RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
दोस्तो – चूँकि ये कहानी पुराने समय की, एक गाँव की कहानी है… सो क्वाइट पासिबल, दट सम वन मे अनेबल टू अंडरस्टॅंड वर्डिंग, प्लीज़ सजेस्ट इफ़ एनिवन फेसिंग दिस.
दोनो ने फटाफट अपने-अपने कपड़े उतार फेंके और मादर जात नंगे हो गये, रामसिंघ प्रेमा के शरीर की बनावट में ही खो गये, वो पहले अपनी नज़रों से उसके शरीर का रस्पान करते रहे, हाथ भी क्यों पीछे रहते, नज़रों के पीछे-2 वो भी दोनो अपना काम बखूबी निभाने लगे..
हिरनी जैसी कॅटिली आँखों में जैसे वो खो से गये, अपने डाए हाथ का अंगूठा उसके होंठो पर रखा और उनको हल्के से मसला, प्रेमा की आँखे बंद हो चुकी थीं, और वो आनेवाले सुखद पलों के इंतजार में खो सी गयी..
उसके गालों पर अपने खुरदुरे हाथ से सहलाते हुए, रामसिंघ के हाथ उसकी सुराहीदार गर्दन से होते हुए उसके वक्षस्थल पर आ जमे, दोनो कबूतरों को दोनो हाथों में भरकर ज़ोर से मसल दिया….
आसस्स्सिईईईईय्ाआहह….. धीरे… हीईीई… जालिमम्म्म, … ऐसे तो ना तडपा…, इन्हें चूस ले रजाआ…. आहह… बहुत परेशान करते हैं मुझी…. सीईईई..आअहह….
रामसिंघ ने अपनी जीभ के अगले सिरे से एक निपल को हल्के से कुरेदा, और दूसरे निपल को उंगली और अंगूठे में पकड़ के मरोड़ दिया…
प्रेमा की तो जैसे जान ही अटक गयी…. आअहह…. ससिईइ… ऊहह…उउंम्म… हाईए… चूसो इन्हें… निकाल दो इनका सारा रस्स्स….ऊहह माआ….हाईए...रामम….ये क्या हो रहा है….मुझे…..
फिर रामसिंघ ने चुचकों की चुसाइ शुरू करदी… दोनो चुचियों को बारी-2 से पूरी की पूरी मुँह भर-भर के जो चुसाइ की, 5 मिनट में प्रेमा की चूत पानी देने लगी… हाए राम…. चुचियों से ही पानी निकलवा दिया, तो जब चुदाई करोगे तब क्या होगा….
देखती जा मेरी रानी… चल आ अब ज़रा अपने प्यारे खिलोने की सेवा तो कर… कहकर अपना सोट जैसा लंड प्रेमा के मुँह में ठूंस दिया, प्रेमा हक्की-बक्की रह गई, उसे पता ही नही था कि लंड मुँह में भी लिया जाता है…??
शुरू में तो प्रेमा ने आनाकानी की लेकिन जैसे ही उसने हाथ से सुपाडे की चमड़ी पीछे की और सुर्ख लाल शिमला के आपल जैसा सुपाड़ा देखा और उसपे एक मोती जैसा दिखाई दिया, उसे चाटने का मन किया, और चाट भी लिया..
उम्म्म… ये तो टेस्टी है, हॅम… गल्प…गल्प उसे चाटने लगी, साथ-साथ हाथों से मसलती भी जारही थी,
रामसिंघ तो जैसे सातवे आसमान पर थे, मज़े में उन्होने सर को दवाके प्रेमा का मुँह अपने हथियार पे दवा दिया… प्रेमा अब मज़े ले-लेकर आधे लंड को मुँह में लेकर चूसे रही थी और आधे को मुट्ठी में दवा कर मुठिया भी रही थी.
कभी-कभी वो उनके नीचे लटके हुए दो आंडो को भी मुँह में भर कर चूसे लेती… जिससे रामसिंघ का मज़ा चौगुना हो गया,
थोड़ी देर में उन्हें लगने लगा कि, ये तो साली चूस के ही निबटा देगी.. उन्होने उसका मुँह अलग किया… और उसे धक्का देकर कमरे में पड़े पलंग के उपर धकेल दिया…
प्रेमा अपनी दोनों पतली एवं सुडोल टाँगे चौड़ी करके लेट गयी, घुटनो के उपर उसकी चिकनी और मुलायम गोल-गोल जंघें मानो, अविकसित केले का तना….
आहह… देखकर रामसिंघ के मुँह में पानी आगया, वो उसकी चिकनी जाँघो को सहलाते हुए अपने हाथो को छोटे-छोटे बालों से युक्त उसकी चूत पर लेगये…
एक के बाद एक दोनो हाथों को उसकी चूत के उपर फेरा…., और फिर नीचे की तरफ से हाथ को उल्टा करके, अपनी उंगिलयों से अंदर की तरफ से सहलाया….
प्रेमा आँखें बंद किए आनेवाले परमानंद की कल्पना में खोई हुई थी..
अपने दोनो हाथों के अंगूठे से उसकी चूत की फांकों को अलग किया…., चूत का अन्द्रुनि गुलाबी रंग का नज़ारा देखकर रामसिंघ की जीभ स्वतः ही उसपे चली गयी…
अपनी जीभ से दो-तीन बार उपर नीचे करके उसे कुरेदा, और फिर झटके से उसके क्लरीटस को उठा दिया…, कौए की चोंच जैसे उसके भागनाशे को मुँह में लेकर चूसने लगे…
प्रेमा आनंद सागर में गोते लगा रही थी, उसके मुँह से मादक सिसकारियाँ फुट रहीं थी,……
ऊओह…… रामुऊऊ…. आअहह… तुम कितने अच्चीए.. हो.. हाअययईए… मेरे राजा… उउउइइ…..म्माआ…..सस्सिईईईईय्ाआहह…
जीभ चूत की उपरी मंज़िल पे काम कर रही थी, इधर बेसमेंट को खाली देख कर, उनकी उंगलिया हरकत में आ गयी, झट से दो उंगलिया खचक से अंदर पेल दी…
उनकी एक उंगली ही एक साधारण लंड के जितनी मोटी थी, यहाँ तो दो-दो उंगलिया वो भी जड़ तक पेल रखी थी… प्रेमा सिसिया कर उठी,
जीभ और उंगलियों की मार, प्रेमा की चूत ज़्यादा देर तक नही झेल पाई और उसकी कमर स्वतः ही धनुष की तरह उपर को उठती चली गयी, और चीख मार कर बुरी तरह से झड़ने लगी…
आजतक, अपने जीवन में पहली बार उसे इस तरह का मज़ा मिला था, वो सोचने लगी, हे राम, बिना लंड के इतना मज़ा आया है, जब इसका लंड मेरी चूत को पेलेगा तब क्या होगा…?
आनेवाले समय में मिलनेवाले मज़े की परिकल्पना से ही वो सिहर उठी..और उसके शरीर में तरंगें सी उठने लगी……
प्रेमा अपने हाल ही में हुए ऑर्गॅनिसम की खुमारी में आँख बंद किए पलंग पे पड़ी थी, लेकिन रामसिंघ का लंड अब एक पल के लिए भी इंतजार करने को राज़ी नही था,
उन्होने अपना हाथ, उसकी चूत पे फिराया जो उसके रस से सराबोर थी, अपने मूसल को हाथ में पकड़ के उसकी चूत के उपर घिसा दो-तीन बार, प्रेमा को लगा जैसे कोई गरम रोड उसकी चूत के उपर रगड़ रहा हो.
चूत की फांकों को दोनो हाथों के अंगूठे से खोल कर अपने सुपाडे को उसके मुंहाने पे रख के हल्का सा धकेला, जिसकी वजह से लंड का सुपाडा चिकनी चूतरस से भीगी चूत में सॅट से फँस गया,
रामसिंघ के लंड का सुपाडा भी कम-से-कम दो-ढाई इंच लंबा और साडे तीन इंच से भी ज़्यादा मोटा था.
जैसे ही लंड का सुपाडा चूत में फिट हुआ, प्रेमा की हल्के दर्द और मज़े की वजह से आहह निकल गयी….
रामसिंघ की तुलना में प्रेमा का शरीर आधे से भी कम था, पतली कमर जो उनके हाथों में अच्छे से पकड़ में आरहि थी,
कमर के दोनो ओर हाथ रखकर उपर की ओर बढ़े और उनकी चुचियों पर पहुँच कर मसल डाला…
धीरे-धीरे लेकिन कड़े हाथों से मींजना शुरू कर दिया, दो-तीन रागडों में ही प्रेमा की चुचियाँ लाल सुर्ख हो गयी, दोनो निपल चोंच सतर करके 1” तक खड़े हो हो गये,
प्रेमा की हालत दर्द और मज़े की वजह से कराब होती जा रही थी, और उसके मुँह से स्वतः ही सिसकियों के साथ-2 अनाप-सनाप निकलने लगा…
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