RE: Porn Kahani हसीन गुनाह की लज्जत
अपने पढ़ा कि कैसे मेरी साली की युवा बेटी कम्प्यूटर कोर्स करने मेरे यहाँ रहने आ रही है. इस समय वो मेरे साथ कार में है.अब आगे:
दो पल बीते या सदियाँ गुज़र गयी, कुछ पता नहीं. अचानक मेरे कानों में प्रिया की आवाज़ सुनाई दी…“मैंने आप से एक बात करनी है.”“कहो…!”“आप बुरा ना मानना… प्लीज़!”“अरे नहीं… तुम बोलो?” मैंने घूम कर एक नज़र प्रिया की ओर देखा.
नज़र झुकाये, अपने दोनों हाथों में मेरा हाथ थामे, प्रिया ग्रीक की कोई देवी की मूरत सी लग रही थी.“आप मेरे जीवन के प्रथम-पुरुष हैं, मैं मन ही मन आप को पूजती हूँ और मेरे दिल में हमेशा आप की एक ऊंची और ख़ास जगह है और हमेशा रहेगी. इस के साथ ही यह भी सच है कि आप का और मेरा साथ किसी भी सूरत संभव नहीं. मेरी आप से विनती है कि जिसे मैंने अपने मन-मंदिर का देवता माना है वो देवता ही रहे.”“मैं समझा नहीं?” मैंने अनजान बन कर पूछा हालांकि समझ तो मैं गया ही था.
“आप के और मेरे बीच एक बार जो हुआ वो किस्मत थी लेकिन मैं सुधा मौसी को बहुत प्यार करती हूँ और हरगिज़-हरगिज़ नहीं चाहती कि मैं उन के दुःख का कारण बनूँ. इंसान फ़ितरतन लालची है उसे और… और… और चाहिए लेकिन मैं नहीं चाहती कि इस और… और के लालच में ये जन्नत जो आज मेरे पास है, मैं उसे भी खो बैठूं!”“प्रिया! साफ़ साफ़ कहो कि तुम मुझ से चाहती क्या हो?”
“आइंदा क़रीब तीन महीने मुझे फिर से आप के घर में रहना है और मैं चाहती हूँ कि वहाँ घर में आप ना सिर्फ़ सब के सामने बल्कि अकेले में भी सिर्फ मेरे मौसा जी ही बन कर रहें.”
बहुत गहरी बात थी लेकिन बात तो प्रिया ठीक कह रही थी पर उस की इस बात से मेरे अन्तर्मन को गहरी ठेस लगी. शायद नकारे जाने का अहसास था. मेरा हाथ जिस में प्रिया का हाथ कसा हुआ था फ़ौरन ढीला पड़ गया. प्रिया को तत्काल इस का भान हुआ और उस ने मेरा हाथ अपने हाथ में जोरों से कस लिया और मेरा हाथ यहाँ वहाँ चूमने लगी.
अचानक मेरी हथेली के पृष्ठ भाग पर पानी की दो गर्म गर्म बूंदें गिरी. मैंने तत्काल अपना हाथ छुड़ा कर कार साईड में रोकी और प्रिया की ओर मुड़ा, उसकी ठुड्ढी उठा कर देखा तो प्रिया की आँखों से गंगा-जमुना बह रही थी.मेरा दिल भर आया, जैसे ही मैंने उसे खींच कर अपने गले से लगाया तो मानो कोई बाँध ही टूट गया. प्रिया मुझ से कस कर लिपट गयी और ज़ार-ज़ार रोने लगी और मैं अनजाने में ही प्रिया के कपोलों पर से अपने होंठों से उस के आंसू बीनने लगा.
कुछ ही क्षणों के बाद मैं प्रिया के होंठ चूम रहा था और प्रिया मेरे!अचानक प्रिया ने मेरे मुंह में अपनी जुबान धकेल दी और मैं आतुरता से प्रिया की जुबान चूसने लगा, अपनी जीभ से प्रिया की जीभ चाटी, प्रिया के उरोज़ मेरी छाती में धंसे जा रहे थे और मैं दोनों हाथों से प्रिया को आलिंगन में ले कर अपनी ओर खींचे जा रहा था. प्रिया के होंठ चूमें, गालों पर, आँखों पर, माथे पर दर्ज़नों चुम्बन लिए, दोनों कानों की लौ चूसी, कानों के पीछे, गर्दन पर अपनी जीभ फेरी. दोनों उरोजों के बीच की घाटी को चूमा-चाटा पर सब्र कहाँ?
हम लोग बड़ी ही असुविधजनक स्थिति में बैठे थे लेकिन परवाह किस को थी. दोनों की साँसें इतनी तेज़ हो रही थी जैसे मीलों भाग कर आए हों. कार में इस से ज्यादा कुछ होने/करने की गुंजायश भी नहीं थी. धीरे-धीरे प्रेम-उद्वेग हल्का पड़ा तो दोनों के होशो-हवास वापिस आये. रात 9 बजे… बिज़ी नेशनल हाईवे पर खड़ी कार में प्रेम-आलाप… अव्वल दर्ज़े की मूर्खता के सिवा कुछ और हो ही नहीं सकता.मैंने धीरे से प्रिया को अपने-आप से अलग किया, प्यार से उसके चेहरे पर अपना हाथ फिराया, बाल पीछे किये, आँखें पौंछी और माथे पर एक चुम्बन लिया.
प्रिया मुस्कुरा दी. वही जादुई मुस्कान जो सारे गम बिसरा दे. मैंने इक निःश्वास भरी- ठीक है प्रिया! जैसा तुम चाहती हो वैसा ही होगा.“थैंक्यू! आप ने मेरे शब्दों की लाज रखी. आप कुछ भी मुझ से मांग सकते हैं… भगवान-कसम! मैं दे दूंगी.”“छोड़! जाने दे.”“नहीं प्लीज़! आप कहिये…. मुझे ख़ुशी मिलेगी.”“नहीं… जाने दे.”“अरे! कहिये तो… आप को मेरी कसम.”“अरे छोड़! मैं तुझ से प्यार करता हूँ और जिस से प्यार करते हैं उस को दिया करते हैं, उस से मांगा नहीं करते.”“चाहे दिल में कोई अधूरी तमन्ना… दिन-रात का चैन हराम किये रखे… तो भी??
|