RE: bahan sex kahani दो भाई दो बहन
राज ने उसे अपनी बाहों मे भर लिया और प्यार से उसके बदन को
सहलाने लगा.
"मुझे अब डर लग रहा है, राज" रोमा ने काप्ति आवाज़ मे कहा.
"ये मेरी ग़लती थी मुझे तुम्हे अकेले छोड़ कर नही जाना चाहिए
था." राज ने कहा.
"पर तुम पर तो रिया के रूप का जादू चढ़ा हुआ था," रोमा ने कहा.
"पागल हो तुम,,, क्या तुम्हे भी ये दिखाई नही देता कि में तुमसे
प्यार करता हूँ." राज ने उसे ज़ोर से अपने शरीर से चिपकाते हुए कहा.
राज की बात सुनकर रोमा को थोड़ा सकुन महसूस हुआ और वो राज को कस
कर अपने से चिपकाते हुए सो गयी.
गुस्से के मारे जय का खून खौल रहा था. उसने तीर्चि निगाह से
अपनी बेहन रिया की ओर देखा जिसके कारण उसे गुस्सा आ रहा था. किस
तरह उसे अकेला छोड़ कर वो राज के साथ चली गयी थी जैसे की
उसकी कोई अहमियत ही नही थी. और एक तरफ रोमा थी जिसे देख कर
वो अपने आप पर काबू नही रख पाता था और उत्तेजित हो जाता था,
साली चीज़ भी तो कामयत है किसी का भी का ईमान डोल जाए.
उधर रिया अपने भाई के गुस्से को देख मन ही मन घबरा रही थी.
कभी कभी उसे देख कर उसे नफ़रत सी होने लगती थी, ठीक अपने
बाप के उपर के गया था, वही गुस्सा वही आदतें.
दोनो के मन मे एक तूफान सा उठा हुआ था, बहोत सी बातें थी जो वो
एक दूसरे से कहना चाहते थे किंतु चलती गाड़ी मे शायद महॉल नही
था. रिया ने तय कर लिया था कि भविश्य मे वो अपने भाई से कोई
जिस्मानी संबंध नही रखेगी. समय के साथ कितना ख़ुदग़र्ज़ हो गया
था वो, उसे किसी के जज्बातों की पड़ी ही नही थी. उसे समझ मे नही
आ रहा था कि वो ये बात अपने भाई से कैसे कहे. शायद वो खुद बा
खुद समझ जाए.
रिया ने गाड़ी को घर के पार्किंग स्लॉट मे साइड मे खड़ी की और एंजिन
और लाइट बंद कर दी. दोनो जाने गाड़ी से उतरे और चुप चाप घर
मे दाखिल हो गये. दरवाज़ा बंद करके रिया किचन की ओर बढ़
गयी, जय भी उसके पीछे पीछे किथ्चेन मे पहुँच गया.
"ये सब क्या है रिया?" सुने गुस्से मे अपनी बेहन को पूछा.
"यही बात मे तुमसे पूछना चाहती हूँ, तुम अपने आपको समझते क्या
हो जय." रिया ने अपने भाई से पूछा.
"वो मुझ पर डोरे डाल रही थी, तुम तो थी नही कि वो सब कुछ देख
सकती.... अगर राज बीच मे नही आता तो सब ठीक हो जाता." जय ने
कहा.
"राज......." रिया ने एक गहरी साँस ली.
"गोली मारो राज को.... तुम भी तो राज के साथ अंधेरे मे वही कर
रही थी जो में रोमा के साथ करने जा रहा था जय ने अपनी बेहन
से कहा.
"सच कहूँ राज मुझे अच्छा लगता है.... और जो कुछ भी हमने किया
वो मेरी मर्ज़ी से था...किंतु तुम रोमा के साथ ज़बरदस्ती कर रहे
थे, पता नही क्यों राज मे वो बात है जो आज तक मुझे किसी और
लड़के मे दिखाई नही दी." रिया ने जवाब दिया. "पता है जय वो तो
मुझसे कह रहा था कि मुझे ज़्यादा समय तुम्हे देना चाहिए... उसे
तुम्हारी इतनी फिकर है और तुम थे कि उसी वक्त उसकी बेहन के
साथ........"
जय की नज़रें शरम से झुक गयी.. वो अपनी आँखे अपनी बेहन से
मिला नही पा रहा था.... उसकी आँखों मे आँसू आ गये वो अपनी
हरकत पर काफ़ी शर्मिंदा था.
रिया ने देखा कि उसका भाई रो रहा है, आज वह पहली बार अपने
छोटे भाई जय को रोता देख रही थी.
जिस तरह का गुस्सा और व्यवहार जय ने अपने बाप का अपनाया था रिया
उससे नफ़रत सी करने लगी थी फिर भी उसे अपने भाई से प्यार था
जिसके साथ वो पली बड़ी थी.
रिया आगे बढ़ी और उसने अपने भाई को अपनी बाहों मे ले लिया फिर
उसके सिर को अपने कंधों पर रख उसे रोने दिया. वो हमेशा से ही
मजबूत इरादों की लड़की थी, और जब भी उसकी मा जय पर गुस्सा
करती या उसे मारने आती तो वो हमेशा उसे इसी तरह अपने सीने से
लगा बचा लेती थी.
"मुझे माफ़ कर दो...रिया," जय ने धीरे से कहा.
"माफी तुम्हे मुझसे नही रोमा से माँगनी चाहिए." रिया ने उसके सिर
को ठप थपाते हुए कहा.
"में क्या मुँह लेकर जाउन्गा उसके पास माफी माँगने के लिए," जय
उसके कंधे पर सिसकते हुए बोला.
"इसके पहले कि तुम रोमा से माफी माँगो जय, हमे आपस में कुछ
समझना होगा. हमारे इस रिश्ते का अंत करना होगा, जो हम आज तक
करते आए हैं वो अब नही कर सकते. तुम्हे अपने लिए कोई लड़की
ढूँढनी होगी जिसे तुम प्यार कर सको वो... तुम्हे प्यार करे.... "
रिया ने उसकी पीठ को सहलाते हुए कहा.
"पर में तुमसे प्यार करता हूँ! जय ने उसे अपनी बाहों मे भींचते
हुए कहा.
"जय एक बात अछी तरह समझ लो... जिस्मानी रिश्तों को प्यार नही
कहते.... प्यार करने के लिए किसी के साथ सोना ज़रूरी नही है. "
रिया की बात सुनकर उसकी निगाह अपनी पॅंट पर गयी जहाँ उसका लंड तन
कर पॅंट के अंदर खड़ा था.
"चलो में मानती हूँ कि प्यार मे जिस्मानी इच्छाए होती है, लेकिन
तुम्हे मुझसे वादा करना होगा कि जल्दी ही तुम अपने लिए कोई प्यारी सी
लड़की ढूंड लोगे जिसे तुम प्यार कर सको."
ठीक है कोशिश करूँगा." जय ने मुस्कुराते हुए कहा.
"अब जबकि तुम्हारा लंड पूरी तरह से खड़ा है में तुम्हे ऐसे ही
नही जाने दूँगी," कहकर रिया जय के लंड को पॅंट के उपर से
मसल्ने लगी.
आज राज ने उसकी उत्तेजना की परवाह ना करते हुए उसे ऐसे ही छोड़ दिया
था, राज की चाहत मे उसकी चूत अभी भी सुलग रही थी, चूत से
रस अभी भी बह रहा था. जय के लंड के स्पर्श ने उसके जज्बातों को
और भड़का दिया था. वो जानती थी कि अगर आज की रात उसने जय के
साथ कुछ किया तो शायद भविश्य मे वो जय को ना रोक पाए लेकिन वो
खुद चुदाई की आग मे सुलग रही थी.
"जय आज की रात हामरी साथ मे ये आखरी रात होगी." रिया ने उसे
बताया.
"हाँ में समझ रहा हूँ," जे ने धीरे से कहा.
ना जाने क्यों रिया को अपने भाई पर आज कुछ ज़्यादा ही प्यार उमड़
आया. उसने जय को धक्का दे किचन के काउंटर पर लिटा दिया और
उसकी टाँगो के बीच आ गयी. उसने उसकी पॅंट की ज़िपखोली और उसकी
शॉर्ट्स मे से उसके लंड को आज़ाद कर दिया. उत्तेजना मे बहते लंड से
वीर्य की बूँदों ने उसके मुँह मे पानी भर दिया. उसने अपने लंबे
बालों को अपने सिर के पीछे किया और झुक कर उन रस की बूँदों को
चाटने लगी. रिया को उसके लंड से बहते पानी का स्वाद अच्छा लग रहा
था, आज क्या दिन था, पहले तो रोमा की चूत का पनाई फिर अपने भाई
का वीर्य. दो अलग रिश्ते और दो अलग स्वाद.
"आज तो तुम्हारा लंड ज़्यादा ही लंबा और मोटा लग रहा है." रिया ने
उसके लंड को अपने मुँह मे लेते हुए कहा.
"रिया में तुमसे बहोत प्यार करता हूँ..." जे अपने जज्बातों का
इज़हार करते हुए नबोला, "तुमने मेरे लिए हमेशा इतना कुछ किया और
एक में हूँ कि मेने आज तक तुम्हे थॅंक यू भी नही कहा. अगर तुम
ना होती तो पता नही मेरा क्या होता."
रिया जानती थी कि उसका भाई दिल का बुरा इंसान नही है, वो हमेशा
से अपने ज़ज्बात छुपाते आया है, आज उसके शब्दों ने उसकी आँखों
मे आँसू ला दिए.
रिया अपने भाई के प्यार को समझ रही थी, वो मन ही मन सोचने
लगी कि आज तक ना जाने उसने कितने लोगों से जिस्मानी संबंध बनाए
थे लेकिन एक भी ही रिश्ता प्यार का रिश्ता नही था. क्या वो राज से
प्यार करती है या फिर सिर्फ़ जिस्मानी आकर्षण उसे उसकी ओर खींचे
ले जाता था. वो अपने भाई के प्यार और राज की तुलना करने लगी, पर
उसकी समझ मे कुछ नही आ रहा था.
"जय मुझे भी माफ़ कर दो... मुझे इस तरह राज के साथ नही जाना
चाहये था." रिया उसके लंड को जोरों से चूस्ति हुई बोली.
"पर उसे भी तो नही जाना चाहिए था, आख़िर मेरा दोस्त था वो.."
जय ने उसके सिर को अपने लंड पर दबाते हुए कहा, "लेकिन जो हुआ सो
हो गया....."
"जय मुझसे वादा करो कि आज के बाद हमारे बीच ये सब नही होगा."
रिया ने कहा.
"हां में वादा करता हूँ...." जय ने अपने लंड को उसके मुँह मे और
घुसाते हुए कहा.
इसके पहले कि वो कुछ और कहती जय ने उसके सिर को पकड़ा और अपने
लंड को उसके मुँह के अंदर बाहर करने लगा.
उस वो शाम याद आ रही थी जब पहली बार.........
गर्मी के दिन थे और शाम के वक्त वो और रिया घर के आँगन मे बने
स्वइँमिंघ पूल मे साथ साथ तेर रहे थे. जय 18 का हुआ ही था और
राज एक साल पहले अपना ग्रॅजुयेशन कर चुका था. रिया ने भी आगे की
पढ़ाई के लिए दूसरे कॉलेज मे दाखिला ले लिया था और थोड़े ही
दिनो की बात थी जिसके बाद वो चली जाएगी.
क्रमशः..................
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