RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
“मुझे.... मुझे अब यहाँ से जाना चाहिए... और कपड़े पहन लेने चाहिए.” मौसी ने मेरे होंठों पर नज़रें टिकाए हुए ही किसी तरह बोला.
“उः हा” मेरे मूँह से आवाज़ निकली और फिर से मैं अपना मूँह मौसी के मूँह के पास ले गया.
मौसी अब वहाँ से जाने का इरादा त्याग चुकी थी, और मौसी ने मेरे मूँह से अपने मूँह को मिलाते हुए, मेरी एक जोरदार किस ले ली. हम दोनो मे मूँह एक दूसरे से चिपक कर एक गहरी फ्रेंच किस लेने लगे., मौसी ने अपनी बाहें मेरे गले में डाल दी, और अपनी टाँगें मेरे गिर्द लपेट ली, मैने मौसी को खींचते हुए अपने उपर ले लिया. हम दोनो के हाथ एक दूसरे के शरीर को सहलाने लगे, और किस करते हुए हमारी जीभ एक दूसरे में लिपटने लगी.
हम कुछ देर ऐसे ही प्यार करते रहे, और आलिंगंबध होकर एक दूसरे के शरीर के साथ खेलते रहे. मौसी का एक हाथ जो अब तक मेरी पीठ को सहला रहा था, अब मेरे पेट के निचले हिस्से की तरफ बढ़ने लगा. मौसी ने अपने हाथ की उंगलियों के फिंगर टिप से मेरे लंड को महसूस किया, और फिर मेरे लंड को मुट्ठी में भर लिया, और उसको धीरे धीरे हिलाने लगी. मैं भी अपना एक हाथ नीचे ले गया, और उंगलियों से मौसी की चूत के होंठों को सहलाने लगा. हम दोनो अब भी किस कर रहे थे, और हमारी साँसें उखड़ने लगी थी.
मौसी अपने हाथ से मेरे लंड के साथ खेल रही थी, अपनी उंगलियों के टिप्स से लंड को सहलाती, और फिर उस पर ग्रिप बनाते हुए लंड को उपर नीचे करती. मेरी दो उंगलियाँ, मौसी की चूत के द्वार को उपर से नीचे तक घिस रही थी, मौसी की चूत पनिया कर मेरी उंगलियों को चिकना करने लगी थी. मैने पहले एक और फिर दोनो उंगलियाँ मौसी की पनिया रही चूत में घुसा दी, और उनको अंदर बाहर करने लगा.
हम दोनो स्वर्ग का आनंद ले रहे थे, और बस चाहते थे कि बस इसका ऐसे ही मज़ा लेते रहें. मुझे वो दिन याद आ गये, जब मैं और दीदी बिना चुदाई किए, इसी तरह एक दूसरे का पानी निकाला करते थे. लेकिन आज मेरे पास नंगी लेटी हुई मेरी दीदी नही, बल्कि मेरी मौसी थी, जिसके साथ कुछ भी गड़बड़ ना करने के लिए मम्मी ने पहले से ही मुझे चेतावनी दे रखी थी.
हम दोनो एक दूसरे को ऐसे ही किस करते हुए, और एक दूसरे के चूत लंड से अपने हाथों से खेलते हुए, वहाँ पहुँच चुके थे, जहाँ से बिना चुदाई किए वापस लौटना अब असंभव था.
“ओह्ह्ह्ह, राज!!!” मौसी कराहते हुए बोली, उनकी चूत में लगी आग अब काबू से बाहर होने लगी थी.
मौसी ने अपनी दोनो टाँगें खोल रखी थी, मैं तुरंत मौसी की दोनो टाँगों के बीच आ गया. मेरा लंड मौसी की गीली चूत के एक दम सामने आकर, अपनी मंज़िल को निहार रहा था, मौसी की चूत में हलचल होने लगी थी. हम दोनो के शरीर, प्रकृति की ज़रूरत के अनुसार एक दूसरे को समझ रहे थे, और ताल से ताल मिला रहे थे, जैसे ही मैने अपनी गान्ड उठाई, मौसी ने अपनी गान्ड को बेड पर पीछे करते हुए, मेरे लंड को अपनी चूत के छेद के बिल्कुल सामने ले आई. मैने थोड़ा सा आगे बढ़कर, लंड के सुपाडे को मौसी की चूत में घुसा दिया, और फिर पूरे लंड को मौसी की चूत में पेल दिया.
हम दोनो धीरे धीरे, हल्के हल्के झटके मार कर शरीर के मिलन का आनंद लेने लगे. मैने लंड को बाहर खींचा, बस थोड़ा सा चूत में रहने दिया, और फिर धीरे से पूरा अंदर तक फिर से पेल दिया. मौसी मेरे झटकों का गान्ड को उछाल उछाल कर पूरा साथ दे रही थी. हम दोनो किसी जल्दबाज़ी मे नही थे, और इस धीमी चुदाई का पूरा मज़ा ले रहे थे. हम दोनो के मूँह फिर से मिल चुके थे, और एक दूसरे को चूम रहे थे, जीभें एक दूसरे को सहला रही थी, और मेरे लंड धीरे धीरे मौसी की चूत के अंदर बाहर हो रहा था.
हमार पहली चुदाई में जो जल्दबाज़ी और हवस का उतावलापन था, वो इस बार नही था, अब जो हो रहा था वो सॉफ्ट, जेंटल और ऐसी चुदाई थी जो दो प्रेमी कर रहे थे. हम दोनो के दिल में, चुदाई करते हुए, विभिन्न प्रकार के भाव और विचार आ रहे थे. मैं बस ऐसे ही मौसी को चोदते रहना चाहता था. मौसी अब अपनी गान्ड ज़ोर ज़ोर से उपर की तरफ उछालने लगी थी, और अपनी गीली चूत की सुरंग में उसको ज़्यादा से ज़्यादा अंदर घुसाने का प्रयास करते हुए, चूत के दाने को घिस रही थी.
“ओह मौसी!!!!!!!आप बहुत अच्छा चुदवाती हो!!!!!!!!!” मैने कराहते हुए कहा. “मैं आपको रोजाना ऐसे ही चोदना चाहता हूँ!!!!!!!!”
“ओह राज!!!!!!हाआअंन्न! ओह बेटा!!!!!!!! मैं भी तुमसे ऐसे ही चुदते रहना चाहती हूँ!!!!!!” मौसी कराहते हुए बोली, और ये आवाज़ उनके दिल से निकली थी. हम दोनो अपने रिश्ते और उमर के अंतर को भूल कर हवस में पागल हो चुके थे.
हम वैसे ही एक दूसरे को कस कर पकड़े हुए, धीरे धीरे चुदाई करते रहे. जैसे ही झटके अपने आप तेज होने लगे, मौसी अपने चरम के करीब पहुँचने का एहसास कराने लगी, उनकी टाँगें अब अलग तरह से चौड़ी होकर खुल रही थी, और चरम पर पहुँचने की बेकरारी उनके पूरे शरीर में व्याप्त होने लगी थी.
“ओःःःःःःःःःःःःह्ह्ह्ह्ह राज!!!!!!!!!! ई….मैं बस होने ही वाली हूँ!!!!!!!! ओह बेटा!!! तुम भी मेरे साथ ही हो जाओ!!!!!!! मौसी कराहते हुए बोली, वो बस झड्ने ही वाली थी.
“ऑश मौसी!!!!!!! मैं..मैं भी बस झड्ने ही वाला हूँ!!!!!!!!!! मैं ज़ोर से चीख कर बोला
“हाआंन्न!!!!!!! ज़ोर से बेटा!!!!!!! और ज़ोर से!!!!!!! मौसी ने गुर्राते हुए कहा, और हमारी चुदाई ने रफ़्तार पकड़ ली. मौसी अपनी गान्ड उछाल उछाल कर मेरे झटकों का साथ दे रही थी, और मैं उनकी बेहद गीली चूत में अपने लंड को अनादर बाहर करके उनकी चूत को ठप ठप की आवाज़ के साथ बजाए जा रहा था.
मौसी जैसे ही झडि, उन्होने अपनी उंगलियों के नाख़ून मेरी पीठ में गढ़ा दिए, और उनका शरीर अकड़ने लगा.
"ओह हह विशाााल्ल्ल!!!!!!!!!! मौसी चीखी, और फिर जबरदस्त तरीके से झड गयी, मौसी की चूत मेरे लंड को निचोड़ने लगी.
“आहह!!!!!!!!!!! मेरे मूँह से अपने आप आवाज़ निकली, जैसे ही मेरे लंड ने गरम और गाढ़े वीर्य की पहली पिचकारी मौसी की चूत के गहराई में अंदर तक जाते हुए छोड़ी.
हम दोनो ऐसे ही एक दूसरे को जकड़े रहे, और मौसी की चूत मेरे लंड को निचोड़ती रही. मेरा लंड पिचकारी पर पिचकारी, मौसी की गरम चूत में मारे जा रहा था. जैसे ही हम एक साथ झडे, हम दोनो के शरीर में से मानो जान निकल गयी, और मैं निढाल होकर मौसी के उपर ही लेट गया.
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