Incest Kahani ना भूलने वाली सेक्सी यादें
12-28-2018, 12:48 PM,
#43
RE: Incest Kahani ना भूलने वाली सेक्सी यादें
माँ ने कोई जबाव नही दिया, मेरी बातों से उसका मन ज़रूर हल्का हो गया था, इतना मैं ज़रूर जानता था लेकिन शायद वो अभी उत्तेजित नही हुई थी. और मैं उसे खूब उत्तेजित करना चाहता था. मैने अपने हाथ नीचे लेजा कर माँ के दोनो चुतड़ों को थोड़ा सा फैलाया और आगे बढ़कर अपना लंड उसकी गान्ड के छेद पर धीरे धीरे रगड़ा. आधे मिंट में ही मुझे माँ के बदन में बदलाव नज़र आने लगा. उसका बदन हल्का हल्का कांप रहा था. सांसो की आवाज़ बढ़ गयी थी. मैने लंड को थोड़ा सा आगे बढ़ा कर उसकी चूत के मुँह पर रगड़ा और उसके चुतड़ों को मुत्ठियों में भरकर मसलने लगा.

"माँ एक बात कहूँ" मैं माँ के कान की लौ को अपने दाँतों से काटते हुए बोला.

"हुंग?" माँ ने धीरे से कहा.

"माँ तुम्हारी गान्ड बहुत प्यारी है, हाए तुम्हारे चुतड कितने टाइट हैं. एसी टाइट गान्ड तो कुँवरियों मे भी देखने को नही मिलती" 

"कितने बेशरम बन गये हो, ज़रा तो लाज करो" माँ ने धीरे से सिसकते कहा. 

"अब काहे की लाज माँ. हाए माँ असली मज़ा तो बेशहमी में ही है. तुम्हे मज़ा नही आता इस बेशर्मी में माँ?" मैने हाथ आगे लेजा कर उसके मम्मे अपने हाथों में समेट लिए. 

"हाए बेटा मगर कोई हद तो होती है ना" माँ की साँसे अब बहुत गहरी हो चली थीं. बस कुछ ही मिंटो की बात थी जब वो फिर से उसी आवेश में आ जाएगी जिसमे वो तब थी जब मैं उसे मकयि के खेत में चोद रहा था और वो मेरे लंड पर उछल उछल कर चुदवा रही थी.

"माँ हदें तोड़ डालो. हदों के पार जाकर ही असली आनंद है. वैसे भी हम रिश्तों की सभी हदें तोड़ ही चुकें हैं. क्या कहती हो माँ?" माँ की चूत पर घिसता मेरा लंड गीला होना सुरू हो गया था. उसकी चूत से पानी रिस रिस कर बाहर आना सुरू हो गया था.

"तुम्हे सच में मेरी इतनी प्यारी लगती है या झूठ बोल रहे हो" माँ कुछ पलों तक चुप रहने के बाद बोली. लगता था लोहा पूरा गरम हो चुका था. चूत रिस रही थी, मेरे गंदे अल्फ़ाज़ उसकी आग में घी डाल रहे थे, बस अब कोई बढ़ा नही थी अगर थी तो वो जल्द ही गिरने वाली थी. माँ की बात सुन मैने हाथ फिर से नीचे लेजा कर उसके चुतड़ों को सहलाया और अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ा तो उसने भी कमर पीछे को मेरे लंड पर दबाकर अपनी बेकरारी का सबूत दिया. 

"झूठ में क्यूँ बोलूँगा माँ, सच में तुम्हाई गान्ड बहुत प्यारी है. हाए बिल्कुल दिल के आकार की है. सिरफ़ गान्ड ही क्या, तुम्हारे ये भारी मम्मो की क्या बात करूँ, हाए साला देखते ही मेरा पत्थर की तरह खड़ा हो जाता है" मैने माँ को अपनी और घूमाते हुए कहा. उसके मम्मो को अपने हाथों में तोलने लगा. खिड़की से आती ठंडी हवा से और उत्तेजना से उसके निपल इतने अकड़ गये थे. "हाए माँ देखो तुम्हारे निपल कितने अकड़ गये हैं, कितने नुकीले हो गये हैं" मैं उन्हे ध्यान से देखता बोला. "माँ चुसू तुम्हारे मम्मे?" 

जबाब मे माँ ने एक हाथ से अपना मम्मा पकड़ मेरे मुँह में डाल दिया और मेरे सर को अपने मम्मे पर दबाया. "चूस ना, मैं कब मना करती हूँ. जितना चाहे चूस ले. माँ के मम्मों पर बेटे का ही अधिकार होता है" माँ अब मेरे वश में थी, जिस हालत में मैं उसे देखना चाहता था वो उस हालत में पहुँच चुकी थी.

ना जाने क्यो आज मेरा दिल कर रहा था कि माँ की काम वासना इतनी भड़का दूं, इतनी भड़का दूं कि वो सब कुछ भूलकर पूरी बेशर्मी से मुझसे चुदवाये. और जिस तरह माँ की हालत थी, मुझे लगा माँ अब जैसा मैं चाहूँगा वो वैसा ही करेगी, जैसा मैं कहूँगा वो वैसा ही बोलेगी. 

उसके मम्मों को बदल बदल कर खूब चूसा. माँ बुरी तरह सिसक रही थी. मेरा सर अपने मम्मों पर दबवा रही थी. काली घटायें, ठंडी हवाएँ हमारे आनंद में और इज़ाफा कर रही थीं. उसके बदन से नहाने के बाद बहुत प्यारी सी गंध आ रही थी. मैने खूब दबा कर मम्मे चूसे उसके. अंत मैं अपना मुख उसके मम्मो से हटाया तो पूरे लाल सुर्ख हो चुके थे.

"अब बोल, पहले चुदवायेगी या चटवाएगी,......... बोल माँ" मेरी बात से माँ का सुर्ख चेहरा और भी सुर्ख हो गया.

"और कितना करेगा, पहले ही तूने घंटा भर मकयि के खेत में किया, फिर बोरेवेल में भी. अभी बस करते हैं ना" माँ चुदवाने के लिए तरस रही थी लेकिन अपने मुख से नही कहना चाहती थी. नारी का स्वभाव ही ऐसा होता है और सच पूछिए मर्द को नारी की इस लज्जा मे ही ज़्यादा मज़ा आता है. मगर कहते हैं ना कभी कभी स्वाद बदल लेना चाहिए, एक सा खा खा कर मन उब जाता है, मेरी भी वोही हालत थी. मैं चाहता था माँ आज अपनी लाज छोड़ कर मुझसे चुदवाये. जितनी बेशर्मी से मैं उससे पेश आ रहा था वो भी मुझसे उसी बेशर्मी से पेश आए. माँ को अब मेरी बेशरमी पर कोई एतराज़ नही था, वो उतनी उत्तेजित तो हो ही चुकी थी, मगर वो खुद उस बेशर्मी पर नही उतरी थी, अभी उसमे कुछ लज्जा बाकी थी और वो दूर करनी थी. हालाँकि अगर मैं चाहता तो अपना लंड उसकी चूत में घुसेड कर उसे उस अवस्था मैं कुछ एक पलों में पहुँचा सकता था मगर मैं उसे चुदाई से पहले उस हालत में देखना चाहता था.

"अरे माँ वो तो ज़रा बदन से गर्मी निकली थी, असली चुदाई तो अब होगी तेरी. आज तो खुल कर तुम्हे चोदुन्गा. बहुत सी हसरतें पूरी करनी हैं मुझे. तू बता तेरा दिल नही करता, तुझे मज़ा नही आया था चुदवाने में?" 

"नही, मुझे नही आया" माँ के होंठो पर मुस्कान भी थी, लज्जा भी थी. मैने आगे बढ़ कर उसकी चूत से लंड भिड़ा दिया और उसके चूतड़ो को अपने लंड पर दबाने लगा. हमारे चेहरे आमने सामने थे, एक दो इंच का फासला था, सांसो से साँसे टकरा रही थीं. 

"मज़ा नही आया! मज़ा नही आया तो मेरे लंड को उछल उछल कर अपनी चूत मे क्यों ले रही थी, हुंग? याद है कैसे तुझे बोरेवेल्ल में पानी के अंदर ठोका था? तब तो ज़ोर से ज़ोर से पेलने के लिए कह रही थी!" मेरा लंड चूत के होंठो को खोल कर उसके भंगूर को रगड़ रहा था. अगर मैं चाहता तो हल्के से धक्के से लंड अंदर कर देता, मगर जो मज़ा माँ को उतावला करने में था फिर वो नही मिलता. मा सिसकते सिसकते कभी मेरी ओर देखती, कभी नज़र नीची कर लेती. जैसे ही मेरा लंड चूत के दाने को रगड़ता तो उसके होंठ खुल आते और वो बड़ी ही मादक सी सिसकी भरती.

"तो कर ना जो तेरा दिल करता है, जैसे तेरा दिल करता है करले. तुझे मालूम है मुझे कितना मज़ा आया था" माँ ने मेरी आँखो में आँखे डाल कर कहा.

"जैसे चाहूं कर लूँ?" मैने वैसे ही अपना लंड उसकी चूत पर घिसते हुए पूछा.

"अब क्या लिख कर दूं?" वो थोड़ा सा खीच कर बोली. लगता था वो चूत में लंड लेने के लिए तड़प रही है.

" तो फिर मेरा साथ क्यों नही देती?" मैने लंड को हिलाना बंद कर दिया. बिल्कुल स्थिर होकर उसकी आँखो में आँखे डाले उससे पूछा. हमारे होंठ लगभग सट गये थे.

"पूरी नंगी होकर तुम्हारे सामने खड़ी हूँ! तुम्हे जैसा तुम्हारा दिल चाहे वैसा करने की खुली चूत भी दे दी, अब और क्या करूँ?" मैने अपने होंठ माँ के होंठो पर दबा एक चुंबन लिया.

"तू जानती है मैं क्या चाहता हूँ! नही जानती?" मैने फिर से उसकी आँखो में झाँका. वो कुछ पलों तक चुप रही, जैसे कुछ निस्चय कर रही थी. फिर उसने मेरे होंठो पर अपने होंठ रख दिए और हम एक गहरे चुंबन में डूब गये. 

जब हमारे होंठ अलग हुए तो माँ ने अपनी साँस संभाली फिर मेरे गाल को चूमती मेरे कान मे फिसफ्साई "बेटा! मेरी चूत तो चाट" माँ के होंठो से वो अल्फ़ाज़ सुनते ही मेरे होंठो से सिसकी निकल गयी, मेरे लंड ने एक जबरजस्त झटका मारा. ना सिर्फ़ वो लफ़्ज इतने अश्लील और भड़काऊ थे मगर जिस तरीके से माँ ने उन्हे कहा था उसने उन लफ़्ज़ों की मादकता और भी बढ़ा दी थी. अब माँ बिल्कुल उस हालत में थी जिसमे मैं उसे चाहता था.

"क्या करूँ माँ? फिर से बोल ना" मैने उसे उकसाते हुए कहा.

"मेरी....मेरी चूत....चाट ना बेटा........हाए मेरा बड़ा दिल कर रहा है ......चूत चटवाने को" माँ मेरे कान में वैसे ही सरगोशी करते हुए बोली. मैने माँ की आँखो में झाँकते हुए कहा "यह हुई ना बात. यही तो मैं सुनना चाहता था" मैने माँ के होंठो पर एक चुंबन अंकित किया और बोला "अगर चूत चटवानी है तो ज़रा अपनी टाँगे चौड़ी कर ले" मैं घुटनो के बल नीचे बैठता बोला. माँ ने तुरंत मेरा हुकम माना. अब वो पूरी तरह मेरी मुट्ठी मैं थी. 
Reply


Messages In This Thread
RE: Incest Kahani ना भूलने वाली सेक्सी यादें - by sexstories - 12-28-2018, 12:48 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,651,692 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 562,173 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,297,857 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 981,271 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,739,996 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,152,313 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,075,850 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,485,093 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,169,093 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 299,360 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 5 Guest(s)