RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
अगले दिन पिंकी स्कूल नही गयी...
निशि भी जब तैयार होकर उसे बुलाने आई तो उसने पीरियड के कारण तबीयत खराब का बहाना बनाकर उसे मना कर दिया..
पिंकी के पिताजी जब खेतो में चले गये तो वो नहा-धोकर तैयार हुई और लाला की दुकान की तरफ चल दी...
कल जो कुछ भी हुआ था उसके लिए वो अपने आप को ही दोषी मान रही थी..
अपनी माँ की इच्छा वो आज पूरी कर देना चाहती थी और इसलिए आज का दिन वो अच्छे से इस्तेमाल कर लेना चाहती थी , तभी वो सुबह -2 ही लाला की दुकान पर पहुँच गयी..
लाला तो अपनी लाइफ में आई इन जलपरियों को देखते ही आजकल खुश हो जाता था,
वो अपनी आदत के अनुसार अपनी धोती में सो रहे रामलाल को मसलता हुआ बोला : "देख तो रामलाल...आज ये चिड़िया सुबह -2 ही आ गयी...लगता है तेरी कसरत का इंतज़ाम करने आई है...''
रामलाल तो पिंकी की चूत लेने के लिए कब से तरस रहा था, इसलिए उसे देखकर वो भी काफ़ी खुश हो गया..
लाला : "आ जा री छोरी आजा...आज तो सुबह -2 मिलने चली आई...स्कूल की छुट्टी है क्या...या मेरे वास्ते करी है ''
पिंकी : "छुट्टी है तो नही पर करनी पड़ी....''
लाला की आँखे चमक उठी...
इसका मतलब तो सॉफ था की वो उसका लंड लेने के लिए तड़प रही है.
लाला : "तो चल अंदर...मेरे गोडोउन में ...तुझे जवानी का नया पाठ पढ़ाता हूँ मैं आज...''
पिंकी की साँसे तेज हो उठी, ये सोचते ही की काश आज वो इसी काम से आई होती..
पर उसे तो अपनी माँ का काम करवाना था पहले..
इसलिए वो बोली : "तेरे गोडाउन में फिर कभी आउंगी लाला...आज तो तुझे मेरे घर चलना होगा...कल वाला अधूरा काम जो छोड़ा था तूने, वही पूरा करने के वास्ते...''
लाला का माथा ठनका ...
यानी वो खुद के लिए नही बल्कि अपनी माँ के लिए आई है..
पर अपनी माँ को चुदवाने की इसे इतनी फ़िक्र क्यो हो रही है...
लाला को सोचता देखकर वो खुद ही बोल पड़ी : "देख लाला...जो कुछ भी कल हुआ उसके बाद मुझे लगता है की वो काम जो कल अधूरा रह गया था, उसका कारण मैं थी...अगर मैं कल बाहर से ही घर चली जाती तो शायद मेरी माँ को वो सुख मिल चुका होता जो मेरे पिताजी उन्हे कई सालों से नही दे पा रहे है...और कल जब उन्होने हिम्मत करके वो कदम उठाया तो मेरी वजह से सब गड़बड़ हो गया...''
लाला मन में मुस्कुरा रहा था और कह रहा था की 'पगली...ये तेरी वजह से नही बल्कि मेरे प्लान की वजह से हुआ था..वरना इतनी देर से जो चूमा चाटी देख ही रही थी तो चुदाई भी देख ही लेती,मेरा क्या जा रहा था...'
फिर पिंकी ने शिकायत भरे लहजे में कहा : "और आप ने भी तो एकदम से मेरा और निशि का नाम ले लिया, वरना माँ को पता भी नही चलता...''
इस बार लाला ने अपनी चालाकी दिखाई : "अर्रे, तेरी माँ ने ही तुम्हे छिपे हुए देख लिया था और उसने फुसफुसा कर कहा था की कोई देख रहा है, तब मुझे वो कहना पड़ा...''
पिंकी को एक बार फिर से अपने पर गुस्सा आ गया,
उसे पता था की माँ की चुदाई देखने के लिए कैसे वो उतावली सी होकर चावल की बोरियो के पीछे से निकल-2 कर उनका खेल देख रही थी , ऐसे में उन्हे पकडे जाना ही था..
पिंकी : "चलो कोई ना लाला जी...जो हो गया सो हो गया...पर इसकी वजह से एक बात तो अच्छी हुई है, मेरे और माँ के बीच की संकोच की दीवार गिर गयी है....और कल तो घर जाने के बाद...''
इतना कहते-2 वो शरमा सी गयी, उसका चेहरा लाल हो गया..
और चालाक लाला समझ गया की क्या हुआ होगा उनके बीच...
इसलिए ज़ोर देकर बोला : "अररी बोल ना, क्या हुआ तेरे और सीमा के बीच...बता भी दे, मुझसे कैसी शर्म...''
वैसे बात तो सही थी, लाला से कैसी शर्म...
इसलिए शरमाते हुए वो बोली : "वो..लाला...कल घर जाकर माँ जब नहा रही थी तो मैं भी अंदर घुस गयी...और..''
इतना कहते हुए उसने अपनी सैक्सी आवाज़ में लाला को कल का पूरा कांड सुना दिया,
जिसे सुनते हुए लाला का हाथ उसकी धोती के अंदर ही घुसा रहा,
अंदर जो रामलला ने हाहाकार मचा रखा था, उसे संभालने में लाला बिज़ी था.
लाला ने पूरा किस्सा सुना और आख़िर में सिसकारी मारते हुए कहा : "हाय पिंकी.... काश मैं भी वहां होता कल, सच में ऐसा सीन देखकर मज़ा ही आ जाता...''
पिंकी ने अपने लरजते हुए होंठो से कहा : "तभी तो आई हूँ लाला, चल ना घर...क्या पता, आज भी वो सब देखने को मिल जाए तुझे..''
यानी, पिंकी भी उनकी चुदाई में कूदने के लिए तैय्यार थी...
ये था लाला का मास्टरस्ट्रोक , जिसके लिए उसने पिंकी को उसकी माँ के सामने ही पकड़वा दिया था...
शबाना और नाज़िया को एक दूसरे के सामने ही चोदने के बाद इस माँ बेटी के जोड़े में ज़्यादा मज़ा आने वाला था...
क्योंकि दोनो ही लाला का लंड पहली बार लेने वाली थी...
इसलिए लाला झट्ट से खड़ा हुआ, और अपने धंधे की एक और बार वॉटट लगाते हुए उसने अपनी दुकान का शटर डाउन किया और पिंकी के पीछे-2 उसके घर की तरफ चल दिया.
पिंकी पहले घर पहुँच गयी, उसकी माँ अभी-2 नहाकर बाहर निकली थी, उसने अपने पेटीकोट को अपने उरोजों के उपर बाँध रखा था और बालों में भी टॉवल बँधा हुआ था...
पानी की बूंदे उसके बदन से टपककर नीचे गिर रही थी.
पिंकी को बाहर से आते देखकर वो बोली : "अर्रे, कहां चली गयी थी तू..बता कर तो जाती..''
पिंकी ने मुस्कुराते हुए कहा : "माँ , वो लाला की दुकान से कुछ लेने गयी थी...''
लाला का नाम सुनते ही सीमा के बदन में झुरजुरी सी दौड़ गयी...
सीमा : "ला...लाला की दुकान से...क्या लेने गयी थी...''
पिंकी : "लाला को...''
और इतना कहते हुए वो पलट गयी और दरवाजा खोलकर लाला को अंदर बुला लिया...
जिसके बारे में सोच-सोचकर उसने कल अपनी बेटी के साथ वो सब कर लिया था,
जिसके मोटे लंड को सोचकर उसे नींद नही आई थी
और जिसे लेने की कल्पना करते हुए उसने अभी कुछ देर पहले ही बाथरूम में अपनी चूत रगडी थी,
वो लाला साक्षात् उसके सामने खड़ा था..
और लाला की आँखो में तो वासना नाचने लगी जब उसने सीमा को इस हालत में देखा....
उसके मांसल बदन से पानी की बूंदे नीचे गिरते देख वो यही सोच रहा था की इसे अभी के अभी नंगा करू और इसका सारा पानी पी जाऊ.
पिंकी ने दरवाजा बंद कर दिया और अपनी माँ से बोली : "माँ ..आप प्लीज़ गुस्सा ना करना... कल जो ग़लती मैने की थी, उसी को सुधारने के लिए मैं लाला को अभी लाई हूँ ...''
इतना कहते हुए वो लाला और अपनी माँ का हाथ पकड़ कर अपनी माँ के कमरे में ले गयी और बोली : "आप दोनो को जो भी करना है कर लो...मैं बाहर ही रुकती हूँ ...''
भले ही पिंकी ने ये काम अपनी माँ से बिना पूछे किया था पर उसकी माँ को ये पसंद बहुत आया ...
वो तो खुद ही कल रात से यही प्लान बना रही थी की वो कैसे लाला का लंड ले,
उसके गोडाउन में जाए या उसे ही घर बुला ले..
पर उसकी मुश्किल को उसकी बेटी ने कितनी आसानी से हल कर दिया था...
जाँघो तक चड़ा पेटीकोट लगभग गीला सा होकर उसके बदन से चिपका हुआ था ,
जिसमें से उसके मुम्मो पर चमक रहे नन्हे बेर सॉफ दिखाई दे रहे थे.
पिंकी जब ये बोलकर जाने लगी तो लाला ने अपनी हरामीपंति दिखाई, और बोला : "अरी पिंकी, तू कहां जा रही है, कल जो भी तूने देखा, वो भी तो अधूरा ही था, अब यही बैठ जा एक कोने में और पूरा खेल देख ले...आगे चलकर तेरे ही काम आवेगा ये सब..''
ये सुनते ही सीमा एकदम से घबरा सी गयी...
पर वो कुछ बोल ही नही पाई...
क्योंकि एक बात तो उसे भी पता थी की लाला अपने मन की करके ही रहेगा..
और वैसे भी उसे और लाला को तो पिंकी ने कल भी लगभग सब कुछ करते देख ही लिया था,
आज अगर उनकी चुदाई भी देख लेती है तो क्या फ़र्क पड़ता है..
कल शाम को पिंकी के साथ बाथरूम में जो कुछ भी हुआ था, उसकी वजह से भी अब पिंकी से उसे ज़्यादा शर्म नही रह गयी थी..
पिंकी तो वैसे भी यही चाहती थी,
वो तो खिड़की से छुप कर उनकी चुदाई को देखने का प्रोग्राम बना चुकी थी, पर लाला ने ये काम भी आसान कर दिया था..
इसलिए लाला की बात सुनकर और अपन माँ को देखने के बाद उनसे मिली मौन स्वीकृति के बाद वो वहीं एक कोने में बैठ गयी..
पर लाला का हरामीपन यहीं शांत नही हुआ , उसने अपनी कड़क आवाज़ में पिंकी को हुक्म दिया : "ऐसे एक कोने में नही बैठना तुझे...पहले मुझे वो देखना है जो तुम माँ बेटी ने कल बाथरूम में किया था...''
ये सुनते ही दोनो के पैरो तले से ज़मीन ही निकल गयी...
ये लाला के दिमाग़ में क्या चलता रहता है...
सीधी साधी सी चुदाई करे और चलता बने,
ये अपनी शर्ते बीच में रखकर क्या मिलेगा इसको..
सीमा समझ गयी की ये सब लाला को पिंकी ने ही बताया होगा...
मज़े-2 में वो बोल तो गयी थी पर अब लाला उस बात का फ़ायदा उठा रहा था..
सीमा बोली : "लाला...देख तू इसे यहां रोकना चाहता है, इससे मुझे कोई परेशानी नही है, पर वो सब तेरे सामने करना सही नही होगा...बच्ची है ये अभी लाला...तेरे सामने कैसे ये न...नंगी हो जाए...''
लाला अपनी मूँछो पर ताव देता हुआ बोला : "तू बड़ी भोली है री सीमा...तुझे तो पता ही नही है की तेरी ये बच्ची जवानी की दहलीज पर कदम रख भी चुकी है और लाला ने इसके बदन को चख भी लिया है...बस वही नही हुआ जो तेरे साथ भी नही कर पाया आज तक, वरना ये भी अच्छे से जानती है की मेरे लंड का स्वाद कैसा है...''
लाला ने बड़ी ही बेशर्मी से अपनी धोती में खड़े लंड को मसलते हुए पिंकी का कच्चा चिट्ठा उसके सामने खोलकर रख दिया..
सीमा की तो आँखे फटी की फटी रह गयी ,
उसने हैरत भरी नज़रों से पिंकी को देखा तो उसने सिर झुका लिया...
वो समझ गयी की लाला सच ही कह रहा है...
गुस्सा तो उसे बहुत आ रहा था अपनी बेटी पर, लेकिन इस वक़्त जो उसके बदन में आग लगी हुई थी , उसे भी बुझाना ज़रूरी था, इसलिए उसने इस बात को भी काफ़ी हल्के में लिया, कोई और मौका होता तो शायद वो अपनी बेटी को मार ही डालती...
पर लाला के लंड का आकर्षण ही ऐसा था की शायद उसकी बेटी भी उसके मोह्पाश से बच नही पाई..
लाला ने दोनो को मुँह झुकाए देखा तो बोला : "मुझे लगता है की तुम दोनो का मूड नही है...जब हो तो बता देना, मैं आ जाऊंगा ..''
अपनी घर आए लंड को वापिस भेजना तो सीमा भी नही चाहती थी,
इसलिए झट्ट से बोल पड़ी : "अर्रे नही लाला, तुम क्यो नाराज़ हो रहे हो...हम करते है ना...तुम बैठो.''
इतना कहते हुए सीमा ने अपनी बेटी की तरफ देखा, जो पहले से ही लाला की बात सुनकर गहरी साँसे ले रही थी...
ऐसे लाला के सामने अपनी ही माँ की चूत चाटने में उसे कितना मज़ा आने वाला था इसका अंदाज़ा उसके कड़क हो रहे निप्पल्स से ही लगाया जा सकता था..
अपनी माँ की आँखो का इशारा समझकर वो किसी रोबोट की तरह चलती हुई उनके करीब आई और अपने हाथ उनके उभारों पर रखकर उन्हे दबा दिया...
ऐसा लगा जैसे पानी से भरे दो बड़े-2 गुब्बारे पकड़ लिए हो उसने...
वो धीरे-2 उन्हे दबाने लगी, उनका रस निचोड़ने लगी..
और जब उत्तेजना का संचार पूरी तरह से हो गया तो उसने एक ही झटके में अपनी माँ का पेटीकोट उनकी छाती से उतार कर नीचे फेंक दिया..
और ऐसा करते ही लाला की वहशी नज़रों के सामने खड़ी थी सीमा...
पूरी तरह से नंगी होकर..
जिसके पुर बदन पर पानी की बूंदे ऐसे चमक रही थी जैसे नन्हे जुगनू उसकी जवानी का रस पीने के लिए लिपट गये हो उससे..
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