RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मैं अंदर गया ऑर आंटी को नमस्ते बोला,,,,,,,,,,आंटी ने भी रिप्लाइ किया ऑर मुझे करण के रूम मे जाने को बोल खुद चाइ
बनाने किचन मे चली गई,,,,,,,,,,जब वो किचन मे जा रही थी मैं वही खड़ा उनकी बड़ी गान्ड को देख
रहा था तभी वो किचन के अंदर जाते टाइम वापिस पलटी ऑर मेरी तरफ देख कर फिर किचन के अंदर चली
गई,,,,,,मैं भी उनके देखते ही एक दाम से भाग कर वहाँ से करण के रूम मे चला गया,,,,,,,,मुझे देख कारण मेरे से गले लग्के मिला ,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं--क्या बात थी करण मुझे जल्दी क्यू बुलाया कोई पंगा हुआ क्या,,,,,,,,,
करण--हाँ सन्नी भाई एक पंगा हो गया है,,,,,,,,,
मैं--क्या हुआ अब करण,,,,,,
कारण--दीदी ने माँ को अमित के बारे मे बता दिया है माँ ने बोला कि दाद तो यहाँ नही है इसलिए वो नाना-नानी के
घर जाके उनसे अमित की बात करेगी ऑर शायद फिर नाना-नानी के साथ जाके अमित के घर वालो से भी बात करेगी
,,,,तू जल्दी कुछ कर यार वरना अमित मेरा जीजा बन जाएगा ऑर हरामी को जीजा क्या मैं अपने घर का कुत्ता नही
बना सकता,,,,,,,,प्ल्ज़्ज़ सन्नी यार कुछ करो जल्दी से,,,,,,,,,
मैं--कब जाना है तेरी मोम ने,,,,,,,,,,,
कारण--शायद कल ही जाना है मोम ऑर दीदी को ,,,,,,,,,,,,
मैं--देख तू कोशिश कर तेरी दीदी ना जा सके वहाँ,,,,,,,तुम चले जाओ अपनी माँ के साथ ऑर दीदी को घर छोड़ जाना
मैं कल तेरी दीदी से बात करूँगा,,,,,,,,,,,
करण--नही सन्नी,,,,,,,,तुम क्या बात करोगे दीदी से,,,,ऑर तुमने कोई बात की तो दीदी मेरे पे गुस्सा करेगी कि मैने
घर की बात तेरे को क्यूँ बताई,,,,,,,,,फिर माँ भी गुस्सा करेगी अगर दीदी ने माँ को भी बता दिया तो,,,,
मैं--करण तुम टेन्षन मत लो कुछ नही होगा,,,,,,,,,,जैसे शिखा तेरी बेहन है वैसे ही मेरी बेहन है,,मैं
दीदी से बात करूँगा तो दीदी पक्का समझ जाएगी,,,ऑर तुमको मेरे पर यकीन है या नही,,,,,,
करण--यकीन तो है सन्नी तभी तो सब कुछ बताया था तेरे को,,,,,,,लेकिन दीदी को कल कैसे रोकू माँ के साथ जाने से
मैं--ये तेरी टेन्षन है करण,,,,,तू बस किसी तरह से दीदी को रोक लेना ऑर खुद माँ के साथ चला जाना,,,,,,,,बाकी
सब मेरे पे छोड़ दे,,,,,,मैं सब संभाल लूँगा,,,,,,,,,,इतने प्यार से मनाउन्गा दीदी को की दीदी बड़ी आसानी से
समझ जाएगी,,,,,,,,,
करण--ठीक है सन्नी भाई मैं पूरी कोशिश करूँगा,,,,,,,,,,,
मैं--कोशिश नही करण तुझे दीदी को घर पर रोकना ही होगा वरना मैं कुछ नही कर सकता,,,अब सोच ले,,तू दीदी
को रोक सकेगा तभी मैं कोई बात कर सकूँगा,,,,,,,,वरना मुश्किल होगा ,,,,,,,,
कारण--ठीक है सन्नी मैं दीदी को रोक लूँगा ऑर खुद चला जाउन्गा,,,,,,,,,,,,
तभी आंटी कॉफी लेके आ गई,,,,,,,,,,कॉफी टेबल पर रखके आंटी वही रुक गई ऑर हम दोनो चुप हो गये,,,
आंटी--पता नही तुम दोनो क्या बात करते रहते हो ,,,,,,,कोई ख़ास बात ही होगी तभी मेरे आते ही चुप कर जाते हो,,
मैं--जी आंटी ख़ास बात ही होती है,,,,,,,,,वैसे भी हम बड़े हो गये है,,,,,,,
आंटी--जानती हूँ बेटा तुम लोग बड़े हो गये हो ऑर तुम लोगो की बातें भी बड़ी हो गई है,,,ऑर हँसते हुए कमरे से
बाहर जाने लगी,,,,,,,,
मैं--जी आंटी,,,,,,,,बातें भी बड़ी हो गई है ऑर टॉपिक भी,,,,,,,,मैने आंटी को स्माइल करते हुए देखा ,,,आंटी ने
भी एक हल्की स्माइल दी ऑर वहाँ से चली गई,,,,,,,,,,,
मैने चाइ ख़तम की ऑर करण को बाइ बोलके चला गया,,,,,,,,तुम बस दीदी को रोक लेना बाकी टेन्षन मेरी मैं
सब कुछ ठीक कर दूँगा करण,,,,,,,,,
मैं घर की तरफ आने लगा तभी मैं जब बुआ के बुटीक के पास से गुजर रहा था मैने देखा कि डॅड
ऑटो से उतर कर बुटीक के पिछले गेट से अंदर चले गये,,,,,,,,,,मैने सोचा की अगर डॅड के पास कार है तो
डॅड ऑटो मे क्यूँ आए है,,,,,,,,,,,,,तभी जल्दी से मैने डॅड को फोन किया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हेलो डॅड,,,,,,,,,,,,
डॅड--हेलो सन्नी ,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं--डॅड आप कहाँ हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,
डॅड-क्यू बेटा कोई काम था क्या,,,,,,,,,,,,,,,
मैं--जी डॅड तभी तो फोन किया है,,,,,,,,,,,,,,,,,,
डॅड--मैं देल्ही जा रहा हूँ बेटा बॅंक के काम से कल वापिस आउन्गा,तुमको क्या काम था बेटा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं--डॅड मुझे आपकी कार चाहिए थी,,,,,,,,,,,
डॅड-बेटा वो तो रेलवे स्टीशन की पार्किंग मे है अब ओर मैं ट्रेन मे हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं--ओके डॅड मैं कहीं ऑर से कार का बंदोबस्त कर लेता हूँ,,,आप जाओ एंजाय करो,,,,,,,,,,,,,मैने फोन कट कर दिया,,,,,,,,अब पता चला साला मेरा बाप बॅंक के काम से इतना बाहर क्यूँ जाता है,,,,,,,मेरे दिल मे हलचल होने लगी क्यू ना आज डॅड की चुदाई देखी जाए,,,,,मैने बाइक एक साइड पर लगा दिया,,,ऑर आराम से गेट की तरफ़ दबाने लगा मैने गेट के लॉक को बड़े प्यार से खोला ,,,उस दिन की बुआ के बुटीक की दूसरी चाबी अभी तक मेरे पास थी,,,,,,,,,,मैं गेट खोल कर उपर चला गया,,,,,,,,,,उपर वाला डोर भी लॉक था,,,,,,उसकी भी चाबी थी मेरे पास,,,,,,,,,,मैने लॉक खोला ऑर अंदर गया तो देखा
कि उपर वाला एक रूम का दरवाजा तो खुला हुआ था लेकिन दूसरे रूम का दरवाजा बूँद था,,,,,,,,मैं बड़े आराम से उस दरवाजे के पास गया ऑर कान लगा कर अंदर की बात सुनने लगा,,,अंदर से बुआ ऑर डॅड की आवाज़ आ
रही थी जिस से मुझे कोई ख़ास फरक नही पड़ा,,,,,,,,,लेकिन तभी मुझे एक ऐसी आवाज़ सुनाई दी जिस ने मेरे होश
उड़ा दिए थे,,,,,,,,,,,ये आवाज़ शोभा दीदी की थी,,,,,,,
बुआ--बड़ा टाइम लगा दिया भाई हम कब्से वेट कर रहे थे,,,,,,,,,,
डॅड--क्या करू बेहन घर से निकलने मे टाइम लग जाता है,,,,,,,,,आज मनीषा नही आई,,,,,
शोभा--क्यू डॅड बड़ी याद आ रही है मनीषा की अपनी बेटी से दिल भर गया क्या,,,,,,,,,,
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