RE: Indian Sex Story कमसिन शालिनी की सील
इस तरह बार बार चूत चुदाई जैसी बातें सुन कर भी वो कोई ऑब्जेक्शन नहीं कर रही थी, न ही उसके चेहरे से पता चल रहा था कि उसे वैसी बातें अरुचिकर लग रहीं थीं, मतलब इस तरह की नॉनवेज बातचीत उसे भी अच्छी लगने लगी थी. यही मैं चाहता भी था.
मेरी बातें सुनकर शालिनी सोच में पड़ गई.
मैं धीरे धीरे उसे लाइन पर ला रहा था, मैं चाहता था कि वो एक बार अपनी चूत मुझसे चटवाने को तैयार हो जाए, फिर उसके बाद उसकी चूत में लंड पेलने का कोई न कोई रास्ता निकल ही आयेगा.
यह सोचते सोचते मैं चुप रहा, मैं चाहता था कि अब शालिनी ही बात को आगे बढाए.
‘अंकल जी मेरा मन इस बात को मानने को तैयार नहीं होता कि कोई उसे सच में चाट सकता है?!’ वो अनिश्चितता से बोली.
‘अरे यार, तुझे नहीं मानना तो मत मानो…. मेरा क्या, मुहाँसे तुम्हारे ठीक होने हैं, मेरा क्या. नहीं मानना तो मत मानो! चलो घर चलते हैं अब!’ मैंने थोड़ा झुंझला कर कहा.
‘अच्छा अंकल जी, सच्ची सच्ची बताओ, आप आंटी जी की उस जगह को सच में चाट लेते हो?’ वो मेरी बात को अनसुनी करके बोली.
‘अरे मैं झूठ क्यों बोलूंगा. यह तो प्राकृतिक क्रिया है. इससे चुदाई का आनन्द कई गुना बढ़ जाता है. तुम चाहो तो मैं तुम्हारी चूत भी चाट के दिखा सकता हूँ. जैसे उस वीडियो में वो आदमी चाटता है, फिर तो विश्वास हो जाएगा न?’ मैंने कहा.
मेरी बात सुनकर वो फिर सोच में पड़ गई. यह मेरे लिए अच्छा संकेत था.
‘अंकल जी, उससे मुहाँसे पक्का मिट जायेंगे न?’ वो थोड़ी अनिश्चितता से बोली.
‘गुड़िया बेटा, अब मैं कोई अन्तर्यामी तो हूँ नहीं… जो कुछ देखा सुना है वही तुझे बताया है. मैं तो तेरा भला चाहता हूँ बस अब आगे तेरी मर्जी!’ मैंने उसे प्यार से समझाया.
मेरी बात सुनकर वो चुप रही और पांव के अंगूठे से जमीन कुरेदती रही.
मैं भी चुप रहा.
मैं जान गया था कि लड़की लाइन पर आ चुकी है, बस थोड़ी सी झिझक, थोड़ा सा डर बाकी है, वो भी अपने आप निकलेगा और वो खुद आगे आकर कदम बढ़ायेगी.
‘अंकल जी आप और कुछ तो नहीं करोगे न मेरे साथ में?’ उसने चिंतित स्वर में पूछा.
‘अरे बाबा, तेरी मर्जी के खिलाफ कुछ भी नहीं करूंगा मैं!’ मैंने कहा.
‘पहले प्रॉमिस करो और भगवान की कसम खाओ?’ वो मासूमियत से बोली.
‘पक्का प्रॉमिस और मुझे भगवान की कसम अगर तुम्हारी मर्जी के खिलाफ मैंने कुछ भी किया तो!’ मैंने वादा किया.
‘और किसी को इस बारे में बताओगे भी नहीं कभी, ये भी वादा करो?’ वो बोली.
‘अरे पक्का वादा. मैं क्यों किसी को बताऊंगा. तेरी इज्जत का मुझे पूरा पूरा ख्याल है.’ मैंने प्यार से कहा.
कितनी भोली थी बेचारी… मासूमियत से भरी हुई… मुझसे वादे मांग रही थी, कसमें खिला रही थी. उसे क्या पता था कि जब मैं उसकी दोनों चूचियाँ पकड़ के उसकी चूत चाटूंगा, चूत के दाने को चुभलाऊंगा तो वो खुद लंड मांगेगी, चोद डालने की विनती करेगी.
लेकिन वो घड़ी अभी दूर थी.
‘ठीक है अंकल जी, मैं आपको फोन करुँगी बाद में!’ वो बोली.
‘ओके शालिनी, जब तुम ठीक समझो, मुझे फोन कर देना और किसी बात का टेंशन नहीं लेना!’ मैंने उसका गाल थपथपाते हुए कहा.
उसने सहमति में सर हिलाया और अपनी साइकिल पर बैठ गई. साइकिल पर बैठते समय उसकी कुर्ती ऊपर चढ़ गई जिससे उसकी सफ़ेद सलवार के अन्दर से उसकी गुलाबी जांघों और सफ़ेद पेंटी की झलक मिली जिसे देखकर ही चित्त प्रसन्न हो गया.
और वो तेजी से पैडल चलाती हुई निकल ली.
अब मैं खुश होकर हवा में उड़ने लगा था, रह रह कर उसके नंगे जिस्म की कल्पना में खो जाता और उसकी चूत चटाई और चुदाई के दिवा स्वप्न देखता रहता.
कुछ दिन यूं ही इंतज़ार में निकल गये शालिनी का फोन नहीं आया. हालांकि उसका फोन नएम्बार मेरे पास था लेकिन मैंने उसे फोन करना ठीक नहीं समझा.
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