Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
01-12-2019, 02:42 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सूमी काफ़ी गरम हो गयी थी और वो जानती थी जब तक सवी झडेगी नही वो शांत नही होगी.

सूमी ने सवी को अपने नीचे ले लिया और दोनो 69 के पोज़ में आ कर एक दूसरे की चूत को चाटने लगी, खाने लगी, ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी.

आधे घंटे बाद दोनो पस्त हो चुकी थी और एक दूसरे के साथ चिपक गहरी साँसे ले रही थी.

कुछ देर सम्भल ने के बाद.

सवी : दी आज तुमने मुझे नयी जिंदगी दे दी.

सूमी : सुनील का रस इतना अच्छा लगा क्या.

सवी : हां दी तुम नही जानती ऐसे लगता है जैसे मेरा रूम रोम खिल उठा हो.

सूमी : अब भी अपनी दी से छुपाएगी क्या, देख तुझे उसका लंड तो नही दिला सकती पर उसका रस रोज तुझे ज़रूर पिलाउन्गी.

सवी : मेरे लिए इतना ही काफ़ी है. बस रूबी का ख़याल रखना. आज आपको सब कुछ बता दूँगी कुछ नही छुपाउन्गी.

और सवी अपने कहानी शुरू करती है.......

सवी : आपको नही मालूम, कॉलेज के दिनो में मेरा एक बॉय फ्रेंड था. लेकिन वो बीच में साथ छोड़ गया. उसने मुझे बस इतना कहा कि वो मजबूर हो गया है अब दोनो के रास्ते अलग. क्या वजह थी, क्या मजबूरी थी ये उसने नही बताया. बहुत टूट गयी थी मैं, बहुत प्यार करती थी उससे. फिर जब पापा ने मेरी शादी समर से करी मैने चुप चाप हाँ कर दी और जिंदगी को नये सिरे से जीने की कोशिश करी, पर यहाँ भी मैं टूट गयी - समर ने मुझ से शादी तुम्हें पाने के लिए की थी. फिर जब स्वापिंग शुरू हुई तो सागर मेरे दिल में बस गया, मैं उन पलों का बेसब्री से इंतेज़ार करती थी कब सागर की बाँहों का सकुन मुझे मिले. सुनील में हमेशा मुझे सागर की परछाई दिखी, चाहे उसका बाप समर था पर पाला पोसा सागर ने था - वो बिल्कुल सागर का ही एक रूप है. जब मुझे ये पता चला तुमने उससे शादी कर ली, मैं खुद को ना रोक पाई और जीजा साली के रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहा. लेकिन यहाँ भी मैं हार गयी.

मिनी सुनील की दीवानी बनती जा रही थी इसलिए मैं उसे यहाँ से निकाल के ले गयी इस बहाने कवि को साथ मिल गया उसे एक भाभी और माँ दोनो का साथ मिल गया जो एक लड़की के लिए बहुत ज़रूरी होता है जब उसकी शादी नयी नयी हो.

एक दिन मिनी को उसका वो प्यार मिल गया जो आक्सिडेंट की वजह से अपनी कस्में पूरी नही कर सका था. मिनी के उजड़े जीवन में फिर से फूल खिलने लगे और मैने दोनो की शादी करवा दी. मिनी उसके साथ लंडन चली गयी और मैं अकेली रह गयी. दी विजय ही वो लड़का है जो कभी मेरा बॉय फ्रेंड था. 

सवी बोलती जा रही थी और सूमी के सर में धमाके हो रहे थे. अब भी सवी ने सुनेल के अस्तित्व के बारे में सूमी को नही बताया था.

रात सरक्ति रही सवी बोलती रही और सुबह तक सूमी कुछ फ़ैसला ले चुकी थी.

सवी की दास्तान ने सूमी को जिंदगी को उस पड़ाव पे ला कर खड़ा कर दिया था जहाँ एक औरत अपने ही विभिन्न रूपों से लड़ने लगी थी.

एक बहन का दिल रोने लगा था अपनी छोटी बहन की जिंदगी खुशियों से भरने के लिए.

एक बीवी का दिल लड़ रहा था नही बस अब और नही क्या एक रूबी काफ़ी नही है जो अब 
सवी भी नही नही ये नही हो सकता मैं अपने सुनील को और बनता हुआ नही देख सकती.

एक माँ इंतेज़ार कर रही थी अपने उस बच्चे का जिसने जनम लेना था – वो कोई जोखिम नही उठाना चाहती थी – चुप करो सब – मुझे कोई तूफान नही चाहिए अपनी जिंदगी में मेरे बच्चे को कुछ हो गया तो किसी को माफ़ नही करूँगी.

बीवी : तो मैं और क्या कह रही हूँ – सवी का प्यार विजय है – ग़लत फहमियाँ दूर करो दोनो के बीच – सवी का असली हक़दार वो है- सवी उसके साथ ज़्यादा खुश रहेगी.

बेहन : नही अब वो विजय से नफ़रत करती है – उसके दिल में सुनील बस चुका है.

बीवी : वाह री बहन मेरे ही पति पे डाका – ये नही होने दूँगी

माँ ; चुप करो तुम सब – दफ़ा हो जाओ – मेरा बच्चा आनेवाला है – मुझे कोई उधम नही चाहिए.

बीवी : अरे तो मैं कहाँ कुछ बोली – समझा ना इस बहन को बड़ा प्यार आने लगा इसे आज – कल तक तो नफ़रत करती थी – आज ये नया नया प्यार कहाँ से उमड़ पड़ा.

बेहन : शर्म करो – आख़िर तुम भी तो औरत हो – एक औरत के दर्द को समझो.

औरत : वाह रे विधाता – कभी एक बेहन जीत की खुशियाँ मनाती है, कभी एक बीवी तो कभी एक माँ और हर हाल में पिस्ति है तो बस एक औरत – सिर्फ़ एक औरत – उसे कोई नही पूछता तुझे क्या चाहिए – तू कैसे खुश रहेगी – उसने तो बस पिसना ही है कभी इस रूप में तो कभी उस रूप में.

सूमी : चुप करो तुम सब, पागल मत बनाओ मुझे.

सामने सूमी को अपना ही अक्स नज़र आने लगा – एक धुन्धुला सा अक्स – एक औरत का अक्स – जिसकी आँखों में आँसू थे- जिसके दिल में ममता और प्यार था – वो बार बार इस ममता और प्यार के तूफान में अपनी बलि देती आई – आज फिर उसे अपनी बलि देनी थी.

सूमी की आँखों से आँसू टपकने लगे.

सूमी के अंदर उमड़ते हुए तूफान से बेख़बर सवी चैन की नींद सो चुकी थी – आज वाक़ई में उसके तड़प्ते दिल को कुछ शांति मिली थी. काफ़ी समय बाद उसे सकुन की नींद आई थी.

यहाँ सूमी की आँखों से आँसू टपके वहाँ दूसरे कमरे में सुनील और सोनल एक दम जाग उठे –आत्मा ने आत्मा की पुकार सुन ली थी.

सोनल : सुनो जी मेरा दिल बहुत घबरा रहा है- दीदी को कुछ हुआ है वो बहुत परेशान हैं – वो कुछ कहना चाहती हैं पर कह नही पा रही- सुनो उन्हें दुखी मत होने देना.

सुनील : अपने चारों तरफ नज़र घुमाता है और सूमी को गायब पता है और उसके कानो में सूमी की बात गूंजने लगती है रूबी के बारे में वो परेशान हो जाता है – क्या सूमी वाक़ई में यही चाहती है कि मैं रूबी को भी – नही नही वो ऐसा कभी नही सोच सकती. उसकी नज़र कमरे की दीवार पे लगी सागर की तस्वीर पे अटक जाती है – वो तस्वीर कुछ कह रही थी – भूल गया मैने तुझे क्या सिखाया था – भूल गया – मेरे आख़िरी अल्फ़ाज़ – सवे रूबी – क्या ऐसे ही रक्षा करेगा तू उसकी – देख ज़रा उसके चेहरे की तरफ – जिंदगी उसका साथ छोड़ रही है – मेरी फूल सी बच्ची दर्द से तड़प रही है .

डॅड सबकुछ तो कर रहा हूँ – एक भाई का पूरा फ़र्ज़ निभा रहा हूँ.

उसे सागर की तस्वीर में दर्द दिखाई देने लगा – जो कह रही थी – मैने तो एक मर्द को पाला था – वो इतना कमजोर कैसे हो गया – जो अपनो को ही तड़प्ते हुए देख रहा है और कुछ नही कर रहा – क्या होती है ये मर्यादा – एक ताकियानूसी क़ानून जो हम इंसानो ने खुद बनाया – तू उस क़ानून के पीछे लगा रह और मरने दे मेरी बेटी को मरने दे मेरी सवी को – क्या कह के लाया था तू उसे समर के यहाँ से .

डॅड ये ये क्या कह रहे हो.

तुझे जिंदगी का असली आयना दिखा रहा हूँ – जिसे तू देखना नही चाहता.

सुनील अपने ख़यालों में उलझा हुआ था कि सोनल बोल पड़ी.

सोनल : सुनो डॅड ने जो कहा था उसे कब पूरा करोगे – उनकी एक बात मान ली तो दूसरी को मानने में इतनी देर क्यूँ. मेरी रूबी की जिंदगी खुशियों से भर दो वरना डॅड की आत्मा को कभी शान्ती नही मिलेगी.

सुनील : सोनल तुम तुम जानती भी हो क्या कह रही हो.

सोनल : हां अच्छी तरहा से. कल तक मैं एक लड़की थी जो बस एक ही नज़रिए से सोचती थी – अब मैं माँ बनने वाली हूँ – एक माँ – जो जिंदगी के असली आयने को पहचान जाती है – बहुत लड़ी हूँ मैं अपने आप से – लेकिन एक माँ के रूप ने मुझे जो रास्ता दिखाया है – वही मुझे सही लगता है. बहुत प्यार करते हो ना मुझ से तो डाल दो मेरी झोली में रूबी की खुशियाँ बना दो उसे मेरी सौतन.
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