RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैं और दीदी मेरी शादी के रिसेप्षन के लिए बुक, उस 5 स्टार होटेल के दीदी के रूम में सोफे बैठे हुए बातें कर रहे थे, और दीदी मुझे अपने ससुराल में बीते पिछले 6 महीनों के दौरान जो कुछ उनके साथ हुआ था, उसके बारे में बता रही थी.......
दीदी ने आगे बताना जारी रखा.....
ये सब बताते हुए, मुझे और दीदी को टाइम का पता ही नही चला, जब मैने घड़ी की तरफ देखा, तो सुबह के तीन बज रहे थे. मैने पूछा, दीदी ये तो ठीक है, लेकिन आपने संध्या से पूछा नही, कि उन दोनो भाई बेहन के बीच ये सब शुरू कैसे हुआ?
दीदी ने धीरज की तरफ देखा, और बोली हां, उसकी भी एक रोचक कहानी है, जो मुझे संध्या ने सुनाई थी...
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संध्या की कहानी संध्या की ज़ुबानी....
धीरज के घर भी हमारे घर की तरह ही ड्यूप्लेक्स बना हुआ है. ग्राउंड फ्लोर के बेड रूम में धीरज के मम्मी पापा सोते हैं, और फर्स्ट फ्लोर पर धीरज और संध्या के अलग अलग रूम हैं. दोनो फ्लोर्स पर एक एक टाय्लेट कम बाथ रूम है. सभी के रूम्स और लिविंग रूम में टीवी लगे हुए हैं.
मम्मी पापा कुछ 4-5 दिनों के लिए, किसी फंक्षन को अटेंड करने लिए, बाहर दूसरे शहर गये हुए थे.
उन दिनों, एक रात जब मैं (संध्या), टाय्लेट यूज़ कर के अपने रूम में लौट कर आ रही थी, तब मैने देखा कि धीरज के रूम में टीवी चल रहा है, और उसका डोर थोड़ा सा खुला हुआ है.
टीवी पर शायद अनिमल प्लॅनेट का कोई एपिसोड चल रहा था, धीरज ने टीवी की आवाज़ बहुत कम कर रखी थी. संध्या ने जब अंदर झाँक कर देखा, तो धीरज अपने बेड पर सो रहा था, उसका ब्लंकेट ज़मीन पर गिरा पड़ा था, और उसका बड़ा भाई सिर्फ़ बॉक्सर पहन कर सो रहा था.
कुछ मिनिट्स ऐसे ही देखते रहने के बाद, मेरी आँखें भी नींद से भारी हो रही थी, मैने रूम में घुसकर टीवी के रिमोट से उसको ऑफ करने का फ़ैसला लिया, लेकिन तभी भैया की तरफ से कुछ आवाज़ सी सुनाई दी. मैने सोचा वो मुझ से कुछ कह रहे है, मैने पूछा, “क्या हुआ भैया?”
लेकिन मुझे भैया की तरफ से कुछ भी आन्सर नही मिला, भैया का एक हाथ अपनी छाती पर रखा था, और दूसरा अपनी कमर के नीचे दबा हुआ था. मुझे लगा कि कहीं भैया नींद में तो कुछ नही बोल रहे. जैसे ही मैने टीवी को रिमोट से ऑफ किया, पूरे रूम में अंधेरा हो गया.
भैया ने फिर से एक आवाज़ की. इस बार मुझे यकीन हो गया, कि वो मुझसे कुछ नही कह रहे हैं, बस सोते हुए आवाज़ें निकाल रहे हैं. मैने भैया के उपर कंबल डाला, और उनको सोते हुए देख उनके रूम से बाहर निकल आई.
जैसे ही मैं रूम से बाहर निकल कर गॅलरी में आई, मुझे फिर से एक और आवाज़ सुनाई दी, उस आवाज़ ने मुझे वहीं पर रोक दिया. वो आवाज़ किसी के..... कराहने की थी. मैं अपनी साँसें रोक कर सुनने लगी. हां.... ये कराहने की ही आवाज़ थी. हे भगवान, भैया सपने में ना जाने क्या सोच रहे हैं? मुझे एक बार तो थोड़ी हँसी आई, लेकिन मैने उसको रोक लिया. भैया, भी ना... इनकी कोई गर्लफ्रेंड तो कोई थी नही... और सही कहूँ तो मेरा भी कोई बाय्फ्रेंड नही था. ये सोच कर मुझे थोड़ी सी हँसी आ ही गयी, मैने अपने मूँह पर हाथ रख कर, हँसी की आवाज़ को दबाने की कोशिशी की.
तभी भैया के रूम से एक और कराहने की आवाज़ सुनाई दी और फिर “म्म्म्ममम...”. मेरी उत्सुकता और ज़्यादा बढ़ गयी, मैं समझ नही पा रही थी, की ये बस उत्सुकता थी या फिर मैं भैया के कराहने की आवाज़ से खुद भी एग्ज़ाइटेड होने लगी थी, कहना मुश्किल था. लेकिन सब कुछ मुझे अंदर ही अंदर हँसने पर मजबूर कर रहा था.
मैं साँस रोक कर, चुप चाप खड़े होकर, ध्यान से सुनने लगी. और एक बार फिर से आवाज़ सुनाई दी ! भैया के करहाने की, और उनके करवट बदलने की. मैने मूँह में आए हुए थूक को अंदर सटक लिया. भैया के कराहने की आवाज़, और तेज तेज साँस लेने की आवाज़ मैं सॉफ सॉफ सुन रही थी.
मैने मन ही मन सोचा, “क्या भैया, मूठ मार रहे हैं?”
बस ये ख्याल आते ही मेरे दिमाग़ में भैया के अपने लंड के साथ खेलते हुए की तस्वीर मेरे दिमाग़ में घूमने लगी. कुछ साल पहले मैने भैया को अपने लंड के साथ खेलते हुए देखा था, तब मैं बहुत छोटी थी, उस के बाद भैया ने मेरे साथ पूरे एक सप्ताह तक बात नही की थी. वो सब याद आते ही मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी. भैया के इस तरह सोते हुए कराहने की आवाज़ सुन कर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, और मैं भी एग्ज़ाइटेड हो रही थी.
मैं चाहती तो वहाँ से जा सकती थी, लेकिन मैं वहाँ से खुद ही नही जाना चाहती थी. भैया की फिर से एक कराहने की आवाज़ आई, और मैं फिर से भैया के रूम की तरफ बढ़ चली. मैने अपने आप को संभालते हुए, अपनी साँसों को संयत करने का प्रयास किया. भैया के रूम के अंदर झाँक कर देखा, तो अंधेरे में भैया के बेड पर लेटे होने की धुंधली से तस्वीर दिखाई दी, वो उस वक़्त बिल्कुल हिल डुल नही रहे थे.
मैने रूम के अंदर जाकर, अंधेरे में फिर से टीवी के रिमोट को ढूँढना शुरू किया, जहाँ मैं उसको रख कर थोड़ी देर पहले गयी थी. जैसे ही मुझे रिमोट मिला, मैने टीवी ऑन कर दिया. टीवी के ऑन होते ही एक आवाज़ आई, मैं थोड़ा घबरा गयी, और चेयर के पीछे चुप गयी. मैं नही चाहती थी कि भैया को पता चले कि मैं उनको देख रही हूँ.
टीवी के ऑन होते ही रूम में रोशनी हो गयी, चेयर के पीछे छुपे हुए ही, मैं देखने लगी कि कहीं भैया जाग तो नही गये हैं. भैया एक बार फिर से कराहे, और इस बार उनकी आवाज़ थोड़ी अलग तरह की थी. मानो वो करहाने की आवाज़ को दबाने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन फिर भी वो निकल ही गयी हो. मुझे इस तरह चुप कर देखते हुए एक अलग ही मज़ा आ रहा था.
मैं थोड़ा उपर हो गयी. मेरे दिमाग़ में ख्याल आया, कि कहीं यदि भैया जागे हुए हो और उन्होने मुझे इस तरह चुप कर देखते हुए पकड़ लिया तो फिर क्या होगा. भैया बस एक पल में समझ जाएँगे की मैं वहाँ क्या कर रही हूँ. मैं तुरंत सीधी खड़ी हो गयी, मानो मैं पहले से वहाँ पर ऐसे ही खड़ी थी.
भैया सो रहे थे, या फिर कम से कम उनकी आँखें तो बंद थी. मैं सब कुछ भूल कर भैया को खड़े होकर देखने लगी, वो वैसे ही पहले की तरह सो रहे थे, जैसे मैने कुछ मिनिट्स पहले देखा था. बस उनका हाथ अब उनकी छाती पर नही था, और उनका मूँह खुल गया था. उनके मूँह से फिर एक कराह निकली, मेरी साँसें तेज होने लगी.
मेरी आँखें भैया के बदन को उपर से नीचे तक निहारते हुए उनकी कमर पर आकर रुक गयी, मेरा मूँह खुला का खुला ही रह गया जब मैने देखा, भैया के बॉक्सर में उनका लंड पूरी तरह खड़ा होकर, उसने बॉक्सर में टेंट बना रखा था. वो बिल्कुल सीधा नही खड़ा था, लेकिन फिर भी बहुत कुछ सीधा ही था. तभी भैया के मूँह से आवाज़ निकली, और उनके हिप्स थोड़ा सा हिले. उनके लंड में भी हलचल हुई, और भैया थोड़ा सा हाँफने लगे.
ये सब मैं मन्त्र मुग्ध होकर देख रही थी.
अब बहुत देर हो चुकी थी, अब वहाँ से जाना असंभव था, ये मेरी समझ में आ चुका था. और मुझे अब अपने शरीर पर भी काबू रखना मुश्किल हो रहा था. मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था. मैं अपने आप को समझाने की कोशिश कर रही थी, कि मेरा दिल डर की वजह से जोरों से धड़क रहा है. मुझे अब भी दिल के किसी कोने में ये डर था, कहीं मैं पकड़ी ना जाऊं. लेकिन ये भी सच था कि मैं बहुत गरम हो चुकी थी.
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