Antarvasna kahani नजर का खोट
04-27-2019, 12:54 PM,
RE: Antarvasna kahani नजर का खोट
पूजा की तस्वीर यहाँ होना मुझे चौंका गया क्योंकि एक वो ही थी जो इन सब में फिट नहीं बैठती थी, मेरा मतलब पूजा काफी समय से निष्काषित थी अपने परिवार से तो उसकी तस्वीर यहाँ होने का बस एक ही मतलब था की राणाजी को भान था उसकी उपस्तिथि का,
जब तस्वीरो से ध्यान हटा तो मैंने कमरे में मौजूद हर चीज़ का अवलोकन करना शुरू किया ऐसा लगता था की जैसे हर चीज़ को बहुत प्यार से सहेज कर रखा गया है, एक बक्से में मुझे भाई का पूरा सामान मिला ,

एक बक्से में मेरा पुराना सामान जिसे मैंने यु ही फेंक दिया था ,कुछ पलो के लिए मैं खो सा गया पर अब कुछ सवाल और खड़े हो गए थे जिनके जवाब सिर्फ राणा हुकुम सिंह ही दे सकते थे अब,

पर एक चीज़ इन तस्वीरो में ऐसी थी जो कुछ जँच नहीं रही थी मतलब कुछ ऐसा और तब मुझे समझ आया की क्या खटक रहा था, दरअसल जीजी की एक भी तस्वीर नहीं थी वहां पर , जिस तरीक़े से मेरी और भाई की चीज़ों को सहेजा गया,
उसी तरह जीजी की भी कोई तो निशानी जरूर होनी चाहिए थी ना, पर मुझे इस पुरे कमरे में कुछ नहीं मिला , क्या राणाजी सिर्फ अपने बेटों को ही चाहते थे , बेटी को नहीं या फिर कोई और बात थी,

शायद अब सही समय आ गया था की खुल कर सवाल जवाब कर ही लिए जाये मैं हल्के कदमो से चलते हुए अपने आप से सवाल जवाब कर रहा था की मेरी उंगलिया दिवार के एक कोने से जा लगी, तो कुछ गीला गीला सा लगा जैसे शायद पानी हो या कुछ उमस सा सीलन जैसा कुछ 

अब हुआ कौतुहल मुझे, मेरी उंगलिया कोने में फस गयी थोड़ा जोर लगाया तो दिवार करीब तीन फुट सरक गयी और मैं हैरान ही रह गया ये तो,,,, ये तो एक सुरंग सी थी मेरा तो सर ही घूम गया आखिर ये हो क्या रहा था अब ये सुरंग कहा जाती थी

फिर मैंने सोचा की शायद आज तकदीर भी ये ही चाहती है की जो होना है आज ही हो जाये, मैंने एक बार फिर लालटेन को अपनी साथी बनाया और चलता गया ये सोचते हुए की राणाजी को आखिर इसकी क्या जरुरत पड़ी होगी

धीरे धीरे सुरंग कुछ चौड़ी होने लगी पर अंत नहीं आ रहा था जी घबराये वो अलग , ऐसा लगे की जैसे किसी भूल भुलैया में फस गया हूं हाथ पांवो में दर्द होने लगा था पता नहीं कितने कोस चल चुका था पर सुरंग का जैसे अंत ही नहीं हो रहा था 

पसीने पसीने हुआ मैं कभी बैठ कर साँस लू तो कभी फिर चल पडू , प्यास के मारे गला सूखे वो अलग पर अब इतनी दूर आ गया था तो वापिस जाने का सवाल ही नहीं था 

पर जब हौंसला बिलकुल टूटने को ही था तभी एक हलकी सी रौशनी दिखी, मानो प्राणदान मिले हो मैं और तेज चलने लगा और जल्दी ही ऊपर जाती सीढिया दिखी और जिस तरह से हमारे घर में हुआ था ये सीढिया भी मुझे एक कमरे में ले गयी

इस कमरे में अँधेरा कुछ ज्यादा था और लालटेन भी बुझ गयी थी मैंने पर्दा हल्का सा उठाया तो खिड़की से ढलते सूरज की रौशनी आयी तो पता चला की सुबह की शाम हो गयी थी पर जब कमरे की दीवारों पर नजर पड़ी तो होश आया मुझे 

यही तो आना चाहता था मैं, हां यही तो आना चाहता था हमेशा से , मेरा मतलब जबसे मैं इन सब में पड़ा था, दोस्तों मैं इस समय उस कमरे में था जो कभी पद्मिनी का रहा होगा जो तस्वीरो में इतनी सुन्दर दिखती होगी प्रत्यक्ष में उसकी क्या खूब आभा रही होगी, मंत्रमुग्ध 

और अगर ये पद्मिनी का कमरा था तो मैं अर्जुनगढ़ की हवेली में था, मैंने घूम घूम कर कमरे को देखा हर चीज़ ऐसे थी जैसे की बरसो से उनको छुआ नहीं गया है सिवाय पद्मिनी की तस्वीरो के जिन पर कोई मिटटी जाले नहीं था 

इसका मतलब कोई अवश्य आता जाता था यहाँ पर पूजा के अनुसार हवेली सालो से बंद पड़ी थी, अब ये क्या हो रहा था मुझे कोई अंदाज नहीं था , आखिर हमारे पुरखो ने क्या गुल खिलाये थे और ये सुरंग जो देव गढ़ से अर्जुनगढ़ तक आती थी इसके क्या मायने थे आखिर इसे किसलिए बनाया गया था


और क्या राणाजी के कमरे से सुरंग का सिर्फ पद्मिनी के कमरे तक आना महज एक इत्तेफाक था , नहीं हो सकता है की सुरंग पहले बनायीं गयी हो और विवाह के बाद इस कमरे में पद्मिनी रही हो, मैंने अपने इस शक को दूर करने के लिए फिर से कमरे का अवलोकन किया पर अर्जुन सिंह से सम्बंधित कोई चीज़ नहीं मिली

अब बात ये भी थी की जैसा की मैं जानता था बाद में पद्मिनी ने राणाजी को राखी बांधी थी पर क्या राणाजी एक तरफ़ा चाहते थे पद्मिनी को, इस विचार के पीछे मेरे पास ठोस कारन था की राणाजी को सिर्फ जिस्म से मतलब था चाहे वो किसी का भी हो

तो क्या उन्होंने राखी का मान नहीं रखा होगा, या जो भी कारन हो पर इतना जरूर था की कुछ ऐसा था जिसे सबसे छुपाया गया था और शायद इसी वजह से दोनों दोस्त दुश्मन बने हो, अपने ख्यालो में खोए हुए मैं कब कमरे से निकल कर सीढियो के पास आ गया पता ही न चलता अगर उस आवाज ने मेरा ध्यान न खींचा होता

"तो आखिर, आ ही गए तुम यहाँ पर"

मैंने नजर घुमा कर देखा और बस इतना बोल पाया " आप, आप यहाँ पर"
Reply


Messages In This Thread
RE: Antarvasna kahani नजर का खोट - by sexstories - 04-27-2019, 12:54 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,683,666 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 566,472 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,310,852 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 994,769 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,759,189 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,168,087 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,102,696 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,570,719 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,196,745 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 302,517 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)