Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 02:15 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
रिपोर्ट - हवा में कोई 10-12 फीट तक उपर उछल्ने के बाद अरुण का शरीर फिर से सागर के पानी में डूबता चला गया, हमारी बोट भी भीषण धमाके की वजह से समुद्र के पानी में आए भूचाल से बुरी तरह हिलने लगी, 

एक बार को तो लगा कि उलट ही जाएगी, ढेर सारा पानी बोट में भर गया था.

हमारे 3-4 साथी भी बोट में इधर-उधर गिरने की वजह से चोटिल हो गये थे. 

किसी तरह हमने बोट को संभाला, कुछ लोग उसका पानी निकालने में जुट गये. 

हम बराबर अरुण को तलाशने के लिए जहाँ उसकी बॉडी पानी में गिरी थी उसके आस-पास बिनकलर से सर्च कर रहे थे, 

कुछ देर तक वो हमें नज़र ही नही आया, किंतु कुछ देर के बाद वो हमें दिखाई दिया.

स्टीमर से उठी आग अरुण की तरफ से होती हुई हमारी ओर बढ़ रही थी, जल्द से जल्द हम अपनी बोट को उसके पास तक ले जाना चाहते थे, 

वो भी हमें पानी के उपर तैरने की कोशिश करता दिखाई दिया तो हमें कुछ राहत मिली.

लेकिन वो हमारी रहट ज़्यादा देर नही रह पाई और हमने अरुण का बेहोश शरीर पानी में डूबता नज़र आया, 

लाइट्स के फोकस उसी के उपर रख कर, हम उसके बेहद करीब पहुँच चुके थे, सो दो जनों ने पानी में छलान्ग लगा कर बेहोश अरुण को बाहर निकाला. 

उधर आग लगभग हम तक पहुँच ही चुकी थी.

हमने झट-पट उसके शरीर को बोट में डाला, और दोनो साथियों को भी चढ़ा ही पाए थे कि आग हमारी बोट तक पहुँच गयी.

फ़ौरन बोट को वापस घुमाया और दौड़ा दिया. 

आग को पीछे और पीछे छोड़ते हुए हम वहाँ से बच निकले. 

लेकिन किनारे पहुँचने तक भी, अरुण के शरीर में कोई हरकत हमें नज़र नही आई.

मैने फोन करके एर आंब्युलेन्स के लिए रिक्वेस्ट की जो मिल गयी, हमारे किनारे पहुँचने से पहले ही वो हमारा वेट कर रहे थे.

इस तरह से हम चन्द मिनट में ही भुज के मिलिटरी हॉस्पिटल में थे, जहाँ अरुण को आइसीयू में रख दिया और उसका ट्रीटमेंट शुरू हो गया.

हमारे घायल साथियों को भी मेडिकल ट्रीटमेंट दे दिया गया, चूँकि वो ज़्यादा सीरीयस नही थे सो दो दिन में ही ठीक हो गये.

सुबह डॉक्टर ने रिपोर्ट दी कि अरुण के सारे लिगमेंट डॅमेज हो चुके हैं, एक टाँग फ्रॅक्चर्ड है, 

पूरे शरीर को प्लास्टर कर दिया है, लेकिन वाकी और कोई सीरीयसनेस नही है, तो हम उसको अंडर मिलिटरी ट्रीटमेंट में छोड़ कर चले आए.

बत्रा की रिपोर्ट पढ़कर मे अभी उसके बाद की रिपोर्ट टाइप करके भेजने ही वाला था कि डोर बेल बजने लगी….

नर्स दूसरे रूम में थी तो उसने डोर खोला, सामने एक लेडी पोलीस ऑफीसर को देख कर वो चोंक गयी, 

इधर नर्स को वहाँ देख कर वो लेडी ऑफीसर जो कोई और नही अरुण की पत्नी ट्रिशा शर्मा थी, बुरी तरह से चोन्कि, उसके मन में अंजानी आशंका पैदा होने लगी.

उसे लगा, कि कहीं में ज़्यादा क्रिटिकल कंडीशन में तो नही हूँ, ये सोच कर वो तेज़ी से अंदर को बढ़ी, 

वो नर्स उसे रोकती ही रह गयी, लेकिन वो धड़ धड़ाती हुई अरुण के रूम में घुस गयी.

मे लॅपटॉप पर मैल कर रहा था, अभी सेंड का बटन क्लिक किया ही था कि भड़ाक से गेट ओपन हुआ और जैसे ही मेरी नज़र गेट पर पड़ी, 

सामने ट्रिशा एसपी की ड्रेस में कमर पर हाथ रखे मुझे खा जाने वाली नज़रों से घूर रही थी, गुस्सा उसके चेहरे पर सॉफ झलक रहा था.

मैने उसे देखते ही कहा - आइए एसपी साहिबा.. वेलकम होम…!

ट्रिशा गुस्से में बिफर्ति हुई बोली - आप अपने आपको समझते क्या हो हान्ं..? 

15 दिन से ना कोई मेसेज, ना फोन कॉल, सोच-सोच के बुरा हाल हो रहा था मेरा. फोन भी स्विच ऑफ, करूँ तो क्या करूँ..? 

मन में ना जाने कैसे-2 ख्याल आ रहे थे. मे आपकी पत्नी हूँ, मुझे तो बताना चाहिए था कि आख़िर जनाब जा कहाँ रहे हैं..?

मे - अरे मेरी अम्मा..! थोड़ा शांत हो जा..! आओ मे सब बताता हूँ.

ट्रिशा - अब क्या बताता हूँ..? और आप तो बोलके गये थे कि ऑफीस में कोई प्राब्लम है, उसे सॉल्व करना है, फिर ये दूसरे शहर में कैसे पहुँच गये ? 

और वो आक्सिडेंट..? 

मे - अब ये अपनी थानेदारी छोड़ कर मेरे पास आओगी या वहीं से सवाल जबाब करती रहोगी..? 

पहले एक काम करो ये यूनिफॉर्म उतार कर फ्रेश होकर दूसरे कपड़े चेंज कर्लो फिर बात करते हैं ओके.

मे सच में आपसे बहुत नाराज़ हूँ, ये कहकर ट्रिशा पैर पटकती और भुन्भुनाति हुई बाथरूम में चली गयी, 10 मिनट बाद एक सारी पहन कर वो मेरे पास पलंग पर आकर बैठ गयी.

गुस्सा अभी भी उसके मुखमंडल पर ज्यों का त्यों विराजमान था, और उसी लहजे में वो बोली - हां अब बोलो क्या एक्सक्यूस हैं आपके..?

मैने लॅपटॉप में वो रिपोर्ट ओपन करके उसके सामने कर दी- लो ये पढ़ो तुम्हारे हर सवाल के जबाब इसमें मिल जाएँगे.

ट्रिशा ने रिपोर्ट पढ़ना शुरू किया, जैसे -2 वो रिपोर्ट पढ़ती जा रही थी, उसके चेहरे का तनाव कम होता जा रहा था, 

लेकिन उसकी जगह घोर आश्चर्य के भाव दिखाई देने लगे, रिपोर्ट का लास्ट पार्ट पढ़ते-2 उसकी आँखों से आँसुओं की लड़ी बहने लगी, 

रिपोर्ट ख़तम होते ही वो पागल लड़की मेरे सीने में लग कर फुट-2 कर रोने लगी.
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RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा... - by sexstories - 12-19-2018, 02:15 AM

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