RE: Hindi Kamuk Kahani बरसन लगी बदरिया
[i]जब हमारी चुदाई समाप्त हुई तो राजीव थक कर लस्त हो गया था। मैं किचन में आयी तो मीता अपनी मुस्कान नहीं छुपा पाई- “क्यों भाभी, भैया को नाश्ता करा दिया?”
“हाँ, पर अभी मेरा भाई आ रहा है, उसे तुम नाश्ता, डिनर, ब्रेकफ़ास्ट सब करवा देना, और अब अगर ज़्यादा बोला ना…” कहते हुए मैंने एक बैंगन उठा लिया- “… तो मेरा भाई तो बाद में आयेगा, पहले मैं ही तुम्हारी चूत को नाश्ता करा दूँगी…”
संजय जल्दी ही आ गया। बिलकुल भीग गया था क्योंकी पानी फिर बरसने लगा था। उसकी यह हालत देखकर मीता हँसने लगी। मैंने उसे डांटा और कहा कि जल्दी से इसे कपड़े दे, नहीं तो ठंडक लग जायेगी।
मीता उसे ताने मारती रही - “मै अपनी टाप, स्कर्ट दूं या भाभी आपकी साड़ी और ब्लाउज़ लाऊँ ?” और मेरे कानों में धीरे से बोली - “और भाभी अपने भाई से उनकी ब्रा का साइज़ तो पूछ ली जिये, मेरी तो होगी नहीं, शायद
आपकी हो जाये…”
संजय के कान पर उसकी फुसफुसाहट नहीं पहुँची थी। बोला- “नहीं नहीं, मैं एक जोड़े कपड़े साथ लाया हूँ…”
मीता उसके लिए तौलिया लेकर आयी और उसने अपने आपको सुखाकर कपड़े बदल लिए। उन्हें अकेला छोड़कर मैं खाना लगाने चली गई। खाने को बैठने के पहले मैंने मीता की ड्रेस बदलवा दी थी। अब वह एक साल पुराना फ्रोक पहने थी जो उसे टाइट होता था और वह बिल्कुल किसी म्यूजिक वीडियो वाली बेबी डाल लग रही थी।
मीता को मैंने राजीव के सामने और मेरे भैया संजय के बाजू में बिठाया था।
उसको खाना परोसते समय मैं उसे लगातार छेड़ रही थी- “मीता, सिर्फ़ अपने भाई को मत दो, मेरे भाई का भी खयाल रखना…”
वह बोली - “नहीं भाभी, मैं दोनों का खयाल रखूंगी…” मीता का टाइट फ्रोक लो कट था और जब वह झुकती, दोनों पुरुष उसके मचलते स्तनों और बीच की घाटी के सौंदर्य का मजा लेते। मैंने अपने पति की पैंट में दिखते तंबू का अंदाजा लिया। वह फिर से अपना सिर उठा रहा था। उसे दबाते हुए मैंने मीता को फिर ताना मारा- “देखो, जैसे मैं रोज तुम्हारे भाई का खयाल रखती हूँ, वैसे ही तुम मेरे भाई का खयाल रखो…”
मेरी बात का दुहरा अर्थ समझकर वह शर्मा गई पर उलट कर बोली - “दे तो रही हूँ आपके भाई को पर वे ही शरमा रहे हैं…”
खाने भर हमारी यह छेड़छाड़ और हँसी मजाक चलते रहे। राजीव का अब पूरा खडा हो गया था, शायद मेरी किशोरी ननद के जवान जोबन के लगातार दर्शन, मेरी उंगलियों की उसके लंड से खेल और सावन की लगातार झड़ी ने उसे मदहोश कर दिया था। एक जम्भाइ देकर दर्शाते हुए कि वह थक गया है, राजीव उठा और जाने के पहले मुझे जल्दी आने को कह गया।
मीता मुझे बोली - “भाभी, भैया को नींद आ रही है, जाके सुला दी जिये…”
मैने उसके गाल पर चुन्टी काट कर कहा- “ठीक है, उन्हें तो मैं रोज सुलाती हूँ, पर तुम आज जरा मेरे भाई को ठीक से सुलाना…”
संजय के सोने का इंतजाम मैंने मीता के पास वाले कमरे में ही किया था। वह कमरा असल में करीब-करीब मीता के कमरे का ही एक भाग था, बीच में बस एक दरवाजा था। मैं दो _गलास दूध लाई और मीता को देते हुए बोली - “एक तुम्हारे लिए और एक मेरे भैया के लिए, उन्हें जरा अपने हाथ से पिला देना…”
वह हँस पड़ी और संजय को छेड़ते हुए बोली - “अरे मुझे नहीं मालूम था कि साले जी अब तक दूध पीते हैं…”
मैंने संजय का पक्ष लेते हुए कहा- “अरे अगर तुम्हारे जैसी पिलाने वाली हो तो वह रात भर मुँह लगाकर पीता रहे…”
इस बार मीता ने तुरंत पलटकर जवाब दिया- “भाभी, आपके भैया तो मुँह खोलते ही नहीं…”
मैंने मीता की चूची दबाकर कहा- “अरे बन्नो, ये मेरे सामने मुँह नहीं खोल रहा है, अभी मेरे जाने के बाद देखना क्या-क्या खोलता है…”
तभी राजीव ने मुझे आवाज लगायी, कि एक _गलास पानी लेकर आऊँ ।
मीता बोली - “भाभी, जल्दी जाइये, भैया की प्यास नहीं बुझी तो…”
मैं उसकी बात काट कर बोली - “ठीक है, मैं चली तुम्हारे भाई की प्यास बुझाने और तुम मेरे भाई की प्यास बुझाओ…”
जब मैं ऊपर अपने बेडरूम में पहुँची तो देखा कि अब बात हद तक बढ़ गयी थी। राजीव पलंग पर पूर्ण नग्नावस्था में लेटा हुआ था और उसका लंड शान से झंडे जैसा सिर उठाकर खड़ा था। मैंने फटाफट अपने कपड़े उतारे और उसके उस महाकाय लंड का चुंबन लिया।
मैंने होंठों को उसके सुपाड़े पर रगड़ा और उसपर जीभ चलाते हुए पूछा- “लगता है कि आज मेरी किशोरी ननद की उभरती चूंचियाँ देखकर एकदम मस्त हो गये हो। घबराओ मत, जल्दी ही उसके कुंवारे होंठ तुम्हें चाट रहे होंगे और तुम उसके सारे रसीले छेदो का मजा लोगे…”
मेरे पति ने बात काट कर कहा- “ये क्या बोल रही हो, और किससे बोल रही हो?”
मैंने उसके लोहे जैसे सख़्त लंड को दबाते राजीव को आँख मारते हुए कहा- “अपने इस मस्त यार से जो आज मेरी कमसिन ननद की चूंचियाँ देखकर मस्त हो गया है। मैं उसको बोल रही हूँ कि उसे छोटी मस्त चूची वाली का मजा चखाऊँगी। आखिर यह मुझे इतना मजा देता है, मुझे भी तो इसका खयाल रखना चाहिये…” इतना कहकर मैंने मुँह खोलकर एक बार में ही उसका फूला हुआ लाल तपता सुपाड़ा अपने जलते होंठों के बीच ले लिया। मेरी लंबी स्लिम उंगलियां अब उसकी गोटियां सहला रही थीं। मेरी जीभ उसके मूंड छिद्र ~ को छेड़कर उसके
डंडे को चाटने लगी थी, साथ ही मेरी उंगलियां उसकी गोटियों और गुदा के बीच के भाग को हौले-हौले रगड़ रही थीं।
अब वह बुरी तरह उत्तेजित था और मुझसे और करने की याचना कर रहा था। आखिर मैं कौन होती थी, अपने ननद के भाई को भूखा रखने वाली ? इसलिए मैंने उसे जोर से चूसना शुरू कर दिया। वह अपने चूतड़ उचका-उचका कर और मजा लेने की कोशिस कर रहा था। कुछ देर जोर से चूसने के बाद मैंने उसके लंड को मुँह से निकाला और अपने निचले मुँह के होंठों से उसे छेड़ने लगी। मैंने उसके हाथ अपने हाथ में पकड़े हुए थे और मेरी मस्त 36डीडी का जोबन उसकी छाती पर रगड़ रही थी।[/i]
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