Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:22 PM,
#86
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
दूसरी तरफ कालेज में जीशान अपने क्लासरूम में बैठा कुछ सोच रहा था। वो जो चाहता था वो उससे बहुत दूर थी। जिस खूबसूरत बला को देख-देखकर उसने अपनी जवानी को संभाला था, वो उसकी सगी माँ निकली थी। उसे इस बात से बेहद खुशी भी हुई थी कि अनुम उसकी अम्मी है, ना कि शीबा। वो अनुम को पाने के लिए हर जायेज नाजायेज काम करने को तैयार था। चाहे उसके लिए उसे अपने अब्बू अमन ख़ान से ही क्यों ना लड़ना पड़े। बस वो अनुम की मोहब्बत चाहता था। वो मोहब्बत जो उसके दिल में एक कोने में दफन थी, जिसे उसने आज तक किसी पर भी जाहिर नहीं किया था। 

वो शीबा के साथ रात गुजार चुका था। पर जो उलफत उसे अनुम के पास बैठने से महसूस होती थी, वो शीबा को चोदने से भी महसूस नहीं हुई थी। वो क्या वजह थी कि वो अनुम को जितना इग्नोर कर रहा था, अनुम उतना ही उसके दिल में घर करती जा रही थी। 

क्लास रूम में टीचर दाखिल होते हैं और जीशान अपनी सोच के दायरे से बाहर आ जाता है। टीचर ये अनाउन्स करने आए थे कि 3 दिन के बाद कालेज से समर कैम्प के लिए ट्रिप जाने वाला है। जो लोग जाना चाहते हैं वो जल्द से जल्द फीस जमा करवा दें। 

सभी खुशी के मारे तालिया बजाने लगते हैं। जीशान भी बहुत खुश था कि चलो इसी बहाने कुछ वक्त घर से बाहर तो रह लेगा। मूड फ्रेश करने का ये बेहतर मौका था। बस उसे एक चीज की टेंशन थी कि कहीं लुबना भी आने की ज़िद ना कर बैठे। 
क्योंकि फिर उसे लुबना की चौकीदार की नौकर मिल जाती घर वालों की तरफ से। 
हुआ भी वही … जब क्लासेस ख़तम हुईं तो जीशान गेट के पास खड़ा लुबना का इंतजार कर रहा था कि तभी उसे अपनी पीठ पे किसी का हाथ महसूस होता है। जब वो पीछे पलटकर देखता है तो रूबी मुश्कुराते हुये उसे दिखाई देती है। 

रूबी-हाई जीशान। 

जीशान-हाय रूबी कैसी हो? 

रूबी-मैं ठीक हूँ । असल में मुझे तुमसे कुछ काम था। 

जीशान-हाँ बोलो। 

रूबी-वो मैं समर कैम्प जाना चाहती हूँ । 

जीशान-हाँ तो… इसमें मैं क्या कर सकता हूँ ? 

रूबी-वो मुझे तुम्हारी हेल्प चाहिए थी। 

जीशान-कैसी हेल्प रूबी? प्लीज़ … साफ-साफ कहो जो कहना चाहती हो। 

रूबी-मैं चाहती हूँ कि तुम मेरी अम्मी से बात करो कि मुझे समर कैम्प जाने दें। अगर मैं बात करूँगी तो वो मुझे कभी जाने नहीं देंगी। अगर तुम कहोगे तो वो मान जाएगी। क्योंकि उन्हें ये यकीन रहेगा कि तुम वहाँ मेरे साथ रहोगे और अगर कोई प्राब्लम आए तो यू नो व्हाट आई मीन। 

जीशान-अच्छा तो ये बात है। ठीक है, मैं आंटी से बात करने शाम में आ जाऊूँगा तुम्हारे घर पे। 

रूबी खुशी के मारे जीशान के गले में बाहें डालकर चिपक जाती है। जीशान दिल ही दिल में-“ साली , माँ-बेटी दोनों दिल-फेंक हैं। चलो इसी बहाने हाथ सेंकने को तो मिल ही जाएगा। पर किसी की नजरें ये सीन देखकर लाल हो गई थीं।

लुबना-क्या हो रहा है ये सब? 

रूबी झट से जीशान से अलग हो जाती है। 

जीशान-अरे कुछ नहीं , ये तो बस ऐसे ही । चलो-चलो घर चलते हैं। 

लुबना रूबी को खा जा ने वाली नजरों से देखती हुई कार में बैठ जाती है। जब कार अमन विला की तरफ बढ़ती है तो लुबना का पारा भी बढ़ने लगता है। लुबना कहती है-“भाई ये सब ठीक नहीं है…” 

जीशान-क्या इतनी से बात को लेकर बैठी हो लुबु? 

लुबना-अच्छा, इतनी सी बात… ठीक है, मैं भी किसी लड़के के गले मिलती हूँ कल कालेज में। 

जीशान कार झटके से रोक देता है और लुबना की तरफ देखकर उसकी गर्दन को हाथ में दबोच लेता है-क्या कहा तूने ? फिर से बोल? 

लुबना की साँस घुटने लगती है-“ सारी सारी , मैं तो मजाक कर रही थी…” 

जीशान उसे छोड़ देता है-“आइन्दा ऐसी वैसी बात की ना तो जान से मार दूँगा…” 

लुबना कुछ नहीं कहती। उसे जीशान की यही अदा तो सबसे प्यारी लगती थी। वो लुबना के आस-पास भी किसी को फटकने नहीं देता है। टिपिकल मर्द जो था जीशान। खुद यहाँ वहाँ मुँह मारता फिरे पर कोई उसकी माँ बहन की तरफ आँख उठाकर भी देख ले तो गाण्ड में दर्द होने लगता है। 

लुबना-भाई मैं बहुत खुश हूँ । 

जीशान-क्यों? 

लुबना-“अरे खुशी की तो बात है, मैं समर कैम्प जो जा रही हूँ …” 

वो जानती थी कि घर वाले उसे अकेले जाने देने से रहे। अगर वो जाएगी तो साथ में जीशान को भी जाना पड़ेगा। और वो यही तो चाहती थी। जीशान के साथ बाहर घूमना। 

जीशान दिल में खुद को गालियाँ देने लगता है-“साला अपनी किस्मत ही खराब है। रूबी के साथ मजा मारने को मिलने वाला था की … अब संभालो इसे भी…” किसी तरह कार अमन विला पे पहुँच जाती है। 

जब जीशान अपने रूम में कपड़े उतारकर बाथरूम में जाने ही वाला था कि रूम में शीबा आ जाती है। और आते ही जीशान की छाती से चिपक जाती है। 

जीशान-“अरे अम्मी, मुझे फ्रेश होने जाना है…” 

शीबा-“मुझे अभी कुछ मत बोल। जब से तू कालेज गया है तब से आग में जल रही हूँ , जरा मुझे पिघलने दे…” 

जीशान शीबा की कमर को दोनों हाथों में पकड़कर मसलने लगता है। 

शीबा-“अह्ह… अभी नहीं रात में मेरे रूम में आ जाना…” 

जीशान-“थोड़ा रस तो पीने दो…” और ये कहते हुये दोनों के होंठ एक दूसरे से मिल जाते हैं। 

शीबा कुछ देर बाद अपने होंठों को जीशान की कैद से आजाद करके अपने रूम में चली जाती है और जीशान जुबान होंठों पे फेरकर रह जाता है। 

उधर लुबना रज़िया को मसका मारने में लगी हुई थी। वो किसी भी कीमत पे समर कैम्प जाना चाहती थी इसके लिए रज़िया की इजाजत ज़रूरी थी। लुबना ने कहा-“ दादी , बस कुछ दिनों की तो बात है और वैसे भी मैं कौन सी अकेले जा रही हूँ भाई भी तो साथ होंगे ना…” 

रज़िया-“बेटा क्या ज़रूरत है ये कैम्प वेम्प में जाने की। घर का काम सीखो, आगे चलकर वही सब तो करना है…” 

लुबना बुरा सा मुँह बना लेती है-“कोई मुझसे प्यार नहीं करता, सब जीशान को चाहते हैं। मैं लड़की हूँ , इसका मतलब घर में कैद हो जाओ। अब्बू यहाँ होते तो मुझे फौरन हाँ कह देते…” 

रज़िया मुश्कुरा देती है और लुबना के सर पे थप्पड़ मारके उसे अपने गले लगा लेती है-“बदमाश कहीं की… खूब जानती हूँ तेरी ये सब होशियारी । पहले मुझे जीशान से बात करने दे…” 

लुबना-“भाई से मैंने बात कर ली है। वो तो बहुत खुश हैं मुझे साथ ले जाने के लिए…” 

रज़िया-“चल हट झूठी… भला वो क्यों खुश होने लगा? कोई अपने गले में घंटी बाँधना पसंद करेगा? हेहेहेहे…” और रज़िया हँसती हुई जीशान के रूम की तरफ चल जाती है। 

लुबना-“ दादी , आप भी ना…” उसका मुँह फूल जाता है। वो दिल ही दिल में दुआ करने लगती है कि जीशान मान जाए, उसे साथ ले जाने के लिए। वो जानती थी जीशान मान जाएगा और अगर नहीं माना तो उसे मनाना आता है। 

जीशान अपने रूम में लेटा हुआ था। वो अभी-अभी नहाकर आया था। रज़िया पहले नॉक करती है और फिर जीशान के रूम में आ जाती है। जीशान बेड पे उठकर बैठ जाता है-“अरे दादी आप? क्या बात है कुछ काम था?” 

रज़िया सामने रखे सोफे पे आकर बैठ जाती है। वो बेहद खूबसूरत लग रही थी। अमन की मोहब्बत उसके जिस्म पे साफ नजर आती थी। रज़िया का हँसना। उसका बात करना हर एक चीज में अमन झलकता था। रज़िया जीशान को अपने पास बुला लेती है। जीशान चुपचाप रज़िया के पास आकर बैठ जाता है। 
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