Raj sharma stories बात एक रात की
01-01-2019, 12:36 PM,
#95
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--90

गतान्क से आगे.................

“कितना पैसा चाहिए तुम्हे बोलो.” गौरव ने कहा.

“पैसे से कही ज़्यादा अनमोल पैंटिंग बनेगी तुम दोनो की. मेरी पैंटिंग के आगे तुम्हारा पैसा कुछ नही..ये लो चाकू पाकड़ो और हर एक धक्के के साथ एक चाकू मारो इसकी पीठ में. अगर तुमने इसे नही मारा तो तुम्हारा भेजा उड़ा दूँगा.” साइको ने चाकू थमा दिया गौरव को.

“सर…प्लीज़ मुझे मत मारना.” स्वेता गिड़गिडाई.

“और हां धक्के के बिना चाकू मारा तो भी तुम्हारा भेजा उड़ा दूँगा. इसे भी मारो और इसकी गांद भी मारो…दोनो एक साथ मारो हाहहहाहा.” साइको हँसने लगा.

“सर इसकी बात मत मान-ना प्लीज़.”

“चुप कर साली रंडी. मेरे लिए क्या तू अपनी जान नही दे सकती.” गौरव ने कहा.

मोहित ने खिड़की के पास से हट कर तुरंत रोहित को फोन मिलाया और पूरा वाक़या सुना दिया.

“मोहित मैं अभी हॉस्पिटल में हूँ…मगर पोलीस पार्टी अभी तुरंत भेज रहा हूँ वहाँ. तुम तब तक साइको पर नज़र रखो.” रोहित ने कहा.

मोहित वापिस खिड़की में आया तो उसने देखा कि गौरव ने चाकू हवा में उठा रखा है. इस से पहले की मोहित कुछ सोच पाता कुछ करने के बारे में गौरव ने खुद को आगे धकैल्ते हुए चाकू गाढ दिया स्वेता की पीठ में. कमरे में चीन्ख गूँज उठी स्वेता की.

“गुड वेरी गुड…एक धक्का और मारो और एक चाकू और मारो हाहहाहा.”

गौरव ने चाकू उपर उठाया ही था दुबारा मारने के लिए कि साइको ने फुर्ती से आगे बढ़ कर गला काट दिया गौरव का. वो तुरंत स्वेता को साथ लेकर ज़मीन पर गिर गया.

“साला कमीना कही का, बेचारी की गांद मारते-मारते जान ले ली. शरम आनी चाहिए तुम्हे. बट डॉन’ट वरी बोथ ऑफ यू आर नाउ प्राउड विक्टिम ऑफ माइ आर्ट. पूरा सीन रेकॉर्ड कर लिया है मैने घर जाकर इतमीनान से पैंटिंग बनाउन्गा तुम्हारी एरॉटिक मौत की हाहहाहा.”

“ये पोलीस कहाँ रह गयी…हमेशा लेट आती है. मेरे पास कोई हथियार भी नही है…क्या करूँ..कुछ नही किया तो ये फिर से भाग जाएगा आज.” मोहित ने मन ही मन कहा.

साइको वहाँ से अपना समान उठा कर चल दिया.

“ये ज़रूर घर के पीछे से घुसा होगा. कुछ करना होगा मुझे.” मोहित अपनी इन्वेस्टिगेशन का समान वही छोड़ कर घर के पीछे की तरफ भागा. साइको तब तक घर से निकल चुका था और घर के पीछे खड़ी अपनी कार की तरफ बढ़ रहा था. वो कार ब्लॅक स्कॉर्पियो नही थी.

“रुक जाओ वरना गोली मार दूँगा…हाथ उपर करो और ज़मीन पर बैठ जाओ.” मोहित ने पीछे से पोइलीसीए रोब में आवाज़ दी.

साइको ने तुरंत पीछे मूड कर देखा और हंसते हुए बोला, “मैं कुत्तो के भोंकने से नही रुकता हूँ. बंदूक तो ले आते कही से पहले ये सब भोंकने से पहले.” साइको ने कहा.

घर के पीछे अंधेरा था इसलिए साइको मोहित को पहचान नही पाया.

“पोलीस ने घेर लिया है तुम्हे चारो तरफ से तुम बच कर नही जा सकते यहाँ से. हथियार गिरा दो चुपचाप.”

“पोलीस की तो मैने गांद मार ली है बेटा…पोलीस की बात मत कर.” साइको ने बंदूक तान दी मोहित की तरफ.

मोहित साइको को बातों में उलझाने की कोशिस कर रहा था. मगर साइको इस जाल में फँसने वाला नही था. उसने मोहित के सर की तरफ फाइयर किया. मगर मोहित तुरंत भाग कर दीवार के किनारे छुप गया.

“अपना नाम बता देते तो दुबारा मिलना आसान होता. तुम्हारी भी पैंटिंग बना देता…हाहहाहा” साइको ने कहा.

साइको फ़ौरन अपनी कार की तरफ बढ़ा. मोहित ने एक मोटा सा पत्थर उठाया और उसके सर पर निसाना लगा कर ज़ोर से मारा. पत्थर सीधा खोपड़ी में लगा साइको की. खून बहने लगा उसके सर से.

“साले तेरी इतनी हिम्मत.” बिना सोचे समझे गोलियाँ बरसा दी साइको ने और अपनी कार में बैठ कर निकल दिया वहाँ से. शायद उसे डर था कि कही पोलीस ना आ जाए.

मोहित भाग कर वापिस आया घर के आगे. अपना सारा समान उठाया और बाइक लेकर निकल पड़ा, “चोदुन्गा नही तुझे आज मैं.” मगर साइको कि कार उसे कही नज़र नही आई.

“कहाँ गया हराम्खोर…कार का नंबर भी नही देख पाया अंधेरे में.” मोहित ने निराशा में कहा.

………………………………………………………………………………

………………………..

रात के 10 बज रहे थे. राज शर्मा ने कयि बार पद्‍मिनी की खिड़की की तरफ देखा मगर वाहा हर बार परदा ही टंगा मिला.

“उनको मुझसे प्यार होता तो खड़ी रहती खिड़की पर. मेरे लिए क्या इतना भी नही कर सकती वो” राज शर्मा ये सब सोच ही रहा था कि खिड़की का परदा हटा और पद्‍मिनी ने चुपके से राज शर्मा की तरफ झाँक कर देखा. राज शर्मा पद्‍मिनी को देखते ही तुरंत जीप से बाहर आ गया. मगर पद्‍मिनी ने तुरंत परदा गिरा दिया राज शर्मा को जीप से बाहर आते देख. उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा था.

“हद होती है यार किसी बात की…फिर से परदा गिरा दिया. आज आर-पार की बात हो जाए बस.” राज शर्मा घर के दरवाजे की तरफ बढ़ा और बेल बजाई. घर में कामवाली नही रुकी थी इसलिए दरवाजा पद्‍मिनी को ही खोलना था.

“क्या चाहता है अब ये, पहले तो चुपचाप आ कर आँखे बंद कर के बैठ गया था जीप में अब बेल क्यों बजा रहा है.” पद्‍मिनी तुरंत नही आई दरवाजा खोलने. कोई 5 मिनिट बाद आई वो. उसने दरवाजा खोला तो पाया कि राज शर्मा वापिस अपनी जीप की तरफ जा रहा था.

“क्या है…बेल क्यों बजा रहे थे.” पद्‍मिनी ने कहा.

राज शर्मा वापिस आया उसके पास और बोला, “क्या प्राब्लम है आपकी. मेरी शकल क्या इतनी बुरी है कि मुझे देखते ही परदा गिरा देती हैं आप.”

“तो क्या मैं तुम्हारे लिए खिड़की पर ही खड़ी रहूंगी…मुझे क्या कुछ और काम नही है.”

“प्यार करता हूँ आपसे कोई मज़ाक नही मगर आपने मेरे प्यार को मज़ाक समझ कर मुझे बर्बाद करने की ठान रखी है.”

“मैं ऐसा कुछ नही कर रही हूँ. तुम बैठ गये थे वापिस आ कर चुपचाप जीप में.”

“हां तो और क्या करता…मुझे देखते ही परदा गिरा दिया था आपने.”

“मैं तुम्हारे लिए भाग कर नीचे आई थी पर तुम्हे क्या…जाओ तुम यहा से..मुझे तुमसे बात नही करनी है.” पद्‍मिनी रोते हुए बोली और दरवाजा पटक दिया वापिस और कुण्डी लगा ली.

राज शर्मा हैरान रह गया ये सब सुन कर. “अरे हां दरवाजे की आवाज़ आई तो थी. उफ्फ मैं भी कितना बेवकूफ़ हूँ. पद्‍मिनी जी दरवाजा खोलिए प्लीज़…” राज शर्मा दरवाजा पीटने लगा.

पद्‍मिनी ने दरवाजा खोला और सुबक्ते हुए बोली, “क्या है अब, क्यों मुझे परेशान कर रहे हो.”

“बस एक सवाल का जवाब दे दीजिए फिर कभी परेशान नही करूँगा…क्या आप मुझे प्यार करती हैं.”

“तुम्हे क्या लगता है?”

“मुझे तो लगता है कि आप कोई खेल, खेल रही हैं मेरे साथ”

“प्यार करती हूँ मैं तुमसे कोई खेल नही और मुझे पता है कि खेल तुम खेलोगे मेरे साथ.” पद्‍मिनी ने कहा और दरवाजा वापिस बंद कर दिया.

“ये बहुत अच्छा किया आपने. प्यार का इज़हार किया और दरवाजा बंद कर दिया. ये खेल नही है तो और क्या है.”

................................

साइको 42 इंच टीवी पर गौरव मेहरा और स्वेता गुप्ता के एरॉटिक मर्डर की वीडियो देख रहा था.

“गौरव मेहरा नाम है मेरा…यही बोला था ना तू चिल्ला कर मुझे. एक तो पीछे से मेरी कार को ठोक दिया उपर से रोब झाड़ने लगा. तेरे जैसे एलीट वर्म की ऐसी ही मौत होनी चाहिए थी. साला गांद मार रहा था अपनी एंप्लायी की. गांद मारते-मारते खुद अपनी जान गँवा बैठा हाहहहाहा. बहुत सुंदर एरॉटिक मर्डर की पैंटिंग बनेगी. मिस्टर गौरव मेहरा चियर्स यू आर दा प्राउड विक्टिम ऑफ माइ आर्ट. तुम्हे मेरे उपर चिल्लाने की सज़ा भी मिल गयी और तुम मेरी आर्ट का हिस्सा भी बन गये…मगर…”

अचानक साइको गुस्से से तिलमिला उठा, “मगर ये कौन था जिसने मेरा सर फोड़ दिया. इसकी तो बहुत ही भयंकर पैंटिंग बनाउन्गा मैं. पता करना होगा इसके बारे में. अंधेरे में साले की शकल नही दीखी वरना पाताल से भी ढूंड निकालता हरामी को. कोई बात नही जल्दी पता लग जाएगा उसका और फिर हाहहहाहा.”

साइको कॅन्वस पर गौरव मेहरा और स्वेता की एरॉटिक मौत की पैंटिंग बनाने में व्यस्त हो गया.

“धीरे-धीरे बनाउन्गा ये पैंटिंग, ऐसी एरॉटिक मौत किसी को नही दी मैने हाहहाहा.”

…………………………………………………………………

राज शर्मा दरवाजा पीट-ता रहा मगर पद्‍मिनी ने दरवाजा नही खोला. वो कुण्डी बंद करके दरवाजे के सहारे ही खड़ी थी. उसका दिल बहुत ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था. प्यार का इज़हार जो कर बैठी थी वो. माथे पर पसीने थे उसके. राज शर्मा से नज़रे मिलाना अब मुस्किल था उसके लिए.

“फँसा ही लिया इसने मुझे अपने जाल में. पर मैं वो घिनोना सपना कभी पूरा नही होने दूँगी. प्यार का ये मतलब नही है कि ये मेरे साथ हवस का नंगा नाच खेलेगा.” पद्‍मिनी ने खुद से कहा.

“पद्‍मिनी जी प्लीज़ दरवाजा खोलिए. ये सब ठीक नही है. क्यों सता रही हैं आप मुझे.” राज शर्मा ने कहा.

“देखो तुम्हारे साथ और लोग भी हैं. वो लोग सुन लेंगे तो क्या कहेंगे. क्यों मेरी बदनामी करवाने पर तुले हो.”

“कोई कुछ नही सुन रहा है. आप दरवाजा खोलिए प्लीज़. हमारा बात करना बहुत ज़रूरी है. क्या आप प्यार का इज़हार करके मुझे यू तड़प्ता छोड़ देंगी.”

पद्‍मिनी ने दरवाजा खोला और बोली, “ज़्यादा स्मार्ट बन-ने की कोशिस मत करना मेरे साथ. बाकी लड़कियों के साथ जो किया वो मेरे साथ नही चलेगा. क्या मतलब है तड़प्ता छोड़ देने का. इतनी जल्दी तुम ये सब सोचने लग गये.”

राज शर्मा को कुछ समझ नही आया. वो समझता भी कैसे. उसे पद्‍मिनी के सपने के बारे में कुछ नही पता था.

“आप क्यों नाराज़ हो रही हैं. क्या आपको नही लगता कि हमें शांति से बैठ कर कुछ प्यारी बाते करनी चाहिए. आज बहुत बड़ा दिन है हमारे लिए.”

“हां आख़िर कार तुम कामयाब हो गये. हो गया मुझे तुमसे प्यार. पर इस से ज़्यादा कुछ और मत सोचना.”

“मैं कुछ नही सोच रहा हूँ. मुझे कुछ समझ नही आ रहा कि आप क्या कहना चाहती हैं.”

“मुझे नही पता कि इस प्यार का मतलब क्या है. हां पर प्यार कर बैठी हूँ तुमसे…पता नही क्यों..जबकि मैं तुमसे दूर रहना चाहती थी.”

“क्या आप पछता रही हैं…अगर ऐसा है तो ये प्यार मत कीजिए. आपको किसी उलझन में नही देखना चाहता हूँ मैं.”

“तुम मुझे प्यार क्यों करते हो…क्या बता सकते हो मुझे. झूठ मत बोलना.” पद्‍मिनी ने पूछा.

“पद्‍मिनी जी आपकी तरह मुझे भी नही पता कि इस प्यार का मतलब क्या है. हां बस प्यार हो गया आपसे. क्यों हुआ ये प्यार इसका जवाब मेरे पास नही है. बस इतना जानता हूँ कि आपकी म्रिग्नय्नि सी आँखो में खो गया हूँ मैं.”

“मेरी आँखे क्या म्रिग्नय्नि हैं…” पद्‍मिनी ने पूछा.

“आपको नही पता क्या? …मुझे डुबो दिया म्रिग्नय्नि आँखो में और खुद अंजान बनी बैठी हैं आप.”

“ये फ्लर्ट है या प्यार…”

“आपको क्या लगता है…” राज शर्मा ने हंसते हुए कहा.

“मुझे लगता है कि तुम मेरे साथ कोई खेल, खेल रहे हो.” पद्‍मिनी ने कहा.

“प्यार करते हैं हम आपसे, कोई मज़ाक नही. और हमें कोई खेल, खेलना नही आता. दिल में प्यार रखते हैं आपके लिए…अपना दिल निकाल कर आपके कदमो में रख देंगे.”

ये सुन कर एक मध्यम सी मुस्कान उभर आई पद्‍मिनी के होंटो पर. राज शर्मा वो मुस्कान बस देखता ही रह गया.

“ऐसे क्या देख रहे हो.”

“अगर थप्पड़ नही मारेंगी तो एक बात कहूँ.”

“अब थप्पड़ क्यों मारूँगी तुम्हे…”

“बहुत प्यारी मुस्कान है आपकी. बहुत दिनो बाद आपके होंटो पर ये मुस्कान देखी मैने. हमेशा यू ही मुस्कुराती रहना आप.”

पद्‍मिनी की आँखे टपक गयी ये सुन कर. राज शर्मा ने भी उसके आंशु देख लिए.

“क्या हुआ…क्या मैने कुछ ग़लत कहा. देखिए मेरी बातों में ज़रा सा भी फ्लर्ट नही है. आपको प्यार करता हूँ. कभी झूठी तारीफ़ नही करूँगा…फ्लर्ट झूठा होता है और प्यार सच्चा.”

“मम्मी, पापा मेरी वजह से मारे गये. ये खाली घर खाने को दौड़ता है. हर तरफ उनकी यादें बिखरी पड़ी हैं. बहुत ही दुखी हूँ मैं. ऐसे में भी क्यों मुस्कुरा उठी तुम्हारी बात पर पता नही मुझे…”

“ये तो अच्छी बात है. सब कुछ भूल कर हमें आगे बढ़ना होगा.”

“हमें मतलब?” पद्‍मिनी ने अपने आँसू पोंछते हुए कहा

“क्या इस प्यार में अकेले चलेंगी आप…क्या मुझे हक़ नही कि आपके साथ चलूं कदम से कदम मिला कर.”

क्रमशः..........................
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RE: Raj sharma stories बात एक रात की - by sexstories - 01-01-2019, 12:36 PM

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