RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
“ हां मेरी जान. आज मैं तुम्हारी प्यास ज़रूर बुझाउन्गा.” ये कहते हुए राज ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया इससे पहले कि मैं कुच्छ समझू उसने सामने आ के तने हुए लंड को मेरे मुँह में पेल दिया. मैं जितना चूस सकती थी उतना चूसने की कोशिश कर रही थी, लेकिन इतने मोटे लंड को चूसना कोई आसान काम नहीं था. उसने धक्के मार मार के लंड मेरे गले तक घुसेड दिया था. मैं साँस भी बड़ी मुश्किल से ले पा रही थी. दस मिनिट तक मेरे मुँह को चोदने के बाद राज ने फिर से लंड मेरी चूत में पेल दिया. ये सिलसिला एक घंटे तक चलता रहा. राज पहले मेरी चूत लेता और फिर मुँह में पेल देता. मेरे मुँह में कयि चीज़ों का स्वाद था. राज के लंड का, उसके वीर्य का, अपनी चूत का . ये स्वाद तो किसी शराब से भी ज़्यादा नशीला था. सुबह के 6 बज रहे थे. मैं कुतिया बनी पागलों की तरह चुदवा रही थी. अजीब सा नशा छा रहा था. ऐसा लग रहा था कि मैं फिर से होश खो बैठूँगी. इतने में राज जो की मेरी चूत में लंड पेल रहा था, अब शायद राज का वीर्य निकलने वाला था उसने चार पाँच तगड़े धक्के लगाए और चूत में अपना वीर्य छोड़ दिया मेरी चूत ने भी दुबारा पानी छोड़ दिया मैं इस चुदाई पस्त हो चुकी थी और धडाम से मुँह के बल रजनी भाभी के ऊपर गिर पड़ी तो राज बोला
“ ठीक तो है मेरी रंडी ? ये क्या हो गया है तुझे?”
“ ये बात तुम मुझसे क्यों पूछ रहे हो ? अपने इस मूसल से पूछो.” मैं उसके झूलते हुए लंड को प्यार से सहलाते हुए बोली. “ ये तो किसी भी औरत का बॅंड बजा देगा. और तुमने भी तो कितने बेरहमी से चोदा है. ऐसे चोदा जाता है अपनी रांड़ को? ”
फिर कुछ देर सुस्ताने के बाद मैं और भाभी राज से उसकी अधूरी कहानी सुनाने की ज़िद करने लगे
राज ने अपनी कहानी बताना स्टार्ट किया
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फ्लेश बॅक..................
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समय कितनी जल्दी बीत जाता है, पता ही नही चलता.मेरी और तान्या की शादी को करीब 7 साल हो चुके थे, और दीदी की शादी को हुए करीब 8 साल बीत चुके थे. डॉली दीदी के 2 बेटे हो गये थे. मैं और तान्या अभी भी फॅमिली शुरू करने की प्लॅनिंग कर रहे थे. सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था. आज कल तान्या अपने मायके गयी हुई थी, उसके रीलेशन में किसी की शादी थी, मैने सोचा चेंज के लिए मैं भी डॉली दीदी के घर कुछ दिनों के लिए रहने चले जाता हूँ.
धीरज और डॉली दीदी से मिले वैसे भी बहुत टाइम हो चला था. मैने दीदी को फोन मिलाया, और उनसे पूछा अगर मैं उनके पास कुछ दिनों के लिए रहने आ जाऊं तो कैसा रहेगा, क्योंकि तान्या भी अपने मायके गयी हुई है. दीदी मेरे आने की बात सुनकर बहुत खुश हुई. बिज़्नेस का सारा काम अपने भरोसेमंद आदमी के हवाले करके, और उसको ईमेल और मोबाइल पर टच में बने रहने की हिदायत देकर मैं डॉली दीदी के घर की तरफ चल दिया.
मैं दीदी के घर दोपहर में पहुँच गया. उस दिन ट्यूसडे था, बच्चे स्कूल गये हुए थे. धीरज जीजा जी ने मुझे दरवाजे पर रिसीव किया. "गुड टू सी यू, राज. डॉली तुम्हारा ही इंतेजार कर रही थी."
धीरज ने मेरा सूटकेस कार की डिकी में से निकाल कर अंदर तक लाने में मेरी मदद की.
डॉली दीदी ड्रॉयिंग रूम में किचन में से तीन ग्लासेस में कोल्ड ड्रिंक लेकर दाखिल हुई. "हाउ आर यू, राज?"
"आइ'म फाइन. आप कैसी हो दीदी?"
"ठीक हूँ, बस इन बच्चों और किचन के काम में ही बिज़ी रहती हूँ, टाइम ही नही मिलता,” डॉली दीदी हँसते हुए बोली.
धीरज को कहीं बाहर जाना था, वो कुछ देर में लौट कर आने का प्रॉमिस कर के बाहर निकल गया.
‘और सब कैसा चल रहा है, डॉली दीदी?"
"प्रेटी गुड."
"नही , सीरियस्ली बताओ. हाउ आर थिंग्स गोयिंग? आप मेरी दीदी हो और मैं आपके चेहरे को देख कर ही बता सकता हूँ ,कि आप थोड़ा परेशान हो."
"दोनो बच्चे सुबह सुबह स्कूल चले जाते हैं, और धीरज बिज़्नेस के काम में बिज़ी रहते हैं, मैं अपने आप को यूज़लेस फील करने लगी हूँ."
"व्हाट डू यू मीन बाइ यूज़लेस? आप की वजह से ही तो बच्चों के पढ़ाई ठीक से चल रही है, और धीरज अपने बिज़्नेस में ध्यान लगा पा रहा है. ये सब आपकी मेहनत का ही नतीजा है. आप की इंपॉर्टेन्स ही तो सब से ज़्यादा है.”
डॉली दीदी उठ कर खड़ी हो गयी, और मैने भी उनके साथ खड़े होते हुए उनके गले में अपनी बाहें डाल दी. "थॅंक्स, राज. तुम मेरे बहुत प्यारे शैतान और समझदार छोटे भाई हो."
"डॉली दीदी, आइ'म सीरीयस. आप अपने आप को कम मत समझा करो, ये सब कुछ आप की वजह से ही संभव हो पा रहा है, आइ लव यू."
"मैं तो मज़ाक कर रही थी. आइ लव यू टू, शैतान कहीं के. चलो अब कुछ देर अपने रूम में आराम कर लो." डॉली दीदी ने मेरे गाल पर एक पप्पी ली, जो पप्पी कम और किस से बस थोड़ा सा कम थी.
जैसे ही दीदी घूम कर अपने रूम की तरफ चली, मैने उनकी गान्ड पर हल्की सी चपत लगा दी. दीदी की गान्ड पर हाथ लगा कर मैने महसूस किया, दीदी की गान्ड दो बच्चों को पैदा करने के बाद भी एक दम सॉलिड थी.
रात को मैने और धीरज ने एक-एक बियर पी, फिर हम सब लोगों ने एक साथ डाइनिंग टेबल पर बैठ कर खाना खाया, और तान्या से सभी ने फोन पर बात की. उसके बाद सभी सोने चले गये.
अगले दिन जब मैं सो कर उठा, तो धीरज अपने ऑफीस और बच्चे अपने स्कूल जा चुके थे. मैं और दीदी जब डाइनिंग टेबल पर बैठ कर ब्रेकफास्ट कर रहे थे, तभी दीदी के मोबाइल पर धीरज का फोन आया. धीरज ने दीदी को बताया कि उसको बिज़्नेस के किसी अर्जेंट काम के लिए 2 दिन के लिए मुंबई जाना है, और वो उसका सूटकेस तय्यार कर दे. वो एरपोर्ट जाते हुए घर से अपना सूटकेस ले लेगा.
मैने डॉली दीदी की धीरज का सूटकेस रेडी करने में उनकी मदद की. धीरज जब सूटकेस लेकर चला गया, उसके बाद मैं नहा कर अपने रूम में एक झपकी मारने के लिए बेड पर लेट गया. दीदी अपने किचन के काम में बिज़ी थी.
जब मेरा बेड थोड़ा हिला, तो मेरी आँख खुल गयी. डॉली दीदी मेरे पास आकर लेटी हुई थी. “क्या....”
"ष्ह्ह. मुझे अपनी बाहों में भर लो राज." मैने दीदी को अपनी बाहों में भर लिया, दीदी मुझसे चिपक गयी, और अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया.
"क्या हुआ, दीदी?"
"कुछ नही. बस मैं पहले की तरह तुम्हारे करीब आना चाहती थी."
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