RE: Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुन�...
चौधराइन
भाग 13 – समझदार मामी की सीख
" तु अब जवान हो गया है, मर्द बन गया है. "
" कहाँ मामी, आप भी क्या बात करती हो !!? "
" अब जब अंडरवियर पहनने लगा है, तो इसका मतलब ही है की तु अब जवान हो गया है. "
मदन इस पर एक दम से शरमा गया,
" धत् मामी,,,,,,,,,!!! "
" तेरा खड़ा होने लगा है क्या ? "
मामी की इस बात पर तो मदन का चेहर एकदम से लाल हो गया। उसकी समझ में नही आ रहा था क्या बोले। तभी उर्मिला देवी ने अपनी नाईटी को एकदम घुटनो के ऊपर तक खींचते हुए बड़े बिन्दास अन्दाज में अपना एक पैर जो की टेबल पर रखा हुआ था उसको मदन की जांघो पर रख दिया (मदन दर-असल पास के सोफे पर पलाठी मार के बैठा हुआ था।) मदन को एकदम से झटका सा लगा। मामी अपने गोरे गोरे पैर की एड़ी से उसकी जांघो को हल्के हल्के दबाने लगी और एक हाथ को फिर से अपने जांघो के बीच ले जा कर बुर को हल्के हल्के खुजलाते हुए बोली,
"बोल न क्यों मैं ठीक बोल रही हूँ ना ?"
"ओह मामी,"
"नया अंडरवियर लिया है, दिखा तो सही कैसा लगता है ?"
"अरे क्या मामी आप भी ना बस ऐसे,,,,,,,,,,अंडरवियर भी कोई पहन के दिखाने वाली चीज है."
"क्यों लोग जब नया कपड़ा पहनते है तो दिखाते नही है क्या ?", कह कर उर्मिला देवी ने अपने एड़ी का दबाव जांघो पर थोड़ा सा और बढ़ा दिया, पैर की उंगलियों से हल्के से पेट के निचले भाग को कुरेदा और मुस्कुरा के सीधे मदन की आंखो में झांक कर देखती हुई बोली,
" दिखा ना कैसा लगता है, फिट है या नही ?"
"छोड़ो ना मामी.."
'अरे नये कपड़े पहन कर दिखाने का तो लोगो को शौक होता है और तु है की शरमा रहा है, मैं तो हंमेशा नये कपड़े पहनती हूँ तो सबसे पहले तेरे मामा को दिखाती हूँ, वही बताते है की फ़िटिंग कैसी है या फिर मेरे ऊपर जँचता है या नही ।"
"पर मामी ये कौन सा नया कपड़ा है, आपने भी तो नई कच्छी खरीदी है वो आप दिखायेंगी क्या ??"
उर्मिला देवी भी समझ गई की लड़का लाईन पर आ रहा है, और कच्छी देखने के चक्कर में है। फिर मन ही मन खुद से कहा की बेटा तुझे तो मैं कच्छी भी दिखाऊँगी और उसके अन्दर का माल भी पर जरा तेरे अंडरवियर का माल भी तो देख लूँ नजर भर के फिर बोली,
"हां दिखाऊँगी अभी तेरे मामा नही है,,,,,ना, तेरे मामा को मैं सारे कपड़े दिखाती हूँ."
"तो फिर ठीक है मैं भी मामा को ही दिखाऊँगा."
"अरे तो इसमे शरमाने की क्या बात है, आज तो तेरे मामा नही है इसलिये मामी को ही दिखा दे."
“धत् मामी,,,,,,”
और उर्मिला देवी ने अपने पूरे पैर को सरका कर उसकी जांघो के बीच में रख दिया जहां पर उसका लण्ड था। मदन का लण्ड खड़ा तो हो ही चुका था। उर्मिला देवी ने हल्के से लण्ड की औकात पर अपने पैर को चला कर दबाव डाला और मुस्कुरा कर मदन की आंखो में झांकते हुए बोली,
"क्यों मामी को दिखाने में शरमा रही है, क्या ?"
मदन की तो सिट्टी पिट्टी गुम हो गई थी। मुंह से बोल नही फुट रहे थे। धीरे से बोला, "रहने दीजिये मामी मुझे शरम आती है."
उर्मिला देवी इस पर थोड़ा झिड़कने वाले अन्दाज में बोली,
"इसीलिये तो अभी तक इस रबर की गेंद से खेल रहा है."
मदन ने अपनी गरदन ऊपर उठायी तो देखा की उर्मिला देवी अपनी चूचियों पर हाथ फिरा रही थी। मदन बोला, "तो और कौन सी गेंद से खेलूँ ?"
"ये भी बताना पडेगा क्या, मैं तो सोचती थी तु समझदार हो गया होगा, लगता है मुझे ही समझाना पड़ेगा चल आज तुझे समझदार बनाती हूँ।"
"हाय मामी, मुझे शरम आ रही है."
उर्मिला देवी ने अपने पंजो का दबाव उसके लण्ड पर बढ़ा दिया और ढकी छुपी बात करने की जगह सीधा हमला बोल दिया,
"बिना अंडरवियर के जब खड़ा कर के घुमता था तब तो शरम नही आती थी,,,,,,,,??, दिखा ना।"
और लण्ड को कस के अपने पंजो से दबाया ताकि मदन अब अच्छी तरह से समझ जाये की ऐसा अन्जाने में नही बल्कि जान-बुझ कर हो रहा है। इस काम में उर्मिला देवी को बड़ा मजा आ रहा था। मदन थोड़ा परेशान सा हो गया फिर उसने हिम्मत कर के कहा, "ठीक है मामी, मगर अपना पैर तो हटाओ।"
"ये हुई ना बात." कह कर उर्मिला देवी ने अपना पैर हटा लिया।
मदन खड़ा हो गया और धीरे से अपनी हाफ पैन्ट घुटनो के नीचे तक सरका दी। उर्मिला देवी को बड़ा मजा आ रहा था। लड़कों को जैसे स्ट्रीप टीज देखने में मजा आता है, आज उर्मिला देवी को अपने भांजे के सौजन्य से वैसा ही स्ट्रीप तीज देखने को मिल रहा था।
उसने कहा, "पूरा पैन्ट उतार ना, और अच्छे से दिखा।"
मदन ने अपना पूरा हाफ पैन्ट उतार दिया और शरमाते-संकोचते सोफे पर बैठने लगा तो उर्मिला देवी ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर मदन का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और अपने पास खड़ा कर लिया और धीरे से उसकी आंखो में झांकते हुए बोली, "जरा अच्छे से देखने दे ना कैसी फ़िटिंग आई है।"
मदन ने अपने टी-शर्ट को अपने पेट पर चढ़ा रखा था और मामी बड़े प्यार से उसके अंडरवियर कि फ़िटिंग चेक कर रही थी। छोटा सा वी शेप का अंडरवियर था। इलास्टिक में हाथ लगा कर देखते हुए मामी बोली,
"हमम् फ़िटिंग तो ठीक लग रही है, ये नीला रंग भी तेरे ऊपर खूब अच्छा लग रहा है मगर थोड़ी टाईट लगती है."
"वो कैसे मामी, मुझे तो थोड़ा भी टाईट नही लग रहा."
मदन का खड़ा लण्ड अंडरवियर में एकदम से उभरा हुआ सीधा डंडे की शकल बना रहा था। उर्मिला देवी ने अपने हाथ को लण्ड की लंबाई पर फिराते हुए कहा,
"तु खुद ही देख ले, पूरा पता चल रहा है की तेरा औजार खड़ा हो गया है।"
लण्ड पर मामी का हाथ चलते ही मारे सनसनी के मदन की तो हालत खराब होने लगी, कांपती हुई आवाज में, ".....ओह...आहहहह....." करके रह गया।
उर्मिला देवी ने मुस्कुराते हुए पुछा, "हर समय ऐसे ही रहता है क्या ?"
"ना हही मामी, हमेशा ऐसे क्यों रहेगा."
“तो अभी क्यों खड़ा है?”
“आप इतनी देर से छेड़खानी…अ।”
“क्या?”
मदन पहले तो झोंक मे कहने लगा था पर मामी के “क्या?” ने ब्रेक लगा दिया तब उसकी समझ में आया कि क्या बोल रहा है तो घबरा के रुक गया और जल्दी से बोला –
“न प…पता नहीं मामी”
उर्मिला –“अच्छा तो मेरी छेड़खानी से तेरे औजार का ये हाल है इसका मतलब कोई और औरत या लड़की होती तो शायद तेरा ये उसपे चढ़ ही दौड़ता ।”
मदन(जल्दी से) –“नहीं मामी”
उर्मिला –“क्या नहीं मामी?”
उर्मिला(अचानक बात बदलते हुए मुस्कुराईं) –“अच्छा ये बता वैसे आम तौर पे ढीला रहता है ?"
मदन(तपाक से) –“"हाँ मामी।"
"अच्छा, तब तो ठीक फ़िटिंग का है, मैं सोच रही थी की अगर हर समय ऐसे ही खड़ा रहता होगा तो तब तो तुझे थोड़ा और ढीला लेना चाहिये था।"
"बहुत बड़ा दिख रहा है, पेशाब तो नहीं लगी है तुझे ?"
'नही मामी."
"तब तो वो ही कारण होगा, वैसे वो सेल्स-गर्ल भी हँस रही थी, जब मैंने बोला की मेरे भांजे का थोड़ा ज्यादा ही बड़ा है," कह कर उर्मिला देवी ने लण्ड को अंडरवियर के ऊपर से कस कर दबाया। मदन के मुंह से एक सिसकारी निकल गई।
उर्मिला देवी ने लण्ड को एक बार और दबा दिया और बोली,
"चल जा सोफे पर बैठ।"
मदन सीधे धरती पर आ गया। लण्ड पर मामी के कोमल हाथों का स्पर्श जो मजा दे रहा था वो बड़ा अनूठा और अजब था। मन कर रहा था की मामी थोड़ी देर और लण्ड दबाती पर मन मार कर चुप चाप सोफे पर आ के बैठ गया और अपनी सांसो को ठीक करने लगा। उर्मिला देवी भी बड़ी सयानी औरत थी जानती थी की लौंडे के मन में अगर एक बार तड़प जाग जायेगी तो फिर लौंडा खुद ही उसके चंगुल में फ़ँस जायेगा। कमसिन उमर के नौजवान छोकरे के मोटे लण्ड को खाने के चक्कर में वो मदन को थोड़ा तड़पाना चाहती थी। उर्मिला देवी ने अभी भी अपनी नाईटी को अपने घुटनो से ऊपर तक उठाया हुआ था और अपने दोनो पैर फिर से सामने की टेबल पर रख लिये थे। मदन ने धीरे से अपनी हाफ पैन्ट को उठाया और पहनने लगा।
उर्मिला देवी तभी बोल पड़ी, "क्यों पहन रहा है ?, घर में और कोई तो है नही, और मैंने तो देख ही लिया है."
"हाय नही मामी, मुझे बड़ी शरम आ रही है."
तभी उर्मिला देवी ने फिर से अपनी चूत के ऊपर खुजली की। मदन का ध्यान भी मामी के हाथों के साथ उसी तरफ चला गया।
उर्मिला देवी मुस्कुराती हुई बोली, "अभी तक तो शायद केवल कच्छी काट रही थी पर अब लगता है कच्छी के अन्दर भी खुजली हो रही है।"
मदन इसका मतलब नही समझा चुप-चाप मामी को घूरता रहा। उर्मिला देवी ने सोचा खुद ही कुछ करना पडेगा, लौंडा तो कुछ करेगा नही। अपनी नाईटी को और ऊपर सीधा जांघो तक उठा कर उसके अन्दर हाथ घुसा कर हल्के हल्के सहलाने लगी। और बोली, "जा जरा पाउडर तो ले आ ।"
मदन अंडरवियर में ही बेडरुम में जाने को थोड़ा हिचका मगर मामी ने फिर से कहा, "ले आ जरा सा लगा लेती हूँ।"
मदन उठा और पाउडर ले आया। उर्मिला देवी ने पाउडर ले लिया और थोड़ा सा पाउडर हाथों में ले कर अपनी हथेली को नाईटी में घुसा दिया। और पाउडर लगाने लगी। मदन तिरछी निगाहों से अपनी मामी हरकतो को देख रहा था और सोच रहा था काश मामी उसको पाउडर लगाने को कहती। उर्मिला देवी शायद उसके मन की बात को समझ गई और बोली,
"मदन क्या सोच रहा है ?"
"कुछ नही मामी, मैं तो बस टी वी देख रहा हूँ."
"तु बस टी वी देखता ही रह जायेगा, तेरी उमर के लड़के ना जाने क्या-क्या कर लेते है ?, तुझे पता है दुनिया कितनी आगे निकल गई है ?"
"क्या मामी आप भी क्या बात करती हो, मैं अपने क्लास का सबसे तेज बच्चा हूँ ?"
" मुझे तो तेरी तेजी कहीं भी नही दिखी।"
"क्या मतलब है, आपका मामी ?"
" मतलब ये कि अब तू जवान हो रहा है, अगर तू क्लास में सबसे तेज है तो तेरी जवानी में भी तो तेजी नजर आनी चाहिये?”
“कैसी तेजी मामी ।”
मदन ने भोलेपन का स्वांग करने का ठान लिया था।
मतलब तेरे मन में जवानी की अंगड़ाइयाँ आनी चाहिये सच बता मन तो करता होगा ?,"
"क्या मन करता होगा मामी ?"
"तांक-झांक करने का", अपनी चूत पर नाईटी के अन्दर से हाथ चलाते हुए बोली,
"अब तो तेरा पूरा खड़ा होने लगा है."
"नहीं वो तो मामी,,,,,,!!?"
"क्यों मन नही करता क्या ?, मैं जैसे ऐसे तेरे सामने पाउडर लगा रही हूँ तो तेरा दे्खने का मन करता होगा,,,,,,,,,,"
"धत् मामी,,,,,,,,,।"
"मैं सब समझती हूँ,,,,,,,तु शरमाता क्यों है ?, तेरी उमर में तो हर लड़का यही तमन्ना रखता है की कोई खोल के दिखा दे,,,,,,,,,,,,,,,,,तेरा भी मन करता होगा,,,,,,,,, फिर मदन के चेहरे की तरफ देखते हुए बोली,
"खोलने की बात सुनते ही सब समझ गया, कैसे चेहरा लाल हो रहा है तेरा, मैं सब समझती हूँ तेरा हाल." ,
मदन का चेहरा और ज्यादा शरम से लाल हो गया पर उसने भी अब बहादुर बनने का फ़ैसला कर लिया पर अपनी नजरे झुकाते हुए बोला,
"आप बात ही ऐसी कर रही हो ।”
उर्मिला (बात बदलते हुए) बोली –“तेरे मामा होते तो उनसे पाउडर लगवा लेती."
मदन –“लाओ मैं पाउडर लगा देता हूँ."
"हाय, लगवा तो लूँ मगर तु कहीं बहक गया तो !?"
"हाय मामी मैं क्यों बहकूँगा ?"
"नही तेरी उमर कम है, जरा सी छेड़छाड़ से ही जब तेरा इतना खड़ा हो गया तो हाथ लगा के क्या हाल हो जायेगा, फिर अगर किसी को पता चल गया तो बदनामी…।"
मदन बोला,
"आपकी कसम मामी किसी को भी नही बताऊँगा."
इस पर उर्मिला देवी ने मदन का हाथ पकड़ अपनी तरफ खींचा, मदन अब मामी के बगल में बैठ गया था। उर्मिला देवी ने अपने हाथों से उसके गाल को हल्का सा मसलते हुए कहा,
"हाय, बड़ी समझदारी दिखा रहा है पर है तो तू बच्चा ही ना कहीं इधर उधर किसी से बोल दिया तो ?"
"नहीं मामी,,,,,,,,मैं किसी से नही,,,,,,,,,"
"खाली पाउडर ही लगायेगा या फिर,,,,,,,,देखेगा भी,,,,,,,,,,,,,,मैं तो समझती थी की तेरा मन करता होगा पर,,,,,,,,"
"हाय मामी पर क्या देखने का मन,,,,,,,,,,"
"ठीक है, चल लगा दे पाउडर."
उर्मिला देवी खड़ी हो गई और अपनी नाईटी को अपनी कमर तक उठा लिया। मदन की नजर भी उस तरफ घुम गई। मामी अपनी नाईटी को कमर तक उठा कर उसके सामने अपनी कच्छी के इलास्टीक में हाथ लगा कर खड़ी थी। मामी की मोटी मोटी केले के तने जैसी खूबसुरत रेशमी गुलाबी जांघे और उनके बीच कयामत बरसाती उनकी काली कच्छी को देख पाउडर का डिब्बा हाथ से छुट कर गिर गया और पाउडर लगाने की बात भी दिमाग से निकल गई।
क्रमश:………………………………
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