Raj sharma stories बात एक रात की
01-01-2019, 12:20 PM,
#53
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की-- 48

गतान्क से आगे...........

"आपको बुरी तो नही लगी मेरी बात."

"नही मोनिका जी. दिल से कही हुई बात कभी बुरी नही लगती. बहुत कम लोग ऐसे हैं दुनिया में जिन्हे ग़लत काम करते वक्त ये अहसास रहता है कि वो कुछ ग़लत कर रहे हैं. यही अहसास इंसान को इंसान बनाता है. यू आर ए गुड वुमन. मेरे दिल में हमेशा आपके लिए इज़्ज़त रहेगी. आपका एक एक बोल मेरे दिल को छू गया. ये सब स्वीकार करना कोई आसान बात नही है. बहुत बड़ा जिगर चाहिए. एक बात मैं भी कहना चाहूँगा."

"हां बोलिए."

"मैं भी हमेशा से ऐसा नही था. मेरी तमन्ना थी कि बस एक लड़की से प्यार करू. एक लड़की से अफेर हुआ भी कॉलेज में. बहुत खुस रहता था उन दिनो मैं. हम घूमते फिरते थे साथ और काई बार सिनिमा भी गये. मैने कभी उसे छुआ तक नही. बस प्यार करता था उसे...बहुत प्यार. लेकिन उसने मेरे प्यार को ठुकरा दिया. एक साल तक मेरे साथ घूमी फिरी फिर अचानक एक अमीर बाप के बेटे के साथ उठने बैठने लगी. मुझसे मिलना ही बंद कर दिया उसने. मुझे बताया तक नही कि मैं तुम्हे छोड़ रही हूँ. फैल होते होते बचा मैं. बहुत मुस्किल से पास हुआ. दिल पर बड़ी भारी चोट लगी. दिल में पता नही कहा से ये ख्याल आने लगे की काश इसे ठोक देता तो अच्छा रहता. प्यार का कोई मोल नही है दुनिया में ऐसा लगा मुझे. उसके बाद तो जो सामने आई मैने ज़्यादा देर नही लगाई ठोकने में. मैं एक प्रेमी से कब फ्लर्ट बन गया मुझे पता ही नही चला. किसी ने मुझसे ऐसी बात नही बोली जैसी आज आपने कही. खुस रहें आप अपनी जिंदगी में. मेरी कभी भी ज़रूरत हो तो याद करना. मुझे अपना एक अच्छा दोस्त समझना."

"मुझे पता था की आप अच्छे इंसान हैं तभी आपको सारी बाते बताई मैने."

"अच्छा मोनिका जी मैं चलता हूँ. मुझसे जो ग़लती हुई है उसके लिए मुझे माफ़ करना. गॉड ब्लेस्स यू. टेक केर."

दोनो ने प्यारी से मुस्कान दी एक दूसरे को और राज शर्मा वहाँ से चल पड़ा. राज शर्मा और मोनिका दोनो के चरित्र के कुछ और ही पहलू सामने आ रहे थे जो की जीवन की सुंदरता लिए हुए थे.

राज शर्मा ने जीप में बैठ कर चौहान को फोन लगाया.

"सर मोबाइल वाला काम हो गया है. आप कहाँ हैं?"

"मैं थाने में हूँ बर्खुरदार यही आ जाओ." चौहान ने कहा.

............................................................

.....

पद्‍मिनी अपने रूम की खिड़की में खड़ी हुई बारिश का आनंद ले रही है. बारिश की छम-छम से वो उद्वेलित हो रही है. वो चाहती है कि बारिश में निकल कर बारिश की बूँदो में भीगा जाए पर ठंड का मौसम इसकी इज़ाज़त नही देता था. गर्मियों की बारिश में वो खूब झूम झूम कर बारिश का आनंद लेती थी ठंड में ऐसा नही हो सकता था. हां पर बारिश की बूँदो को देख कर हल्की हल्की मुस्कान पद्‍मिनी के होंठो पर बिखर रही थी.

"बेटा कब से खड़ी हो यहाँ...चलो कुछ खा लो."

"नही मम्मी अभी नही...आपको पता है ना मुझे बारिश बहुत अच्छी लगती है. मुझे यही रहने दीजिए अभी."

"जैसी तेरी मर्ज़ी...पागल हो जाती हो बारिश को देख कर."

पद्‍मिनी की मम्मी चली गयी और पद्‍मिनी खिड़की पर ही खड़ी रही.

"मैं कब तक घर में क़ैद रहूंगी मुझे कल से ऑफीस जाना चाहिए. बॉस से बात भी हो गयी है. डर कर घर में बैठने से क्या फ़ायडा. इनस्पेक्टर या फिर राज शर्मा से बात करनी पड़ेगी इस बारे में."

पद्‍मिनी का सोचना सही ही था. उसकी जॉब सफर हो रही थी और अच्छी जॉब रोज रोज नही मिलती. और ये भी था की जॉब के कारण पद्‍मिनी को ये नही लगता था कि वो अपने मा बाप पर बोझ है.

..............................................................

राज शर्मा चौहान को के के के बारे में बताता है. वो तुरंत सोनिया को फोन मिलाता है.

सोनिया तो नरेश के उपर चढ़ि हुई थी और उसके उपर राइड कर रही थी.

"आअहह नरेश तुम भी तो पुश करो नीचे से आआहह."

"कर तो रहा हूँ...और कितना पुश करू."

सोनिया का फोन बजा तो वो इरिटेट हो गयी.

"उफ्फ अब कौन है?"

"लगता है आज लोग हमें चैन से नही करने देंगे कुछ." नरेश ने कहा.

"तुम हाथ बढ़ाओ और फोन पकड़ाओ मैं तुम्हारे उपर से उतरने वाली नही हूँ आअहह"

"कह कौन रहा है उतरने को....ये लो फोन."

सोनिया ने कॉल रिसीव की. "हेलो"

"हां सोनिया जी मैं चौहान बोल रहा हूँ."

"आआहह हां बोलिए."

"आप कराह क्यों रही हैं. ठीक तो हैं आप."

"हां मैं ठीक हूँ...बोलिए आप."

"क्या आप सुरिंदर के किसी ऐसे दोस्त को जानती हैं जिसे वो केके कहता हो."

"ऊऊहह मैं...मैं किसी केके को नही जानती. देखिए मुझे जो पता था बता दिया. मेरी रिक्वेस्ट है कि मुझे बार बार परेशान ना किया जाए आअहह. मुझे और भी ज़रूरी काम हैं."

"आपके ज़रूरी काम मुझे समझ आ गये. सच बताना नरेश का लंड है ना इस वक्त तेरी चूत में."

"उस से आपको क्या लेना देना." सोनिया ने फोन काट दिया.

"क्या हुआ?" नरेश ने पूछा.

"कुछ नही उस इनस्पेक्टर को पता नही कैसे पता चल गया कि तुम्हारा डिक मेरी पुश्सी में है."

"पता कैसे नही चलेगा आअहह ऊओह करके बाते जो कर रही थी."

"लीव इट....फक मी हार्डर आआहह."

नरेश ने नीचे से अपनी स्पीड बढ़ा दी और सोनिया की आहें कमरे में गूंजने लगी.

..........................................................

मोहित की हालत सुधर रही थी. मोहित आँखे बिछाए पूजा का इंतजार करता रहा लेकिन वो नही आई. राज शर्मा ने पूजा को रिक्वेस्ट भी की लेकिन वो नही मानी. उसने कहा मुझे मोहित से कुछ लेना देना नही है. बात काफ़ी हद तक सही भी थी.

राज शर्मा और चौहान के के को ढूँढने में लग गये. लेकिन उन्हे केके का कोई भी सुराग नही मिला. एक हफ़्ता बीत गया यू ही भागते दौड़ते. एक शुकून की बात ये थी की पूरा हफ़्ता कोई वारदात नही हुई. ये सब शायद मोहित का कमाल था. उसी ने तो साइको के पेट में चाकू मारा था. कारण कुछ भी हो एक हफ्ते से बाहर में शांति थी. लेकिन एक हफ़्ता बहुत कम वक्त होता है डर को दूर भगाने में. बाहर के लोगो में साइको का ख़ौफ़ बरकरार था.

मोहित घर वापिस आ गया. उसके घाव अभी पूरी तरह भर रहे थे .

धीरे धीरे एक महीना बीत गया. साइको का कुछ सुराग नही मिला. लेकिन इस एक महीने के दौरान बाहर में कोई वारदात नही हुई. मगर पोलीस फिर भी दबाव में थी, क्योंकि साइको अभी पकड़ा नही गया था.

सुबह के 10 बज रहे थे और चौहान चेहरे पर तनाव लिए इधर उधर घूम रहा था. राज शर्मा थाने में घुसा तो उसने चौहान को देख लिया.

"क्या बात है सर, आप कुछ परेशान लग रहे हैं." राज शर्मा ने पूछा.

"पूछो मत शामत आने वाली है शामत. मेडम साहिबा ने अर्जेंट मीटिंग बुलाई है. खूब डाँट पड़ने वाली है आज."

"हम जो कर सकते थे कर रहे है और क्या करें."

"उसके सामने मत बोल देना ये बात. ज़ुबान खींच लेगी तुम्हारी."

"नही सर उनके सामने भला मैं क्यों बोलूँगा...मेरा क्या दिमाग़ खराब है. पर सर मुझे लगता है कि शायद वो साइको अब अंडर ग्राउंड हो गया है. मैने हॉलीवुड की फ़िल्मो में देखा है की ऐसे साइको अचानक गायब हो जाते हैं और अचानक ही वापिस भी आ जाते हैं."

"ये फिल्म नही चल रही, ये हक़ीकत है बर्खुरदार. क्या पता क्या हो रहा है...साला ये के के का भी कुछ पता नही चला.."

"सर एक बात और हो सकती है?"

"क्या?" चौहान उत्शुक हो गया.

"मेरे दोस्त ने चाकू मारा था उस साइको के पेट में. हमनें सभी हॉस्पिटल और क्लिनिक छान मारे लेकिन वो कही अड्मिट नही हुआ था. शायद उसने अपना पेट अपने घर पर ही शीलवाया हो. अगर उसे कोई ठीक ठाक डॉक्टर नही मिला होगा तो दिक्कत तो हुई होगी सेयेल को. कही वो साइको मर ना गया हो."

"हो भी सकता है और नही भी. इस बात से हमारा केस तो सॉल्व नही होता ना."

तभी सब इनस्पेक्टर विजय भी वहाँ आ जाता है.

"क्या बात है सर...कुछ गंभीर सी बाते हो रही है. चलिए मीटिंग का वक्त हो गया."

"ओह हां मुझे ध्यान ही नही रहा. चलो जल्दी कही इसी बात बार बरस पड़े वो कयामत."

तीनो मीटिंग रूम की तरफ बढ़ते हैं. ए एस पी शालिनी वहाँ पहले से मौज़ूद थी. उन्हे देखते ही चौहान का गला सूख गया.

"मिस्टर चौहान क्या स्टेटस है साइको वाले केस का."

"चौहान बगले झाँकने लगा. उस से कुछ बोले नही बन रहा था."

"हम पूरी कोशिस कर रहे हैं मेडम. वो साइको शायद अंडरग्राउंड हो गया है" राज शर्मा बीच में बोल पढ़ा.

"मैने तुमसे पूछा कुछ. जिस से पूछा जाए वही जवाब दे." शालिनी ने राज शर्मा को डाँट दिया.

"मेडम हम पूरी कोशिस कर रहे हैं. दिन रात हम इसी केस में लगे रहते हैं" चौहान हिम्मत करके बोला.

"क्या फ़ायडा इस दिन रात की मेहनत का कोई रिज़ल्ट भी तो आना चाहिए. मीडीया में रोज पोलीस की किरकिरी हो रही है. जवाब तो मुझे देना पड़ता है ना उपर. अच्छा मैं थोड़ी देर में राउंड लगाना चाहती हूँ बाहर का कौन चलेगा मेरे साथ."

"सब इनस्पेक्टर विजय को ले जाए मेडम." चौहान ने कहा.

"सर वो मुझे अपनी बीवी को डॉक्टर के पास ले जाना था. बताया था ना आपको. मैं तो मीटिंग की वजह से आया था आज." विजय ने कहा.

चौहान खुद जाना नही चाहता था. डरता जो था मेडम से. उसने कहा, "राज शर्मा चला जाएगा फिर आपके साथ मेडम."

राज शर्मा ने तुरंत चौहान को घूरा. चौहान उसकी तरफ मुस्कुरा दिया.

"ठीक है. हम थोड़ी देर में निकलेंगे. मीटिंग समाप्त होती है. और हन और ज़्यादा मेहनत करो इस साइको वाले केस पर."

"बिल्कुल मेडम आप चिंता ना करो." चौहान ने कहा.

शालिनी उठ कर चली गयी. उसके जाते ही राज शर्मा बोला, "सर मुझे क्यों फँसा दिया."

"कोई बात नही बर्खुरदार तुम्हे ऑफीसर से डील करना भी आना चाहिए. बस ज़रा अपनी ज़ुबान कम खोलना उनके सामने. बाकी तुम सब संभाल लोगे मुझे पूरा यकीन है."

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क्रमशः.........................
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RE: Raj sharma stories बात एक रात की - by sexstories - 01-01-2019, 12:20 PM

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