RE: Hindi Sex Kahaniya हाईईईईईईई में चुद गई दु�...
अभी में अपनी चूत पर किए गये विनोद के पहले हमले से ही सम्भल नही पाई थी. कि विनोद ने मेरी चूत के होंठों को अपनी नुकीली ज़ुबान से खोलते हुए अपने गरम मुँह को मेरी प्यासी चूत के साथ चिपका दिया.
विनोद का गरम मुँह अपनी फुद्दि पर पड़ते ही मेरे पूरे वजूद में एक हल चल सी मच गई.
मज़े से पागल होते हुए मेने सोफे से अपना सर एक दम उपर उठाया. और ब्रेज़ियर में कसे अपने जवान और गुदाज मम्मो को बेताबी से अपने हाथों से मसल्ते हुए मैने अपनी चूत को विनोद के खुले मुँह पर गरम जोशी से रगड़ कर एक ज़ोर दार सिसकारी भरी आवाज़ अपने मुँह से एक बार फिर निकाली “उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ कककककककककककक ओह”
यूँ तो विनोद की गरम ज़ुबान के असर की वजह से मेरे मुँह से सिसकारियो की हल्की हल्की आवाज़ निकलने तो लगी थी.
मगर अपने मुँह से ये आवाज़ें निकालने के बावजूद में अपने जज़्बात को थोड़ा संभाल भी रही थी. ताकि मेरी सिसकयों की गूँज मेरे शौहर के कानों में ना पड़ सके.
“हाईईईईईईईईईई सपना ने सही कहा था, तुम्हारी चूत का पानी वाकई ही इतना मज़े दार है, कि एक बार चखने के बाद, दिल करता है कि सारी ज़िंदगी तुम्हारी फुद्दि का रस पीता ही रहूं मेरी जान” मेरे मुँह से फूटने वाली सिसकयों को सुन कर विनोद का जोश मज़ीद बढ़ा . और वो गरम जोशी और वलिहाना अंदाज़ में मेरी चूत से बहते हुए पानी को अपनी ज़ुबान से चाटते हुए मुझ से कहने लगा.
चूत चाटने के इस नये मज़े से सपना मुझे पहले ही रोश्नास तो करवा ही चुकी थी.
मगर एक औरत होने के नाते सपना के मुँह में वो तासीर नही थी. जो एक मर्द के मुँह और होंठों के लामास में होती है.
इसीलिए ये ही वजह थी कि विनोद के होंठों,मुँह और ज़ुबान ने चन्द ही लम्हों में मुझे जिन्सी लज़्जत की उस मंज़िल पर पहुँचा दिया था. जिन तक पहुँचने का अपनी दो साला शादी शुदा जिंदगी में मैने इस से पहले कभी तसव्वुर भी नही किया था.
“ओह मेरा शौहर होने के नाते ये यासिर की ड्यूटी थी,कि वो मेरी फुद्दि को चाट कर मुझे चुदाई का ये मज़ा खुद देता, जिस मज़े को में अब अपने शौहर के हिंदू दोस्त से हासिल कर रही हूँ” ये बात सोचते हुए में विनोद की गरम मुँह और नुकीली ज़ुबान के हाथों इतनी गरम हो गई कि में अपने होश-ओ-हवास ही खो बैठी.
बे खुदी के आलम में ही मैने अपने हाथों से अपने ब्रेजियर को खैंचा कर नीचे किया. और अपने हाथों से अपने भारी जवान और गुदाज मम्मो को अपने शौहर के दोस्त की गरम और प्यासी निगाहों के सामने बेपर्दा कर दिया.
ये मेरे वो ही सुडोल और भारी मम्मे थे. जिन का दीदार करने के लिए मँगनी के दिन से ले कर सोहाग रात तक यासिर की आँखे तरस गई थी.
और अपनी सोहाग रात को भी मैने काफ़ी मिन्नतों (रिक्वेस्ट्स) के बाद ही अपने शौहर यासिर को अपने इन जवान मम्मो का दीदार बख्शा था.
मगर आज विनोद की गरम ज़ुबान ने मेरी प्यासी फुद्दि और जवान जिस्म की आग को इतना भड़का दिया था. कि अपने जिस्म की गर्मी के हाथों मजबूर हो कर में विनोद को खुद ही अपने खूबसूरत और दूध जैसे सफेद मम्मो का दीदार करवाने पर तूल गई.
अपने जवान मम्मो को अपने ब्रेज़ियर से निकालने के बाद मैने अपनी भारी भारी छातियों को अपने हाथों में थामा और अपनी गुदाज छातियों को अपने हाथों से मसल्ने के साथ साथ अपने मुँह से सिसकियाँ लेते हुए अपनी चूत को विनोद के खुले मुँह पर तेज़ी से फेरने लगी.[url=https://rajsharmastories.com/viewtopic.php?f=12&t=8631&start=25#top][/url]
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