RE: Nangi Sex Kahani जुली को मिल गई मूली
अचानक, मैने अपना विचार बदला और उनको बिस्तर पर सीधे लेटने को कहा. वो समझ गये कि मैं क्या चाहती हूँ. उनके सीधे लेटने के बाद मैं उनकी छाती पर चढ़ गई और जितना हो सकता था, अपने पैर चौड़े किए और अपनी रिस्ति हुई चूत को उनके मूह पर सटा दिया. जैसे ही मेरी फुद्दि उनके मूह पर लगी, मैने उनके सिर को अपने पैरों मे, जांघों के बीच जाकड़ लिया. उन्होने मेरी चूत को चूसना शुरू किया और मैं मैं बार बार उपर नीचे हो कर अपनी चूत चुसवाने का मज़ा लेने लगी और बार बार अपनी चूत उनके मूह पर ज़ोर से दबाने लगी.
क्यों कि मैं भी उनका लॉडा चूसना चाहती थी, इसलिए, मैने उनको रोका और उनके उपर बैठी बैठी ही घूम गई और 69 की पोज़िशन मे आ गई. अब फिर से उनका मूह मेरी चूत पर आ गया था. मैने उनके तने हुए, खूबसूरत, मज़बूत, गरम, लंबे और मोटे लौडे को फिर एक बार ध्यान से देखा. क्या शानदार और जानदार लंड का मालिक है मेरा पति और मैं कितनी भाग्यशाली हूँ के मैं ऐसे लौडे की मालकिन हूँ. उनके लंड मूंद पर कुछ पानी की बूँदें थी जो कि हमेशा ही चुदाई के पहले होती है. मैने अपनी जीभ उनके तने हुए चुदाई के औज़ार पर घुमाई और उनके लौडे से निकले पानी का स्वाद लिया. मैने उनके लंड का घूँघट उठाया, यानी उनके लंड के मूह की चॅम्डी नीचे की और उनके लौडे का गुलाबी, मोटा सूपड़ा अपने मूह मे लिया. मैं तबीयत से उनका लंड चूसने लगी. मैने एक हाथ से उनका लंड नीचे से पकड़ रखा था. मैं उनका लंड चुस्ती जा रही थी और साथ ही साथ नीचे से उनका लंड पकड़ कर मूठ भी मार रही थी ताकि उनको चुदाई के रास्ते पर आधी दूर तक ले जाऊ जिस से उनके लंड का पानी चोद्ते हुए मेरी चूत मे जल्दी निकले. आप को तो पता है कि मेरे पति चुदाई मे बहुत मज़बूत है और चुदाई करते हुए उनके लंड से पानी निकलने मे काफ़ी वक़्त लगता है. ज़्यादा तर उनसे चुद्वाते समय मैं दो बार झाड़ जाती हूँ जब की उनके लौडे से एक बार ही पानी निकलता है. इसलिए मैं उनका लॉडा चूस कर, मूठ मार कर इतना गरम कर देना चाहती थी कि मुझे चोद्ते हुए वो भी मेरे साथ ही झदें.
उनके तेज़ी से मेरी चूत चाटने की वजह से मैं जल्दी ही झाड़ गई और मैने अपनी चूत उनके मूह पर ज़ोर से दबाई. वो धीरे धीरे मेरी चूत से निकला रस चाटने लगे.
उनके मूह से चुद्वा कर, उनकी जीभ से चुद्वा कर तो मैं एक बार झाड़ गई थी और अब मैं चाहती थी कि उनका लंबा और मोटा, उनकी चुदाई का हथियार, उनका गरमा गरम लॉडा अपनी चूत मे डलवा कर उनसे चुद्वाते हुए उनके लंड को अपनी चूत मे निचोड़ लूँ.
मैं चुद्वाने के लिए तय्यार हो कर बिस्तर पर सीधी लेट गई और अपनी टाँगें फैला ली जो उनको मेरे उपर आ कर चोद्ने का खुला निमंत्रण था. मैं उनके लौडे को, जिसको मैं अभी अभी चूस रही थी, को ध्यान से देख रही थी और चाहती थी उनका मज़बूत लॉडा मेरी नन्ही सी चूत मे घुस कर हमेशा की तरह मुझे खूब चोदे.
वो मेरे उपर आए. पर मेरी चूत मे अपना लॉडा डाल कर मुझे चोद्ने के लिए नही. उनका लंड मेरी चुचियों के उपर, मेरी आँखों के सामने था. उन्होने अपना वजन मेर बदन पर बिल्कुल भी नही डाला था और मैं अपने आप को चुदाई की उस्ताद ऐसे ही नही समझती. मैं समझ गई कि वो मेरी चुचियों को चोद्ना चाहते हैं. मैने अपने दोनो हाथों से अपनी खुद की चुचियों के एक दूसरी की तरफ दबाया और उन्होने अपना लंबा लंड मेरी दोनो चुचियों के बीच घुसा दिया. वो मेरी चुचियों को ऐसे चोद रहे थे जैसे मेरी चूत को चोद रहे हो. उनका लॉडा आगे पीछे हो कर, मेरी अपने हाथों से दबाई हुई चुचियो के बीच मे आता जाता मेरी चुचियों को चोद्ने लगा. हम दोनो को ही मज़ा आ रहा था.
थोड़ी देर मेरी चुचियों को चोद्ने के बाद अब असली चुदाई का समय आ गया था. उन्होने मुझे बिस्तर के किनारे पर मेरी गंद रख कर मुझे सुलाया और मेरी गंद के नीचे तकिया लगाया. मैने अपने पैर फैलाए और घुटनों को मोड़ कर बिस्तर के किनारे पर रख लिया. इस तरह मेरी गीली चूत थोड़ी उपर हो गई और खुल कर चुद्वाने के लिए तय्यार थी. वो मेरे पैरों के बीच मे आए और अपने लंबे लंड का मोटा सुपाडा मेरी चूत के दरवाजे पर रखा. मेरी गीली चूत ने जैसे उनके लौडे का अपने दरवाजे पर स्वागत किया. उन्होने अपने लंड का एक हल्का सा धक्का मेरी चूत पर लगाया तो मेरी चूत पहले से ही काफ़ी गीली होने की वजह से उनके लंबे लंड का आगे का भाग मेरी चूत के अंदर घुस गया. धीरे धीरे धक्के लगाते हुए उन्होने अपना पूरा लंबा लॉडा मेरी चूत मे उतार दिया. लंड चाहे जितना भी लंबा हो और चूत चाहे कितनी ही छ्होटी हो, पूरे लंड को अपने अंदर ले ही लेती है, कभी थोड़ी तकलीफ़ से या कभी थोड़े आराम से.
एक बार अपने लंबे और मोटे लौडे को मेरी फुददी मे पूरा घुसाने के बाद अब उन्होने धक्के लगाते हुए मुझे चोद्ना शुरू कर दिया. पहले धीरे धीरे और फिर उनके लंड की मेरी चूत आने जाने की रफ़्तार, धक्के लगाने की रफ़्तार, चोद्ने की रफ़्तार बढ़ती गई. हमेशा की तरह मुझे उनसे चुद्वाने का मज़ा आने लगा और उनको मुझे चोद्ने का मज़ा आने लगा. चुदाई की रफ़्तार और जोश बढ़ता गया और मैने अपने पैरों से उनकी गंद को जाकड़ लिया और अपनी तरफ से भी अपनी चूत को उठा उठा कर उनके लंड पर मारने लगी. दोनो ही एक दूसरे की चुदाई कर रहे थे. हम धक्के से धक्का मिला कर चुदाई करने लगे और उनका लंड हर धक्के के साथ मेरी चूत के सब से अंदर के हिस्से से टकराने लगा.
उनके लंड के मेरी चूत मे हर धक्के के साथ मेरे मूह से चुदाई के आनंद की आवाज़ें निकालने लगी. उन के लंबे और कड़क लौडे के मेरी रसीली चूत मे आने जाने से फाका फक………फाका फुक………फाका फक की चुदाई की सेक्सी आवाज़ें भी आने लगी. मैं तो जैसे करीब करीब चिल्ला ही रही थी…….. ” ओह डियर………….. चोदो……. ज़ोर से……… हां……… और अंदर……… जानू……… चोदो…….. चोदो…. आआहह … ओह.” और जवाब मे उनका लंड किसी एंजिन के पिस्टन की तरह 1000 किमी की रफ़्तार से मेरी चूत मे अंदर बाहर होने लगा. जल्दी ही उनका लॉडा मेरी चूत के अंदर जाता और जल्दी ही फिर से बाहर आता तो सिर्फ़ वापस अंदर जाने के लिए. चुदाई चलती रही…. वो मुझे चोद्ते रहे और मैं चुद्वाति रही और जल्दी ही मैं समझ गई कि मैं झड़ने वाली हूँ. मेरे बदन ने अकड़न होने लगी. मेरी चूत ने उनके लौडे को कसना शुरू किया जो कि मुझे पता है कि उनको बहुत पसंद आया होगा. और कुछ ही देर मे, अचानक मैं झाड़ गई……. बहुत ज़ोर से झाड़ गई. और मेरी आँखें बंद हो गई.
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