RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
खाना ख़त्म करने के बाद दोनो घर जाने के लिए बाहर आए,"सर,कार अचानक खराब हो गयी है.",ये चंद्रा साहब का ड्राइवर था,"..& अब इस वक़्त कोई मेकॅनिक भी नही मिल रहा है."
"सर,मैं आपको छ्चोड़ देती हू.",कामिनी के दिमाग़ मे 1 ख़याल कौंधा,शायद आज रात उसे अकेली नही सोना पड़े.
"तुम्हे खमखा तकलीफ़ होगी."
"तकलीफ़ कैसी,सर.मेरा घर आपके घर से कोई ज़्यादा दूर तो है नही."
"अच्छा..",वो ड्राइवर की ओर घूमे,"..सुनो,तुम अभी अपने घर जाओ,कार यही रहने दो.कल सवेरे बनवा के घर ले आना."
"ठीक है,सर."
दोनो कामिनी की कार मे बैठ के चंद्रा साहब के घर के लिए रवाना हो गये.कार चलते हुए कामिनी ने देखा की बगल की सीट पे बैठे चंद्रा साहब चोर निगाहो से उसकी नंगी टाँगो को देख रहे हैं.उसने उन्हे थोड़ा और तड़पने की गरज से कार के 1 ट्रॅफिक सिग्नल पे रुकते ही उनकी नज़र बचा के अपनी स्कर्ट थोड़ा उपर कर ली.अब घुटनो के उपर उसकी नर्म जाँघो का हिस्सा भी दिख रहा था.चंद्रा साहब तो अब बस उसकी जाँघो को घूर्ने लगे.कामिनी को इस खेल मे बहुत मज़ा आ रहा था & चंद्रा साहब तो उनके घर पहुँचने तक बुरी तरह बेचैन हो गये थे-इसका सबूत था उनका बार-2 अपने लंड पे हाथ फेरना जैसे उसे शांत रहने को कह रहे हो.
"सर,आज तो आप घर मे बिल्कुल अकेले हैं ना?",कामिनी भी उनके साथ कार से उतरी.
"हां."
"तो चलिए,मैं देख लेती हू की आपकी ज़रूरत की सारी चीज़े है ना..फिर अपने घर जाऊंगी."
"तुम बेकार मे परेशान हो रही हो,कामिनी."
"कोई बात नही,सर.",उसने उनके हाथ से चाभी लेके दरवाज़ा खोला & दोनो अंदर आ गये.
"आप जाके कपड़े बदलिए,सर.मैं तब तक किचन & फ्रिड्ज देख लेती हू की उनमे सुबह के नाश्ते के लिए क्या है."
चंद्रा साहब अपने बेडरूम मे गये,तब तक कामिनी ने फटाफट फ्रिड्ज चेक किया-वो पूरा भरा हुआ था.ये वो पहले से जानती थी की आंटी ने सब इंतेज़ाम कर रखा होगा.उसे तो बस उनके साथ घर मे घुसने का बहाना चाहिए था.इसके बाद वो उनके बेडरूम मे घुस गयी,चंद्रा साहब ने शर्ट उतार दी थी & अपनी अलमारी मे कुच्छ ढूंड रहे थे,"क्या ढूँढ रहे हैं,सर?"
"वो..",वो केवल पॅंट मे थे & उनका सफेद बालो से ढँका सीना नंगा था,ऐसी हालत मे उन्हे कामिनी के सामने थोड़ी झिझक हो रही थी पर उसे तो जैसे कोई परवाह ही नही थी,"..कुर्ता-पाजाम ढूंड रहा था,पता नही तुम्हारी आंटी ने कहा रख दिया है."
"लाइए मैं ढूंडती हू.",कामिनी उनके बगल मे खड़ी हो अलमारी मे कपड़े ढूँदने लगी तभी उसे अपनी गंद पे वोही पुराना एहसास हुआ-उसके गुरु उसकी गंद को सहला रहे थे.कामिनी ने पलट के उनकी आँखो मे आँखे डाल दी तो उन्होने सकपका के हाथ खींच लिया & घूम कर बिस्तर के पास खड़े हो गये.
कामिनी उनके पास गयी & उन्हे घुमा कर उनका चेहरा अपनी तरफ किया,"आपने हाथ क्यू खींच लिया,सर?"
चंद्रा साहब ने चेहरा घुमा लिया,"...प्लीज़,सर बोलिए ना."
"आइ'एम सॉरी,कामिनी."
"मगर क्यू?मुझे तो बिल्कुल बुरा नही लगा,सर.",चंद्रा साहब ने हैरत से उसे देखा,"..हां..जब मैं आपके साथ काम करती थी तो भी तो आप मुझे छुते थे,सर..मगर मैने कभी कुच्छ नही कहा..वो शाम जब लाइट चली गयी थी याद है आपको..उस दिन भी मैने कुच्छ नही कहा था...क्यू सर जानते हैं?",चंद्रा साहब बस इनकार मे सर हिला पाए.
"क्यूकी मुझे आपकी हरकत बिल्कुल बुरी नही लगी,सर बल्कि मुझे तो बहुत मज़ा आआया था..मगर आपने शायद शर्मिंदगी महसूस की..कि आप अपनी इतनी कम उम्र की असिस्टेंट के साथ ऐसी हरकत कैसे कर सकते हैं..इसीलिए अपने विकास & मुझे अलग प्रॅक्टीस करने को कहा था.है ना?"
चंद्रा साहब ने हां मे सर हिलाया.
"मगर क्यू,सर?इसमे शर्म की क्या बात है!आप अच्छी तरह जानते हैं की अगर मेरी रज़ामंदी नही होती तो आप मेरा नाख़ून भी नही च्छू सकते थे.तो जब मेरी भी रज़मदी थी फिर आपको शर्मिंदा होने की क्या ज़रूरत थी?"
"मगर..-"
"नही,सर,इसमे कोई बुराई नही है.आप क्यू अपना मन मार रहे हैं?..और इसमे कुच्छ ग़लत नही है..आज ही की बात लीजिए..हुमारा क्लब मे मिलना,आपकी कार का खराब होना...यू घर का खाली होना..क्या सब इत्तेफ़ाक़ है या शायद कुद्रत भी हमे आज मिलाना चाहती है...& कुद्रत के खिलाफ जाने वाले हम कौन होते हैं.",उसने उनका दाया हाथ थामा & अपनी गंद पे रख दिया,"..अब बेझिझक होके च्छुईय मुझे."
चंद्रा साहब उसकी बातो को सुन फिर से गरम हो गये थे.इतनी खूबसूरत,जवान लड़की खुद उन्हे अपने पास बुला रही थी,फिर उन्हे क्या ऐतराज़ हो सकता था.वो दोनो हाथो से उसकी गंद की फांको को स्कर्ट के उपर से सहलाने लगे,"उउन्न्नह..",कामिनी ने उनके कंधे पे हाथ रख दिए & आँखे बंद करके आहे भरने लगी.धीरे-2 चंद्रा साहब के हाथो का दबाव बढ़ने लगा तो कामिनी भी उनके सीने को सहलाते हुए वाहा के सफेद बालो से खेलने लगी.
उसके हाथ उनके सीने से फिसलते हुए नीचे गये & उनकी पॅंट से टकराए तो उसने उसे फ़ौरन उतार दिया,फिर उनकी छाती पे हाथ रख के हल्के से धकेला तो वो बिस्तर पे बैठ गये & अपनी पॅंट को अपने पैरो से निकाल दिया.अब वो अंडरवेर पहने पलंग पे बैठे थे,कामिनी उनके करीब गयी & उनकी टाँगो के बीच खड़ी हो अपना दाया घुटना उनकी बाई जाँघ के बगल मे बिस्तर पे रखा दिया & फिर उनके हाथो को अपनी गंद से लगा दिया.चंद्रा साहब फिर से उसकी गंद से खेलने लगे.कामिनी ने आँखे बंद कर अपनी बाहे उनके कंधो पे टीका दी & हाथो से उनके सर को सहलाने लगी.
चंद्रा साहब ने उसकी स्कर्ट उठा दी थी & अब उसकी पॅंटी के उपर से उसकी गंद को छेड़ रहे थे.उनके हाथ घुटनो तक उसकी जाँघ पे फिसल कर नीचे आते & फिर वैसे ही उपर जा के उसकी गंद की फांको को दबाने लगते.कामिनी मस्त हो आहे भर रही थी.अचानक उसे महसूस हुआ की चंद्रा साहब अपने हाथ उसके जिस्म से हटा रहे हैं.उसने फ़ौरन उनकी कलाया पकड़ हाथो को गंद पे वापस दबा दिया & आँखे खोल उन्हे सवालिया नज़रो से देखा,"..तुम्हारी शर्ट.."
"..आप सिर्फ़ हुक्म कीजिए,सर.काम करने के लिए आपकी ये असिस्टेंट है ना!",उसके जवाब ने चंद्रा साहब के जोश को और बढ़ा दिया & उन्होने बेदर्दी से उसकी गांद भींच दी,"..ऊओवव्व...!",कामिनी ने अपनी शर्ट के बटन खोल उसे ज़मीन पे गिरा दिया.चंद्रा साहब 1 तक उसकी सफेद ब्रा मे कसी चूचियो को देख रहे थे.ब्रा मे से नज़र आता उसका क्लीवेज बड़ा प्यारा लग रहा था.उन्होने हल्के से उसके क्लीवेज को चूमा,"..उउंम.."
"इसे भी हटा दो.",कामिनी ने उनकी आँखो मे झँकते हुए अपना ब्रा खोल दिया,चंद्रा साहब की आँखो के सामने उसकी बड़ी,मस्त चूचिया छलक उठी.नंगी होते ही उन्होने अपना मुँह उनके बीच घुसा दिया,"..ऊहह...",कामिनी ने उनके सर को बड़े प्यार से हाथो मे थाम लिया & वो उसकी गंद मसल्ते हुए चूचियो को चूमने,चूसने लगे.काफ़ी देर तक वो वैसे ही उसकी छातियो पे लगे रहे & जब उठे तो कामिनी ने देखा की उसका सीना उनकी ज़ुबान ने पूरा गीला कर दिया था.
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