non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
06-06-2019, 01:10 PM,
#87
RE: non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
कालिया- हाँ... तो दोस्तों, आज का नाम जैसा की गगनबिहारी काका ने पढ़ा। मेरे प्यारे जीजाजी का नाम निकला है। कल 1499 पर्ची बचेंगी। इसमें मेरे जीजाजी का नाम नहीं होगा। परसों 1498, तरसों 1497, इसी तरह पर्चियों का नंबर घटते जाएगा और गोरी मेमसाहेब को चोद चुके, उनके फुद्दी का रस चाट चुके हम कर्मचारियों की संख्या बढ़ती जाएगी।
मैदान में तालियों की गड़गड़ाहट पूँज उठी।
कालिया- ये लो जीजाजी 1500 रूपए और लण्ड को खड़ा किए चलो गोरी मेमसाहेब को चोदने को।
मैं- अरे साले... वो किराना दुकान वाले लालाजी से बड़ा रूपया करवा लेते हैं। 1500 सिक्का ज्यादा वजनी है यार।
मैं लालाजी की दुकान मेमसाहेब- अरे लालाजी, कुछ चिल्लर पैसे थे।
लालाजी- अरे भाया, तो ले आओ ना। हम तन्ने कमिशन भी देवंगा। दस रूपए सौ टका।
मैं- तो 1500 रूपए का कितना दोगे लालाजी?
लालाजी- 150 रूपए।
मैं- ये लो लालाजी।
लालाजी के नौकर ने रूपए गिने। लालाजी ने 500 के तीन नोट दिए और संग में 150 अलग से।
मैं- ये ले साले 150 की कमाई अलग से हो गई।
कालिया- जीजाजी ये आप ही रखिए। गोरी मेमसाहेब की चूत तो आपको मैंने आज के लिए गिफ्ट में दे दी। और दक्षिणा भी आपको मिल गई 150 के रूप में। ये मेरी तरफ से बहन की शादी की अग्रीम दहेज समझ लो। कल से हम लालाजी से चिल्लर देकर बड़े नोट करवा लेंगे और उस बंदे को देंगे जिसका नाम पर्ची में आएगा।
मैं- एक बात तो बताओ साले? पर्ची में मेरा नाम ही आएगा, ऐसा जोर देकर कैसे बोल रहा था।
कालिया हँसते हुए- वो गुप्त बातें हैं जीजाजी, आप जानकर क्या करोगे?
मैं- फिर भी बता दे साले।
कालिया- मैंने डिब्बा बदल दिया था। 1500 पर्ची में आज केवल आपका ही नाम लिखा था। लड़का कोई सा भी पार्ची निकलता तो आपका ही नाम निकलता।
मैं- मान गये साले... अपनी बहन की शादी के लिए तू जो कर रहा है।
कालिया- बस जीजाजी, मेरी बहन को हमेशा खुश रखना और शादी के बाद बाजारू लड़की के पीछे ना भागना। किसी नई लड़की को चोदने को मन करे तो मुझे बता देना। साली को उठाकर आपके लण्ड के आगे ना पटक दिया तो कालिया मेरा नाम नहीं। बस आप मेरी दीदी को खुश रखना।
मैं- तो चलें। गोरी मेमसाहेब के पास।
कालिया- अरे जीजाजी... उसके पास तो आपको अकेले जाना होगा। मैं चला गगनबिहारी काका के यहाँ। काकी की फुद्दी में लौड़ा डालने को।
मैं 1500 लिए गोरी मेमसाहेब के बँगलो का गेट खोला और अंदर दाखिल हुआ। अंदर से एक आदमी को बाहर आते देखकर मैं ठिठक गया। और वो... जब उसने मुझे देखा तो उसके पाँव के नीचे से जमीन खिसक गई। वो थर-थर काँपने लगा। मैं मन ही मन मुश्कुरा उठा।
मैं- अरे, मैनेजर साहब आप यहां?
और वो आदमी डर के मारे मेरे पाँव में गिर गया। बोला- दीनदयाल भाई प्लीज किसी को ना बताना की मैं यहाँ आया हूँ। मेरी बनी बनाई इज्ज़त खाक में मिल जाएगी। मेरी इज्ज़त तेरे हाथ में है दीनदयाल।
मैं- वही तो... मुझे कुछ लोगों ने कहा की तुम्हारे मैनेजर साहब इस बँगलो में गये हैं और तुम्हें बुला रहे हैं।
मैनेजर- अरे... क्या बोलते हो? दिन दयाल कौन थे वो?
मैं- “मैं तो उनको नहीं जानता साहब..."
मैनेजर- ये लो दिन दयाल... मुझे पता है तुम्हें किसी ने नहीं बताया है। बल्कि तुम्हें मालूम पड़ गया है की मैं यहाँ गोरी मेमसाहेब के साथ मजा लेने आया था।
मैं- पर भाभी तो बोल रही थीं की आप देल्ही गये हुए हैं।
मैनेजर- और क्या करता? दीनदयाल, उस मोटी के साथ कुछ मजा नहीं आता है।
मैं- क्या बात करते हो साहेब? जिसकी बीवी मोटी उसका भी बड़ा नाम है। बिस्तर पे लिटा दो तो गद्दे का क्या काम है?
मैनेजर- तुम्हारा कहना ठीक है दीनदयाल। पर इस मन का मैं क्या करूं? यही इंसान की सबसे बड़ी फितरत है। जो चीज जिसके पास होती है। वो उसे भाव नहीं देता।
मैं- हाँ.. जैसे आपके पास मोटी सुंदर मेमसाहेब हैं। पर आप गोरी छरहरी मेमसाहेब की फुदी मारने पहुँच गये यहाँ पर। जिसके पास पतली है वो मोटी खोजता है, जिसकी बीवी लंबी-लंबी वो नाटी की गाण्ड के पीछे-पीछे घूमता है की कहीं एक बार तो चोदने को मिले... तो नाटी का पति लंबी की टाँगों में लण्ड घुसाने की सोचता है।
मैनेजर- मेरे भाई, ये ले 1000 रूपए और अपना मुँह बंद रख मेरे भाई।
मैं- पर साब... मेरा प्रमोशन?
मैनेजर- “अरे तेरे प्रमोशन लेटर पे आज दस्तखत हो जाएंगे और तुझे मिल जाएंगे। और तनखाह भी बढ़ा दी जाएगी... बस..."
मैं- आपका बहुत बहुत धन्यबाद सिर जी।
मैनेजर- तो मैं ये समझू की मेरी ये बात और किसी तीसरे को नहीं मालूम पड़ेगी?
मैं- नहीं साब... आज कितनी तारीख है?
मैनेजर- अरे... आज पहली तारीख है क्यों?
मैं- अगले महीने की पहली तारीख तक तो किसी तीसरे को कानों-कान खबर नहीं होगी साब।
मैनेजर- अच्छा... अब समझा। ठीक है भाई, पहली तारीख की पहली तारीख मेरे केबिन में आकर 1000 रूपए ले जाना बस... अब मुझे जाने दे, वैसे तू यहाँ पर क्या करने आया था?
मैं- वो क्या है मैनेजर साब कि हमारे घर में भजन का कार्यकर्म है। तो मैं गोरी मेमसाहेब को निमंत्रण देने आया था।
मैनेजर- ठीक है यार, फिर मैं चलता हूँ।
मैं- बाइ बाइ मैनेजर साब।
मैंने सोचा- गोरी मेमसाहेब तो मेरे लिए लकी साबित हुई। कालिया की बहन से शादी... दहेज में 1500 दीनों तक रोज 150 रूपए की कमाई। (भूल गये क्या पाठकों 1500 सिक्के चिल्लर का 10 टका कमिशन मिलने वाला है।) तो 1500 दिन में मुझे 22500 की कमाई हो जाएगी। फ्री में प्रमोशन मिल गया। तनखाह भी बढ़ गई। साथ में मैनेजर साब महीने के महीने 1000 रूपया अलग से देंगे। वो तो मेरे लिए बोनस ही होगा। ये सब सोचते-सोचते मैं दरवाजे के पास पहुँच और बेल बजाया।
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