RE: Incest Kahani ना भूलने वाली सेक्सी यादें
आख़िर माँ हाथ में गिलास थामे दूध देने आई. जैसे ही वो जाने लगी तो मैने उसका हाथ पकड़ कर रोक लिया.
"नाराज़ हो माँ" मैने उसे अपनी ओर खींचते हुए कहा. दूध का गिलास मैने बेड की पुष्ट पर रख दिया.
"नाराज़, नही तो. मैं भला क्यों नाराज़ होंगी तुमसे" माँ ने दूसरी तरफ देखते हुए कहा.
"तो फिर मुझसे बात क्यों कर रही हो, मेरी और देख क्यों नही रही हो?" मैने माँ का चेहरा अपनी ओर घूमाते पूछा.
"मैं सोच रही थी तुम......तुम मेरे बारे क्या सोचते होगे....मैने ऐसे व्यवहार किया...."
"ओह माँ..,तुम भी ना. इधर देखो मेरी आँखो मे" मैं माँ के चेहरे को उपर उठाता बोला. उसने मेरी आँखो मे देखा. "अब बताओ तुम्हे लगता है कि मेरी नज़र में तुम्हारी इज़्ज़त घट गयी लगती है? क्या तुम मेरी आँखो मे अपने लिए मोह और प्यार नही देख रही हो?"
"हँ.......ऐसे ही मैने सोचा था......" माँ ने कुछ देर चुप रहने के बाद कहा. उसके होंठो पर अब मुस्कान आने लगी थी.
"माँ ऐसा वैसा कुछ मत सोचो. तुम हमेशा मेरी माँ हो और मेरी माँ ही रहोगी. रही तुम्हारे व्यवहार की बात तो वो मैने खुद तुम्हे मजबूर किया था, तुम खुद को कसूरवार मत ठहराओ" मैं माँ को बेड पर अपने पास खींचता बोला. "वैसे भी मुझे उसमे मज़ा आया था, बल्कि इतना मज़ा आया जैसे पहले कभी नही आया था. इसलिए यहाँ तक तुम्हारे उस रूप की बात है तो मैं तो तुम्हे उस रूप मे पाकर खुश ही होऊँगी. हां अब तुम्हे अगर परेशानी है तो...," मैने जानबूझकर वाक्य अधूरा छोड़ दिया.
"मुझे कोई परेशानी नही है..........मैं तो बॅस सोच रही थी की तुम क्या सोचोगे कि मेरी माँ कितनी निरलज्ज है" मैने बेड की पुष्ट से पीठ लगाकर माँ को अपनी गोदी में खींच लिया. "यही सोचेगा कि मेरी माँ कितनी अच्छी है..........मैने तुम्हे बताया ना मुझे कितना मज़ा आया था........तुम्हे नही आया" माँ अब मेरी गोद में बैठी थी. उसकी टाँगे मेरी कमर के दोनो और थी और उसका चेहरा मेरे चेहरे के बिल्कुल सामने.
"आया था......." माँ कुछ देर चुप रहने के बाद शरमाती सी बोली. वो नज़रें चुरा रही थी.
"अगर मज़ा आया था तो नज़रें क्यों चुरा रही हो..........." मैने माँ के होंठो को अपने होंठो में भर लिया और ज़ोरों से चूसने लगा. माँ उत्तेजित हो रही थी. उसके उपर नीचे होता सीना और उसकी चोली मे से तान्क झाँक करते उसके मम्मों के आकड़े निप्पल बता रहे थे वो उत्तेजित हो रही है. मेरी उत्तेजना को तो उसने बहुत पहले ही महसूस कर लिया होगा जब मैने उसे अपनी गोद में खींच अपने खड़े लंड पर बैठाया था जो उसकी गान्ड की गर्मी से और भी कठोर हो गया था.
"छोड़ो मैं जाती हूँ........अब तुम सो जाओ.......आराम कर्लो थोड़ी देर" वो उठाने लगी तो मैने फिर से उसके चेहरे को पकड़ अपने होंठ उसके होंठो से सटा दिए. एक दीर्घ चुंबन के बाद हमारे होंठ अलग हुए. "जाने की इतनी जल्दी भी क्या है मेरी जान..........अभी तो कह रही थी तुम्हे मज़ा आया था तो और मज़ा नही लोगि" मैं माँ के मोटे मोटे मम्मों को हथेलियों में भरते पूछने लगा.
"और कितना.....अभी सारी दोपेहर तो लगे रहे........अभी पेट नही भरा तुम्हारा......थके नही तुम अभी तक" माँ मेरे होंठो को चूमते बोली. वो वापस लाइन पर आ रही थी. उसको मालूम था मैं उसे जाने देने वाला नही था.
"मर्द और घोड़ा कभी नही थकते माँ......" मैने माँ को कहावत सुनाई तो माँ की हँसी छूट गयी. "मेरा पेट तो नही भरा, तुम अपनी सूनाओ!" माँ की चोली को उपर उठा जब मैने हाथ उसके मम्मों पर रखे तो खुश हो गया. वो अंदर से नंगी थी. जानती थी मैं उसे चोदे वगैर मानूँगा नही.
"मुझे सोना है.....बहुत नींद आ रही है...हाए...उफ्फ इतनी ज़ोर से क्यों मसलते हो......पहले ही दरद हो रहा है" मगर मैने उसके निप्पलो को मसलना जारी रखा.
"तुम सो जाओगी तो इसका क्या होगा जो जगा हुआ है. वो कैसे सोएगा!"
"यह तो लगता है कभी सोता ही नही है......अब मैं तो कुछ नही कर सकती"माँ मेरे होंठो को चूमती बोली. उसकी जिव्हा रह रहकर मेरे होंठ को गीला कर जाती थी.
"क्यों नही कर सकती......एक बार और दे दोगि तो क्या हो जाएगा" मैने माँ की चोली के हुक खोल दिए, उसने खुद अपनी चोली उतार दी. अब वो मेरे सामने नंगी थी. उसके भारी भरकम मम्मे मेरी आँखो के सामने थे. उन पर जगह जगह मेरे काटने के निशान पड़ गये थे. वैसे भी मेरे मसलने से लगता था सूज गये थे.
"कैसे दे दूं एक बार और....तुमने पूरी दोपहर मार मार कर सूजा दी है..........." माँ मेरी कमीज़ के बटन खोलती बोली.
"अगर इसने सुजाई है तो इलाज भी यही करेगा...." मेरी कमीज़ उतार चुकी थी मैं माँ का पेटिकोट खोल रहा था.
"हाए मैं जानती हूँ इस जालिम को.........और इसके इलाज को भी............मेरी फाड़ कर ही दम लेगा" माँ ने मेरी गोद में कूल्हे उठाए और मैने उसका पेटिकोट खींच उसके पाँव में पहुँचा दिया उसने उसे दोनो पाँव से निकाल फेंक दिया. तब तक मैं अपना पायज़मा अपने कूल्हे उठाकर अपने घुटनों से नीचे कर चुका था. माँ नीचे हुई तो उसकी चूत को मेरा नंगा लंड चूमने लगा.
"हाए देख तो इस हरामी को कैसे अंदर घुसने को बेताब है" माँ मेरे लंड के उपर अपनी उंगलिया फिराती बोली.
"तेरी चूत का दीवाना हो गया है माँ, देख कैसे तड़प रहा है, अब इसे तरसा मत माँ" मैं माँ के मम्मों को सहलाता बोला.
"हाए नही तरसती इसे बेटा..........इसे क्यों तर्साउन्गी....इसने तो वो मज़ा दिया है....हाए इसे जो चाहिए वो मिलेगा.......और देख मेरी चूत भी कैसे रो रही है" माँ ने अपने कूल्हे उठाए. एक हाथ से मेरा लंड पकड़ा और उसे अपनी चूत पर सही जगह पर अड्जस्ट किया. फिर धीरे धीरे नीचे बैठने लगी. एक बार सुपाडा अंदर घुस गया तो उसने सिसकते हुए अपना हाथ हटा लिया और मेरे कंधो पर दोनो हाथ रख नीचे मेरे लंड पर बैठने लगी. चूत पूरी गीली थी. जैसे जैसे लंड अंदर घुसता गया माँ की आँखे बंद होती गयी, वो सिसकती हुई पूरा लंड लेकर मेरी गोद में बैठ गयी. उसकी आँखे भींची हुई थी. माँ के मुख पर एसी मादकता ऐसा रूप पसरा हुआ था कि मैने उसके चेहरे पर चुंबनो की बरसात कर दी. सच में उस समय वो बहुत ही कामुक लग रही थी.
"उफ़फ्फ़....कितना बड़ा है........एकदम फैला कर रख दी है इसने" माँ ने आँखे खोल कर कहा.
"चिंता मत करो, दो चार दिन खूब चुदवायेगी तो आदत पड़ जाएगी" माँ ने मेरी छाती पर थप्पड़ मारा. मैं हँसने लगा.
"मज़ाक नही कर रही हूँ,'बहुत दुख रही है मेरी, सूज भी गयी है" वो मेरे कंधे थामे थोड़ा थोड़ा उपर नीचे होती चुदवाने लगी.
"चिंता मत करो माँ आगे से यह परेशानी नही होगी"
"क्या मतलब?" माँ अब हल्की से स्पीड पकड़ रही थी. लंड भी काफ़ी गहराई तक जा रहा था.
"आज बहुत दिनो बाद चुदि थी ना इसलिए......अब इतना टाइम तक बिना चुदाई के नही रहोगी.....अब तो आए दिन तुम्हारी वजती रहेगी...........तुम्हे खूब लिया करूँगा"
"हुंग.......अपनी बहन की लेना......इस रक्षक को वोही सह सकती है...."
"उसकी तो मैं लेता ही रहूँगा मगर तेरी भी खूब ठोकुन्गा..........आज जैसी तेरी चुदाई होती ही रहा करेगी"
"आज जैसी चुदाई.......?" मैने माँ को एक पल के लिए रोका, और थोड़ा सा घूम कर बेड पर लेट गया. मैने अपनी टाँगे घुटनो से मोड़ कर खड़ी कर दी और माँ को इशारा किया, माँ मेरे घुटनो पर हाथ रखे मेरे लंड पर उपर नीचे होती ठुकवाने लगी.
"आज जैसी चुदाई माँ.......आज जैसी चुदाई..........जैसे आज तुझे कुतिया की तरह चोदा था वैसे ही चोदा करूँगा"
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