RE: Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
भाई- तू अभी बुलबुल गेस्ट हाउस जा.. और शनिवार के लिए उसको बुक करवा दे.. उसके बाद सलीम गंजा के पास जाना और उसको कहना कि बुलबुल गेस्ट हाउस में पार्टी है.. अपना जादू दिखा.. ‘हँसों’ को जमा कर समझा।
साजन- समझ गया भाई क्या कोड में बोला आप.. ‘हँसों’ को हा हा हा.. मज़ा आ गया। अब तो पक्का धमाल होगा भाई.. कई दिनों से ऐसी पार्टी में नहीं गया.. अब तो मज़ा आ जाएगा।
इतना कहकर साजन वहाँ से निकल गया और अपने काम को अंजाम देने के लिए दोबारा बाइक पर चल पड़ा।
बस दोस्तो, अब इसके साथ जाकर क्या करोगे.. आगे पता लग ही जाएगा कि कैसी पार्टी होनी है और क्यों होनी है..?
हम जय के पास चलते हैं वहाँ कौन बीच में आ गया था.. देखते हैं।
अरे रूको.. पहले कोमल का हाल और बताए देती हूँ.. उस बात के बाद दोनों ने दोबारा कोमल को चोदना चाहा.. मगर वो नहीं मानी और सुबह की तैयारी का बोल कर वहाँ से निकल गई।
चलो अब जय के फार्म पर चलते हैं।
रानी ने जब लौड़े को चाट कर साफ किया और जय के बराबर में लेटी.. तो दरवाजे पर विजय खड़ा हुआ था.. जिसे देख कर रानी घबरा गई और जल्दी से उकड़ू बैठ कर अपना बदन छुपाने लगी।
जय- आओ आओ.. विजय.. कहाँ थे अब तक.. कसम से ये रानी तो कमाल की है यार.. खूब मज़ा देती है..
विजय- हाँ देख रहा हूँ.. वैसे कमाल तो आपने किया है.. इतनी जल्दी इसको मनाया कैसे?
जय- अरे इसमें मनाना क्या था.. ये यहाँ आई ही मालिश के लिए है.. बस इसको शहर में कैसे मालिश होती है यही सब समझाया.. और ये सब सीख भी गई.. आओ तुम भी मालिश करवा लो।
रानी एकदम सहमी हुई कोने में बैठ गई थी.. जिसे देख कर जय ने कहा- अरे रानी ऐसे डर क्यों रही है.. ये मेरा भाई है.. तुमको इसकी भी ऐसे ही मालिश करनी होगी।
रानी- बाबूजी मुझे सच में बहुत अजीब लग रहा है.. आपका शहर तो बड़ा अजीब है। आपका भाई सामने खड़ा और आप नंगे आराम से बैठे हैं.. मुझसे तो ऐसे नहीं होगा।
विजय- रहने दे.. नहीं करवानी मुझे मालिश.. भाई जल्दी कमरे में आओ.. तुमसे कुछ बात करनी है।
इतना कहकर विजय वापस चला गया।
जय- अरे पगली.. ऐसा क्यों बोली.. वो भाई है मेरा.. और कई बार तो हम साथ में मालिश करवाते हैं। अब सुन अभी तू सो जा.. कल से इस सबकी आदत डाल लेना.. समझी.. वरना नौकरी पक्की नहीं होगी।
रानी कुछ ना बोली और बस जय को देखती रही.. जब तक वो कपड़े पहन कर चला ना गया, वो ऐसे ही बैठी रही.. उसके बाद कहीं उसकी जान में जान आई।
कमरे में जाकर विजय बिस्तर पर बैठ गया और उसके पीछे जय भी आ गया।
विजय- वाउ यार.. तुमने तो कमाल कर दिया.. एक ही दिन में उस लड़की को इतना खोल दिया.. मान गया भाई तुमको..
जय- तूने अभी मेरा कमाल देखा कहाँ है.. साली को दो बार अमृत पिला चुका हूँ। अब तीसरी बार उसकी जवानी का मज़ा लेता.. तो तू आ गया।
विजय- नहीं यार.. आज के लिए इतना काफ़ी है.. और वैसे भी मुझे तुमसे एक जरूरी बात करनी थी।
जय- कैसी जरूरी बात.. क्या हुआह्ह?
विजय- कुछ देर पहले रंगीला का फ़ोन आया था.. वो साला साजन है ना.. उसके दिमाग़ में कुछ चल रहा है। हमें ध्यान से रहने को कहा है।
जय- वो तो कल यहाँ आ रहा है ना.. उसके दिमाग़ में क्या चल रहा है? साला जानता नहीं क्या हमें?
विजय- भाई शनिवार के लिए उसने बुलबुल गेस्ट हाउस को बुक किया है.. वहाँ ‘हँसों’ को जमा करने वाला है साला।
दोस्तो, अगर आप समझ ना पा रहे हो तो बता देती हूँ.. यह बुलबुल गेस्ट हाउस एक ऐसी जगह है.. जहाँ अमीर घर के लड़के और लड़कियाँ जमा किए जाते हैं और उन्हीं को ‘हंस’ कहा जा रहा है और पार्टी के नाम पर वहाँ नशे का कारोबार होता है।
आप समझ गए होंगे यह आज की नस्ल को बिगाड़ने का नया तरीका है.. तो प्लीज़ आप ऐसी किसी जगह जाने से अपने आप को बचाएँ।
जय- अच्छा उस साले फटीचर के पास इतने पैसे कहाँ से आए.. जो वो इतना उछल रहा है?
विजय- ये तो मुझे पता नहीं.. रंगीला कल आएगा तो बाकी की बात बता देगा.. मगर उसने खास तौर पर कहा है कि कल सबके सामने ज़्यादा बात नहीं हो पाएगी। तो आपको बता दूँ कि किसी भी तरह उस साजन की बातों में मत आना.. वो जरूर कुछ प्लान कर रहा है।
जय- अबे मैं कोई बच्चा हूँ क्या.. जो उसकी बातों में आ जाऊँगा? ये सब जाने दे.. ला बियर पिला.. साली ने सारी बियर लौड़े से चूस कर निकाल दी है।
विजय ने जय को बियर दी और खुद भी बोतल लेकर बैठ गया।
चलो दोस्तो.. अरे नहीं नहीं.. कहीं और नहीं ले जा रही हूँ.. मैं तो यह कहने आई हूँ कि अब रात बहुत हो गई.. तो सो जाओ.. कल सुबह ही मिलेंगे।
हाँ जाते-जाते इतना बता देती हूँ कि रानी दो बार झड़ कर एकदम सुकून महसूस कर रही थी। उसने कपड़े पहने और सबसे पहले उसको ही नींद आई।
ओके.. तो चलो सुबह ही मिलेंगे.. जहाँ से नये ट्विस्ट की शुरूआत होगी और कहानी को एक मोड़ मिलेगा।
सुबह के सात बजे गर्ल्स हॉस्टल में काफ़ी हलचल थी, छुट्टियों के चलते ज़्यादातर लड़कियों के रिश्तेदारर उनको ले आ गए थे और जो कुछ बाकी थीं.. वो भी धीरे-धीरे जा रही थीं।
काजल अपने कमरे में बैठी बाल बना रही थी.. तभी रश्मि वहाँ आ गई।
रश्मि- हाय काजल.. कैसी हो.. रात को कहाँ चली गई थीं तुम? और वापस कब आईं.. मुझे तो पता ही नहीं चला?
काजल- हाय.. मैं ठीक हूँ.. तू सुना क्या हाल है तेरा.. और तूने तो मुझे मना कर दिया था.. मगर गॉड ने एक ऐसा तगड़ा लौड़ा भेजा.. कि बस मज़ा आ गया.. बस तो मैं चुद कर ही वापस आ गई थी। तो तू बेसुध होकर घोड़े बेच कर सो रही थी, तेरी नाईटी भी खुली हुई थी।
रश्मि- ओ माय गॉड.. क्या बोल रही हो? कौन मिल गया? यहाँ तो सिर्फ़ लड़कियाँ ही हैं.. मैं तो ऐसे ही सोती हूँ.. सोने के बाद मुझे कुछ पता नहीं चलता.. कि क्या हो रहा है! नाईटी का क्या है.. खुल गई होगी..
काजल- पता नहीं कौन था.. मगर था बहुत प्यारा.. और तू ऐसे ना सोया कर.. नहीं सोते में कोई तेरी चुदाई कर जाएगा.. हा हा हा हा..
रश्मि- मेरी तो समझ के बाहर है.. तुम कुछ भी मत बोलो और किसकी मजाल है.. जो मुझे छेड़े.. मेरे पापा को जानती नहीं क्या तुम?
काजल- हाँ हाँ.. जानती हूँ तेरे पापा को.. और तेरे भाई को भी.. बड़े गुस्से वाले हैं। यार.. ये सब जाने दे.. तू मेरी बात सुन..
काजल ने उसको कहा कि वो सच बोल रही है.. उसके बाद रात की पूरी बात बताई.. जिसे सुनकर रश्मि के होश उड़ गए।
रश्मि- हे भगवान.. तुम कैसी हो यार.. किसी के भी साथ छी: छी:..
काजल- ओ सती सावित्री.. बस कर हाँ.. मुझे ऐसे जलील मत कर.. तूने तो मना कर दिया था और वो कोई ऐरा-गैरा नहीं था.. कोई खास ही था.. समझी.. और तू जो ये ‘छी: छी:’ कर रही है ना.. देख लेना.. एक दिन तू ऐसी बन जाएगी कि लोग तुम पर थूकेंगे.. जो लड़की ज़्यादा शरीफ़ बनती है ना.. उनको कभी ना कभी ऐसा लड़का मिलता है.. जो उसको कहीं का नहीं छोड़ता.. समझी.. ये जवानी बड़ी जालिम होती है.. तू कब तक इसे संभाल कर रखेगी.. एक ना एक दिन कोई आएगा और तेरे मज़े लूट लेगा और तू उस दिन मुझे याद करेगी कि कोई थी काजल..
रश्मि- नहीं ऐसा कुछ नहीं होगा.. और मैंने कब कहा कि मैं कभी किसी को अपना नहीं बनाऊँगी.. हाँ.. मैं अपना जिस्म दूँगी.. मगर सिर्फ़ अपने पति को.. वो भी शादी के बाद.. समझी..
काजल- शादी… हा हा हा हा.. अरे मेरी जान.. अभी शादी को बहुत समय है.. तब तक कोई मंजनू आएगा और तुझे ‘लैला-लैला’ बोलकर अपना लोला दे जाएगा हा हा हा हा..
उसकी बात सुनकर रश्मि भी हँसने लगी।
काजल ने रश्मि को कहा- तुम्हें लेने कोई आएगा क्या?
रश्मि- अरे नहीं यार.. मैं कौन से दूसरे शहर की हूँ.. यहीं की तो हूँ.. खुद ही चली जाऊँगी।
काजल- यार तू इसी शहर की होकर हॉस्टल में क्यों रहती है?
रश्मि- बस ऐसे ही यार.. घर पर पढ़ाई ठीक से नहीं होती।
रश्मि ने काजल को टालते हुए ये बात कही.. उसके माथे पर शिकन भी आ गई थी.. उस समय उसके बाद दोनों बस नॉर्मली यहाँ-वहाँ की बातें करने लगी।
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