RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेने सोचा आज चाचा दिन में ही मज़े लेने लगे शायद, चलो लेने दो इन्हें ये सोच कर मे लौटने लगा कि तभी मुझे मन्झलि चाची की आवाज़ सुनाई दी…
आअहह…जेठ जी और ज़ोर्से पेलो उउउफफफ्फ़…बड़ा मज़ा आ रहा है…
मेरी तो खोपड़ी हवा में उड़ने लगी, ये मन्झलि चाची दुश्मन के घर…, ये कैसे हुआ, मेरी उत्सुकता अंदर चल रहे खेल को देखने की हो उठी…!
एक झिरी सी ढूँढ कर मेने अंदर का जायज़ा लिया…, ओ तेरे की दो-दो घोड़ियाँ एक साथ एक ही घोड़े पे सवारी कर रही थी…!
बाबूजी इस समय मंझली चाची को घोड़ी बना कर सटा-सॅट पेल रहे थे…, बड़ी चाची उनके बराबर में ही अपनी गान्ड औंधी कर घुटनों पर इंतजार कर रही थी…
बाबूजी अपने एक हाथ से बड़ी चाची की चौड़ी चकली गान्ड पर हाथ फेरते जा रहे थे, कभी-कभी धक्के की लय पर उनकी गान्ड पर थाप भी लगा देते…
बीच-बीच में अपनी दो उंगलियाँ बड़ी चाची की चूत में डाल देते, बाबूजी के मुँह से बस हुउन्ण..हुन्न.. जैसी आवाज़ें आ रही थी, और वो दोनो घोड़िया, मज़े से हिन-हिना रही थी..
कुछ देर में ही मंझली चाची ने हथियार डाल दिए और वो अपनी गान्ड के भूरे सुराख को सिकोडकर झड़ने लगी…!
आआईय…आअहह…जेठ जी क्या खाते हो राजाजी मेरा तो हो गया, अब आप जीजी को संभलो…!
बाबूजी ने उनकी चुत से फुच…करके अपने लौडे को बाहर खींचा, और बड़ी चाची की गान्ड पर थपकी देते हुए नीचे लेट गये…!
इस उमर में भी बाबूजी का खूँटा डंडे की तरह अकड़ कर उपर तरफ शान से खड़ा नयी चूत का इंतेजार कर रहा था…!
मंझली चाची की चूत रस से लवरेज, जिसे देख कर बड़ी चाची उनका इशारा समझकर बाबूजी के लौडे को एक बार मुँह में लेकर चाटा और फिर अपनी धरा सी गान्ड लेकर उसके उपर सवार हो गयी…!
सस्सिईइ…आआहह…जेठ जी.., कितना मज़ा देता है ये…उउउफ़फ्फ़..मज़ा आजाता है लेते ही.., बड़ी चाची सिसकारी भरते हुए लंड के उपर उठक बैठक करने लगी..,
चूत रस से गीला बाबूजी का चमकता लंड किसी पिस्टन की तरह चाची की चूत में अंदर बाहर हो रहा था..,
इस नज़ारे ने मेरे सोए हुए लंड को पूरी तरह जगा दिया था, मेने ज़्यादा देर वहाँ रुकना उचित नही समझा, और उसे पाजामे में ही उमेठ कर चुपचाप दबे पाँव वहाँ से खिसक लिया…!
इसका मतलब आख़िरकार बाबूजी ने दोनो में सुलह करा ही दी, चलो अच्छा है, तीनो का भला हो रहा है, और घर में सुख शांति कायम रहेगी.., ये सोचता हुआ मे घर की तरफ चल दिया…….!
भाभी इस समय अकेली किचन में स्लॅब के सहारे खड़ी आटा लगा रही थी, फिटिंग वाली मेक्सी में उनकी मखमली मुलायम गान्ड रिदम के साथ हिलोरें ले रही थी…!
खेतों के गरमा-गरम चुदाई सीन को देखने के बाद से ही मेरे खून में वैसे ही गर्मी फैली हुई थी, अब ये नज़ारा देखते ही मेरे घोड़े ने हिन-हीनाना शुरू कर दिया…!
अभी के अभी मेक्सी उपर करके डाल दे इस मक्खन जैसी गान्ड में मुझे.., मेने अपने लंड को नीचे को दबाते हुए उसे शांत करने की नाकाम कोशिश की..
और चुपके से भाभी के पीछे जाकर अपना मूसल उनकी गान्ड की दरार की सीध में रख कर उनको अपनी बाहों में कस लिया…!
तीर एकदम सही निशाने पर लगा था, अपनी गान्ड के होल पर लंड की ठोकर वो भी अचानक से पाकर भाभी के रोंगटे खड़े हो गये, वो एकदम से सिहर कर आहह…भरते हुए पीछे को पलटी…!
बाहों के घेरे की वजह से वो पलट तो नही पाई, लेकिन अपना मुँह मेरी तरफ मोड़ कर कुछ बोलना चाहती थी कि मेने अपने तपते होठ उनके लज़्जत भरे होठों पर टिका दिए…!
एक पल में ही भाभी की आँखों में गुलाबी डोरे तैरने लगे.., मेने अपना एक हाथ आगे से उनकी चूत पर ले जाकर उसे मुट्ठी में दबा लिया…!
भाभी के मुँह से गुउन्ण..गगुउन्ण.. जैसी आवाज़ें आने लगी, आटे से सने हाथों से वो कुछ तो कर नही सकती थी, फिर मेने जैसे ही उनके होठों को आज़ाद किया, वो झूठा गुस्सा जताकर बोली –
गुंडे, बदमाश, मवाली.., थोड़ी बहुत लाज शरम है कि नही, कम से कम इतना तो ख्याल करो, घर में इस समय सब लोग मौजूद हैं, और एकदम से अटॅक कर देते हो.., अभी कोई देख ले तो…!
उनकी बात सुनकर मेने उन्हें अपने बंधन से मुक्त किया और अपने कान पकड़ कर बोला – सॉरी भाभी माँ ग़लती हो गयी, माफ़ करदो अपने बेटे को…!
बेटे के बच्चे, पता है तुमने क्या अनर्थ कर दिया…?
मे एकदम से घबरा गया, और बोला – क्या हुआ भाभी ? कुछ गड़बड़ हो गयी क्या मुझसे..?
मुझे घबराया देख कर भाभी के चेहरे पर अचानक से मुस्कान आ गयी और अपनी मुनिया की तरफ इशारा करते हुए शरारती स्वर में बोली –
तुमने इसे गरम कर दिया है, ये बेचारी आँसू टपकाने लगी है, इसका क्या..?
मेने उनकी चुचियों को पकड़ने के लिए हाथ आगे करते हुए कहा – लाओ इसको अभी शांत कर देता हूँ…!
वो पीछे हट’ते हुए बोली – नही अभी रहने दो, रात में देखेंगे.., ये बताओ तुम कहाँ चले गये थे..?
मे ज़रा खेतों की तरफ चला गया था, फिर जैसे कुछ सोचते हुए मेने कहा – भाभी, ज़रा बाबूजी का अच्छे से ख़याल रखा करो…!
भाभी मेरी बात सुनकर एकदम से चोंक पड़ी, अचानक ये बात मेने उन्हें क्यों कही, सो थोड़ा असमनजस जैसी स्थित में आकर बोली –
ये तुम्हें अचानक बाबूजी का ख़याल रखने की बात क्यों सूझी, क्या उन्होने तुमसे कुछ कहा क्या…? या तुम्हें लगता है कि हम उनका अच्छे से ख़याल नही रखते..?
उनकी दूबिधा समझते हुए मेने हँसते हुए कहा – अरे भाभी आप मेरी बात को अन्यथा मत लो, मे तो बस मज़ाक में बोल रहा था, और जानती हैं मे ये क्यों कह रहा था…?
भाभी मेरी तरफ सवालिया निगाहों से देखने लगी…
मेने कहा - अब बाबूजी एक साथ दो-दो घोड़ियों की सवारी करने लगे हैं…!
भाभी चोन्क्ते हुए बोली – क्या दो-घोड़ियों की सवारी मतलब…?
बुढ़ापे में घुड़सवारी करने का शौक चढ़ा है उनको…?
मे – अरे भाभी असली घोड़ी नही, अपने घर की वो दोनो घोड़ियाँ…!
भाभी – ओह्ह्ह….तो ये बात है, मतलब बड़ी और मंझली चाची दोनो एक साथ..? पर तुमने कहाँ देख लिया उनको…?
फिर मेने उन्हें पूरी बात बताई…, तो भाभी हँसते हुए बोली – बेटा तो बेटा बाप भी पक्का चोदुपीर है..हाहाहा.., इस बात पर हम दोनो खूब ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे…
हमें ज़ोर-ज़ोर्से हँसते देखकर निशा हमारे पास आकर पुछ्ने लगी कि हम इतने ज़ोर-ज़ोर्से क्यों हंस रहे हैं.. तो भाभी बोली – ये बच्चों को बताने लायक बात नही है…
निशा तुनकते हुए बोली –हुउन्न्ं दीदी ! आप भी ना, मुझे अभी तक बच्चा ही समझती हैं, जबकि मे खुद बच्चे की माँ बनने वाली हूँ..
भाभी ने छेड़ते हुए कहा – बनी तो नही ना, जब बन जाएगी तो बड़ों में शामिल कर लेंगे… ओके..
निशा – हुउन्न्ं… बताओ ना प्लीज़ क्या बात है…
भाभी – अच्छा बाबा ठीक है, बता दो लल्ला इसे भी.., फिर मेने उसको भी बताया, वो अपने मुँह पर हाथ रख कर बोली – हाए दीदी इनका तो अवा का अवा ही बिगड़ा हुआ है.., इस बात पर हम तीनों ही हँसने लगे….!
हसी के बीच ही भाभी बोली – पूरा का पूरा अवा तो नही, एक राजा रामचंद्र के पोते भी हैं इस घर में, जो अपनी ही बीवी से चार बार पर्मिशन मिलने पर ही चोदते हैं..हाहाहा…, उनका इशारा बड़े भैया की तरफ था…!
इस तरह हसी खुशी से ये दिन भी बीत गया था, अब रात का इंतजार था, जब हम तीनो प्रेमी, एक साथ खाट कबड्डी खेलने वाले थे…….!
वो रात भी आ गयी, निशा का ख़याल रखने के बहाने भाभी पूरी रात हमारे साथ ही रही, जमकर चुदाई अभियान चला, जमकर बारिश हुई…
बस थोड़ा निशा को प्यार और एहतियात के साथ संतुष्ट किया, लेकिन मेने और भाभी ने चुदाई की सारी हदें पार कर दी,
जो तरीक़े किसी मूवी या किताब में भी नही देखे होंगे वो हमने आजमा लिए…!
दिनो-दिन गदराते जा रहे भाभी के बदन का अहसास होते ही मेरा लंड एक बार झड़ने के बाद जल्दी ही फिरसे खड़ा हो जाता…,
गान्ड मराने के अलावा भाभी ने सारे आसान आजमा लिए, क्योंकि कहीं ना कहीं ये काम क्रीड़ा हमें अनैतिक लगती है, जो कि सत्य भी है..,
मेने एक बुक में पढ़ा था, अक्सर लगातार गुदा मैथुन करने से लिंग में इन्फेक्षन होने के चान्स बढ़ जाते हैं…!
गान्ड की अन्दरुनि सतहों पर सफाई के बाद भी मैला चिपका रह जाता है, लंड जब ज़्यादा अंदर तक जाता है, तो उस मैला से उसकी नाज़ुक त्वचा पर कीटाणु लगे रह जाते हैं, जो अंदर ही अंदर लंड की मुलायम स्किन में इन्फेक्षन पैदा कर सकते हैं..,
वो अलहदा बात है कि कुछ लोग कहानी को ज़्यादा बल्गर और इंट्रेस्टिंग बनाने के चक्कर में आदमी से मैला खिलवा भी देते हैं, जो वास्तविकता से बहुत दूर की बात हैं…!
एनीवेज, आख़िर उनकी चूत में ही लंड चेन्प्कर हम सो गये…! और ये नया अनुभव हुआ कि वो जबतक अपनी सुरंग में रहा, तन्कर खड़ा ही रहा,
यही नही उनकी यौनि भी गीली होती रही, सो जागते ही एक बार फिरसे मेने भाभी को जमकर चोद डाला…..!
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