RE: non veg kahani नंदोई के साथ
मैं उनकी पकड़ से अपने को छुड़ाकर दरवाजे की ओर भागी। मैं दरवाजे को ठोंकने लगी- “दीदी दीदी मुझे बचाओ...” की आवाज लगाने लगी- “दरवान जी मुझे बचाओ... कोई बचाओ मुझे...”
चीख जितना चीख सकती है चीख ले। कोई नहीं आएगा बचाने। दरवान को जो बचेगा उसमें से एक टुकड़ा डाल दिया जाएगा तो उसके भी होंठ सिल जाएंगे। हाहाहा...” राज आज किसी दो टके हिन्दी फिल्म के विलेन से कम
नहीं लग रहा था। मैं उसके घुटनों के पास बैठी उनसे रहम की भीख माँग रही थी।
तेरी दीदी तो अचानक अपने मायके जयपूरे चली गई तुम्हारी होने वाली सास की तबीयत अचानक कल रात को खराब हो गई थी..." नीचे झुक कर उन्होंने मेरे बालों को अपनी मुट्ठी में पकड़ा और मुझे लगभग घसीटते हुए बेड तक ले गये- “मुझे तेरा ख्याल रखने को कह गई थी इसलिए आज सारी रात हम तेरा ख्याल रखेंगे...” कहकर उसने मेरे बदन से चुन्नी नोच कर फेंक दिया। तीनों मुझे घसीटते हुए बेड पर लेकर आए। कुछ ही देर में मेरे बदन से सलवार और कुर्ता अलग कर दिए गये। मैं रोते हुए दोनों हाथों से अपने योवन को छुपाने की असफल कोशिश कर रही थी। मगर उन तीनों दानवों के आगे मैं तो एक छोटे से फूल की तरह थी। उनकी ताकत के आगे भला मेरा क्या बस चलता।
तीन जोड़ी हाथ मेरी छातियों को बुरी तरह मसल रहे थे। और मैं छूटने के लिए हाथ पैर चला रही थी और बारबार उनसे रहम की भीख मांगती। फिर मेरी छातियों पर से ब्रस्सिएर नोच कर अलग कर दी गई। तीनों मेरी छातियों को मसल मसलकर लाल कर दिए थे। फिर निपल्स चूसने और काटने का दौर चला। तीनों किसी भूखे भेड़िए की तरह मेरे स्तनों पर टूट पड़े। तीनों मेरे दोनों स्तनों के साथ बुरी तरह से पेश आ रहे थे। ऐसा लग । रहा था की वो मेरी दोनों छातियों को मेरे बदन से अलग करके ही दम लेंगे। मैं दर्द से चीखे जा रही थी। मगर सुनने वाला कोई नहीं था, एक ने मेरे मुँह में कपड़ा ठूसकर उसे मेरी ओघनी से बाँध दिया जिससे मेरे मुँह से आवाज ना निकले।
अब मैं चीख भी नहीं पा रही थी। मुँह से बस “गों... गों...” जैसी आवाजें निकल रही थी।
मगर दर्द आँखों से आँसू बनकर बह रहे थे। अब तीनों ने मेरी सलवार के नाड़े को तोड़ कर उसे मेरे बदन से अलग कर दिया। मैंने शर्म के मारे अपनी दोनों टाँगें सिकोड़ ली जिससे मेरी योनि उनके सामने आने से बच जाए। मगर दो आदमियों ने मेरी टाँगों को पकड़कर चौड़ा कर दिया। मैं अपने आपको बई ही कमजोर हालत में पा रही थी।
अचानक किसी ने अपनी उंगलियां मेरे टाँगों की जोड़ पर रखकर पैंटी को एक तरफ सरका दिया। मैं छटपटाने की कोशिश कर रही थी। मगर मेरी हालत किसी शिकार के लिए बँधे जानवर जैसी हो रही थी। मेरे लिए हिलना भी मुश्किल हो रहा था। तभी दोनों उंगलियां बड़ी बेदर्दी से मेरी योनि में प्रवेश कर गई। कुँवारी चूत पर यह पहला हमला था इसलिए मैं दर्द से चिहँक उठी।।
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