RE: Indian Sex Story ब्रा वाली दुकान
मैंने बाइक को रेस दी और उनके घर से निकल कर लुहाडिया चौक की तरफ बढ़ने लगा जहां से मुझे आगे बहावलपुर रोड से जाना था। सुबह 6 बजकर 30 मिनट का समय था रोड पर अधिक यातायात नहीं था इसलिए मैं थोड़ा तेज गति के साथ बाइक चला रहा था कि अचानक सड़क पर लुहाडिया चौक से कुछ पहले एक बच्चा आ गया जिसकी वजह से मुझे अचानक ब्रेक लगानी पड़ी और लैला मैम बाइक की सीट पर थोड़ा फिसल कर मेरे पास आ गईं और उनके 36 आकार के कसे हुए मम्मे मुझे अपनी कमर पर महसूस होने लगे। लैला मैम ने मुझे कहा कि ध्यान से बाइक ड्राइव करो तो मैंने गति थोड़ी धीमी रखी मगर हैरानी की बात यह थी कि लैला मैम फिर से पीछे नहीं हुई बल्कि वह अपने मम्मे मेरी कमर में घर्षण करते हुए मेरे साथ चिपक कर बैठी रहीं जिसकी वजह से मेरे अंडरवेअर मे मेरे लंड ने सिर उठाना शुरू कर दिया था और मैं पहले ही अंदाज़ा कर रहा था कि मैंने अंडर वेअर पहन लिया था। लैला मैम के मम्मे लगातार मेरी कमर के साथ लगे हुए थे मगर उन्होंने कोई ऐसी हरकत नहीं की थी जिसकी वजह से मैं यह समझता कि वह इस समय सेक्स के लिए तैयार हैं, न तो उन्होंने मेरी कमर पर अपने मम्मों को मसला और न ही ज्यादा चिपक कर बैठी, जितना करीब वह ब्रेक लगने के कारण हुई थीं बस इतना ही करीब होकर बैठी थी और उनके मम्मे मेरी कमर पर अपनी मौजूदगी का अहसास दिला रहे थे।
कुछ ही देर बाद हम बहावलपुर रोड पर पहुँच चुके थे जहां करीब 2 से 3 मील की दूरी पर जाकर लैला मैम मुझे एक कच्चे रास्ते पर चलने को कहा और मैं बाइक कच्चे रास्ते पर चला दी। यहाँ बाइक की गति काफी धीमी थी और सड़क पर खुड्डे की वजह से काफी झटके लग रहे थे। इन्हीं झटकों की बदौलत अब बार बार लैला मैम के मम्मे मेरी कमरे से टकरा रहे थे और झटके लगने के कारण मम्मे मात्र स्पर्श नहीं होते थे बल्कि पूरी तरह मेरी कमर के साथ दब जाते थे। मगर लैला मैम इस बार नहीं बोलीं कि बाइक ध्यान से ड्राइव कतो क्योंकि वे जानती थीं कि बाइक पर इस तरह के झटके तो लगेंगे ही जब रोड खराब होगा तो वह चुपचाप मुझे कसकर पकड़ कर बैठी रहीं और मैं अपनी कमर पर लैला मैम के मम्मों को महसूस करके खुश होता रहा। यहाँ लैला मैम मुझे रास्ता बताती रहीं और कुछ देर के बाद लैला मैम ने एक निर्माणाधीन मकान नुमा कोठी के सामने बाइक रोकने के लिए मुझे कहा। मैं बाइक रोकी तो लैला मैम बाइक से उतरीं और अपने पर्स में से एक चाबी निकालकर हवेली के बड़े गेट पर लगा ताला खोला और गेट खोलकर मुझे बाइक अंदर लाने को कहा। अंदर काफी खुला ग्राउंड था जिसमे कुछ पौधे लगे हुए थे और चन्द एक पेड़ भी थे और ग्राउंड में घास थी।
हवेली देखकर लग रहा था कि यहाँ कोई नहीं रहता और चीजें काफी बिखरी हुई थीं। लैला मैम दरवाजा खुला छोड़ कर अंदर आ गई और मैंने भी बाइक एक साइड पर खड़ी कर दी। लैला मैम किसी से फोन पर बात कर रही थीं और छोटी सी बात के बाद मैम ने फोन बंद कर दिया। फिर लैला मैम ने मुझे कहा कि आओ तुम्हें अपनी हवेली दिखाऊ यह कह कर लैला मैम मेरे आगे आगे चलने लगीं और उनकी फिटिंग वाली कमीज से उनके 32 आकार के हिलते हुए चूतड़ देख देख कर मैं अपने लोड़े को मसल रहा था। हवेली में जाकर लैला मैम मुझे अलग कमरे दिखाने लगीं और उनके बारे में बताने लगी कि किस कमरे को किस उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। हवेली बहुत बड़ी थी पूरी हवेली दिखाते दिखाते लैला मैम को 20 मिनट हो चुके थे और अब हवेली कुछ हिस्सा ही देखना बाकी था। इतने में मुझे कमरे से बाहर ग्राउंड में एक महिला और 2 पुरुषों आते दिखाई दिए। लैला मैम ने भी उन्हें देख लिया और मुझे लेकर उनकी ओर चल पड़ी ये यहाँ काम करने वाले लोग थे, निर्माण तो रुका हुआ था मगर मैम लॉन की सफाई आदि और कुछ अन्य जरूर काम हर महीने करवाती थीं। उनमें से एक माली था जिसको लैला मैम ने लॉन सफाई और पौधों की सफाई का काम दिया जबकि एक व्यक्ति को महिला के साथ सभी कमरों की सफाई करने को कहा और उसके बाद मुझे हवेली के पिछले हिस्से में ले गईं। वहाँ एक सुंदर सा लॉन बना हुआ था जिसमें कुछ कुर्सियों लगी हुई थीं और आगे एक साइड पर एक छोटे आकार का स्विमिंग पूल था जिसमे इस समय खासी मिट्टी और पत्ते आदि पड़े थे .. स्विमिंग पूल से थोड़ा ही आगे एक ट्यूबवेल लगा हुआ था। मैंने लैला मैम से पूछा कि क्या यह ट्यूबवेल चलता भी है तो लैला मैम ने बताया कि हां यह चलता है और हम अपनी जमीन में लगी फसल को पानी देते हैं।
मैंने आगे बढ़कर देखा तो ट्यूबवेल का हौज खासा बड़ा था और इसमें नहाने का निश्चित ही मज़ा आता मगर इसमें गंदा पानी भरा था। जिसमें नहाना संभव नहीं था। लैला मैम ने मेरी चिंता देखते हुए पूछा नहाने का इरादा है क्या इसमें ??? मैंने कहा जी मेडम, आज बड़ा मूड था त्यबवेल पर नहाने का अब सामने है तो मन कर रहा है। मैम ने कहा मगर इस समय तो इसमे पानी खासा गंदा है। मैंने इधर उधर नजर दौड़ाई तो एक साइड पर मुझे एक बड़े आकार की बाल्टी रखी दिखी, मैंने मैम को कहा गंदा पानी में अब निकाल देता हूँ तो ट्यूबवेल चलाकर सफाई करके नहा लूँगा। मैम ने कहा, तुम एक मिनट रूको, करमू का खत्म हो जाए तो फिर वह सफाई कर देगा। मैंने कहा नहीं मैम में खुद कर लूँगा उसको तो बहुत देर हो जाएगी और फिर धूप भी तेज हो जानी है तो मैं ये कर लेता हूँ। यह कह कर मैंने अपनी टी शर्ट और बनियान उतार कर ट्यूबवेल के पाइप पर लटका कर कच्छा ऊपर करके बाल्टी उठाकर ट्यूबवेल के गड्ढे में घुस गया और वहां से गंदा पानी बाल्टी भर-भर कर बाहर निकालने लगा। कुछ देर में जब सारा पानी बाहर निकल गया तो नीचे मौजूद कचरा और ईमेल आदि को मैंने झाड़ू से साफ किया और काफी तालाब की सफाई कर ली। इस दौरान लैला मैम वापस हवेली के कमरे में जा चुकी थीं और वहां मौजूद नौकरों से काम करवा रही थीं।
मैंने ट्यूबवेल चलाया और जब थोड़ा पानी स्वीमिंगपूल में भरा तो ट्यूबवेल बंद करके फिर से तालाब का पानी निकाला ताकि ज़्यादा गंद बाहर निकल जाए और अंदर ताजा और फ्रेश पानी रह जाए। इस काम में मुझे करीब आधा घंटा लग गया था और मुझे खासा पसीना आ चुका था। मगर ये सारी सफाई कर लेने के बाद में स्वीमिंगपूल से बाहर निकल आया और लैला मैम का इंतजार करने लगा। क्योंकि हौज़ के आगे निकलने वाला पाइप बंद था और मुझे नहीं पता था कि क्या उसे खोलना है ताकि पानी फसलों की ओर जा सके या फिर इसे बंद ही रखना है और फसलों तक पानी जाने से रोकना है। 15 मिनट के इंतजार के बाद लैला मैम आ गई और पूछा कि तुम ने नहाना शुरू नहीं किया अब तक ??? मैंने मैम से पानी के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा खोल दो वैसे भी तुम सफाई न भी करते तो ट्यूबवेल चलाकर फसलों को पानी तो देना ही था। यह सुनकर मैंने हौज के गड्ढे से आगे निकलने वाले पाइप का बड़ा सा ढक्कन हटा दिया ताकि पानी आगे निकल सके और उसके बाद पीछे बनी छोटी सी कोठरी से ट्यूबवेल ऑन कर दिया। लैला मैम और मैं ट्यूबवेल के बड़े पाइप से ठंडा पानी निकलता देख रहे थे। मैंने मैम से नौकरों के बारे मे पूछा तो मैम ने बताया कि वे जा चुके हैं। उनका काम पूरा हो गया। अब बस ट्यूबवेल चलाकर खेतों तक पानी पहुंचाना है और फिर वापसी।
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