा कर मेरा हाथ थामा और बोली ठीक है मैं कोशिश करूंगी रात 11 बजे के बाद आपको एसएमएस कर दूं। उसके बाद मलीहा और राफिया दोनों ही चली गईं मगर काफी देर तक मलीहा के विचारों में ही खोया रहा, बहुत मासूम और सुंदर लड़की थी।
राफिया तो मुझे पहले ही पसंद थी और मेरी इच्छा भी थी उससे दोस्ती करने की, और यह इच्छा पूरी भी हुई तो इस तरह कि एक तो राफिया साली बनने के बाद वैसे ही खुल गई थी मेरे साथ जितना पहले वह चुप रहती थी अब इतना ही बोलती थी, जबकि इसी की हमशक्ल मलीहा से मेरी सगाई हो गई। दोनों बहनें एक जैसी ही सुंदर थीं बस थोड़ा ही अंतर था आकार का और मलीहा के होंठों के ऊपर एक छोटा सा तिल। रात ग्यारह बजे मुझे उसी नंबर से मैसेज आया जिससे दोपहर में कॉल आई थी, मैसेज में लिखा था 5 मिनट बाद मुझे फोन करें। मैंने 5 मिनट के बाद कॉल की तो आगे मलीहा की सुंदर आवाज सुनाई दी। हम दोनों के बीच बातों का सिलसिला शुरू हो गया, दोनों एकदोसरे को अधिक नहीं जानते थे इसलिए पहली रात 2 से 3 घंटे बात तो की मगर केवल एक दूसरे के बारे में जानकारी ही लेते रहे, किस को क्या पसंद है, क्या बात बुरी लगती है, सगाई क्या होती हैं, पसंदीदा मूवीज़, अभिनेता, अभिनेत्री, फिल्म, संगीत, शेर-ओ-शायरी से शौक, कपड़ों में पसंद नापसंद, बस इसी तरह की बातें होती रहीं और कब रात के 2 बज गए पता ही नहीं लगा। तभी मलीहा मुझे कहा अच्छा अब आप सोजाएँ सुबह आपने दुकान पर भी जाना होगा। मलीहा की बात सुन कर मुझे होश आया और मैंने मलीहा को गुड बाय कह कर फोन बंद कर दिया और उसी के सपने देखता हुआ सो गया
काफी दिन बीत गए और कोई विशेष घटना नही हुई, न तो सलमा आंटी की कोई खबर थी और न ही लैला मेडम दुबारा दुकान पर आई शाज़िया और नीलोफर का भी कोई चक्कर नहीं लगा। फिर एक दिन एक युवा जोड़ा मेरी दुकान में आया अपनी उम्र के हिसाब से लड़की 20 साल की लग रही थी, जबकि लड़के की उम्र 22 के करीब होगी। लड़की कुछ जरूरत से ज्यादा ही स्मार्ट थी। यूं कह लें कि एकल पसली लड़की थी। उसकी कमर 26 के लगभग थी। उसने चेहरे पर चादर से ले रखा था। उसका नाम फराह था जबकि उसके साथ का लड़का सूरत से पढ़ा लिखा और अच्छे परिवार का मालूम हो रहा था उसका नाम वक़ास था। वक़ास ने मुझे कहा कि उसे कुछ ब्रा दिखाऊ में। मैंने पूछा किस आकार का दिखाऊ, वक़ास ने फराह से पूछा क्या आकार है? फराह ने हल्की आवाज में वक़ास को बताया कि उसका आकार 32 है। मुझे यह बात कुछ अजीब सी लगी, अगर यह जीवन साथी थे तो वक़ास को फराह का आकार पता होना चाहिए था मगर ऐसा नहीं था। बहरहाल मैं ने 32 आकार का ब्रा दिखाया और फराह से कहा कि साथ ही ट्राई रूम है आप देख लें कि सही है आपके या नहीं। ट्राई रूम का सुनकर वक़ास ने कहा यह तो अच्छी बात है, ऐसे में ये भी देख सकते हैं कि कौन सा अधिक अच्छा लगेगा। मैंने कहा जी जरूर ब्रा तो हमेशा अपनी पसंद और फिटिंग के अनुसार ही लेना चाहिए। वक़ास ने 3, 4 ब्रा और निकलवाई और कहा यह एक ही बार हम ट्राई कर लेते हैं तो उनमें से जो पसंद करेंगे वह हम आपको बता देंगे।
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