RE: bahan sex kahani दो भाई दो बहन
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गतान्क से आगे.......
जय को याद आ रहा था कि उस दिन वो एक पेइसे बिकिनी मे कितनी सुंदर
लग रही थी. आज जो उसने बिकनी पहनी थी उससे उसके बदन का हर अंग
दिखाई पड़ रहा था, जय था कि उसकी नज़रें अपनी बेहन की
चुचियों और कटी प्रदेश से हटे नही हट रही थी. आज रिया ने
अपने बदन पर तेल की मालिश की थी जिससे उसका बदन काफ़ी चिकना
दीख रहा था उसका बदन साथ ही धूप की रोशनी मे चमक भी
रहा था. दोनो पूल मे बॉल से खेल रहे थे. जब भी वो रिया से
बॉल छीनने जाता तो उसका बदन रिया के बदन से टकरा जाता कई बार
तो ऐसा होता कि वो उसे पकड़ने की कोशिश करता तो उसका बदन तेल
लगे होने की वजह से उसके हाथों से फिसल जाता और उसके हाथ कभी
उसकी चुचियों पर या फिर उसकी कमर पर आ कर अटक जाते.
जब भी उसका हाथ रिया की किसी अंग से टकराता तो उसके बदन मे एक
झुरझारी सी दौड़ जाती.
रिया ने देखा कि जय उसे अजीब सी नज़रों से देख रहा था, "क्या
तुमने कभी किसी लड़की को आज तक छुआ है?" रिया ने जय से पूछा.
"इतनी देर से तो तुम्हे छू रहा हू." जे ने उसे याद दिलाते हुए
कहा.
"किसी लड़की की चुचियों या कमर को हाथ लगाने को छूना नही
कहते, मेरा मतलब है कि कभी किसी लकड़ी के बदन को प्यार से छुआ
या सहलाया है?" रिया ने पूछा.
"नही पहले कभी नही." जय ने जवाब दिया.
"क्या तुम मेरे नंगे बदन का अहसास करना चाहोगे?" रिया ने कहा.
"लेकिन तुम मेरी बेहन है." जे ने कहा.
"लेकिन खेलते वक़्त जब तुम मेरी चुचियों को मसल देते होतब तो नही
सोचा तुमने ऐसे..." रिया ने कहा. "तुम्हे डर लग रहा है ना?"
सच मे जय को डर लग रहा था, लेकिन अब भी उसकी निगाह बेहन की
चुचियों पर गढ़ी हुई थी, उसका लंड जो शॉर्ट्स के अंदर तन कर
खड़ा था.... उसने डरते डरते अपने हाथ रिया की चुचियों की ओर
बढ़ाए.."
"अरे आगे बढ़ो इतना डर क्यों रहे हो?" रिया ने उसे उकसाते हुए कहा.
आख़िर हिक्किचाते हुए जय ने रिया की बिकनी को नीचे से पकड़ा और
उसके सिर के उपर उठा उसे उतार दिया. उसकी नज़रें रिया की उभरी
हुई चुचियों पर जा टिकी. गुलाबी गुलाबी उर्रोज और उसपर भूरे रंग
का निपल. पानी मे खड़ी रिया बहोत ही सुन्दर दिखाई दे रही थी.
उसका आधा शरीर पूल के अंदर था और उसकी चुचियों जो ठीक पानी
के सतेह पर थी ऐसा लग रहा था की जैसे उनपर तेर रही हो.
थोड़ी देर चुचियों को निहारने के बाद उसने अपनी हथेली उसकी
चुचियों के नीचे से रख उन्हे अपने हाथों मे ले लिया और अपनी
उंगली और अनूठे से उसके निपल को सहलाने लगा. फिर धीरे से अपनी
हथेली का दबाव बढ़ाते हुए वो उन्हे मसल्ने लगा. चुचि मसल्ने के
साथ वो निपल को भी भींच देता.
रिया उसके हाथो के स्पर्श का मज़ा लेते हुए सिसक रही थी. रिया को
सिसकते देख जय की हिम्मत और बढ़ गयी, वो और जोरोंसे उसकी
चुचियों को मसल्ने लगा. फिर अपने चेहरे को झुकते हुए पहले तो
उसने उसकी चुचियों को धीमे से चूमा फिर अपन जीब उसकी चुचियों
के निपल के चारों और घूमाने लगा. जीब घूमाते घूमाते उसने
अपने होंठ और खोले और निपल को मुँह मे ले चूसने लगा.
फिर अपने चेहरे को उपर उठाते हुए उसने अपने होंठ रिया के होठों
पर रख दिए और अपनी जीब से उसके होठों को खोलते हुए उसने अपनी
जीब उसके मुँह मे डाल दी. रिया भी काम विभोर हो अपने मुँह को खोल
उसकी जीब से अपनी जीब मिला उसे चूमने लगी
जय को चूमते चूमते रिया ने अपना हाथ जय की कमर पर रखा और
उसे सहलाते हुए अपने हाहत को और नीचे की और बढ़ने लगी. फिर
रिया ने अपना हाथ उसकी अंडरवेर मे फँसा अपना हाथ अंदर डाला और
उसके खड़े लंड को अपनी मुट्ठी मे पकड़ लिया. होठों की गर्मी के
साथ साथ रिया के हाथो की गर्मी ने जय को तो जैसे पागल कर दिया.
आज पहली बार किसी लड़की ने उसे इस तरह छुआ था.
"जय तुम्हे नही पता कि आज तक तुम किस चीज़ से वंचित थे..."
रिया ने उसके लंड को जोरों से मसल्ते हुए कहा.
रिया जानती थी कि उसके भाई को इसके पहले इन सब बातों का अनुभव
नही था, इसलिए वो खिलखिलते हुए उसके लंड को और मसल्ने लगी.
रिया जय को धकेलते हुए पूल के किनारे तक ले आई और जब जय की
कमर पानी के सतेह से उपर हो गयी तो उसने उसकी अंडरवेर को नीचे
खिसका दिया और अब उसके लंड को और अछी तरह अपने हाथो मे ले
मसल्ने लगी. उत्तेजना मे जय ने पूल के किनारे को पकड़ लिया और
जोरों से हुंकार भरने लगा.
रिया ने तिर्छि नज़रों से अपने भाई के चेहरे की तरफ देख, जो
उत्तेजना मे सिसक रहा था, एक प्यारी सी मुस्कान उसके चेहरे पर आ
गयी. रिया ने भी इसके पहले एक दो बार ही अपने बॉयफ्रेंड के लंड को
चूसा था, इसलिए इस क्रिया मे वो भी नयी थी.
जय को खुश होते देख वो और जोरों से उसके लंड को चूसने लगी.
अपने चेहरे को नीचे कर वो उसके लंड को अपने गले तक लेती और उपर
होते हुए उसके लंड को अपनी जीब से जोरोसे भींचती. जब उसने जय के
बदन को अकड़ता महसूस किया तो वो समझ गयी कि उसका लंड पानी
छोड़ने वाला है. जय के शरीर की सारी नसें तनने लगी और उसके
लंड एक ज़ोर की पिचकारी के साथ रिया के मुँह मे पानी छोड़ दिया. रिया
उसके लंड को चूस्ति गयी और जय पानी पर पानी उसके मुँह मे छोड़ता
गया.
"रिया में तुमसे बहोत प्यार करता हूँ," जय ने प्यार से अपनी बेहन
से कहा.
रिया तिर्छि नज़रों से अपने भाई को देखते हुए उसके लंड को जब तक
चूस्ति रही जबतक कि उसके वीर्य की आखरी बूँद भी नही बची.
रिया की चूत मे आग लगी हुई थी. वो अपने भाई के लंड को अपनी
चूत मे महसूस करना चाहती थी.
तभी रिया की आवाज़ ने जय को ख़यालों से वापस लौटा दिया.
"चलो जय कमरे मे चलते है.' रिया ने उसके लंड को मुँह से
निकलते हुए कहा.
जय रिया के पीछे पीछे उसके कमरे मे आ गया. रिया ने कमरे का
दरवाज़ा बंद किया और दोनो अंधेरे मे कपड़े उतारने लगे. फिर रिया
ने जय का हाथ पकड़ा और उसे बिस्तर पर ले आई. दोनो चादर के
नीचे एक दूसरे के साथ घुस गये.
"जय मुझे तुम्हारी और राज की दोस्ती से कभी कभी जलन होने लगती
है. में तुम दोनो को इतने सालों से देख रही हूँ. कितनी गहरी
दोस्ती है तुम दोनो के बीच. दोनो एक दूसरे की मदद करते हो, कोई
दुखी होता है तो तुम दोनो उसे हँसते हो हर काम मे सहयोग देते
हो." रिया ने अपना हाथ अपने भाई की छाती पर फिराते हुए कहा.
"तुम्हारी भी तो कई सहेलियाँ है" जय ने कहा.
"हाँ है पर ऐसी कोई नही जिसे में साची सहेली कह सकूँ, जिससे
में अपनी खुशी अपना दर्द बाँट सकूँ. तुम्हारे और राज के बीच
कुछ वैसा ही अप्नत्व है. और शायद आज की रात में ही फ़साद की
जड़ थी, मेने तुम्हारी प्राब्लम सॉल्व करना की बजाय उसे और बढ़ा
दिया." रिया ने जवाब दिया.
जय कुछ देर सोचता रहा फिर धीरे से बोला, "पर शायद आज के
बाद राज मुझसे नफ़रत करने लगेगा, हम शायद हमारे बीच पहले
जैसे दोस्ती ना हो."
"नही जय एक छोटी सी ग़लती से दोस्ती नही टूटती," रिया ने
कहा, "सुबह हम सब मिलकर सब ठीक कर लेंगे. लेकिन सबसे पहले
इसकी समस्या तो ठीक करें" रिया उसके खड़े लंड को हाथों मे लेते
हुए बोली.
थोड़ी देर उसके लंड को मसल्ने के बाद रिया बोली, "तुम्हारी कोई
ख़ास पसंद है इसे ठीक करने की?"
"शायद में जो कहूँ वो तुम्हे पसंद ना आए." जय ने जवाब दिया.
"पहले तो तुम इसे मेरी चूत मे घुसा कर मेरी चूत की आग को
ठंडा करो, बाद मे तुम्हे जो पसंद हो वो कर लेना." रिया ने उसके
लंड को जोरों से भींचते हुए कहा.
"सच मे?" जय ने पूछा.
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