Antarvasna kahani माया की कामुकता
12-13-2018, 02:42 AM,
RE: Antarvasna kahani माया की कामुकता
जब रोज़ी सिद्धार्ता से मिलने पहुँची, तब उसने सिद्धार्थ को तुम्हारे साथ फोन पे बात करते हुए सुन लिया....सिद्धार्थ को जब पता लगा, वो रूबी के पीछे दौड़ा... भागते भागते रूबी का फ़ोन भी रास्ते में गिर पड़ा... अपने घर जाने के बदले, रूबी लोकल साइबर केफे में गयी और यह सब बातें मुझे मैल करने की सोची.. रूबी ने जब सारा मैल ड्राफ्ट कर लिया, तब अचानक उसके पास सिद्धार्थ आया... सिड ने हल्के से इशारे में उसे बाहर आने को कहा, क्यूँ कि वो पब्लिक प्लेस में उसके साथ कुछ नहीं कर सकता.. रूबी इतना डर चुकी थी, कि मैल सेंड के बदले, मैल सेव ऐज ड्राफ्ट का बटन क्लिक हुआ उससे.... रूबी का दिमाग़ ब्लॉक हो चुका था, उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो मैल टाइप किया हुआ कहाँ गया.. क्यूँ कि उसके सामने सिद्धार्थ था जो बाहर उसका इंतजार कर रहा था, उसने अपना यूज़र नेम और पासवर्ड मुझे मैल कर दिया इस उम्मीद में कि शायड मैं ही उसका टाइप्ड मैल ढूँढ लूँ...."



"आंड दीदी.. गेस व्हाट.. यहाँ फिर मैं आपका भाई निकला.... रूबी अब बिल्कुल सेफ है.. उस पोलीस ने उसे ढूँढ निकाला है, अभी मेरी बात हुई उससे" भारत ने रीना के इर्द गिर्द घूमते हुए कहा



"आपको आप के बचाव में कुछ कहना है... "सीनियर इनस्पेक्टर ने रीना से पूछा, जब भारत शांत हुआ



"इनस्पेक्टर.. यह अपनी मर्ज़ी से अपनी जायदाद मेरे नाम कर रहे हैं.. मैं इनकी नाजायज़ औलाद हूँ इसलिए.." रीना ने ठंडे दिमाग़ से जवाब दिया



"यह झूठ बोल रही है इनस्पेक्टर, यह हमें ब्लॅकमेल कर रही थी .. क्या सबूत है तुम्हारे पास रीना, कि मैं अपनी मर्ज़ी से यहाँ आया हूँ.."राकेश ने गुस्से में कहा



"क्या सबूत है तुम्हारे पास राकेश कि मैं तुम्हे ब्लॅकमेल कर रही थी.."रीना ने पलट के कहा



"होल्ड ऑन.. दीदी, क्यूँ कि तुम मेरी बहेन हो, इसलिए तुमने डॅड को पिछले 10 दिन में जो भी कॉल किए सब अलग अलग प्रीपेड नंबर्स से.. इसलिए वो तो सबूत नहीं है मेरे पास... लेकिन हां, क्यूँ कि मैं तुम्हारा भाई हूँ, तुम्हे निराश करना मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगेगा... " कहके भारत राकेश के पास गया और उसकी शर्ट का उपर का बटन जो पूरा मेटल का था वो निकालने लगा.. धीरे से बटन को शर्ट से अलग कर के, वो आगे गया



"दीदी, यह कॅमरा है.. इसमे वीडियो रेकॉर्डेड है.. आप बहुत सुंदर लग रही हो इसमे, कसम से.." भारत ने वो बटन इनस्पेक्टर को देते हुए कहा



"मिस रीना.. आपको कुछ कहना है... " इनस्पेक्टर ने बटन लेते हुए कहा



"लेट्स गो इनस्पेक्टर.." रीना ने बस इतना ही कहा



"लेकिन मिस्टर भारत आपने तो कहा था कि यहाँ 5 लोग हैं, यह तीन, मतलब रीना , प्रीति और मेहुल.. यह तीनो यहाँ है , बाकी के दो कहाँ हैं.." इनस्पेक्टर ने भारत से पूछा



"यहाँ है साहब..." सामने से मुन्ना ने जवाब दिया जो अपने दोस्त के साथ था और दोनो के हाथों में विक्रम और सिद्धार्थ थे....



"यह लीजिए... बहुत मुश्किल से हाथ में आए हैं.. एक तो आसानी से आ गया, लेकिन यह दूसरा भागते भागते पीछे की तरफ गया.. यह तो किस्मत अच्छी है कि वो थक गया था भाग भाग के और मैने उसे दौड़ के पकड़ लिया..." मुन्ना ने सिद्धार्थ की तरफ इशारा करते हुए कहा... इनस्पेक्टर ने दोनो को पकड़ा, और सब को लेके बाहर जाने लगा. बाहर जाते जाते भी रीना के चेहरे पे एक हँसी थी.. भारत ने उसे इग्नोर किया और कुछ ही पल में वहाँ बस वो 4 ही रह गये..



"मुन्ना, शुक्रिया दोस्त, यह ले तेरा पैसा... " भारत ने मुना के हाथ में एक ब्रीफ केस दिया.. जब मुन्ना ने खोल के देखा तो उसकी आँखों की चमक सब कहने लगी



"कितना है साहब..." मुन्ना ने अपने दाँत निकालते हुए कहा



"बहुत है.. जाओ, ऐश करो.. शुक्रिया.." भारत ने मुन्ना को बाहर भेज दिया... 



राकेश और सीमी काफ़ी खुश थे, शालिनी ने भी चैन की साँस ली, और सब एक दूसरे से बातें करने लगे..



"थॅंक्स सन... थॅंक्स आ लॉट.." राकेश ने भारत को गले लगाते हुए कहा... लेकिन भारत के आस पास क्या हो रहा है सब उसे कुछ महसूस नहीं हो रहा था... उसके कानो में बस गूँज रहे थे तो मुन्ना के शब्द



"साहब, यह दौड़ दौड़ के थक गया था, तभी मेरे हाथों में आया...."




सिद्धार्थ, कभी थकने वालों में से नहीं था.. फिर अगर वो पीछे भागा था, तो ज़रूर उसे मेरी गाड़ी दिखी होगी... अगर वो वहाँ रुका तो उसने ज़रूर कुछ मेरी गाड़ी को किया होगा...



"सन.. क्या सोच रहे हो.. चलें.." राकेश ने भारत को अपनी बाहों में लेते हुए कहा



"नथिंग डॅड.. शायद कुछ ज़्यादा ही सोचता हूँ.. लेट्स गो.." कहके वो लोग पीछे के रास्ते से गये जहाँ भारत की गाड़ी खड़ी थी.... सब लोग गाड़ी में बैठ गये



"चलिए डॅड, आपको आपकी प्यारी कार तक छोड़ देता हूँ.. लॅंड्स एंड टुनाइट ओके.." भारत ने हँस के कहा और गाड़ी स्टार्ट करके आगे आके राकेश की गाड़ी के पास आए...



"चलो बेबी, यू कम विद मोम डॅड.. मैं कुछ काम निपटा के आता हूँ पोलीस स्टेशन से.. सी यू इन ईव्निंग.." भारत ने शालिनी से कहा और एक गुड बाइ किस दी.... राकेश , सीमी और शालिनी तीनो रोड क्रॉस करके गाड़ी में बैठ गये.. सामने भारत वहीं खड़े खड़े उन्हे देख रहा था, उनके जाने का वेट कर रहा था.. सीमी आगे राकेश के साथ और शालिनी पीछे बैठी थी.. गाड़ी में बैठते ही सीमी ने एक नज़र भारत को हँस के देखा और हाथ हिला के उसे कुछ इशारा किया... राकेश के चेहरे पे एक बहुत लंबी हँसी थी खुशी की.... जैसे ही राकेश ने गाड़ी के स्टारटर में चाबी डाल के चाबी घुमाई... 



"बूओमम्म्म........" की आवाज़ से उनकी गाड़ी ब्लास्ट हुई



आस पास अफ़रा तफ़री मच गयी.. भारत की आँखों के सामने राकेश और सीमी के साथ शालिनी की बॉडीस पड़ी थी, दौड़ के भारत वहाँ गया, लेकिन उसका कोई फ़ायदा नहीं हुआ... जब तक वो वहाँ पहुँचता उनकी जान जा चुकी थी... जल्द से जल्द आंब्युलेन्स भी आई, लेकिन कुछ काम की नहीं.. चीख चीख के भारत आंब्युलेन्स में रोने लगा, उसकी आँखों से आँसुओं के बदले जैसे खून बह रहा था.... काफ़ी चिल्ला रहा था, काफ़ी ज़ोर से रो रहा था, लेकिन भारत की आवाज़ उसके माँ बाप और उसकी बीवी तक नहीं पहुँच रही थी... 




भारत अब अकेला पड़ चुका था दुनिया में, माँ बाप बीवी. उसके साथ कोई नहीं था.... आज शमशान घर में भी वो अकेला था, उसके साथ कोई रिश्तेदार , कोई दोस्त, कोई हमदर्द नहीं था... आज उसके दिल के टुकड़े हो चुके थे.. आज उसे समझ आई थी रिश्तों की आहेमियत, जब तक तीनो के शव जलते रहे तब तक भारत वहीं बैठा रो रहा था... कोई पैसा, कोई पॉवर, कोई ताक़त.. उसके कुछ काम नहीं आया आज... पोलीस स्टेशन में विक्रम ने कबूला कि उस गाड़ी में बॉम्ब उसने प्लांट किया था , उसे लगा था शायद भारत जाते जाते गाड़ियाँ बदल देगा क्यूँ कि पूरा प्लान खुल चुका था,.. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.. शायद जब भारत ने सोचना छोड़ दिया, तब से ही वो अकेला हो गया था... अगर वो ज़्यादा सोचता मुन्ना के शब्दों के बारे में, तो उस गाड़ी में शायद वो होता.. रीना और प्रीति पे इंटरनॅशनल पोलीस के केसस भी दर्ज हुए.. सिद्धार्थ को यूएस पोलीस के पास भेजा गया, और विक्रम और मेहुल आर्तर रोड जैल भेजे गये... भारत ने राकेश की 80% जायदाद दान कर दी.. 20% लेके वो इंडिया से काफ़ी दूर चला गया... 



भारत अब अकेला रहता था... कोई दोस्त नहीं, कोई हमदर्द नहीं.. सुबह से लेके शाम वो बस समुंदर की लहरों के पास बैठा रहता और रात होते ही लहरों के पास सो जाता.. शालिनी और उसके होने वाले बच्चे की याद आती, तो उसकी आँखें नम हो जाती.. सीमी और राकेश के बारे में सोच के उसका दिल भारी हो जाता... आज उसके दिमाग़ में शालिनी के बस वो शब्द बार बार आ रहे थे



"हम मरेंगे तो पैसा और पॉवर अपने साथ नहीं ले जाएँगे.. सुकून है, जो हमारे साथ रहेगा... इसके अलावा कुछ नहीं...."





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