RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मेरे पूरे शरीर में पहले से ही काफी दर्द था और स्तनों को तो उसने जैसा मसला था, पूरे दिन उसकी बेदर्दी की गवाही दे रहे थे.. हर जगह दांतों के लाल निशान हो गए थे।
यही हाल मेरी जाँघों का था, उनमें भी अकड़न थी और कूल्हों में भी जबरदस्त दर्द था। मेरी योनि बुरी तरह से फूल गई थी और मुँह पूरा खुल गया था जैसे कोई खिला हुआ फूल हो।
अमर ने मुझे चूमते हुए मेरी योनि को हाथ लगा सहलाने की कोशिश की.. तो मैं दर्द से कसमसा गई और कराहते हुए कहा- प्लीज मत करो.. अब बहुत दर्द हो रहा है।
तब उसने भी कहा- हां.. मेरे लिंग में भी दर्द हो रहा है, क्या करें दिल मानता ही नहीं।
मैं उससे अलग हो कर बिस्तर पर लेट गई, तब अमर भी मेरे बगल में लेट गया और मेरे बदन पे हाथ फिराते हुए मुझसे बातें करने लगा।
उसने मुझसे कहा- मैंने अपने जीवन में इतना सम्भोग कभी नहीं किया और जितना मजा आज आया, पहले कभी नहीं आया।
फिर उसने मुझसे पूछा तो मैंने कहा- मजा तो बहुत आया.. पर मेरे जिस्म की हालत ऐसी है कि मैं ठीक से खड़ी भी नहीं हो सकती।
तभी मेरी योनि और नाभि के बीच के हिस्से में उसका लिंग चुभता हुआ महसूस हुआ.. मैंने देखा तो उसका लिंग फिर से कड़ा हो रहा था।
उसके लिंग के ऊपर की चमड़ी पूरी तरह से ऊपर चढ़ गई थी और सुपाड़ा खुल कर किसी सेब की तरह दिख रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे सूज गया हो।
अमर ने मुझे अपनी बांहों में कसते हुए फिर से चूमना शुरू कर दिया, पर मैंने कहा- प्लीज अब और नहीं हो पाएगा मुझसे.. तुम जाओ।
लिंग अन्दर घुसते ही मुझे बड़ा आनन्द महसूस हुआ, उनके लिंग का चमड़ा पीछे की ओर खिसकता चला गया।
मुझे बड़ी ही गुदगुदी सी महसूस होने लगी। मैंने अपने घुटनों को मोड़ा, उसके सीने पर हाथ रख दिया, उसने भी मेरी कमर को पकड़ लिया और तैयार हो गया
मैंने पहले धीरे-धीरे शुरू किया फिर जब मुझे उसके ऊपर थोड़ा आराम मिलने लगा तो मैंने अपनी गति तेज़ कर दी।
मैं पूरे मस्ती में थी तभी मैं एक तरफ सर घुमाया तो मुझे सामने आइना दिखा जिसमें मैं पूरी दिख रही थी मगर उनका सिर्फ कमर तक का हिस्सा दिख रहा था।
मैंने अपने कमर को पहले कभी ऐसा नहीं देखा था, ऐसा लग रहा था जैसे कोई मस्त हिरणी अपनी कमर लचका रही हो।
मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि सम्भोग के समय मेरी कमर ऐसे नाचती होगी।
मैं यही सोच कर और भी मस्ती में आ गई और बहुत ही मादक अंदाज़ में अपनी कमर को नचाते हुए धक्के लगाने लगी और उसकी तरफ देखा।
राज चेहरे से साफ़ जाहिर था कि उसको मेरी इस हरकत से कितना मजा आ रहा था।
वो इसी जोश में मेरी कमर पकड़े हुए कभी-कभी नीचे से मुझे जोर के झटके भी देता, जिससे मुझे और भी मजा आता था।
मैंने करीब 10 मिनट किया होगा कि फिर से मुझे मस्ती चढ़ने लगी और मैं झटके खाने को तैयार थी, पर मैंने सोचा कि खुद को रोक लूँ सो मैंने लिंग को बाहर निकालने के लिए अपनी कमर उठाई।
पर उसने मेरी कमर पकड़ रखी थी और मुझे खींचने लगा और नीचे से धक्के लगाने लगा
मैं किसी तरह अपनी कमर उठा कर लिंग बाहर करने ही वाली थी कि सुपाड़े तक आते-आते ही मैंने पानी छोड़ना शुरू कर दिया।
मैंने देखा कि मेरे पानी की पेशाब की धार की तरह 3-4 बूँद उनकी नाभि के पास गिरीं और मैं खुद को संभाल न सकी और राज के लिंग के ऊपर अपनी योनि रगड़ने लगी, जब तक मैं पूरी झड़ न गई।
मैं उनके ही ऊपर लेट गई और लम्बी-लम्बी साँसें लेने लगी।
लिंग मेरी योनि के बाहर था, तभी राज अपना एक हाथ बीच में डाला और लिंग को वापस मेरी योनि में घुसा दिया।
मुझे फ़िलहाल धक्के लगाने की न तो इच्छा थी न ही दम, सो मैं ऐसे ही साँसें लेती रही।
मुझे पता नहीं आज क्या हो गया था, पहले तो मैं राज मना कर रही थी, पूरी ताकत इनसे अलग होने में लगा रही थी और अब उतनी ही ताकत के साथ सम्भोग कर रही थी और मैं बार-बार झड़े जा रही थी, वो भी जल्दी जल्दी।
मुझमें एक अलग सी खुमारी और मस्ती छाई हुई थी, मैंने पहली बार गौर किया था कि मेरी कमर कैसे नाचती है और इसीलिए शायद मेरे साथ सम्भोग करने वालों को काफी मजा आता था।
मैंने पहली बार यह भी देखा कि मेरा पानी निकला।
इससे पहले ऐसे ही निकला था या नहीं मुझे नहीं पता, ऐसा यह मेरा पहला अनुभव था।
शायद राज अपना लिंग घुसेड़ कर इंतज़ार कर रहा था कि मैं धक्के लगाऊँगी इसलिए उसने 2-3 नीचे से धक्के लगाए, पर मैं तो उसे पकड़ कर उनके सीने में सर रख लेटी रही।
तब राज कहा- क्या हुआ… रुक क्यों गईं..? करती रहो न!
मैंने कहा- अब मुझसे नहीं होगा।
तब राज खुद ही नीचे से अपनी कमर उछाल कर मुझे चोदना शुरू कर दिया और मैं फिर ‘आह-आह’ की आवाजें निकालने लगी।
थोड़ी देर में राज उठा और मुझे अपनी गोद में बिठा लिया, फिर मेरे चूतड़ों को पकड़ कर वो घुटनों के बल खड़ा हो गया मैं भी उसके गले में हाथ डाल लटक सी गई।
हालांकि वो पूरे पैरों पर नहीं खड़ा था, पर मेरा पूरा वजन उसके हाथों में था, मेरे पैर नाम मात्र के बिस्तर पर टिके थे और फिर वो धक्के लगा-लगा कर मुझे चोदने लगे।
मैं इतनी बार झड़ चुकी थी कि अब मेरी योनि में दर्द होने लगा था, पर कुछ देर में मैं फिर से वो सब भूल गई और मुझे पहले से कहीं और ज्यादा मजा आने लगा था।
अब तो मैं खुद उसके धक्कों का जवाब अपनी कमर नचा कर देने लगी थी।
मुझे यह भी महसूस होने लगा था कि मैं अब फिर से झड़ जाऊँगी।
मैंने सोच लिया था कि इस बार पानी नहीं छोडूंगी, जब तक राज झड़ने वाला न हों।
तो जब मुझे लगा कि मैं झड़ने को हूँ मैंने तुरंत उसको रोक दिया और इस बार खुद कह दिया- अभी नहीं.. रूको कुछ देर.. वरना मैं फिर पानी छोड़ दूंगी।
उसे मेरी यह बात बहुत अच्छी लगी शायद सो तुरंत अपना लिंग मेरी योनि से खींच लिया और मुझे छोड़ दिया, मैं नीचे लेट गई और अपनी साँसें रोक खुद पर काबू पाने की कोशिश करने लगी।
उधर मेरी योनि से लिंग बाहर कर वो खुद अपने हाथ से जोरों से हिलाने लगा था
थोड़ी देर में वो बोला- अब चोदने भी दो.. मेरा भी निकलने वाला है।
मैंने तुरंत अपनी टाँगें फैला उसको न्यौता दे दिया और वो मेरे ऊपर झुक मेरी टांगों के बीच में आकर लिंग को घुसाने लगा, पर जैसे ही उसका सुपारा अन्दर गया, मुझे लगा कि मैं तो गई।
पर मैंने फिर से खुद को काबू करने की कोशिश की, पर तब तक वो लिंग घुसा चुका था और मेरे मुँह से निकल गया- हाँ.. पूरा अन्दर घुसाओ, थोड़ा जोर से चोदना
राज ने मुझे पकड़ा और तेज़ी से धक्के लगाने लगा, मैंने भी उसको पकड़ कर अपनी ओर खींचने लगी।
हम दोनों की साँसें बहुत तेज़ चलने लगी थीं और बिस्तर भी अब हमारे सम्भोग की गवाही दे रहा था, पूरा बिस्तर इधर-उधर हो चुका था और अब तो धक्कों के साथ वो भी हिल रहा था।
मैं भी अपनी कमर उठा-उठा कर राज साथ देने लगी थी, बस अब मैं पानी छोड़ने से कुछ ही पल दूर थी और उसके धक्कों से भी अंदाजा हो गया था कि अब वो भी मेरी योनि में अपना रस उगलने को हैं।
थोड़ी देर के सम्भोग के बाद हम दोनों ही पूरी ताकत से धक्के लगाने लगे, फिर कुछ जोरदार झटके लेते हुए वो शांत हो गए।
मैंने राज गर्म वीर्य मेरी योनि में महसूस किया, पर मैं अभी भी उसको पकड़े अपनी कमर को उनके लिंग पर दबाए हुए रगड़ रही थी।
हालांकि उसका लिंग अब धीरे-धीरे ढीला पड़ रहा था, पर मैं अभी भी जोर लगाए हुए थी और उनका लिंग इससे पहले के पूरा ढीला पड़ जाता, मैं भी झड़ गई और अपने चूतड़ों को उठाए उनके लिंग पर योनि को रगड़ती रही, जब तक कि मेरी योनि के रस की आखरी बूंद न निकल गई।
मुझे खुद पर यकीन करना मुश्किल हो रहा था कि मैं अपनी ही भाभी के यार के साथ यूँ सम्भोग में मस्त हो गई थी। मैं उसको पकड़े हुए काफी देर ऐसे ही लेटी रही।
राज भी जब जोश पूरी तरह ठंडा हुआ तो मेरे ऊपर लेट गया मैंने थोड़ी देर बाद उसे अपने ऊपर से हटने को कहा फिर दूसरी और मुँह घुमा कर सो गई।
सुबह करीब 6 बज रहे थे कि मुझे कुछ मेरी कमर पर महसूस होने लगा।
मैंने गौर किया तो वो मेरे बदन को सहला रहा था
हम दोनों अभी नंगे थे, शीशे की खिड़की से रोशनी आ रही थी, तो हमारा बदन साफ़ दिख रहा था। राज ने मेरे स्तनों को सहलाना शुरू कर दिया, मैंने कोई प्रतिरोध नहीं किया।
कुछ देर बाद उसका हाथ स्तनों से सरकता हुआ नीचे मेरे पेट और नाभि से होता हुआ मेरी योनि में जा रुका, पहले तो उसने मेरी झान्टों को छुआ फिर धीरे-धीरे मेरी योनि के दाने को सहलाने लगा
मेरा दिल नहीं कर रहा था पर पता नहीं मैं उसे मना भी नहीं कर रही थी।
थोड़ी देर में मुझे मेरे चूतड़ों के बीच में उसका लिंग महसूस हुआ, जो थोड़ा खड़ा हो चुका था।
मेरी टाँगें आपस में सटी हुई थीं फिर भी जैसे-तैसे उन्होंने मेरी योनि में एक उंगली डाल दी और गुदगुदी सी करने लगा
अब मुझे भी कुछ होने लगा था।
रात के लम्बे सम्भोग के बाद मेरी टांगों स्तनों और कमर में दर्द सा था फिर भी न जाने क्यों मैं उसे मना नहीं कर रही थी।
उसने कुछ देर मेरी योनि में ऊँगली डाल कर अन्दर-बाहर किया जिससे मेरी योनि रसीली हो गई, फिर उसने मुझे अपनी तरफ घुमा लिया, मेरी एक टांग को अपनी कमर पर ऊपर चढ़ा लिया, फिर मेरे चूतड़ों के पीछे से हाथ ले जाकर मेरी योनि को सहलाने लगा
मैंने उसे देखा और उसने मुझे फिर मुझे थोड़ी शर्म सी आई तो मैंने उसका सर पकड़ कर अपने स्तनों पर रख दिया और हाथ से एक स्तन के चूचुक को उनके मुँह में डाल दिया और वो उसे चूसने लगा
फिर मैंने एक हाथ ले जाकर उसका लिंग पकड़ लिया और हिलाने लगी, कुछ देर हिलाती रही और उसका लिंग मेरी योनि में जाने के लायक एकदम खड़ा और सख्त हो गया।
उधर मेरी योनि भी उसकी उंगलियों से तैयार हो चुकी थी, जिसका अंदाजा मुझे हो चुका था क्योंकि योनि बुरी तरह से गीली हो चुकी थी।
बस अब राज ने मुझे सीधा किया फिर मेरी टाँगें मोड़ कर फैला दीं और उसे पकड़ कर हवा में लटका दिया फिर अपनी कमर को आगे-पीछे करके लिंग को योनि के ऊपर रगड़ने लगा
थोड़ी देर बाद राज ने लिंग को योनि के छेद में टिका दिया और धक्का दिया, लिंग बिना किसी परेशानी के मेरी योनि में अन्दर तक दाखिल हो गया।
उसने मेरी टांगों को पकड़ हवा में फैलाईं और अपनी कमर को आगे-पीछे करके मेरी योनि को चोदना शुरू कर दिया था। मैं अपने हाथ सर के पीछे कर तकिये को पकड़ लेटी हुई, उसे और उसके लिंग को देख रही थी।
ऐसा लग रहा था जैसे काले-काले जंगलों में एक सुरंग है और एक मोटा काला चूहा उसमें घुस रहा और निकल रहा है।
करीब 10 मिनट हो चुके थे और मेरी टांगों में दर्द बढ़ने लगा था, सो मैंने अपनी टांगों में जोर दिया और उसे नीचे करना चाहा तो वो समझ गया उन्होंने मेरी टाँगें बिस्तर पर गिरा दीं और मेरे ऊपर लेट कर मुझे पकड़ लिया।
मैंने भी उनके गले में हाथ डाल कर उसको अपनी बांहों में जकड़ लिया।
अब राज ने मुझे धक्के लगाना शुरू कर दिए और उसका लिंग ‘छप-छप’ करता मेरी योनि में घुसने और निकलने लगा, मैं तो पूरी मस्ती में आ गई थी।
मैंने भी कुछ देर अपनी टांगों को बिस्तर पर रख कर आराम दिया, फिर एड़ी से बिस्तर पर जोर लगा कर अपनी कमर उठा-उठा कर राज का सहयोग करने लगी।
मुझे सच में इतना मजा आ रहा था कि क्या कहूँ.. मैं कभी अपने चूतड़ों को उठा देती, तो कभी टांगों से उसको जकड़ लेती और अपनी ओर खींचने लगती।
मुझे इस बात का पक्का यकीन हो चला था कि उसे भी बहुत मजा आ रहा है।
तभी मेरी नजर खिड़की की ओर गई मैंने देखा कि धूप निकल आई है, सो मैंने उसे कहा- अब हमें चलना चाहिए।
राज ने कहा- बस कुछ देर में ही हो जाएगा।
तो मैंने भी सहयोग किया।
मेरी योनि में अब पता नहीं हल्का-हल्का सा दर्द होने लगा था, मैं समझ गई कि इतनी देर योनि की दीवारों में रगड़न से ये हो रहा है, पर मैं कुछ नहीं बोली बस ख़ामोशी से राज का साथ देती रही।
मेरी योनि में जहाँ एक और पीड़ा हो रही थी, वहीं मजा भी काफी आ रहा था।
जब तक राज धक्के लगता रहा, मैं हल्के-हल्के सिसकारियाँ लेती रही।
वो कभी अपनी कमर को तिरछा करके धक्के लगता तो कभी सीधा, वो मेरी योनि की दीवारों पर अपने लिंग को अन्दर-बाहर करते समय रगड़ रहा था, जिससे मुझे और भी मजा आ रहा था।
मैं खुद अपने चूतड़ उठा दिया करती थी।
हम दोनों अब पसीने से तर हो चुके थे, मुझे अब अजीब सी कसमसाहट होने लगी थी।
तभी राज ने मुझे अपने ऊपर आने को कहा, मैंने बिना देर किए उसके ऊपर आकर सम्भोग शुरू कर दिया।
कुछ ही देर के धक्कों से मेरी जाँघों में अकड़न सी होने लगी थी, पर फिर भी मैं रुक-रुक कर धक्के लगाती रही।
थोड़ी देर सुस्ताने के बाद राज ने मेरे चूतड़ों को पकड़ा और नीचे से अपनी कमर तेज़ी से उछाल-उछाल कर मुझे चोदने लगा
अब उसके धक्के इतने तेज़ और जोरदार थे कि कुछ ही पलों में मैं अपने बदन को ऐंठते हुए झड़ गई और निढाल हो कर उसके ऊपर लेट गई।
उसे अब मेरी और से कोई सहयोग नहीं मिल रहा था सिवाय इसके कि मैं अब भी उसका लिंग अपनी योनि के अन्दर रखे हुए थी।
तब राज ने मुझे फिर से नीचे लिटा दिया और मेरे ऊपर आकर धक्कों की बारिश सी शुरू कर दी। मैं तो बस सिसक-सिसक कर उसका साथ दे रही थी।
करीब 10 मिनट के बाद राज के जबरदस्त तेज धक्के पड़ने लगे और उन्होंने कराहते हुए, अपने बदन को कड़क करते हुए मेरे अन्दर अपना गर्म लावा उगल दिया।
उनके वीर्य की आखिरी बूंद गिरते ही वो मेरे ऊपर निढाल हो गए और सुस्ताने लगे।
थोड़ी देर बाद मैंने राज को अपने ऊपर से हटाया और गुसलखाने में चली गई, सबसे पहले तो मैंने अपनी योनि से वीर्य साफ़ किया।
यह 3 बार के सम्भोग में पहली बार मैंने खुद से वीर्य साफ़ किया था फिर पेशाब किया।
पेशाब के साथ-साथ मुझे ऐसा लगा जैसे बाकी बचा-खुचा वीर्य भी बाहर आ गया।
फिर बाकी का काम करके मैं नहाई और बाहर आकर कपड़े पहने और राज को भी जल्दी से तैयार होने को कहा।
वो भी जब तैयार हो गया तो मैंने उसको कहा- मुझे मेरे घर छोड़ दो
फिर राज ने मुझे मेरे घर छोड़ दिया
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