RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
नाश्ते के बाद मैं बाहर गार्डन मे आके बैठ गया क्यूकी मौसम काफ़ी अच्छा था ,,,तभी सोनिया
भी अपनी बुक्स लेके गार्डन मे मेरे पास आ गई ऑर आके मेरे पास बैठ गई,,,,
तू यहाँ क्यू आई है,,जा यहाँ से ऑर कहीं ऑर बैठ कर स्टडी कर,,,,
मुझे भी शॉंक नही तेरे पास बैठने का,,ये तो डॅड ने बोला है इसलिए मैं तेरी हेल्प करने आई
हूँ स्टडी मे,,वर्ना तूने फैल हो जाना है ऑर तेरी वजह से मुझे भी मेरा समान नही मिलना
जो पास होके मिलने वाला था,,,
चल चल ,,मुझे ज़रूरत नही तेरी हेल्प की ऑर ना कोई परवाह है तेरी अक्तिवा ऑर लॅपटॉप की,,मैं
खुद अपने एग्ज़ॅम की तैयारी कर लूँगा,,,,मैने इतना बोला ऑर खुद वहाँ से उठकर चला गया
अभी मैं उठा ही था कि मेरा फोन बजने लगा,,,,ये कोई अननोन नंबर था,,,
हेलो सन्नी,,,,
हेलो,,मैं सन्नी बोल रहा हूँ आप कॉन,,,,
अच्छा अब मैं कॉन हो गई,,,आवाज़ भी नही पहचानता मेरी,,,मैं रितिका बोल रही हूँ,,,
ओह्ह सॉरी रितिका,,,वो पहले कभी फोन पर बात नही हुई है इसीलिए आवाज़ पहचान नही सका,,,ऑर
सूनाओ क्या हाल चाल है रितिका,,,
मैं ठीक हूँ सन्नी तुम सूनाओ,,,,क्या कर रहे थे,,,,
तभी मैने सोनिया की तरफ देखा जो मुझे गुस्से से देख रही थी,,,एक तो गुस्सा उसको इस बात का था
कि मुझे स्टडी मे उसकी हेल्प लेने से इनकार कर दिया था ऑर उसको अपनी अक्तिवा ऑर न्यू लॅपटॉप अपने
हाथ से जाता नज़र आ रहा था ,,,वो गुस्से मे लाल हो रही थी तभी मैने इस आग मे आयिल डाल दिया,,,,
कुछ खास नही रितिका मैं बस कुछ कमजोर बच्चों की हेल्प कर रहा था स्टडी मे,,,,तुमको तो
पता है मैं पढ़ने मे कितना होशियार हूँ,,मेरी इस बात से सोनिया ऑर गुस्सा हो गई ऑर गुस्से मे
पैर पटकती हुई वहाँ से चली गई,,,
खैर मेरी छोड़ो तुमने कैसे याद किया आज मुझे,,,
मैने नही सन्नी मेरे डॅड ने याद किया है,,,वो तुमसे कुछ बात करना चाहते है,,अगर फ्री हो
तो क्या मेरे घर आ सकते हो,,,,
हाँ हां अभी आ जाता हूँ,,,लेकिन तेरे डॅड ने बात क्या करनी है मेरे से,,,
वही सुरेश भाई ऑर कॉलेज के पंगे के बारे मे बात करनी है,,,,
उसकी बात सुनके मैं थोड़ा डर गया,,,क्यूकी करण ने बोला था कि अकेले मत जाना कोई पंगा हो सकता
है,,,,,,,,,,,,,,,,,ठीक है मैं अभी आता हूँ करण के साथ,,,
नही नही सन्नी करण को साथ मत लेके आना,,,,अभी मैने तुम्हारा नंबर करण से ही लिया है ऑर
उसको सब बता दिया है,,,,दाद पहले ही थोड़े गुस्से मे है सुरेश भाई की वहज से ओर अगर कारण
साथ आ गया तो पता नही क्या होगा,,,,,डॅड को मेरे ऑर करण के बारे मे पता चल गया है शायद
तुम उसको मत लेके आना प्लज़्ज़्ज़,,
मैं उसकी बात को समझ नही पाया,,,मुझे कुछ अजीब लग रहा था,,,खैर देखते है क्या होता है
ओके रितिका मैं आता हूँ कुछ देर मे,,इतना बोलकर मैने फोन कट किया ऑर ख़ान भाई को फोन
कर दिया ऑर उनको सारी बात बता दी,,,,ख़ान भाई ने मुझे विश्वसस दिलाया कि कुछ नही होगा तुम
बिना किसी डर के जाओ ऑर अगर कुछ प्रोबलम हुई तो मुझे फोन कर देना,,,,ख़ान भाई की बात से
मुझे हिम्मत मिली ऑर मैं चेंज करके बाइक लेके रितिका के घर की तरफ चल पड़ा,,,
मैं रितिका के घर के बाहर पहुँचा ऑर बाइक गेट के आगे रोक दिया,,,,चलके गेट के पास गया,,
गेट पर नॉक किया तो गेट खुला ऑर एक आदमी सामने आया,,,,जी किसको मिलना है अपने,,वो गेट खोलकर
मेरे से बात कर रहा था ऑर मेरा ध्यान गया गेट के अंदर गार्डन मे टहलती हुई रितिका पर,,वो
कुछ परेशान लग रही थी तभी इधर उधर टहल रही थी,,,,तभी मैने देखा कि वो सर उठाकर
घर की एक बाल्कनी की तरफ देख कर कुछ एशारे मे बात कर रही थी,,मैने गेट से आगे होके
देखना चाहा कि रितिका किस से बात कर रही है तभी उस आदमी ने मुझे रोक दिया,,,,
आपने बताया नही किसको मिलना है अपने,,इस बार वो आदमी थोड़े गुस्से से बोला ऑर रितिका ने उसकी आवाज़
सुन ली,,,,,ऑर मेरे बोलने से पहले खुद बोल पड़ी,,,,
सिकुरिटी इनको अंदर आने दो,,,ये मेहमान है,,,,रितिका ने गेट की तरफ बढ़ते हुए बोला,,,
सॉरी सर मुझे नही पता था आप मेहमान हो,,,,इतना बोलकर वो मुझे सॉरी बोलते हुए गेट को
खोल कर मुझे अंदर आने को बोलने लगा,,,,,
मैं अंदर जाते हुए रितिका की तरफ देख रहा था जो बहुत परेशान लग रही थी,,,उसके माथे पर
पसीना भी आया हुआ था,,,वो कुछ डरी ऑर सहमी लग रही थी,,,तभी उसने एक बार पलट कर बाल्कनी
की तरफ देखा ऑर उसके साथ मेरा ध्यान भी बालकोनी की तरफ गया पर वहाँ कोई नही था,,मुझे कुछ
ठीक नही लगा,,,,,लगा कि कुछ गड़बड़ है,,,,फिर भी मैं हिम्मत करके आगे बढ़ गया,,,,
हाई रितिका,,,
हाई सन्नी,,,वो बड़े अजीब अंदाज़ मे ही बोली तो मुझे ठीक नही लगा,,,,
क्या हुआ रितिका तुम ठीक तो हो,,इतना पसीना क्यूँ आ रहा है तुमको,,,इतना डरी क्यूँ हुई हो तुम,,,
मैं,,मैं कहाँ डरी हुई हूँ,,,,ये पसीना तो गर्मी की वजह से आ रहा है,,,वो पसीना सॉफ
करती हुई बोली,,,,
लेकिन आज तो गर्मी नही है,,,,देखो कितना अच्छा मौसम है,,,धूप भी नही है,,फिर तुमको
गर्मी क्यू लग रही है,,,,
वू वू कुछ नही,,,,तुम अंदर चलो,,
वो इतना बोलकर आगे चलने लगी ऑर मैं उसके पीछे पीछे,,तभी वो घर के अंदर एंटर हुई तो मैं
उसका घर देखता ही रह गया,,,इतना बड़ा घर था ऑर रहने वाले शायद 4-5 लोग थे,,जबकि इतनी जगह
मे अगर ग़रीबो की बस्ती होती तो वहाँ 1000 लोग रह लेते आराम से,,,,
अरे वाह घर तो बड़ा शानदार है तुम्हारा रितिका,,,,ओह सॉरी ये घर नही ये तो महल है,,,कितने
लोग रहते है यहाँ,,,
वो सीडियाँ चढ़ते हुए उपर जाने लगी,,,,मैं उसके पीछे था,,,,
यहाँ बस हम तीन लोग है सन्नी,,,वो वापिस नही पलटी बस ऐसे ही चलते हुए बात करती रही,,,
बस तीन लोग,,,,,कॉन -कॉन,,,,
मैं,,मेरे डॅड,,,ऑर सुरेश,,,,उसने सुरेश को अपना भाई नही बोला,,,,वो ये भी तो बोल सकती थी कि
वो अपने बाप ऑर भाई के साथ रहती है ,,,लेकिन उसने अपने बाप को तो बाप बोल दिया लेकिन भाई को
भाई नही बोला,,,सुरेश बोला,,,,शायद वो सच मे अपने भाई से नफ़रत करती थी,,,
इस से पहले कोई ऑर बात होती वो एक रूम मे घुस गई ऑर उसके पीछे मैं,,,,
ये तुम मुझे कहाँ ले आई,,,,तुम्हारे डॅड कहाँ है,,,उस रूम मे कोई नही था,,,बस हम दोनो
थे,,,
डॅड घर पे नही है सन्नी,,वो अपने पार्टी मीटिंग के लिए देल्ही गये है,,,शाम को आएँगे,,
शाम को,,,,,,,,,क्या मतलब,,तुमने तो फोन पर कहा था कि तुम्हारे डॅड ने मुझे बुलाया है,,,
नही सन्नी मैने झूठ बोला था,,,,दरअसल डॅड ने नही मैने तुमको बुलाया है,,,मुझे लगा मेरे
कहने पर पता नही तुम यहाँ आओगे या नही ,,,,,इसलिए डॅड के बारे मे झूठ बोला था,,,
तुम्हारे कहने पर क्यू नही आउन्गा,,तुम मेरी दोस्त हो,,,,लेकिन तुमको झूठ बोलने की क्या पड़ी
थी,,,सीधी तरफ बोल देती तो भी मैं आ जाता,,,,अच्छा छोड़ो इन बातों को तुमने बुलाया क्यूँ है
मुझे यहाँ ये बोलो,,,,
वो इधर उधर देखने लगी,,,अपने हाथों को बारी बारी से मसल्ने लगी वो ऐसे लग रही थी जैसे
बहुत परेशान थी,,बहुत डरी हुई थी,,,,मुझे कुछ ठीक नही लग रहा था,,
तभी मैं उसके पास गया,,,,क्या हुआ रितिका तुम परेशान क्यू हो,,,,,कुछ प्रोबलम है क्या,,,,
नही नही,,,कुछ भी तो प्रोबलम नही,,,वो मैं तो बस वो मैं बस वो,,,
क्या हुआ सीधी तरह बोलो,,,,डरो नही हम दोनो दोस्त है ना,,बोलो क्या बात है रितिका क्यू बुलाया
मुझे यहाँ,,,,
तभी उसने खिड़की की तरफ देखा जो बाल्कनी मे खुलती थी ऑर मेरे पीछे की तरफ थी,,,मैने भी
पलट कर उस तरफ देखा तो वहाँ कोई नही था,,,,बस करटन हिल रहे थे,,,शायद हवा से,,या
शायद वहाँ कोई था,,,,
क्या हुआ रितिका बोलो ना,,,,
तभी वो बोल पड़ी,,,,,,,,,,,,,,सन्नी क्या तुमने सुरेश को मारा था,,,,
मैं उसके सवाल से हैरान हो गया,,,,नही रितिका मैने उसको नही मारा,,1-2 बार पहले मेरी सुरेश
से फाइट ज़रूर हुई थी,,,लेकिन इस बार मैने कुछ नही किया,,,,
मैं जानती हूँ तुम झूठ नही बोलते सन्नी,,,,तुमने उसको नही मारा होगा लेकिन क्या तुम्हारा हाथ
है इस सबके पीछे,,,,
मैं कुछ देर चुप रहा,,,,कुछ नही बोला,,,,खुकी मैं झूठ नही बोल सकता था,,,वैसे मैं
बहुत झूठ बोलता था लेकिन रितिका इस टाइम बड़े यकीन से मेरे से बात कर रही थी ,,,
बोलो सन्नी,,,क्या ये सब तुमने करवाया है,,,,ऑर क्या ये सब तुम्हारे प्लान का हिस्सा है,,,
हां रितिका ,,,,,,,,मैने इतना बोला ही था कि वो मेरे करीब हो गई,,,,तो ये सच है,,तो ख़ान भाई
भी तुम्हारे साथ है ये भी सच है ना,,,,
ख़ान भाई का नाम सुनते मैं थोड़ा हैरान हो गया,,,,,,,,,तुमको कैसे पता ख़ान भाई भी मेरे
साथ है,,,,,,,,,,
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