RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
दूसरे दिन शाम को नेहा और प्राची वापस आई. दोनो बहुत खुश थी. नासिक मे उन्होने सारा समय अपने कमरे मे ही बिताया था. घूमने जाने की तो बात अलग थी, वे तो कमरे के बाहर भी नही निकली थी सिर्फ़ क्विज़ के समय को और खाने के समय को छोड़कर. आपस मे मन भर कर रति करने मे दोनो जुटि रही थी. एक दूसरे के शरीर को मन चाहा भोग कर दोनो तृप्त थी. बीच मे बस एक बार प्राची ने मचल कर कहा था. "नेहा रानी, साथ मे तेरा वो डिल्डो ले आती तो मज़ा आ जाता. शोभा बता रही थी कि तू उससे चोदने मे माहिर है. तूने मेरी चूत को इतना प्यार किया है, इतना रस निकाला है कि मैं स्वर्ग मे आ गयी हूँ पर फिर भी कभी कभी लगता है कि कोई मोट तगड़ा लंड मिल जाता मेरी बुर को चोदने को तो मज़ा आ जाता. तू डिल्डो से चोदति तो मेरी बुर पूरी शांत हो जाती"
"जान बूझ कर नही लाई आंटी. पर तू चिंता मत कर. वापस जाकर देखना कैसे डिल्डो से तेरी बुर की कुटाई करती हूँ, तू सह नही पाएगी. वैसे एक बात यह भी है कि वापस जाने के बाद उस डिल्डो की उतनी ज़रूरत पड़ेगी नही, एक सच मुच का जिंदा मतवाला लंड तेरे लिए तैयार किया जा रहा है. मा उसी काम मे जुटि होगी."
प्राची का दिल धड़कने लगा. उसने अधीरता से पूछ. "सचमुच का लंड? पर किसका?" पर उसे अंदाज़ा हो गया था और उसके साथ उसके गालों पर एक खूबसूरत लाली छाने लगी थी.
उसका चुंबन लेते हुए नेहा बोली "वाह, ऐसे बन रही हो जैसे कुछ जानती ही नही आंटी. तेरे बेटे का, दर्शन का. मा तो अब तक उसे खा पीकर पचा गयी होगी. मुझे कह रही थी कि क्या मस्त छोकरा है. अब तक तो वह कुत्ते के पिल्ले जैसा मम्मी के सामने लेटकर दुम हिला रहा होगा. मम्मी ने उसे सब बता भी दिया होगा."
प्राची कुछ बोली नही पर नासिक से मुंबई वापस आते समय रास्ते भर वह यही सोचती आ रही थी कि शोभा ने दर्शन के साथ क्या क्या किया होगा और अब आगे उसने क्या प्लान बना कर रखे है. इसलिए देर शाम मुंबई वापस आकर जब वे घर वापस आए और शोभा ने दरवाजा खोला तो घर मे घुसते ही उसने पहला सवाल यही किया. "शोभा, दर्शन कहाँ है?"
"सोया है, दो रात से बेचारा मेरी सेवा मे जुटा है. आज भी सुबह से लेकर अब तक अपनी इस मौसी की सेवा कर रहा था बेचारा. मैने भी खूब मेहनत कराई बेचारे से. थक गया बेचारा. मैने ही कहा कि जा सो जा. मा आएगी तो मा से गप्पें कैसे मारेगा! जाओ देखो, अंदर नेहा के बेडरूम मे सोया है. वैसे तुम लोगों की ट्रिप कैसी हुई? वैसे पूछने की ज़रूरत नही है, नेहा
एकदम खुश दिख रही है और प्राची तू ऐसी दिख रही है जैसे किसी ने किसी गुलाब के फूल को मसल कर सब रस निकाल लिया हो. नेहा ने तेरी हालत कर दी है ना प्राची?"
"शोभा, तेरी यह नेहा याने साक्षात रति देवी है. मुझे आज तक इतना सुख किसी ने नही दिया जितना इसने पिछले दो दिनों मे दिया है." प्राची बोली और फिर अंदर चली गयी. दर्शन को मिलने की उसे बहुत उत्सुकता थी. दर्शन गहरी नींद सोया था. बिल्कुल नग्न था. नींद मे उसका लंड तन कर खड़ा हो गया था. शोभा और नेहा भी उसके पीछे पीछे थी.
शोभा बोली "देख प्राची, कैसे अपनी मा को तन कर सलामी दे रहा है! कल ही उसे तेरे और मेरे बारे मे बताया और फिर यह बताया की नेहा तुझे साथ क्यों ले गयी है. सुन कर ऐसा मचला कि उसे संभालना मुश्किल हो गया."
दर्शन की वह नंगी जवानी प्राची देखती रह गयी. कितना प्यारा और मादक रूप था उसके बेटे का! कितने दिनों बाद वह किसी पुरुष का ऐसा रूप देख रही थी. उसे रह रह कर एक बात खटकने लगी. शोभा से अगर पहले ही पहचान हो जाती तो अब तक दर्शन के साथ वह कितने सुख के दिन बिता लेती. इतने साल उसके बेकार नही जाते. वह दर्शन के पास बिस्तर पर बैठ गयी और उसका लंड हौले से पकड़ लिया और झुक कर प्यार से दर्शन के गाल को चूम लिया. हाथ मे थारथराते गरम गरम उछलते लंड ने उसे इतना मोह लिया कि बिना कुछ सोचे उसने नीचे झुक कर दर्शन के सुपाडे को चूम लिया और फिर मूह खोल कर लंड निगल लिया और चूसने लगी.
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