RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
लंड पूरी तरह से कामिनी के रस से गीला था,फिर भी उन्होने उसपे भी मक्खन लगे & फिर उसकी गंद के छेद पे लंड को रख धक्का दिया,"..ऊऊऊऊ....",थोड़ी ही देर मे उनका चौड़ा सूपड़ा उसकी गंद मे था,वो बड़ी मज़बूती से उसकी कमर को थामे बड़े ही हल्के धक्के लगाने लगे..कोई 5-7 मिनिट बाद लंड कोई 5 इंच तक गंद मे घुस गया.
"आआहह...और नही ..दर्द होता है..",कामिनी कराही तो उन्होने उतने ही लंड से उसकी गंद मारना शुरू कर दिया.बाए से उन्होने उसकी कमर थामी हुई थी & दाए से वो उसकी चुचिया दबा रहे थे.थोड़ी देर बाद कामिनी को भी मज़ा आने लगा तो वो अपने दाए हाथ से अपनी चूत मारने लगी.तभी चंद्रा साहब का पास रखा मोबाइल बजा.
उन्होने उसे कान से लगाया,"हेलो..हां..कहो कैसी हो?..हां कल तो क्लब मे ही खाया था...आज..आज कामिनी आ गयी थी..पता चला की तुम नही हो तो किचन मे घुस गयी है...वही कुच्छ बना रही है..हां..अभी बात कराता हू...",उन्होने उसे फोन थमाया,"..तुम्हारी आंटी है."
कामिनी अब काउंटर पे पूरा झुकी हुई थी.उसकी चूचिया काउंटर के मार्बल से बिल्कुल पीसी हुई थी & वो उसपे कोहनी रखे पड़ी थी.उसने फोन लिया,"हेलो..नमस्ते आंटी..!"
चंद्रा साहब ने 1 हाथ आगे ले जाके उसका हाथ हटा उसकी चूत पे लगा दिया,"..हम्म..नही..आंटी तकलीफ़ कैसी..पर सर को समझाइये..बाहर का खाना इन्हे बहुत पसंद है & मुझ से कह रहे थे..की ..थोड़ा मक्खन भी डाल दो..",उसने गर्दन घुमा के उनकी तरफ नशीली आँखो से देखा & होंठो को गोल कर उन्हे चूमने का इशारा किया,"...जी ...आंटी..मैने तो बिल्कुल सादा खाना बनाया है...& आप फ़िक्र मत करे ..जब तक..आप नही आती मैं इन्हे यहा देख जाया करूँगी..& रोज़ अपनी निगरानी मे खाना खिलवंगी..ओक...नमस्ते आंटी..!",उसने मोबाइल किनारे रखा.अपने गुरु का लंड अपनी गंद मे लिए उनकी पत्नी से बाते कर वो और गरम हो गयी & अपनी कमर हिलाने लगी.
चंद्रा उसकी चूत ज़ोरो से रगड़ते हुए उसकी गंद मे तेज़ी से लंड अंदर-बाहर करने लगे.....कामिनी काउंटर पे पूरा झुक गयी & अचानक बहुत ज़ोर से आहे भरने लगी...उसकी चूत चंद्रा साहब की उंगलियो पे कसने-ढीली होने लगी & वो झाड़ गयी.उसी वक़्त चंद्रा साहब के लंड से भी 1 तेज़ धार निकली & कामिनी की गंद उनके विर्य से भर गयी.
लंड ढीला हुआ तो चंद्रा साहब ने उसे गंद से बाहर खींचा & उसे अपनी बाहो मे उठा के अपने बेडरूम मे ले गये,उनकी भूख शायद अभी शांत नही हुई थी.
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उस दिन कोर्ट मे बहुत भीड़ थी,कामिनी किसी केस की सुनवाई के बाद अपने चेंबर की ओर जा रही थी की तभी किसी ने उसे पीछे से आवाज़ दी,"कामिनी जी."
कामिनी मूडी,आते-जाते लोग उस से टकरा रहे थे की तभी उसके सामने कोई 50-55 बरस का लंबा चौड़ा शख्स आया & उसकी बाँह पकड़ उसे 1 किनारे ले गया,"यहा बहुत भीड़ आप इधर आ जाइए,कामिनी जी."उस आदमी की पकड़ मे केवल उसे खाली जगह पे ले जाने का इरादा नही बल्कि उसे च्छुने का इरादा ज़्यादा नज़र आ रहा था.
"मेरा नाम जगबीर ठुकराल है.."
"नमस्ते ठुकराल साहब,मैं जानती हू आपको.कहिए मैं आपकी क्या मदद कर सकती हू?"
"1 केस है,कामिनी जी..",लोगो का 1 और रेला आया तो ठुकराल ने उसे फिर उसकी बाज़ू पकड़ थोड़ा किनारे कर दिया.कामिनी को उसका ये बार-2 छुना कुच्छ अच्छा तो नही लगा पर कुच्छ था उसके छुने मे जिसने उसका दिल धड़का दिया,"..हम मेरे चेंबर मे चल के बात करे?"
"हाँ,ज़रूर.",कामिनी आगे चलने लगी तो 1 बार फिर उसे भीड़ से बचाने के बहाने ठुकराल ने उसकी पीठ पे ठीक ब्लाउस के नीचे हाथ रख दिया.
"हां,अब बोलिए,ठुकराल साहब."
"1 अर्जेंट केस है कामिनी जी जिसकी सुनवाई बस 2 दिन बाद है."
ठुकराल साहब,फिर तो मैं ये केस नही ले सकती...मेरे पास बिल्कुल भी समय नही है.."
"कुच्छ तो करिए,कामिनी जी!",कामिनी ने देखा की उसकी नज़रे उसकी झीनी सफेद सारी से झँकते उसके ब्लाउस पे जा रही है.
"देखिए,मैं आपका केस ले लू & फिर उसपे ठीक से ध्यान ना दू & सुनवाई पे अपने असिस्टेंट को भेज दू..ये तो ठीक नही होगा ना..ठुकराल साहब आप बहुत उम्मीद लेके मेरे पास आए हैं मैं जानती हू,मगर इसीलिए मना कर रही हू,क्यूकी बाद मे केस पे ध्यान ना देके मैं आपको निराश नही करना चाहती."
"कोई बात नही..मगर आपकी ईमानदारी & साफ़गोई ने मेरा दिल जीत लिया,कामिनी जी...1 वादा चाहता हू आपसे..",उसने 1 बार फिर उसके बड़े सीने को देखा.
"हां,कहिए..",कामिनी को पूरा यकीन हो गया की ये आदमी औरतो का रसिया है मगर उसने ऐसा कुच्छ सुना नही था उसके बारे मे.
"आगे जब भी कभी मैं आपके पास आऊ,आप ज़रूर मेरा केस लेंगी.",उसने कुर्सी से उठते हुए अपना हाथ बढ़ाया.
"वादा तो नही करती..हां..आपको इतना भरोसा दिलाती हू की आगे आपको निराश नही करूँगी.",उसने उस से हाथ मिलाया तो ठुकराल ने उसका हाथ हल्के से दबा दिया & फिर कॅबिन से बाहर निकल गया.
तभी उसका मोबाइल बजा,देखा तो षत्रुजीत का नंबर था,"हेलो,मिस्टर.सिंग."
"हेलो,कामिनी.कैसी हैं?"
"बढ़िया.आप कैसे हैं?"
"मज़े मे..अच्छा कामिनी इस फ्राइडे मैं होटेल ऑर्किड मे 1 पार्टी दे रहा हू & आपको वाहा ज़रूर आना है क्यूकी पार्टी आपके हमारे लीगल आड्वाइज़र बनाने की खुशी मे ही है."
"इसकी क्या ज़रूरत है,मिस्टर.सिंग.."
"ज़रूरत है..तो आप आ रही हैं ना फ्राइडे रात को?"
1 पल को कामिनी ने सोचा,"हां,मिस्टर.सिंग."
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