Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:47 PM,
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
रज़िया अपनी बेटी की इस तरह से चुदाई से खुद भी भड़क उठती है। वो बार-बार सोफिया की चूत से जीशान का लण्ड निकालकर उसे मुँह में लेकर गीला करने लगती है और दुबारा सोफिया की चूत में डालने लगती है। 

सोफिया-“आह्ह… अम्मी ऐसा मत करो ना मुझे अंदर तक चाहिए आह्ह… जीशान रुको मत करते जाओ आह्ह…” 

जीशान का लण्ड मोटा होने की वजह से सोफिया की चूत की दीवारें उसे पहले-पहले संभाल नहीं पाती , मगर जीशान की ताकत के आगे वो भी हार मान लेती हैं और सोफिया की चूत काफी हद तक खुल जाती है। 

आज बेटी अपने भाई से अम्मी के सामने चुदाई कर रही थी। ये बात तीनों के लिए नई थी, और यही वजह थी कि तीनों इस आग में जलते चले जा रहे थे। 

सोफिया-“अजी जी… आराम से, आराम से ना… आह्ह… आह्ह…” 

जीशान-“क्या करूँ मेरी जान? बहुत तरसाया ना तूने मुझे, अब हाथ आई है तो कैसे आराम से करूँ बोल? आह्ह…” 

सोफिया अपने नाखून जीशान की पीठ में गड़ा देती है और जोर से कमर को ऊपर की तरफ उठाकर झड़ने लगती है-“जीशान उउउ मेरी चूत में झरना आह्ह…” सोफिया बहुत जल्दी मंज़िल के करीब पहुँच गई थी। 

मगर जीशान अभी बहुत दूर था। चिकनी चूत से लण्ड उसे बाहर निकालना पड़ता है, क्योंकी सोफिया निढाल सी हो गई थी। 

रज़िया अपने हाथ में जीशान का औजार पकड़ लेती है-“बेटी तो थक गई, देखते है अम्मी को थका पाते हो कि नहीं ?” 

जीशान मुस्कुराता हुआ रज़िया की कमर पर थप्पड़ मार देता है और उसे डोगी स्टाइल में झुकाकर उसकी चूत ड़ों की दरार में अपना लण्ड घिसने लगता है। 

रज़िया-“आह्ह…” करके अपने दाँतों से जीशान के गाल को काटने लगती है। वो जानती थी कि जीशान क्या करने वाला है, और जीशान वही करता है। अपने लण्ड को रज़िया की नरम बड़े गाण्ड के सुराख पर रख कर वो सट करके अंदर की तरफ झटका देता है। 

रज़िया पीछे से लेने की शौकीन थी। अमन से भी ज़िद करके वो पहले पीछे के दरवाजे पर दस्तक करवाती थी। आज जीशान ने उसके दिल की मुराद पूरी कर दिया था। 

रज़िया-“आह्ह… मेरे लाल मुझे पता था कि तुम उन्ह…” 

जीशान-क्या? क्या पता था रानी? 

रज़िया-“उन्न्ह … न्ह आह्ह…” वो बोल है नहीं पाती क्योंकी जीशान के धक्के उसे कुछ बोलने ही नहीं देते। रज़िया की गाण्ड का सुराख फैलते चला जाता है। वो अपनी कमर को जीशान के लण्ड की तरफ बढ़ाती है और जीशान पीछे से उसकी गाण्ड में अपना लण्ड डालता चला जाता है। 

तभी बाहर दरवाजे पर किसी केी दस्तक होती है और जीशान के साथ रज़िया और सोफिया भी घबरा जाते हैं। पच्च की आवाज़ के साथ जीशान का लण्ड रज़िया की गाण्ड से बाहर निकल जाता है। 

अनुम-दरवाजा खोलो जल्दी से। 

तीनों डर के मारे अपने-अपने कपड़े पहनने लगते हैं, और थोड़ी देर बाद रज़िया दरवाजा खोलती है। 

अनुम अंदर आती है, एक जोरदार थप्पड़ सोफिया के और एक जीशान के मुँह पर जड़ देती है-“सोफिया अपने रूम में जाओ जल्दी …” 

सोफिया काँपती हुई वहाँ से अपने रूम में भाग जाती है। 

अनुम दरवाजा बंद करती है और जीशान के पास आकर एक और थप्पड़ उसके मुँह पर रख देती है-“कम्बख़्त इंसान मैं पानी पीने उठी तो इस रूम से आवाज़ें सुनाई दी । पता चला दादी पोते मिलकर बहन के साथ ये सब कर रहे हैं। मुझे तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी। अम्मी तुम भी…” 

जीशान की आँखों में आँसू तैर जाते हैं। 

अनुम-“तुमने मेरा यकीन मेरा भरोसा तोड़ दिया जीशान। मैं तुम्हें क्या बनाना चाहती थी और तुम अपने अब्बू के रास्ते पर चल निकले। मुझे घिन आती है तुमसे और तुम सबसे…” अनुम अपना हाथ जीशान के सिर पर रख देती है-“आज के बाद मैं तुझसे बात नहीं करूँगी और ना तू मुझसे करना जीशान…” ये कहती हुई अनुम वहाँ से चली जाती है। 

जीशान और रज़िया उसे देखते रह जाते है। 

अनुम के जाने के बाद रज़िया के रूम में खामोशी सी छा जाती है। जीशान भीगी पलकों से रज़िया की तरफ देखने लगता है। उस हालत में रज़िया ही थी जो जीशान को संभाल सकती थी। रज़िया रूम का दरवाजा बंद कर देती है, और जीशान की आँखों में आँखें डालकर अपने नाइटी निकाल देती है। 

जीशान अभी भी अपनी अम्मी के थप्पड़ की गूँज से बाहर नहीं निकला था। सामने हुश्न की मलिका खड़ी थी, मगर वो खामोश था। 

रज़िया जीशान के पास आती है और अपनी बाहें उसके गले में डालकर जीशान के होंठों को चूम लेती है-

“जीशान मेरी जान, तुम्हारी आँखों में आँसू नहीं जान मेरी , तुम ख़ान की औलाद हो एक पठान का बच्चा रोता नहीं रुला देता है…” 

जीशान-“पर अम्मी ने सब…” 

रज़िया अपनी उंगली जीशान के होंठों पर रख कर उसे खामोश करवा देती है-
“अम्मी है ना वो तेरी । जब तुम इस रास्ते पर चल निकले हो तो एक बात याद रखो जीशान , यहाँ कोई रिश्ता सगा नहीं होता। बस एक चीज दिखाई देनी चाहिए तुम्हें। ये अमन विला और यहाँ की सभी औरतें जो सिर्फ़ तुम्हारी बन सकती हैं, अगर तुम उन्हें उनकी औकात दिखा दो। तुम वो मर्द हो इस घर के जिसके सामने मैं क्या अनुम भी कुछ नहीं । अपनी ताकत को पहचानो और जीत लो अपनी अम्मी को, जिस तरह तुमने मुझे जीता है, सोफिया को जीता है। अगर तुम अनुम का दिल जितने में कामयाब हो गये तो यकीन मानो तुम अपने आपको उन लोगों में पाओगे जो सबसे खुशनसीब होते हैं। अपनी अम्मी के साथ जिस रात तुम हमबिस्तर होगे, जीशान वो रात तुम कभी नहीं भूल पाओगे। मगर एक बात याद रखना, अनुम को जीतना इतना आसान नहीं और अपने अब्बू की तरह जोर जबरदस्ती मत करना। क्योंकी जोर जबरदस्ती से औरत का जिस्म तो मिल जाता है, मगर रूह से रूह का मिलन नहीं हो पाता …” 

जीशान मुश्कुरा देता है-“आपका और मेरा मिलन जिस्म का है या पाता का?” 

रज़िया अपने होंठों की गर्मी से जीशान को जवाब देने लगती है-“अब इस जिस्म से लेकर पाता तक बस मेरा जीशान है बसा है रज़िया में…” 

जीशान अपनी रज़िया को गोद में उठाकर बेड पर ले जाता है-“जब ऐसी बात है रज्जो तो तुम देखोगी कि इस घर की हर औरत, हर लड़की कल से मेरी गुलाम होगी। मैं उन्हें जहाँ कहूँ गा वो वहीं अपने कपड़े उतारेन्गी और वहीं अपनी दोनों टाँगे भी खोलेंगी । एक दिन मैं तुम दोनों माँ-बेटी को एक साथ एक बिस्तर पर पूरी नंगी करके ऐसे चोदुन्गा के अम्मी की चीखें पूरे अमन विला में गूंजेंगी …” 

रज़िया-“हाँ मेरी जान… मैं भी वो दिन देखना चाहती हूँ …” रज़िया जीशान की पैंट को उतारकर जिस्म से अलग कर देती है, और झूलता हुआ जीशान का लण्ड अपने हाथ में लेकर हिलाने लगती है। 

जीशान रज़िया के बाल पकड़ लेता है-“हिलाती क्या है, मुँह में ले इसे…” 

रज़िया-“लण्ड को मुँह में घुसा लेती है गलपप्प-गलपप्प…” 

जीशान रज़िया के मुँह को देखने लगता है। उसे उस वक्त रज़िया पर बहुत प्यार आ रहा था। अपनी रज़िया की बातें जीशान के कानों में गूँज रह थीं, उसके लण्ड में खिंचाव आने लगता है। रज़िया इस अदा से लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसती थी कि बूढ़ा लण्ड भी जवानी की दुआ माँगता था। 

जीशान रज़िया को फिर से उल्टा कर देता है, और दो तीन थप्पड़ रज़िया के चूत ड़ों पर मारके उसे लाल कर देता है। 

रज़िया-“आह्ह… बड़ा जालिम है रे तू जीशान … अपनी अम्मी का गुस्सा मुझ पर निकाल रहा है…” 

जीशान-“गुस्सा अब निकलेगा रज्जो, जब मेरा लौड़ा तुम्हारी चूत के अंदर दहाड़ेगा…” कहकर रज़िया के दोनों पैरों को पूरी तरह खोलकर पीछे से जीशान अपने लण्ड को हाथ में लेकर रज़िया की चूत पर घिसने लगता है और दन्न देने से उसे रज़िया की चूत के गहराईयों में उतार देता है। 

रज़िया-“उन्ह आह्ह… ये वो लौड़ा है मेरे घर का, जिससे नया खून वजूद में आएगा और जो एक नया अमन विला बनाएगा आह्ह… चोदो मेरे मालिक अपनी गुलाम बीवी को आह्ह…” रज़िया की आवाज़ बाहर तक सुनाई दे रही थी। 
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