RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
मैंने गर्दन घुमाकर देखा तो छोटी फूफो मेरे पीछे खड़ी मुश्कुरा रही थी। उनकी भी आँखें आँसुओं से भरी थीं, मगर उनके होंठों पर मुश्कुराहट थी। उन्होंने भी मेरे चेहरे को अपने हाथों में भरते हुए मेरे माथे पर चूमा और कहा-“बिल्कुल हमारे बाबा का दूसरा रूप हो तुम, वही कद, वही आँखें, वैसा ही नैन नक्श। ऐसा लगता है कि बाबा… पीर सैयद बादशाह अली शाह फ़िर से हमारे सामने आ गये हों…”
मैं हैरत से उन्हें देखा रहा था। वो बहुत ही खूबसूरत खातून थी। एक भरपूर खातून। उनके बातें करने के अंदाज में वेकार था। उनके देखने का अंदाज, किसी की भी रगों में खून की तेजी बढ़ा सकता था। वो मुझे बहुत ही प्यार से देखे जा रही थी। मैंने आगे बढ़कर उनको अपने सीने से लगा लिया, उनके बदन से शहर अंगेज खुश्बू उठ रही थी। जिसने मुझे चन्द लम्हों तक उनसे दूर होने ना दिया। मैं उनकी शख्सियत के शहर में जैसे खो सा गया। फ़िर दिल पर बहुत जबर करते हुए मैं उनसे थोड़ा अलग हुआ और फ़िर उनके चेहरे को भी हाथों में भरकर मैंने उनका माथा चूम लिया।
वो खामोशी से मुझे बस देखे जा रही थी। उनके लबों पर एक खूबसूरत मुश्कुराहट तैर रही थी जो कि शायद उनकी शख्सियत का ख़ास थी। फ़िर उन्होंने मुझे एक बाजू से पकड़ा और बीच हाल की तरफ ले जाने लगी। मैं उनकी शख्सियत के शहर में गुम उनके साथ आगे बढ़ने लगा। हाल के बीचोबीच उन्होंने मुझे लाकर खड़ा कर दिया, और फ़िर सामने जाती हुई एक बड़ी सी सीढ़ी के उपरी हिस्से की तरफ इशारा किया।
तब मैंने उनकी इशारे की तरफ देखा। सामने से ही 8 फीट चौड़ी सफेद मार्बल से मजीन सीढ़ियाँ 5 फीट की ऊँचाई तक जा रही थीं। फ़िर वहाँ से दायें और बायें को दो और सीढ़ियाँ ऊपर की मंज़िल की तरफ जाती दिखाई दी।
लेकिन 5 फीट की ऊँचाई तक बनी सीढ़ियों के पहले स्टॉप पर सामने की तरफ एक बहुत बड़ी तस्वीर एक खूबसूरत फ्रेम में लगी इस हवेली की शानो शौकत में मजीद इजाफा कर रही थी। चन्द लम्हे तो मैं उस तस्वीर को देखता ही रहा। फ़िर मैं हैरत के समुंदर में डूब गया।
वो तो मेरी ही तस्वीर थी। लेकिन तस्वीर में मेरे जैसे दिखाई देने वाले शख्स के चहेरे पर घनी सफेद दाढ़ी और बगलों से बल खाकर ऊपर को उठी हुई बड़ी-बड़ी सफेद मूछें थी। उन्होंने सिर पर एक बहुत बड़ा पटका। (बाजस्क के कपड़े एक लंबे हिस्से से सिर पर बाँधा जाता है जैसा अक्सर बलोच लोगों को आपने देखा होगा) बँधा हुआ है। उन्होंने अपने सहानो पर आजरक लिए हुए है, और एक बहुत बड़ी शानदार कुसी पर शाहाना अंदाज में बैठे हुए हैं। यह तस्वीर हाथ से पेंट की हुई लगती थी। मगर जिस पेंटर ने भी इसे पेंट किया था उसने अपनी पूरी कला इस तस्वीर को बनाने में लगा दी थी।
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