RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
डॉली दिन भर काफ़ी परेशान रही थी, धीरज के रूखे व्यवहार के कारण और अपने भाई के साथ सपने के बारे में सोच सोच कर. वो धीरज को भी सारा दोष नही दे सकती थी, क्योंकि पिछले कुछ महीनों से उसका खुद का मन धीरज के साथ सेक्स करने का बिल्कुल नही होता था, वो धीरज की शारीरिक ज़रूरतों का ख्याल नही रख रही थी. अब धीरज यदि ऐसा व्यवहार कर रहा था, तो इसमे ज़्यादा बुरा लगने वाली बात नही थी. जिस तरह से डॉली और धीरज शादी के बाद एक दो साल तक जिस तरह चुदाई किया करते थे, वो बहुत पुरानी बात थी, शायद वो दोनो अब एक दूसरे से बोर हो चुके थे.
डॉली के मन में तरह तरह के विचार आ रहे थे. कहीं ऐसा तो नही कि धीरज उसकी पहल का कभी जवाब ही नही देगा? क्या उसका किसी लड़की के साथ चक्कर तो नही चल रहा? धीरज शायद अब ये मान चुका है कि उन दोनो के बीच अब सेक्स रिलेशन्स नॉर्मल नही हो सकते. कहीं वो किसी और की चुदाई तो नही कर रहा?
फिर थोड़ी देर बाद ठंडे दिमाग़ से सोचने के बाद डॉली को लगा, नही धीरज का किसी के साथ कोई चक्कर नही हो सकता, वो फिर कुछ और सोच कर चिंतित होने लगी. अगर धीरज ने उसकी चुदाई की , लेकिन अगर धीरज को डॉली की चुदाई में मज़ा नही आया तो?
डॉली मन ही मन सोचने लगी, कि ऐसा क्यों है कि उसको अपने सगे छोटे भाई राज से चुदने या चुदाई के बारे में सोचने में तो बहुत मज़ा आता था. वो इस बारे में सपने भी देखती है. अपने सगे भाई के लंड की सवारी का ख्याल आते ही वो रोमचित हो उठती है, उसके सारे शरीर में आग लगने लगती है.
रात को डिन्नर करने के बाद, डॉली और धीरज ने थोड़ी बहुत बातें की, फिर कुछ देर टीवी पर न्यूज़ देखी, और फिर धीरज सोने के लिए बेडरूम की तरफ चल पड़ा. धीरज के मन में विचार आया, चलो कुछ देर स्टडी रूम में लॅपटॉप पर पॉर्न देख कर मूठ मार लेते हैं फिर सो जाएँगे, लेकिन तभी उसके दिमाग़ में तान्या की वो बात उसको सच लगने लगी, कि डॉली अपने आप चुदने के लिए पहल कर रही है. जैसे ही वो बेड पर लेटने को हुआ, उसने देखा डॉली बेडरूम में तेज़ी से घुस रही थी.
हल्की हल्की रोशनी में, कंबल के नीचे नंगे लेटे हुए, धीरज बाथरूम के दरवाजे का खुलने का इंतेजार करने लगा. धीरज मन ही मन सोच रहा था कि यदि उसकी बीवी आज भी पूरी नंगी होकर बाथरूम से आती है तो वो उसकी कैसे चुदाई करेगा. तान्या को जी भर के ना चोद पाने की अधूरी ख्वाइश उसके लंड में हलचल मचा रही थी. जैसे ही बाथरूम का दरवाजा खुला, उसका लंड झटके मारने लगा.
बातरूम से आती हुई रोशनी में अपनी बीवी के संगमरमरी बदन को देख कर धीरज का लंड सलामी मारने लगा. पूर्ण रूप से नग्न डॉली बाथरूम से बेड तक आने में थोड़ा झिझक रही थी, और धीरज उसके बदन के हर उभार का एक नयी उमंग के साथ दीदार कर रहा था. डॉली के सही अनुपात में उभार लिए समस्त नंगे बदन को देख कर धीरज एक बारगी तान्या को भूल ही गया.
डॉली ने लाइट का स्विच ऑफ कर दिया, और झिझकते हुए बेड की तरफ आई. डॉली की नर्वुसनेस थोड़ा जब कम हुई, जब बेड पर चढ़ने के बाद धीरज ने डॉली के लिए पिल्लो को सही जगह खिसका दिया. डॉली अपने पति धीरज की साइड में आ कर लेट गयी, और जैसे ही एक बार डॉली की जाँघ ने धीरज के फन्फनाते हुए लंड को आक्सिडेंटली टच किया तो उसके शरीर में करेंट सा दौड़ गया. डॉली पिल्लो का सहारा लेकर बैठ गयी, और धीरज के पहल करने का इंतेजार करने लगी.
डॉली के बदन का भोग करने को बेचैन हो चुके धीरज के लिए पहल ना करना अब असंभव था, लेकिन वो कहाँ से शुरूवात करे, उसके दिमाग़ में बस ये ही कशमकश चल रही थी. धीरज ने अपनी बीवी डॉली के गाल पर एक हाथ रख कर उसका चेहरा अपनी तरफ घुमा लिया. जैसे ही धीरज के होंठों ने डॉली के होंठों को छुआ, वो डॉली के गालों को अपने हाथ से सहलाने लगा.
डॉली तो एक बार को मानो काँप ही गयी, और जैसे ही धीरज का हाथ की उंगलियाँ उसके कंधे की तरफ बढ़ी, उसके रोंगटे खड़े हो गये. अपनी बीवी को मूँह के मूँह में अब उसकी जीभ स्वच्छन्द होकर विचरण कर रही थी. धीरज ने धीरे से अपना हाथ बढ़ाकर डॉली की मस्त गोल नग्न चूंचियों को दबोच लिया.
जैसे ही धीरज के हाथ के अंगूठे ने उसकी राइट चूंची के अन्द्रुनि भाग को हल्का सा सहलाया, तान्या के मूँह से "एम्म," करते हुए एक छोटी सी कराह निकल गयी. डॉली को अपने बदन का नंगा प्रदर्शन करते हुए ऐसा लग रहा था, मानो वो कितना बड़ा पाप कर रही है, लेकिन जिस तरह से अब उसका पति उसकी चूंचियों को दबा रहा था, और उसके कड़क हो चुके निपल को अपनी उंगली और अंगूठे से मसल रहा था, ये सब डॉली के बदन में आग लगा रहा था. धीरज की किस का उसी अंदाज में डॉली जवाब देने लगी, उसके दोनो टाँगें अपने आप अलग हो गयी, और उसकी जांघें अब अपने पति के खड़े लंड को छू रही थी.
धीरज अपनी बीवी की मस्त चूंचियों को दबा दबा कर अभी और खेलना चाहता था, और उसके खड़े हुए चुके निपल्स को चूसना चाहता था, लेकिन उसके मन में कहीं डर था, कि कहीं डॉली थोड़ी देर बाद कहीं ठंडी ना पड़ जाए, उसकी चुद्वाने की इच्छा कहीं कम ना हो जाए. ना चाहते हुए उसने डॉली की चुचियों को अपनी हथेलियों की गिरफ़्त से मुक्त किया, और उसके चिकने समतल गोरे गोरे पेट पर फिराते हुए, अपनी उंगलियों से डॉली की झाटों की कंघी करने लगा.
एक पल को डॉली को थोड़ी निराशा हुई, जब धीरज ने उसकी चूंचियों को जी भर के नही दबाया. जैसे ही धीरज का हाथ उसकी दोनो टाँगों के बीच आया, डॉली का दिल जोरों से धड़कने लगा. जिस तरह से उसकी उंगलियाँ चूत के बाहरी होठों पर आसानी से घूम रही थी, उसके एहसास से डॉली को लगा कि आज उसकी चूत काफ़ी चिकनी हो चुकी है, और शायद आज वेसलीन लगाने की ज़रूरत ना पड़े.
बेहनचोद! डॉली की चूत इतनी ज़्यादा चिकनी हो गयी थी, कि अगर डॉली सर्प्राइज़्ड थी, तो धीरज को तो एक ज़ोर का झटका लगा था. जाने कब उसकी उंगलियाँ आसानी से चूत के होंठों पर सैर करते हुए कब आसानी से चूत के अंदर जा घुसी, धीरज को पता भी नही चला.
आनंद की तरंगें डॉली के शरीर में जिस तरह संचारित हो रही थी, उसके वजह से "अहह!" की आवाज़ निकालते हुए डॉली ने किस को तोड़ दिया, और अपने सिर को पिल्लो पर रख दिया. डॉली को विश्वास नही हो रहा था, कि धीरज और वो खुद सेक्स के प्रति इतने महीनों से उदासीन क्यों हो गये थे. शायद दोनो की ही ग़लती थी, वो शादी के इतने सालों बाद सेक्स को और ज़्यादा रोमांचक बनाने की जगह इसको एक रुटीन मानने लगे थे. डॉली के शरीर को धीरज का टच इतना ज़्यादा रोमांचित कर रहा था, कि वो बेड पर बिन पानी मछली की तरह तड़पने लगी.
धीरज अपनी बीवी की चिकनी चूत में उंगली घुमाने लगा, और उसका अंगूठा डॉली की चूत के दाने को सहलाने लगा. जैसे ही डॉली ने किस करना बंद किया, धीरज ने पास वाले निपल को अपने मूँह में भरकर चूसना शुरू कर दिया, और अब वो डॉली की चूंची का चूस कर आनंद लेते हुए, उसकी चूत में उंगली कर रहा था.
"ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हःःः!" डॉली के शरीर ने धीरज के उसकी चूत में उंगली करने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ढेर सारा पानी छोड़ दिया. धीरज के सिर को अपनी मुलायम चून्चि पर दबाते हुए, डॉली अपनी गान्ड उछालने लगी, और अपनी चूत को उसके हाथ के उपर घिसने लगी.
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