Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 04:47 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"आहहाहम्म्म्म भाभीइ.... आज तो मज़ा आहहहा आ गायाअ..." राजवीर हान्फ्ते हुए बोला और सुहसनी के पास गिर पड़ा....





"मज़ा तो तूने भी मुझे दिया मेरे कुत्ते देवर..." सुहसनी ने राजवीर की मलाई उंगली पे ली और अपनी चूत रस में भिगो के राजवीर को चखने के लिए दी...




"उम्म्म्म आहह एम्म्म... तेरा रस तो मीठा ही है मेरी जानं.." राजवीर ने हँस के कहा और सुहसनी को गले लगा लिया..



लंडन :-

वाइट सिटी स्टेडियम जिसे ग्रेट सिटी स्टेडियम भी कहा जाता है, आज वहाँ काफ़ी भीड़ थी ... इसका एक कारण यह था आज से अफीशियल ग्रेहाउंड रेसिंग, मतलब कुत्तों की रेस स्टार्ट होने वाली थी.. वाइट सिटी स्टेडियम सेंट्रल लंडन से थोड़ा दूरी पे था, इसलिए चारों तरफ सिर्फ़ हरियाली ही हरियाली थी, कोई ट्रॅफिक नहीं, कोई भीड़ नहीं.... कुत्तों की रेस, लंडन में बहुत बड़ी इंडस्ट्री है.. तकरीबन 30 लाइसेन्स्ड ट्रॅक्स बने हुए है इस चीज़ के लिए जिसे देखने करीब 40 से 50 लाख लोग आते हैं.. रेस देखने आइए, लीगल बेट्टिंग करिए, खाइए, पीजिए, मज़े कीजिए और चल दीजिए. यह एक तरीका है लंडन में वीकेंड बिताने का.. तकरीबन 5000 लोगों की भीड़ जमा हुई थी आज यह रेस देखने के लिए, सीज़न की सबसे पहली रेस जो थी.. बेट्टिंग विंडो पे खचाखच भीड़ जमा हुई थी..




"नंबर 2.... नंबर 3... नंबर 10.... हे व्हेयर'स माइ टिकेट..." ऐसी आवाज़ें गूँज रही थी हर विंडो पे.. जैसे जैसे रेस का टाइम करीब आता वैसे वैसे विंडो खाली होती और सीट्स भरने लगती.. इतने में तीन लोग बड़ी जल्दी ही स्टेडियम की तरफ बढ़ रहे थे और आपस में बातें कर रहे थे..




"आज तो बड़ी देर हुई यार...."




"कोई बात नहीं, रेस में अभी टाइम है, 2 मिनिट में हम अंदर हैं.."




"पर आज किसपे लगाना है, मैं तो अब तक यह सोच रहा हूँ"




"नंबर 7.."




"ओह, यू मीन लकी 7 हान्ं.."




"सब लकी ही होता है.. सिक्स्त सेन्स चलनी चाहिए बस.."




"चलो आ गये.. एक्सक्यूस मी..." तीनो में से एक ने विंडो पे पहुँच के कहा




"1000 पाउंड्स ऑन नंबर 7.." फिर से उसने नोट्स आगे बढ़ाते हुए कहा




"यू मस्ट बी किडिंग चाइल्ड... नंबर 7 हॅज़ हाइयेस्ट रेट.. डॉन'ट लूस, टेक माइ टिप.. बेट ऑन 4, यू विल ईनर बिग.." विंडो वाले ने पैसे लेते हुए कहा




"नंबर 7 प्लीज़..." जैसे ही उसने ज़ोर से यह कहा, विंडो वाले ने तो अपना काम किया, लेकिन विंडो से दूर खड़ा एक शक्स उसकी यह बातें सुन उन्हे बड़े गोर से चुपके चुपके देखने लगा..




"देयर यू गो किड... रिलॅक्स, आंड एंजाय दा गेम.." विंडो वाले ने टिकेट दी और तीनो वहाँ से अपनी अपनी सीट के लिए निकल गये.. तीनो के पीछे वो चौथा शक्स भी निकला और उनकी सीट के ठीक पीछे जाके बैठ गया




"फिर्रीई........" जैसे ही ग्राउंड स्टाफ ने गोली चलाई, गेट्स खुले और एक एक कर सब कुत्ते भागने लगे फिनिश लाइन की तरफ




"कम ऑन.. कम ऑन ईसस्स.... " भीड़ में बैठे काफ़ी लोग चिल्लाने लगे...




"नंबर 2 ईज़ लीडिंग ऑल दा वे... नंबर 3 ट्रेलिंग... आंड आ सर्प्राइज़.. नंबर 7 ईज़ वेरी क्लोज़ टुडे.. दिस हॅज़ टू बी आ मिराकल... ओह माइ गॉड.... इट्स नंबर 7 टुडे हू विन्स दिस...." 500 मीटर की रेस 5 मिनिट भी नहीं चली..





"फेववव.... कैसे कर लेता है यह सब तू... 10000 पाउंड्स बॉस... ईससस्स.. ववूहूऊओ.." उन तीनो में से एक ने चिल्ला के कहा और तीनो विंडो की तरफ अपने पैसे लेने निकल गये.. उनके पीछे बैठा शक्स भी धीरे धीरे उनके पीछे चलने लगा..




"यूआर लकी माइ फ्रेंड.. हियर ईज़ युवर 10 ग्रॅंड्स... हॅव आ नाइस वीकेंड.." विंडो वाले ने पैसे देके कहा




तीनो लोगों ने अपने पैसे गिने और स्टेडियम के बाहर चलने लगे.. रात के 11 बजे, इतना घना अंधेरा छाया हुआ था कि कोई एक दूसरे को देख भी नहीं पाता.. बस कुछ 10 कदम की दूरी और फिर स्ट्रीट लाइट्स का आगमन..





"वीकेंड सेट हो गया है.. अब क्या करें वो बताओ..." एक ने पैसे गिन के कहा




"तू कुछ बोल क्यूँ नहीं रहा..." दूसरे ने तीसरे से कहा जो शांति से आगे बढ़ रहा था..




"शांति से खामोशी से आगे बढ़ो.. कोई हमारा पीछा कर रहा है... और चोंकना नहीं..बस सीधे चलते रहो.." तीसरे बंदे की यह बात सुन दोनो खामोश हो गये और पैसे जेब में रख धीरे धीरे आगे बढ़ने लगे..





"टक टक टक टक...थुप थुप थुप थुप..." तीनो के जूते एक दूसरे से ताल मिला रहे थे जैसे, इतनी खामोशी में तीन लोगों के पीछे कोई साए की तरह लगा हुआ था, दो लोगों के चेहरे तो पसीने से भीग चुके थे डर के मारे, लेकिन तीसरे वाला काफ़ी रिलॅक्स्ड था और बस आगे ही बढ़ता जा रहा था..



"रूको.." उसने धीरे से कहा और जूतों की आवाज़ बंद... लंबी खामोशी, कोई आवाज़ नहीं, बस एक स्ट्रीट लाइट के नीचे तीनो खड़े थे और आगे की सड़क की तरफ देख रहे थे.. ठंड इतनी थी कि दो लोग तो अपने हाथ घिसने में लगे हुए थे, लेकिन उनके सर से बहता पसीना कुछ अलग ही दास्तान बयान कर रहा था..




"क्यूँ रोका यार.. भागते हैं.." एक ने खामोशी को तोड़ते हुए कहा




"ष्ह्ह्ह्ह्ह..." तीसरे बंदे ने इशारा किया और फिर से खामोशी....





"लिसन... हूयेवर यू आर... स्टॉप चेसिंग अस आंड कम हियर, आइ विल गिव यू ऑल दा मनी.." तीसरे बंदे ने चिल्ला के कहा, लेकिन उसकी नज़रें अभी भी आगे ही टिकी हुई थी.. उसकी यह आवाज़ सुन, जो चौथा आदमी दीवार के पीछे छिप गया था, वो बाहर निकला और चलके उनके पास आने लगा..
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा - by sexstories - 07-03-2019, 04:47 PM

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