RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
"थैंक यू बेटा" सलोनी आगे बढ़कर राहुल को होंठो पर चूमा लेती है | मगर अगले ही पल उसे झटका सा लगता है | "हाए राम यह क्या!" वो झटके से पीछे हटती है | वो नज़र नीची करके राहुल की पेंट में बने टेंट की और देखती है और ऐसे मुँह बनाती है जैसे उसने दुनिया का आठवां अजूबा देख लिया हो |
"बेशरम कहीं का, यह क्या है, मम्मी की ब्रा कच्छी देखकर इसे फिर से खड़ा कर लिया" सलोनी झूठ मूठ का नाटक सा करती है | राहुल कुछ नही बोलता | अभी भी उसका एक हाथ सलोनी की काली ब्रा कच्छी थामे सामने को फैला हुआ था | सलोनी उसके हाथ से कच्छी और ब्रा लेकर बेड पर फेंक देती है |
"राहुल तू सच में बहुत बेशरम हो गया है", स्लोनी इतना बोलकर अपने जिस्म से तौलिए की गाँठ खोल देती है | गिरते हुए तौलिए को वो पकड़ने की कोई कोशिश नही करती | तौलिया उसके पाँव में गिर जाता है |
"सच कहती हूँ राहुल, तुझे तो रत्ती भर भी शर्म नही है" सलोनी बेटे के सामने पूरी नंगी होकर कमर पर हाथ रखे बोलती है | राहुल कुछ नही बोलता | उसकी ज़ुबान तो बंद हो चुकी थी | उसकी नज़र सामने अपनी मम्मी के मोटे तने हुए मुम्मो पर ज़मी हुई थी, उसके गुलाबी निपल अकड़े हुए थे जैसे चुसवाने के लिए तड़फ रहे हों | उसकी पतली सी कमर और नीचे उसकी चूत और चूत के उपर छोटे छोटे बाल जो तिकोने आकार में कटे हुए थे | राहुल की नज़र अपनी मम्मी के मुम्मो से उसकी चूत पर उपर नीचे होने लगती है | कभी मुम्मो और और कभी चूत को देखता जब वो काफ़ी समय बाद अपनी नज़र उपर करता है तो सलोनी को अपनी और घूरते हुए देखता है | सलोनी कमर पर हाथ रखे अपने बेटे की आँखो में देखती सर हिलाती है |
"हे भगवान..... क्या होगा इसका......... क्या करू मैं ....... जब देखो अपना लौड़ा खड़ा कर लेता है........ ना कोई जगह देखता है ना कोई मौका", सलोनी राहुल की पेंट में उभार को देखते बोलती है | जिसके अंदर राहुल के लंड ने तूफान खड़ा किया हुआ था | राहुल का चेहरा शर्म और उत्तेजना से तपा हुआ था | सलोनी बेड से ब्रा उठाती है और राहुल की और देखते उसे बाहों में डालती है और फिर कप्स को अपने मुम्मो पर रखकर राहुल की और पीठ करके खड़ी हो जाती है |
राहुल इशारा समझ अपने काँपते हाथों से उसकी पीठ पर उसकी ब्रा के हुक लगाता है | उसे दोनो हुक लगाने में कई कई बार कोशिश करनी पडती है | उसके काँपते हाथ उसके लिए मुश्किल का सबब बने हुए थे | ब्रा की हुक लगने के बाद स्लोनी फिर से राहुल की और मुँह कर लेती है और उसके सामने अपने मुम्मो के उपर ब्रा के कप्स को खींच खींच कर सेट करने लग जाती है | सलोनी को कम से कम पाँच मिनिट लगते है अपने मुम्मो पर अपनी ब्रा को सेट करने में और इस कोशिश में वो कई बार अपने मुम्मो को कप से बाहर निकाल लेती थी, कभी उन्हे दबाती थी, कभी ब्रा के उपर से अपने निप्पल को खींचती थी | आख़िरकार उसकी ब्रा उसके मुम्मो को उसकी पसंद के अनुसार ढँकने में कामयाब हो गयी थी |
"हूँ अब ठीक है.......अब ठीक है ना राहुल बेटा......" सलोनी अपने मुम्मो पर ब्रा के उपर से हाथ फेरते हुए बोली |
"आ..... ह.....हन...हन मम्मी अब ठीक है" सलोनी के पुकारने पर राहुल जैसे नींद से जगा | उसका पूरा ध्यान अपनी मम्मी पर था | उसकी नज़र सलोनी को ब्रा में मुम्मे ठीक करने की एक एक हरकत को गौर से देख रही थी | जिस तरह वो बार बार कप से मुम्मे बाहर निकाल लेती थी और उन्हे दबाती थी जा फिर अपने निप्पल को खींची थी | राहुल बार बार अपने होंठों पर जीभ फेर रहा था | उसके होंठ उसकी जिभ उन अमृत के प्यालों को पीने के लिए तरस रहे थे | सलोनी बेड से कच्छी उठाती है और उसे राहुल को देती है | राहुल उसे कंपकँपाते हाथों से पकड़ अपनी मम्मी की और देखता है |
"चलो अब पहना भी दो कि ऐसे ही देखते रहोगे ... तुम्हारे इस देखने के चक्कर में पहले ही बहुत लेट हो चुके हैं" | राहुल अपनी मम्मी के सामने घुटनो के बल बैठ जाता है | सलोनी थोड़ा सा झुक कर राहुल के कंधे पर हाथ रखकर एक टांग उपर उठाती है | राहुल कच्छी के एक हिस्से में उसका पाँव डालता है | पाँव उठाने के कारण सामने उसे अपनी आँखो के बिल्कुल पास अपनी मम्मी की सुगंधित चूत पूरी तरह दिखाई दे रही थी | सलोनी दूसरा पाँव उठाती है | राहुल वो पाँव भी पकड़ कर कच्छी में डालता है मगर उसकी नज़र अपनी मम्मी की चूत पर ज़मी हुई थी | सलोनी वापस सीधी हो जाती है मगर इस बार वो अपनी टाँगे थोड़ी सी चौड़ी कर लेती है | टाँगे खुलने से चूत हल्की सी खुल गयी थी और अंदर से हल्का सा गुलाबीपन झाँक रहा था | राहुल कच्छी को उपर चढ़ाता है | कच्छी उसकी जाँघों पर टाइट होने लगती है | गहरी साँस लेता राहुल कच्छी को उपर करता जाता है | धीरे धीरे कच्छी उसकी चूत को ढक देती है | राहुल एलास्टिक को थोड़ा सा उपर को ज़्यादा चढ़ा देता है इससे सलोनी जब वापस टाँगे बंद करती है तो सामने से उसकी चूत के होंटो की दरार में कच्छी का हल्का सा सिरा घुसा हुआ था |
"इसे सही तो करो, देखो ना मेरी चूत में घुसी पड़ी है" सलोनी बड़े ही नखरीले स्वर में बोलती है | राहुल का काँपता हुआ हाथ नीचे आता है और वो उसकी चूत पर हाथ रखकर कपड़े को पकड़ने की कोशिश करता है मगर इस कोशिश में कपड़े के साथ साथ उसकी चूत का मोटा होंठ भी उसके अंगूठे और उंगली में समा जाता है | सलोनी अपने होंठ भींचकर अपनी सिसकी रोकती है | राहुल होंठ को मसलता हुआ धीरे से कपड़ा पकड़ लेता है और उसे खींच कर दरार से निकाल देता है | मगर इसके बाद भी उसकी चूत को कच्छी के उपर से दो तीन बार सहला देता है जो टाइट काली कच्छी से झाँक रही थी | वो उपर को अपनी मम्मी की और देखता है जो होंठ भींचे खुद को सिसकने से रोक रही थी | सलोनी राहुल को देखती है जो उसकी और देखता हुआ जैसे पूछ रहा था "अब क्या" |
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