RE: bahan ki chudai भाई बहन की करतूतें
मैंने अपने हाथ बैड शीट से पोंछ लिये, और प्रीती ने अपना राईट हैण्ड नीचे अपनी चूत पर रख लिया, और बोली, ''लो अब देखो, मैं कैसे करती हूँ।'' वो पहले की तरह अपनी चूत की बाहरी और अंदरूनी फ़ाँकों को अपनी ऊँगलियों से सहलाने लगी, मैंने गौर से देखा तो मेहसूस हुआ कि उसकी चूत पहले से थोड़ी ज्यादा फ़ूल गयी थी और थोड़ा गीली भी हो गयी थी। ''जैसा मैंने पहले भी बताया था,'' वो बोलते बोलते थोड़ा रुकी, और अपने होंठों पर जीभ फ़िराकर बोली, ''मुझे इस जूस को अपनी क्लिट पर पर लगाकर इस तरह घिसने में बहुत मजा आता है।'' वो अपनी चूत के दाने को ऊँगली की साइड से हल्के हल्के सहलाते हुए घिस रही थी, और ऐसा लग रहा था मानो वो उसको जरा बहुत छू रही हो, फ़िर उसने एक गहरी साँस ली, और बोली, ''म्म्म्म्म्म्म, बहुत अच्छा लगता है, ऐसे करने में।
थोड़ी देर बात, प्रीती ने अपनी दो ऊँगलियाँ चूत के रस से भिगो लीं, और बोली, ''कभी कभी मैं भी अपने इस जूस को टेस्ट कर लेती हूँ।'' और इतना कहते ही उसने एक ऊँगली अपने मुँह में डाल कर चुसने लगी, और फ़िर दूसरी ऊँगली चूसने के लिये मेरी तरफ़ बढा दी। मैंने उस ऊँगली की तरफ़ देखा, जो कि चूत के रस में डूबी हुई थी, लेकिन चूँकि मुझे पता था कि ये अभी अभी प्रीती की चूत को सहला कर आ रही है, कुछ देर पहले ही झड़ने के बावजूद मेरा लण्ड फ़िर से खड़ा हो गया। मैंने प्रीती की तरफ़ देखा, और वो बोली, ''लो चाट लो, टेस्ट तो करके देखो।'' उसने अपनी ऊँगली मेरे मुँह में घुसा दी, और मैं उसकी चूत के रस का रसपान करने लगा। उसकी चूत के रस का स्वाद थोड़ा बहुत वैसा ही था जैसा उसकी चूत की गँध का था, जो मैंने उसकी चूत के पास अपना मुँह ले जाकर सूँघी थी, लेकिन एक अलग ही स्वाद था। इस तरह उसके चूत के रस का रसपान करना अकल्पनीय के साथ अविश्वसनीय भी था, लेकिन साथ साथ मुझे इस बात का भी पूरा भरोसा था कि मुझे फ़िर से एक बार इसका रसपान करने का मौका मिलेगा, और वो भी सीधे इसके स्रोत से।
प्रीती फ़िर से अपनी चूत को अपनी ऊँगलियों से सहलाने लगी। उसने अपने घुटने कर टाँगें ऊपर उठा लीं, इस प्रकार वो बैड पर सीधे लेटे हुए अपनी टाँगें चौड़ी कर के अपनी चूत को सहलाते हुए बोली, ''इस तरह टाँगें ऊपर कर के अच्छी वाली होती हूँ।'' मैं उसकी छाती जब ऊपर नीचे होते हुए देख रहा था तभी वो बोली, ''बस अब मैं होने ही वाली हूँ,'' और वो अपनी चूत को तेजी से सहलाने लगी, उसने अपनी कलाई को घुमाकर चूत को सहलाने के हाथ और ऊँगली के एन्गल को थोड़ा चेन्ज किया। मैंने उसकी ऊँगली को चूत केए छेद में एक दो बार अन्दर घुसते हुए भी देखा, और फ़िर वो उसको बाहर निकालकर चूत के दाने को सहलाने लगती। उसकी साँसें तेज होने लगी थीं, उसकी छाती जल्दी जल्दी ऊपर नीचे हो रही थी, वो अपने होंठों को भींचते हुए बोली, ''विशाल, बस अब होने ही वाली हूँ, '' फ़िर उसने एक गहरी लम्बी साँस ली, और अपनी चूत को जोर से सहलाया, और अपनी गाँड़ को बैड से ऊपर उठाते हुए बोली, ''ये लो, हो गयी, झड़ गयी मैं भी।''
उसकी ऊँगलियाँ अभी भी चूत को जोर जोर से तेजी के साथ सहला रहीं थीं, प्रीती ने अपना सिर बैड पर रखकर अपनी गाँड़ को बैड से दो तीन बार ऊपर की तरफ़ उछाला, और फ़िर ''ओह्ह्ह, ओह्ह, ओह,'' की आवाजें निकालने लगी, उसके बाद उसने दो तीन बार गहरी लम्बी साँसें लीं और कुछ और ऊह्ह आह्ह्ह की और फ़िर जब उसका पूरा बदन काँप उठा तो वो बोली, ''ओह विशाल, बहुत अच्छा वाला मजा आया!!''
प्रीती सहारा लेकर लेट गयी, और रिलेक्स करने लगी, लेकिन अभी भी वो कुच पलों तक अपनी चूत को सहला रही थी, लेकिन बहुत हल्के हल्के, मानो वो अपनी एक अलग दुनिया में खोयी हुई थी, फ़िर उसने एक ठण्डी गहरी लम्बी साँस ली, और फ़िर पूरी तरह रिलेक्स करने लगी। उसने घूमकर मेरी तरफ़ देखा, और थोड़ा हाँफ़ते हुए पूछा, ''लो अब तो तुमने एक लड़की को होते हुए देख लिया ना।'' उसका चेहरा लाल हो रहा था, और वो थोड़ा शर्मा भी रही थी, लेकिन उसकी मुस्कुराहट बता रही थी कि ऐसा कुछ नहीं है। ''मुझे बहुत हल्का हल्का मेहसूस हो रहा है,'' उसने कहा।
उसने अपनी दायीं तरफ़ करवट ली और मेरे पास आकर मेरे ऊपर एक हाथ और टाँग रखकर मुझसे चिपक गयी। मैं सीधा पींठ के बल लेटा हुआ था, उसने मुझे एक बार किस किया और बोली, ''जब भी मैं ये सब करती थी तब अकेले ही हुआ करती थी, लेकिन कोई बाद में चिपकने के लिये हो तो और मजा आ रहा है।'' उसने मुझे के बार फ़िर से किस कर लिया, इस बार थोड़ा ज्यादा देर तक। मेरी बायीं जाँघ पर उसकी गरम गरम चूत का इस तरह छूना मुझे बहुत ज्यादा एक्साईट कर रहा था, हाँलांकि मैं अभी कुछ देर पहले ही झड़ा था, लेकिन फ़िर भी मेरा लण्ड फ़िर से खड़ा होने लगा था। मैंने अपना बाँयां हाथ उठाया और हथेली प्रीती के चूतड़ पर रख दी, और फ़िर हम दोनों कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे, फ़िर वो बोली, ''चलो मम्मी के आने से पहले तुम अपने रूम में चले जाओ,'' मैंने उसकी बात सुनकर स्वीकरोक्ति में गर्दन हिला दी। मम्मी हर फ़ाईडे को ऑफ़िस से सीधे मामा और नानी के घर चली जाया करती थीं, और वहाँ पहुँच कर फ़ोन पर बता दिया करती थीं कि वो फ़्राईडे को रात में या फ़िर शनिवार या सन्डे कब घर आयेंगी। यदी उनका फ़ोन नहीं आता था तो वो कभी भी आ सकती थीं।
प्रीती ने दूसरी तरफ़ करवट ली और मेरे ऊपर से अपना हाथ और टाँग हटा लीं, मैंने भी अपना अन्डर वियर ऊपर चढा लिया, और फ़र्श पर पड़ी अपनी जीन्स को उठाकर पहन लिया। मैंने खड़े होते हुए प्रीती को देखा, वो अपने बैड पर कमर से नीचे एकदम नंगी होकर लेटे हुई थी, और उसकी चूत मेरी आँखों के सामने थी, जिस तरह से बैडशीट पर मेरे वीर्य के दाग लगे हुए थे, उनको देखकर विश्वास कर पाना नामुमकिन था कि वाकई में ये सब हुआ है। ''मैं अपने रूम में जाता हूँ,'' मैंने मुस्कुराते हुए कहा,'' मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि जो कुछ हुआ था उसके बाद मुझे क्या बोलना चाहिये, मैं जब अपने रूम में जा रहा था, तो पीछे से प्रीती की आवाज आई, ''गुड नाईट, सुबह मिलते हैं।''
मैं हाथ धोकर अपने बैड पर लेट गया, और नींद आने से पहले जो कुछ हुआ था उसके बारे में सोचने लगा, और आशा करने लगा कि ऐसा फ़िर कब होगा।
अगली सुबह जब मैं उठा तो सोचने लगा कि जो कुछ हुआ था कहीं वो एक सपना तो नहीं था। मेरी टी-शर्ट जो कि रूम में आने के बाद मैंने एक कोने में फ़ेंक दी थी, उस पर लगे वीर्य के दाग इस बात को तो साबित कर रहे थे कि मैंने मुट्ठ मारी थी लेकिन बाकि सब का क्या? मैंने नहा धोकर नये कपड़े पहन लिये, और कुछ देर बाद प्रीती भी मेरे पास डाईनिंग टेबल पर ब्रेक फ़ास्ट करने के लिये मेरे पास आकर बैठ गयी। वो बैड से उठ कर बिना नहाये धोये सीधे डाईनिंग टेबल पर आ गयी थी, उसने नाईटी पहन रखी थी।
हमेशा की तरह हम दोनों ने ब्रेक फ़ास्ट करते हुए इधर उधर की बातें कीं, प्रीती ने पिछली बीती रात के बारे में कोई बात नहीं की, ये देखकर मुझे लगा कि कहीं वो सब एक सपना तो नहीं था, लेकिन सब कुछ सचमुच हुआ तो था। लेकिन यदि सब कुछ सचमुच हुआ था तो फ़िर प्रीती ऐसा कुछ प्रकट क्यों नहीं कर रही थी, कहीं ऐसा तो नहीं कि वो शर्मिन्दा हो, यदि ऐसा था तो फ़िर वो सब दोबारा होना नामुमकिन था। जब प्रीती उस बारे में बात नहीं करना चाह रही थी, तो मैंने भी उस बारे में बात शुरु ना करना ही मुनासिब समझा।
ब्रेक फ़ास्ट के बाद प्रीती ने अपने रूम की बैड शीट वॉशिंग मशीन में डाल दी, ऐसा करते हुए उसने मेरी तरफ़ देखा, लेकिन ऐसा करना कुछ अजीब नहीं था। तभी मम्मी ने लैन्ड लाईन पर फ़ोन कर बता दिया कि वो मामा और नानी के पास से सन्डे की शाम को आयेंगी।
सारा वीकएन्ड ऐसे ही निकल गया, प्रीती की तरफ़ से किसी तरह का कोई हिन्ट नहीं था, एक दो बार जब वो अपने रूम का डोर बन्द कर के अन्दर होती तो मैं मन ही मन सोचता कि वो रूम के अन्दर क्या अपने आप को उसी तरह टच कर रही होगी जैसा उस फ़्राईडे की रात को मेरे सामने किया था, मेरा गला सूखने लगता, और इस मसले को अपने हाथों से निपटाने को मैं मजबूर हो जाता। उस सन्डे को मैंने दो बार मुट्ठ मारी, वो भी किसी पॉर्न मैगजीन की फ़ोटो देखे बिना, बस फ़्राईडे को जो कुछ हुआ था उस बारे में सोच कर ही मेरा लण्ड फ़नफ़नाने लगता था।
मन्डे को मुझे और प्रीती दोनों को ही कॉलेज जाना था, हम दोनों एक ही शेयर्ड ऑटो से कॉलेज पहुँच गये। शाम को कॉलेज खतम होने के बाद मैंने प्रीती को पूनम के साथ देखा, वो दोनों पूनम के घर की तरफ़ जा रहीं थीं। मैंने घर पहुँच कर कपड़े बदले, थोड़ी बहुत पढाई की और फ़िर टीवी देखने लगा।
|