RE: Maa Chudai Kahani आखिर मा चुद ही गई
अपना यह खूंटा क्यों मेरे अंदर घुसते जा रहे हो" अंजलि हाथ पीछे लेजाकर पहली बार बेटे के लंड को अपने हाथ में जकड़ लेती है.
"येह खूँटा है माँ?" विशाल अंजलि का नितम्ब सहलता कहता है.
"और कया है?" अंजलि बेटे के लंड को जड से सुपाडे तक्क मसलती हुयी बोली.
"तुम्हेँ नहीं मालूम?" विशाल अपनी माँ की तांग उठकर सोफ़े पर रख देता है.
"नहि......"अंजली अपने अँगूठे को सुपाडे के ऊपर गोल गोल घुमाति है. सुपाडे से निकालता हल्का सा रस अँगूठे को चिकना कर देता है.
" इसे लंड कहते हैं माँ.......तुमने सुना तोह होगा" विशाल अपनी कमर हिलाकर लंड को माँ की मुट्ठि में आगे पीछे करता है तोह अंजलि भी लंड पर हाथ की पकड़ थोड़ी ढीली करके उसे मदद करती है.
"उऊंह्हह्ह्..........शायद सुना हो........याद नहीं आ रह......" अंजलि बेटे के लंड को सेहलती पीछे को मुंह घुमाति है तोह विशाल जीभ निकाल उसका गाल चाटने लगता है. "वैसे तुम्हारा यह खुंटा....कया नाम लिया था तुमने इसका....हाहहां लंड.......तुमहारा यह लंड खूब लम्बा मोटा है.......मोटा तोह कुछ ज्यादा ही है........उफफ्फ्फ़ देखो तोह मेरे हाथ में बड़ी मुश्किल से समां रहा है" अपनी माँ के मुंह से 'लंड' शब्द सुनकर विशाल का लंड कुछ और अकड गया था.
"तुम्हेँ कैसा पसंद है माँ......" विशाल एक हाथ से अंजलि का चेहरा और घुमाता है और अपने होंठ उसके होंठो पर रख देता है और दूसरे हाथ से अंजलि का हाथ अपने लंड से हटा कर अपना लंड पीछे से सीधा अपनी माँ की चुत पर फिट कर देता है.
"मैं नहीं बताउंगी......" अंजलि आगे को झुक जाती है और सोफ़े पर रखी अपनी तांग और दूर को फैला देती है जिससे उसकी गांड पीछे को उभार जाती है और विशाल का लंड आराम से उसकी चुत तक्क पहुँचने लगता है.
"क्यों माँ....क्यों नहीं बताओगी....." विशाल माँ के होंठ चूसता उसकी चुत पर लंड को ज़ोर से दबाता है तोह लंड का टोपा चुत के मोठे होंठो को फ़ैलाता डेन को रगडता है.
"उमममहह.....मुझे.....मुझे शर्म आती है बेटा......." अंजलि भी सोफ़े पर दोनों हाथ टीका घोड़ी बन जाती है.
"इसमे शरमाने की कोनसी बात है माँ.......अभी से इतना शरमाओगी तोह असली खेल कैसे खेलोगी.
"उऊंम्मम्हठ्ठ...को..कोंन सा खेल बेटा..."वीशाल के हाथ माँ के मम्मो की तरफ बढ्ने लगते है. माँ बेटे के जिसम वासना की आग में जल रहे थे
"चोदा चोदी का खेल माँ.........देखना तुम्हे कितना मज़ा आएगा इस खेल में"
"मुझे नहीं खेलना तुम्हारा यह चोदा चोदी का खेल.........ऊँणग्घह...ओह्ह्ह्ह माआ..." अंजलि के मम्मे विशाल के हाथों में समाते ही उसके मुंह से ज़ोरदार सिसकि निकल जाती है.
"ख़ेलना ही पड़ेगा माँ.......बिना चोदा चोदी के न्यूड डे बेकार है......एक बार खेल के तोह देखो माँ तुम्हे भी बहुत मज़ा आएगा....." विशाल अंजलि के निप्पलों को मसलता जीभ माँ के मुंह में घुसेड देता है.
"ऊऊफफफफ.......में तोह फंस गयी इस नुड डे के चक्कर में.......थीक है तू कहता है तोह तेरे साथ चोदा चोदी भी खेल लुंगी....अब तोह खुश है"
विशाल जवाब देणे की बजाये कुछ देर अंजलि की जीभ अपने होंठो में भर कर चूसता रहता है और उसके हाथ कुछ ज्यादा ही कठोरता से उसकी माँ के मम्मो को मसल रहे थे. अंजलि बेटे से जीभ चुसवाते बुरी तरह सिसक रही थी. उसकी कमर एक दम स्थिर हो गयी थी और विशाल बहुत धीरे धीरे से अपना लंड एकदम चुत के दाने पर रगढ रहा था.
"तुने मेरी बात का जवाब नहीं दिया माँ........" विशाल अपने होंठ माँ के होंठो से हटाता कहता है. अंजलि गहरी गहरी साँसे भरती सीधे विशाल की आँखों में देख रही थी. उसका गोरा चेहरा तमतमा रहा था. आंखे काम वासना में जलती हुयी लाल हो चुकी थी. "तुझे कैसा लंड पसंद है माँ.......पतला या मोटा"
"मोटा....." कहकर अंजलि ऑंखे बंद कर लेती है. विशाल फिर से माँ के होंठ चूमता उसके निप्पलों को प्यार से सहलाता है.
" मोटा? जैसे मेरा है माँ"
"हनण...हनन ....बेटा बिलकुल तेरे लंड जैसा मोटा लंड पसंद है तेरी माँ को" अंजलि भी बेटे के होंठो को चूमती है.
"फिर तोह माँ तुझे मेरे साथ चोदा चोदी खेलने में बहुत मज़ा आएगा........"
"सच मैं!!!!! मेरा भी बहुत दिल कर रहा है तेरा साथ चोदा चोदी खेल्ने के लिये......." अंजलि अपनी चुत को घिस रहे बेटे के लंड पर अपना हाथ रख उसे ज़ोर से अपनी चुत पर दबाती है और ऑंखे खोल विशाल की आँखों में देखति है.
"फिर सुरु करें मा.........में कितने दिनों से तड़प रहा हुन तेरे साथ चोदा चोदी खेल्ने के लिये"
"उऊंह्ह्......अभी.....अभी सफायी का आधा काम पढ़ा है......."
"ओहहहह म....पुरा दिन पढ़ा है....बाद में सफायी कर लेंगे....." विशाल माँ को सीधा करता है और उसे खींच कर खुद से चिपका लेता है. अब विशाल का लंड अंजलि की रस टपकती चुत पर सामने से आ रहा था.
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