RE: bahan ki chudai भाई बहन की करतूतें
उसकी दोनों टाँगों के बीच और ऊपर आते हुए, मैंने उसकी पाव रोटी की तरह फ़ूली हुई चूत को निहारा, जो पनिया कर मेरे लण्ड के अपने अन्दर घुसने का इंतजार कर रही थी। उसकी चूत का मुँह हल्का सा बाहर निकला हुआ था, मैंने उसके अन्दर अपनी एक ऊँगली घुसा दी, और फ़िर एक दो बार अंदर बाहर की, जिससे की वो पूरी अन्दर तक घुस गयी। मैंने पहले कभी किसी लड़की को नहीं चोदा था, और जो कुछ मैं कर रहा था वो सब कुछ अपने आप हो रहा था। फ़िर मैंने उँगली को बाहर निकाला, और प्रीती के ऊपर लेट गया, मैंने अपना वजन घुटनों और लैफ़्ट एल्बो पर ले रखा था, और सीधे हाथ से अपने लण्ड के सुपाड़े को उसकी चूत के द्वार पर ले जा रहा था।
फ़िर मैंने उँगली को बाहर निकाला, और प्रीती के ऊपर लेट गया, मैंने अपना वजन घुटनों और लैफ़्ट एल्बो पर ले रखा था, और सीधे हाथ से अपने लण्ड के सुपाड़े को उसकी चूत के द्वार पर ले जा रहा था।
''ये आराम से अन्दर तो घुस जायेगा ना?" प्रीती ने धीमे से पूछा।
हाँलांकि मैं खुद अत्यधिक नर्वस था, और उतना ही एक्साईटेड भी, लेकिन फ़िर भी मैंने हामी में गर्दन हिलाई, प्रीती की चूत से निकल रही चिकनाहट को थोड़ा सा अपने लण्ड के सुपाड़े को गीला किया, और फ़िर उसको प्रीती की चूत के मुहाने पर लाकर उसको थोड़ा सा अन्दर घुसाया। वो थोड़ा अचकचाई, मुझे बिल्कुल भान नहीं था कि कुँवारी चूत की सील तोड़ने में कितनी मेहनत करनी पड़ेगी, लेकिन फ़िर भी मेरे लण्ड का सुपाड़ा मेरी कल्पना से कहीं बेहतर, आराम से अन्दर घुस गया। अब मेरे लण्ड का सुपाड़ा मेरी छोटी बहन की चूत के अन्दर घुसा हुआ था, और मैं धीमे धीमे छोटे छोटे झटके मार रहा था, और बस सुपाड़े से ही उसको चोद रहा था। प्रीती ने एक गहरी लम्बी साँस ली, और फ़िर फ़ुसफ़ुसाकर पूछा, ''तुमने अन्दर घुसा दिया ना, विशाल।''
स्वाभाविक था कि मेरा मन लण्ड को पूरा उसकी घुसा कर घचाघच चोदने का कर रहा था, लेकिन साथ ही साथ मुझे ये भी पता था कि प्रीती पहली बार चुदवा रही है, इसलिये मैं आराम से सब कुछ कर रहा था, मैं आराम से हर झटके के साथ, लण्ड को थोड़ा और अन्दर घुसाने का प्रयास कर रहा था, प्रीती की चूत ने मेरे लण्ड को कस कर जकड़ रखा था।
प्रीती को शायद ये लग रहा था कि मुझे अपना लण्ड अन्दर घुसाने में दिक्कत हो रही है, लेकिन सच तो ये था कि मैं नहीं चाहता था कि प्रीती को थोड़ा भी दर्द हो। प्रीती बोली, ''थोड़ा, जोर से करो ना, भैया।'' मैंने उसको जवाब दिया, ''मैं तो इसलिये जोर जोर से नहीं कर रहा, क्योंकि मैं नहीं चाहता कि तुमको दर्द हो।''
''मुझे बिल्कुल दर्द नहीं हो रहा, विशाल,'' वो मुस्कुराते हुए बोली, ''मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा है, तुम पूरा अन्दर घुसा दो, अगर दर्द होगा तो मैं तुमको बता दूँगी।''
मैंने प्रीती की बात मानकर, लण्ड को थोड़ा और उसकी चूत के अन्दर घुसाया, और फ़िर हर झटके के साथ और ज्यादा अन्दर घुसाने लगा। कुछ ही झ्टकों के बाद, मेरा लण्ड पूरा प्रीती की चूत के अन्दर घुस गया। उसकी चूत बहुत ज्यादा टाईट थी, और उसने मेरे लण्ड को पूरी तरह जकड़ रखा था, लेकिन साथ साथ उसकी चूत इतनी ज्यादा पनिया रही थी कि मेरे लण्ड को अन्दर बाहर करने में कोई परेशानी नहीं हो रही थी। मैंने कहा, ''शायद अब मेरा ये पूरा अन्दर घुस गया है।''
''हाँ, मुझे पता है अब पूरा अन्दर है,'' प्रीती ने कहा, ''मैं उसको फ़ील कर रही हूँ।'' उसने मुझे किस करने के लिये अपना सिर थोड़ा ऊपर उठाया, और मैंने तभी अपने लण्ड को झटके से फ़िर उसकी चूत में पेल दिया, तो तीन प्यारी सी किस करने के बाद, उसने एक साँस ली, और फ़िर कहा, ''कितना मजा आ रहा है, है ना?"
मैंने जवाब दिया, ''हाँ,'' उस वक्त जब प्रीती की चूत ने मेरे लण्ड को कस कर प्यार से जकड़ रखा था, मैंने आगे कहा ''बहुत मजा आ रहा है।''
''पता नहीं मैं तो कब होऊँगी,'' चुदाई करवाते हुए प्रीती ने मेरी आंखों में देखते हुए कहा, ''लेकिन जब तुम्हारा मन करे तब हो जाना, ओके?" उसने फ़िर से एक लम्बी साँस ली, और फ़िर बोली, ''चलो अब करो भी।''
''तुमको दर्द तो नहीं हो रहा ना?" मैंने झटके मारते हुए कहा।
''तुम तो बस ऐसे ही जोर जोर से करते रहो, जब मुझे दर्द होगा तो मैं तुमको बता दूँगी,'' प्रीती ने मुस्कुराते हुए कहा, उसने मुझे अपनी बाँहों में भर रखा था, ऐसा कहते हुए उसने मुझे और जोरों से जकड़ लिया।
मैंने अपनी पोजीशन को हल्का सा बदला, और फ़िर से जोरदार अन्दर तक झटके मारकर उसको चोदने लगा, ऐसा होते देख प्रीती की आँखें खुली की खुली ही रह गयीं, और वो बोली, ''विशाल, मेरे भैया, बहुत मजा आ रहा है !" उसकी छाती ऊपर नीचे हो रही थी, और वो बड़बड़ाये जा रही थी, ''ऐसे ही करते रहो भैया!" और फ़िर उसने अपने मुँह से साँस ली, और बोली, ''जब तुमने अन्दर तक पूरा घुसाया ना, तब से बहुत ज्यादा मजा आ रहा है।'' वो अपनी गाँड़ नहीं उछाल रही थी, लेकिन मुझे मुझे अपनी बाँहों मे भरकर, अन्दर तक लण्ड घुसवाने में पूरा सहयोग कर रही थी।
मुझे अपनी छोटी बहन की चूत में अपना लण्ड अन्दर तक घुसाकर जोर जोर से झटके मारने में परम आनन्द मिल रहा था। मैं चाहता तो कभी भी झड़ जाता, लेकिन जिस तरह से प्रीती ने कहा कि उसको अनदर तक घुसवा कर और ज्यादा मजा आ रहा है, तो मैंने सोचा कि हो सकता है कि थोड़ी देर में वो भी मेरे साथ ही झड़ जाये। '' और जोर से करूँ क्या?" मैंने पूछा।
''बस ऐसे ही करते रहो,'' प्रीती ने हाँफ़ते हुए जवाब दिया, ''बहुत अच्छा लग रहा है, बस मेरी चूत में ही नहीं, सब जगह।'' उसने अपनी बाँहें मेरे सिर के पीछे लाकर मेरे सिर को नीचे झुकाया, और मेरे होंठों को अपना मुँह खोलकर कसकर चूम लिया, उसके इस तरह चूमने से मुझे और ज्यादा जोश आ गया, और वो बोली, ''मुझे चोदते हुए मुझे ऐसे ही किस करते रहो, विशाल!"
प्रीती और मैं इसी तरह एक मिनट तक और चूमते हुए चुदाई करते रहे, मैं अपने लण्ड को उसकी चूत में पेले जा रहा था, और हम दोनों के बदन होंठ और चूत लण्ड से चिपके हुए थे। हम दोनों ही पहली चुदाई का मजा ले रहे थे, मुझे पता था कि मैं किसी भी वक्त झड़ने वाला हूँ, मुझे नहीं पता था कि प्रीती की चुदास मिटी है या नहीं। लेकिन अब मेरे लिये रुकना असम्भव था, जैसे ही मेरे बदन ने वीर्य का पानी छोड़ने की तैयारी की, बस फ़िर ऑर्गस्म का आनंद लेने के सिवा मेरे पास और कुछ सोचने के लिये समय नहीं था।
लेकिन तभी, प्रीती ने झटके के साथ अपना सिर पीछे किया, और उसकी आँखें खुली कि खुली ही रह गयीं, और वो जोर से चीख कर बोली, ''विशाल! लगता है मैं बस... ... " वो अपना वाक्य पूरा नहीं कर पायी, और बस वो दबी दबी आवाज, ''ओह, ओह ओह्ह्ह,'' निकालने लगी। वैसी ही आवाज जैसी वो अपनी चूत को सहलाते हुए निकाला करती थी, उसकी चूत में लण्ड पेलते हुए मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि प्रीती झड़ रही थी। प्रीती ने अपनी आँखें बंद कर लीं और सिर को पीछे झटकते हुए बोली, ''ओह, गॉड!!" और फ़िर उसने मुझे अपनी बाँहों में और कस कर ज्कड़ लिया। प्रीती की चूत मेरे लण्ड को निचोड़ रही थी, मेरे लण्ड का ज्वालामुखी भी फ़ूट गया था, और मैं अपनी बहन की चूत में अपने वीर्य की पिचकारी पर पिचकारी छोड़े जा रहा था, और हर पिचकारी के साथ मुझे अजीब गजब आनन्द की अनुभूती हो रही थी।
मुझे नहीं पता कि मेरे लण्ड ने वीर्य की कितनी पिचकारियाँ प्रीती की चूत में छोड़ी थीं, लेकिन ऑर्गस्म के कुछ देर बाद मैं रिलेक्स होने लगा, और प्रीती अभी भी जोर जोर से तेज साँसें ले रही थी, उसकी आँखें अभी भी आधी बंद थीं, वो बोली, ''बहुत मजा आया, मुझे नहीं पता था चुदाई में इतना मजा आता है।''
''मुझे नहीं लग रहा था कि तुम मेरे साथ ही झड़ जाओगी,'' मैंने भी थोड़ा हाँफ़ते हुए कहा, ''तुमने तो मुझे सरप्राईज ही कर दिया।''
मुझे नहीं पता कि मेरे लण्ड ने वीर्य की कितनी पिचकारियाँ प्रीती की चूत में छोड़ी थीं, लेकिन ऑर्गस्म के कुछ देर बाद मैं रिलेक्स होने लगा, और प्रीती अभी भी जोर जोर से तेज साँसें ले रही थी, उसकी आँखें अभी भी आधी बंद थीं, वो बोली, ''बहुत मजा आया, मुझे नहीं पता था चुदाई में इतना मजा आता है।''
''मुझे नहीं लग रहा था कि तुम मेरे साथ ही झड़ जाओगी,'' मैंने भी थोड़ा हाँफ़ते हुए कहा, ''तुमने तो मुझे सरप्राईज ही कर दिया।''
"तुमने भी तो मुझे सरप्राईज कर दिया,'' प्रीती ने कहा, ''अपनी पहली चुदाई में ही तुमने तो मेरी चूत की सारी आग बुझा दी!" मैं थक कर प्रीती के बगल में बैड पर लेट गया। लेटे हुए प्रीती ने कहा, ''अभी थोड़ा देर पहले जो मैं अभी अभी झड़ी थी शायद उसकी वजह से मैं इतनी ज्यादा एक्साईटेड थी, और फ़िर भैया तुमने जब मेरी चूत को चाटा ना, तो उसके बाद तो मैं बहुत ज्यादा चुदासी हो गयी थी।'' फ़िर प्रीती अपने पेट के बल उलटा होकर लेट गयी, और मेरे से चिपक गयी, उसने अपना राईट बाँह मेरी छाती पर रख दी और फ़िर बोली, ''और फ़िर जब भैया तुमने जब थोड़ा सा पोजीशन चेन्ज कर के फ़िर से अपना लण्ड मेरी चूत में घुसाया था ना तब तो बस मजा ही आ गया, मेरी चूत तो उसी वक्त पानी छोड़ने को तैयार हो गयी थी!"
फ़िर प्रीती ने अपना सिर नीचे करके अपनी दोनों टाँगों के बीच देखते हुए बोला, ''ओह, लगता है वहाँ तो पानी का सैलाब आया हुआ है!" फ़िर खिलखिला कर हँसते हुए बोली, ''लगता है कल सुबह ढेर सारे कपड़े धोने पड़ेंगें।''
प्रीती और मैं फ़िर वहाँ बैड पर सतुष्ट होकर वैसे ही कुछ देर और नंगे लेटे रहे, और फ़िर प्रीती ने कहा, ''तुमको पता है विशाल?"
मैंने पूछा, ''क्या?"
''मैं और तुम दोनों ही अब वर्जिन नहीं रहे,'' प्रीती ने धीमे से संतुष्टी भरे अंदाज में कहा, " और सबसे मजे की बात तो ये है कि हम किसी को बता भी नहीं सकते कि हम अपना कौमार्य एक दूसरे के साथ चुदाई करके खो चुके हैं, है ना मजे की बात?"
''हाँ, ये बात तो तुम सही कह रही हो,'' मैंने मुस्कुराते हुए कहा। ''अगर किसी और लड़की को चोदा होता, तो मैं कल ही अपने सब दोस्तों को बता देता, लेकिन तुमको चोदने की बात तो किसी को बता भी नहीं सकता।''
''ये बस हम दोनों के बीच सीक्रेट रहेगा,'' प्रीती ने कहा। फ़िर कुछ देर कुछ सोचने के बाद वो बोली, ''लेकिन अगर तुम को नींद आ गयी और तुम यहीं पर सो गये, और अगर मम्मी आ गयीं तो फ़िर ये कोई सीक्रेट नहीं रहेगा।'' प्रीती ने फ़िर से मेरे होंठों को प्यार से चूमते हुए कहा, '' चाहती तो मैं भी नहीं हूँ कि तुम मेरे रूम से बाहर जाओ, लेकिन बेहतर ये ही होगा कि जब मम्मी आयें तो तुम उनको अपने रूम में अपने बैड पर लेटे मिलो, हमको कोई चान्स नहीं लेना चाहिये। जब मैं बैड पर से उठकर नीचे से अपने कपड़े उठाकर प्रीती के रूम से बाहर निकलने लगा तो प्रीती ने कहा, ''अभी तो शुरूआत हुई है।''
मैंने अपने रूम में पहुँचकर, लॉन्ड्री बास्केट में अपने कपड़े फ़ेंक दिये, और अपने बैड पर धड़ाम से गिर पड़ा, और प्रीती की चूत का रस जो अभी भी मेरे होंठों पर लगा हुआ था, उसको स्वाद लेकर चाटने लगा। पिछले जो दो फ़्राईडे आकर चले गये थे, उस बीच हमारे घर की चारदीवारी के बीच बहुत कुछ घट चुका था, और किसी को कानोकान कोई खबर नहीं थी। मैं मन ही मन सोचने लगा कि कैसे सब कुछ बदल चुका था।
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