Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
06-02-2019, 01:24 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेने भी उसकी पीठ सहलाते हुए उसके माथे पर किस कर दिया…और बोला – अब तुम घर जाओगी, या यहीं सो जाओगी…

वो – अब तो बहुत रात हो गयी, अब सुवह ही चली जाउन्गि अगर आपको कोई प्राब्लम ना हो तो…

मेने उसके गाल पर हल्की सी चपत लगाते हुए कहा – बहुत मारूँगा तुझे इस तरह की बात की तो, भला मुझे तुझसे क्या प्राब्लम होने लगी…जहाँ तेरी मर्ज़ी हो वहाँ सो जा..

वो – मे तो आपके साथ ही सोउंगी… सच में उस दिन होटेल में बड़ी अच्छी नींद आई थी आपके साथ…

मे उसके चेहरे की तरफ देखने लगा, जहाँ मुझे सिर्फ़ मासूमियत के सिवा और कुछ नज़र नही आया…………………….!

रात का ना जाने कॉन्सा पहर था, किसी के मुलायम हाथों का स्पर्श अपने बदन पर पाकर मेरी नींद टूट गयी….

देखा तो मेरी टीशर्ट उपर को थी, लोवर भी नीचे खिसका हुआ था, और प्राची अपने कोमल हाथों से मेरे बदन को उपर से नीचे तक सहला रही थी…

मेरे बदन में झूर झूरी सी फैल गयी, और मेरे फ्रेंची में तंबू सा बनने लगा…

प्राची मेरे कंधे पर अपना सर टिकाए…नीचे को मूह करके मेरे बदन से खेल रही थी, अंडरवेर में बने तंबू को देख कर उसका हाथ अनायास ही मेरे लंड पर पहुँच गया, और वो उसे सहलाने लगी…

मेने कुछ देर चुप रहना ही ठीक समझा, मे देखना चाहता था, कि प्राची के आख़िर मन में क्या है… क्या वो मेरे साथ सेक्स करना चाहती है या, बस ऐसे ही पुरुष स्पर्श को फील करना चाहती है…

जब कुछ देर उसने मेरे लंड को सहलाया तो वो और ज़्यादा सख़्त हो गया, जिसे प्राची ने अपने हाथ में लेकर फील किया…

ज़िग्यासा वश उसने मेरे फ्रेंची को जैसे ही नीचे किया, मेरा नाग फन फैलाए सीधा खड़ा होकर उसको घूर्ने लगा…

मेने साफ-2 फील किया, कि मेरे फुल खड़े लंड को देख कर प्राची ने अपने बदन में फूरफ़ुरी सी ली…और वो उसे अपनी मुट्ठी में कसकर दबाने लगी…

उसने उसके सुपाडे को खोल कर देखा… लाल टमाटर की तरह चमकता सुपाडा देख कर वो मंत्रमुग्ध सी अपना सर नीचे को ले जाने लगी…

जैसे – 2 उसका सर नीचे को बढ़ रहा था, मेरी साँसें भी उसी गति से बढ़ने लगी…वो निरंतर उसे खोल-बंद कर रही थी…

आख़िर वो अपने मूह को उस तक ले ही गयी…, अब उसकी गरम – 2 साँसें मेरे लंड को छुने लगी थी…

उसकी गरम साँसों को महसूस करते ही, मेरा लंड झटके खाने लगा…

ना जाने क्या सोच कर उसने मेरे सुपाडे पर अपने तपते होंठ रख दिए और उसे चूम लिया…

ना चाहते हुए भी मेरे मूह से सस्सिईईईईईईईईईईईईईईईईईई……..सिसकी निकल गयी…

प्राची ने झट से मेरा लंड छोड़ दिया, और मेरी तरफ पलटी…

लेकिन मेरी आँखें अभी भी बंद थी… उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था, खुद उसे अपने दिल की धड़कनें साफ-साफ सुनाई दे रहीं थी….!

मेरी आँखें बंद देख कर उसने राहत की साँस ली, और कुछ देर अपनी साँसों को नियंत्रित करती रही….!

उसने कुछ देर और इंतेज़ार किया, लेकिन मेरी तरफ से कोई हलचल ना देख उसने फिर से उसे मुट्ठी में दबा लिया और उलट-पलट कर देखने लगी…

कुछ देर यूँही देखने के बाद उसने फिर से उसे चूमा और सुपाडे पर अपनी जीभ से चाट लिया…

मेने इस बार कस कर अपने होंठ भींच लिए, अब वो अपने होठों को गोल घेरे में करते हुए उसे अपने मूह में भरने लगी… एक दो बार धीरे-2 से अंदर बाहर किया…

लेकिन उसका भी अब कंट्रोल हटता जा रहा था, सो वो उसे जल्दी-2 अंदर-बाहर करने लगी… लाख कंट्रोल के बाद भी मेरा हाथ स्वतः ही उसके सर पर पहुँच गया..

और मे उसके सर को अपने लंड पर दबाने लगा…

प्राची मेरे लंड को मूह से बाहर निकालना चाहती थी, लेकिन मेरे हाथ के दबाब के कारण वो ऐसा नही कर सकी, तो उसने तिर्छि नज़र से मेरी तरफ देखा…

मे भी उसको ही देख रहा था सो बोला – अब तेरे जो मन में है वो कर प्राची.. शरमाने का अब कोई फ़ायदा नही है…

उसके चेहरे पर मुस्कराहट खेल गयी और वो उसे पूरे मन से चूसने लगी…

मे भी उसके सर पर हाथ रख कर उसको इशारे से गति देने लगा… जब चुसते – 2 उसका मूह दुखने लगा… तो उसने उसे बाहर निकाला और अपने हाथ से मसल्ने लगी…

मेने उसके कंधे पकड़ कर अपने उपर खींच लिया… और उसके पतले – 2 रसीले होठों को चूसने लगा…

कुछ देर उसके होंठ चूसने के बाद मेने उसको पुछा – क्या इरादा है प्राची…?

वो मदहोशी भरी आवाज़ में बोली – अब मत रुकिये भैया… मे इस आनंद की सीमा को पाना चाहती हूँ…प्लीज़ दे दीजिए मुझे…वो सुख…

मेने कहा – सोच ले ! बड़ी कठिन राह है, इस सुख की… झेल पाएगी…?

वो – मेरी चिंता मत करिए आप, बस मे आज वो सुख पाना चाहती हूँ…

मे - जैसी तेरी मर्ज़ी, तकलीफ़ तुझे झेलनी है, मेरा क्या………….!


मेने प्राची के सारे कपड़े निकाल दिए…. उसकी कंचन सी काया देख कर मे बौरा गया…

मेने उसे पलग पर लिटा दिया, और खुद के कपड़े निकाल कर पलंग के नीचे फेंक दिए, उसके बगल में बैठ कर एक बार उसके पूरे बदन पर हाथ फेरा…

जैसे जैसे मेरा हाथ उसके बदन पर घूम रहा था, उसका बदन किसी बिन पानी की मछली की तरह फडफडाने लगता…

उसके पेट से होते हुए उसकी कठोर 32” की गोल-गोल गेंद जैसी चुचियों को सहलाता हुआ, उसकी गर्दन, और फिर गालों से होते हुए…उसके पतले होठों पर अपनी एक उंगली उल्टी करके फिराई…

वो अपनी आँखें मुन्दे शरीर में होरहे सेन्सेशन में डूबी हुई थी…
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RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस - by sexstories - 06-02-2019, 01:24 PM
Nise story - by Ram kumar - 01-07-2020, 11:26 PM

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