RE: Kamvasna मजा पहली होली का, ससुराल में
और ,मैं खूब कस के बोली,
• मेरे राजा, मार लो मेरी गांड चाहे आज फट जाय पर मुझे झाड दो और उन्होंने मेरी चूत के भीतर अपनी उंगली इस तरह से रगडी जैसे मेरे जी प्वाईंट को छेड दिया हो और मैं पागल हो गयी. मेरि चूत कस कस के कांप रही थी और मैं झड रही थी, रस छोड रही थी.
और मौके का फायदा उठा के उन्होंने मेरी चूचीयां पकडे पकडे कस कस के धक्के लगाये और पूरा लंड मेरी कोरी गांड में घुसेड दिया. दर्द से मारे मेरी गांड फटी जा रही थी. कुछ ए देर रुक के उन्का लंड पूरा बाहर आके मेरी गांड मार रहा था. आधे घंटे से भी ज्यादा । गांड मारने के बाड हि वो झडे. और उन्की उंगलियां मेरा चूत मंथन कर रही थीं और मैं भी साथ साथ झडी.
उनका वीर्य मेरी गांड केअंदर से निकल के मेरे चूतड पे आ रहा था. उन्होने अपना लंड निकाला भी नहीं था की मेरी ननद की आवाज आयी,
* भाभी आपका फोन.”
* जल्दी से मैने शलवार चढायी, कुर्ता सीधा किया और बाहर निकली . दर्द से चला नही जा रहा था. किसी तरह सासू जी के बगल में पलंग पे बैठ के बात की. मेरी छोटी ननद ने छेडा,
* क्यों भाभी बहुत दर्द हो रहा है.”
मैने उसे खा जाने वली नजरों से देखा. सासू बोलीं, बहू लेट जाओ. लेटते ही जैसे मेरे चूतड गद्दे पे लगे फिर दर्द शुरु हो गया. उन्होने समझाया, करवट हो के लेट जाओ मेरी ओर मुंह कर के. और मेरी जेठानी से बोलीं,
* तेरा देवर बहुत बदमाश है, मैं फूल सी बहू इस लिये थोडी ले आयी थी...”
« अरी मां अपनी बहू को दोष नहीं देतीं, मेरी प्यारी भाभी हैं ही इत्ती प्यारी और फिर ये भी तो मटका मटका कर..." उनकी बात काट के मेरी ननद बोली.
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