RE: Chodan Kahani हवस का नंगा नाच
साना हरदयाल को फिर से उदास देख उसके चेहरे को अपनी हथेलियों से थाम लेती है और कहती है...
" पापा ...कम ऑन ..इतना सोचिए मत ..हमारा प्यार सच्चा है ... कोई ना कोई रास्ता निकलेगा ...बस आप सिर्फ़ मेरी शादी की चिंता मत कीजिए .... इस ख़याल को अपने दिल से निकाल दीजिए हमेशा के लिए ...आम आइ क्लियर ..??.."
हरदयाल अपनी बेटी की आँखों में एक आत्मविश्वास , पक्का इरादा और बे-इंतहा प्यार की झलक देखता है....
उसे भी हिम्मत आ जाती है ... साना ठीक ही कहती है कोई ना कोई रास्ता ज़रूर निकलेगा ....
" ओके साना ..मैं सोचूँगा इस बात पर ....अभी तो देख ना सुबेह कितनी देर हो चूकि है .... ऑफीस भी जाना है ..कुछ ज़रूरी मीटिंग्स भी हैं ..चल उठ ..लेट अस गेट रेडी ... "
दोनों अपने अपने बाथरूम की ओर चल पड़ते हैं ....
तैयार होते हैं .नाश्ता करते हैं और अपनी अपनी कार में हरदयाल ऑफीस की ओर जाता है और साना फटाफट कार फार्महाउस से अपने कॉलेज की ओर दौड़ा देती है....
हरदयाल दिन भर मीटिंग्स ... इंटरव्यूस में काफ़ी बिज़ी रहा ..शाम को अपने ऑफीस में थोड़ी फूर्सत से बैठा था ..उसके दिमाग़ में साना की बातें घूम रही थी.." कुछ रास्ता ज़रूर निकलेगा .... ज़रूर निकलेगा .... "
काफ़ी सोचता है हरदयाल इस बात पर ....आज तक उस ने एक से एक जटील और बहोत मुश्किल से जान पड़ने वाले प्रॉब्लम्स सॉल्व किए थे ....तभी आज कामयाबी के इस मुकाम पर पहुँच सका था...पर इस अपने खुद के ज़िंदगी का मामूली सा जान पड़नेवाले प्राब्लम का कोई हल उसे कोई नही सूझ रहा ....अंधेरे में ही क्यूँ भटक रहा है ..क्या इसका कोई हाल नहीं ..??
और फिर उसके चेहरे पे मुस्कान छा जाती है ......हां हल है ..रास्ता है ....और वो उछल पड़ता है ..... उसे अपनी ज़िंदगी के इस मामूली से लगनेवाले प्राब्लम का बहोत ही सटीक और सही हल मिल गया था....
वो साना से बात करने को मचल उठा ,,घड़ी की ओर देखा , 5 बज चूके थे ..साना शायद कॉलेज से घर वापस आ चूकि होगी ....
तभी उसके मोबाइल में रिंग हुई ..देखा तो साना का नाम उसकी मोबाइल की स्क्रीन पर झलक रहा था ....उस ने मोबाइल की स्क्रीन चूम ली और उसकी कॉल रिसीव की , साना की आवाज़ आई ..
" पापा ..आप कैसे हो....दिन कैसा रहा .." उसकी आवाज़ थोड़ी बुझी बुझी थी..अपने बाप की कितनी फिकर थी उसको ..
" आइ आम फाइन साना ...पर्फेक्ट्ली ओके....एक दम चूस्ट दूरूस्त ...तुम बताओ कैसा रहा तुम्हारा दिन ..?" उसकी आवाज़ में जाहिर है काफ़ी खूशी और चहक थी ....
" ह्म्म्म्म यह तो आप की आवाज़ से पता चल रहा है..पर यह चाहक और खुशी आई कैसे पापा...सुबेह आप कितने उदास उदास थे .... आइ आम सो हॅपी नाउ ...आइ आम सो रिलीव्ड ....."
" हां बेटी वो तो है ..एक काम करो ..अभी तुम सीधा घर आ जाओ ..मैं भी आ रहा हूँ..आइ हॅव सम्तिंग वेरी इंपॉर्टेंट टू शेअर विद यू ...सुन के तुम झूम उठोगी ..बस आ जाओ घर .....मैं ज़रा जल्दी में हूँ ...सी यू बेटी ...."
" श्योर पापा ..मैं बस आई .....आप भी आ जाओ ....मैं मरी जा रही हूँ ..आखीर क्या बात है ....उफफफ्फ़ ....सी यू पापा ..." और उस ने फोन कट कर दी.
साना कॉलेज के पार्किंग की ओर तेज़ कदमों से बढ़ाती है ..अपनी कार स्टार्ट करती है ..और घर की ओर कार फ़र्राटे की स्पीड से दौड़ती चल पड़ती है...
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