Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
03-26-2019, 11:57 AM,
#22
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
चाची की नज़ारे तो लंड पर ही जमी थी जैसे बिल्ली की नज़ारे दूध के बर्तन पर लगी हो. उन्होंने अपने सूखे होटों पर जुबान फेरी और बोली, "हम्म...कहाँ कांच लगा है......दिखा तो ज़रा ?" मैंने अपने हाथ नहीं हटाया तो चाची ने मेरे हाथों को मेरे बाबुराव से हटा दिया.


जैसे स्प्रिंग को दबा कर छोड़ दो......तो उछलती है वैसे ही बाबुराव ने झटका खाया और ठुन्कियाँ मारने लगा. चाची अपनी ऑंखें सिकोड़ कर एकटक बाबुराव को निहारे जा रही थी.....ऐसा लग रहा था मानो अपनी नज़रों से उसको सहला रही हो.......उनका मुंह हल्का सा खुल गया था और उनकी नाक के दोनों कोने फुल गए था.

चाची बोली, " हाय राम लल्ला......तुझे कुछ चैन भी है की नहीं.......जब देखो तब ही तलवार लेकर खड़ा रहता है, अभी तो चोट लगी है फिर भी यह क्या.........."


मैं घबरा भी रहा था और मुझे मज़ा भी आ रहा था, मैं कहा, "च च चाची वो....आप मेरे पीछे......म म मेरा मतलब है की मेरे पुठ्ठो पर से कांच हटा रही थी न इसलिए यह अ अ अ ऐसा ह ह ह हो गया.........मैंने जानबूझ कर नहीं किया...."


चाची मेरे बाबुराव को घूरते हुए ठंडी सांस लेकर बोली, "हाँ रे लल्ला......जानबूझ कर अगर हो जाता तो तेरे चाचा आज बाप बन चुके होते......"


वो एकटक मेरे लिंग को देखे जा रही थी. फिर अचानक जैसे उनका मूड फिर बदला और वो बोली, " चल वो सब छोड़.....मुझे बता की कहा दर्द है.....कहीं इधर उधर कांच घुसा होगा तो फिर तेरी लुगाई को खुश कैसे रखेगा......"


यह कह कर उन्होंने मेरे थरथराते लिंग को किसी कुशल सपेरे की तरह पकड़ लिया. मेरे मुंह से तुरंत सिसकारी निकल गयी.


चाची ने झटके से मेरी तरफ देखा और बोली, "दुखा क्या ?"

अब मैं क्या बोलता की चाची दुखा नहीं मज़ा आया ऐसे ही हिलाती रहो. मैंने हाँ में सर हिला दिया. चाची ने मेरे बाबुराव को जड़ से पकड़ा और उसका गौर से मुआयना करने लगी. कांच वांच तो घंटा नहीं लगा था मगर थोडा नाटक करना जरुरी था. मैं ऑंखें बंद किया धीरे धीरे सिसकारी लेने लगा. चाची बड़े ध्यान से मेरे सामान पर चोट के निशान ढूंढ़ रही थी. उन्होंने मेरे बाबुराव की स्किन को थोडा सा निचे सरकाया और सुपाड़े का निरिक्षण करने लगी. मेरी तो सांसे मरते आदमी जैसी रुक रुक कर चल रही थी. उन्होंने फिर से मेरे बाबुराव की स्किन ऊपर की और धीरे से फिर निचे कर दी.


साली.....चाची मेरी मुठ मार रही थी. मुझे इतना मज़ा आ रहा था की बता नहीं सकता. मेरे मुंह से सिस्कारिया और आह पे आह निकलने लगी. क्या सीन था.....मैं चाची के बिस्तर पर नंगा लेटा हुआ, चाची सिर्फ टॉवेल में अपने जोबन छुपाये. चाची मेरा बाबुराव हिला रही थी और यह सब बल्लू चाचा के बिस्तर पर उनकी बीवी के साथ हो रहा था.


अचानक चाची ने हिलाना बंद कर दिया और बोली, "क्यों रे हरामी........चोट वोट कुछ नहीं लगी है......हिरसू......साले.....बेशरम मैं तो सोच रही थी की लल्ला को कांच चुभा होगा और तू हरामी मज़े ले रहा है......."


मज़े की बात ये थी की यह सब बोलते हुए भी वो ठरकी औरत मेरा बाबुराव हिला रही थी और उसके होटों पर वोही टेडी मुस्कान नाच रही थी. चाची भी पक्की कमीनी थी......उसके कमीनेपन का जवाब कमीनेपन से ही देना था.


मैंने कहा, "नहीं चाची.......च च चोट तो लगी है.......आप ध ध ध्यान से देखो.......आप के नहाने के चक्कर में मेरी तो ग ग ग गांड ही छिल गयी......"

मुझे लगा की चाची के सामने गांड बोल दिया. कहीं नाराज़ न हो जाये मगर वो तो गाँव की ठेठ औरत थी.....मेरा बाबुराव हिलाती हुयी बोली, "गांड तो छिली है लल्ला मगर ये तुम्हारा ........मुन्ना तो ठीक ठाक है......"


मैंने अनजान बनके पूछा, " म म मुन्ना.......मतलब......"

चाची ने वो ही टेडी मुस्कान मरी और मेरी आँखों में देखते हुए कहा, "ये तेरा लौड़ा..........."


दोस्तों......औरत के मुंह से ऐसे शब्दों को सुनने का आनंद ही कुछ और है. और जब वो औरत चाची जैसी बिंदास और ठरकी हो और ऐसे शब्द आपकी आँखों में ऑंखें डाल कर कहे तो वियाग्रा या किसी तेल की क्या जरुरत......लंड खड़ा नहीं होता बल्कि फटने लगता है.


चाची ने मेरे लंड को हिलाना जरी रखा. मैंने कहा, "चाची शायद निचे की तरफ कुछ चुभ रहा है........."


चाची ने कहा, "निचे कहा लल्ला........हंडवों पर.......?"


माँ कसम.....अब तो चाची पुरे फार्म में आ गयी थी. मैंने हाँ में सर हिलाया. चाची ने कहा, "थोडा पीछे होजा बेटा.....

और टाँगें चौड़ी कर........मैं देखू जरा कहाँ चुभा......."


मैंने तुरंत अपनी टाँगें चौड़ी कर ली........और चाची मेरी टांगो के बिच कुतिया की तरह बैठ गयी और मेरे गोटों को देखने लगी.......देख तो क्या रही थी.......मज़े से सहला रही थी.....कभी कभी नाखूनों से रगड़ देती.......कांच ढूंढने के

नाम पर पूरा मज़ा ले रही थी. चाची के ऐसी झुके रहने से ऐसा ही लग रहा था मानो वो मेरा लंड चूसने के लिए ही ऐसे बैठी है. हेयर रिमोवल क्रीम की वजह से मेरे लंड और गोटों पर एक भी बाल नहीं था. चाची मज़े से हाथ फेरे जा रही थी.

तभी उन्होंने मेरे गोटों और एसहोल के बिच की जगह पर सहलाया. मेरे मुंह से सिसकारी और आह दोनों एक साथ निकल गए. चाची ने मेरी और देखा. हम दोनों की नज़ारे मिली और ऐसे ही मेरी आँखों में देखते हुए चाची ने फिर से वहीँ पर सहलाया, मैंने भी चाची के चेहरे पर नज़ारे गडाए हुए एक और आह भरी. चाची उस जगह से सहलाते सहलाते मेरे गोटों से होती हुयी मेरे लंड तक पहुंची और मेरे सुपाड़े की स्किन पीछे करके अपनी उंगली मेरे लंड के छेद पर फिराने लगी. मज़े से मेरी ऑंखें बंद हुयी जा रही थी मगर चाची की नशीली आँखों में देख कर मज़ा आ रहा था. इसलिए मैं एकटक उनको देखता रहा.

kramashah.............
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